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Tuesday, March 31, 2009

बड़े मियाँ दीवाने

बड़े मियाँ है आई एस जौहर और ये दीवाने है सायरा बानो के जबकि सायरा बानो के आशिक है जाँय मुखर्जी और जाँय मुखर्जी शागिर्द यानि शिष्य है आई एस जौहर के… हैं न मज़ेदार सिचुएशन

जी हाँ, यह मज़ेदार स्थिति है साठ के दशक की लोकप्रिय फ़िल्म शागिर्द की। आज इसी फ़िल्म के एक मज़ेदार गीत को हम याद कर रहे है। इस गीत को गाया है रफ़ी साहब ने बड़े ही मज़ेदार अंदाज़ में, ख़ासकर अंतिम लाइने तो लाजवाब गाई है।

इस गाने के याद आने का कारण है कल का दिन। कल है पहली अप्रैल यानि हँसने हँसाने का दिन। यूँ तो यह गाना विविध भारती समेत सभी रेडियो स्टेशनों से बजा करता था। विशेष रूप से इस दिन तो ज़रूर सुनवाया जाता था - फ़रमाइशी या ग़ैर फ़रमाइशी गीतों के कार्यक्रम में। फिर धीरे-धीरे बजना कम हुआ। अब तो लम्बे समय से इसे नहीं सुना।

गीत के बोल प्रस्तुत है, कुछ बोल शायद इधर-उधर हो गए और कुछ शायद मैं भूल गई हूँ। रफ़ी साहब के गाए इस गीत में बीच-बीच में आई एस जौहर के संवाद भी है -

बड़े मियां दीवाने ऐसे न बनो
हसीना क्या चाहे
यही तो मालूम नहीं है (आई एस जौहर)
हमसे सुनो

सबसे पहले सुनो मियाँ करके वर्जिश बनो जवाँ
चेहरा पालिश किया करो थोड़ी मालिश किया करो
स्टाइल से उठे क़दम सीना ज्यादा तो पेट कम
अई क़िबला उजले बालों को रंग डालो और बन जाओ गुलफ़ाम
बड़े मियां दीवाने ऐसे न बनो
हसीना क्या चाहे
यही तो मालूम नहीं है (आई एस जौहर)
हमसे सुनो

तन्हाई में अगर कहीं आ जाए वो नज़र कहीं
कह दे हाथों में हाथ डाल ए गुल तेरा परीजमाल
मुद्दत से दिल उदास है तेरे होठों की प्यास है
कब छलकेगा मेरे लब पर तेरे लब का जाम
बड़े मियां दीवाने ऐसे न बनो
हसीना क्या चाहे
यही तो मालूम नहीं है (आई एस जौहर)
हमसे सुनो

पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…

Thursday, March 26, 2009

रेडियो श्रीलंका की हिन्दी सेवा

रेडियोनामा: बरख़ा रानी जम के थम के बरसो
श्री अन्नपूर्णाजी,
मूझे रेडियो सिलोन के बारेमें आपके द्वारा लिख़े सभी चिठ्ठे पूरे याद है । और कुछ दिनो आपने 8 बजे तक आपके जोब पर निकलने के पहेले तक़ सुनने की बातें भी याद है । और आपकी वो बात भी याद है जो भारतीय उत्पादनो के विज्ञापन रेडियो सिलोन पर देने के बारेमें थे तब मैंनें भारतीय रिझर्व बेन्क के विदेशी मुद्रा निती के बारेमें लिख़ा भी था (जो श्री गोपाल शर्माजी की आत्मकथा के आधार पर था )। इस बारेमें जब श्री कैलाश शुक्ला जी से उनके सुरत के दौरे के दौरान बात हुई तब उन्होंने बताया की कुछ भारतीय कम्पनीयाँ श्रीलंकामें निर्यात करती है और कुछ: कम्पनीयाँ वहा अपने प्लान्ट भी स्थापीत कर चूकी है, जो वहाँ से होने वाले मूनाफ़े का कुछ हिस्सा रेडियो श्री लंका के स्थानिय एफ एम केन्दो से या जहाँ आन्तरराष्ट्रीय प्रचार की आवश्यकता हो हिन्दी सेवा से भी अपने विज्ञापन दे सकती है, तो भारतीय विदेशी मूद्रा कानून से कोई दिक्कत नहीं आयेगी, और इस आय को वे प्रसारण की क्षमता बढानेमें लगा सकता है रेडियो श्रीलंका । कैलाशजीने यह भी कहा की अगर वे 41मीटर बंध ही कर दे और उसकी जगह 25 मीटर वाला एक ट्रंस्मीटर स्टेन्डबाय के रूपमें रखे तो भी विलली खर्चमें बचाव के साथ विना रूकावट प्रसारण हो सकेगा । एक और बात की जब सुबह 6 से 7 बजे तक मौसम के कारण उनके सिग्नल्स लम्बी दूरी पार नहीं कर पते तो उनको अपना समय 7 बजे से 9.30 बजे तक करना चाहिए । अभी फिल्मी वादक कलाकारो के बारेमें 4 से पाँच किठ्ठे मेरे प्रकाशित हुए, जो आप की भी होबी है उन पर आपकी कोई टिपणी नहीं आयी इस से थोड़ा अचरज़ हुआ पर शायद समय की कमी रहती होगी वैसे आपकी साप्ताहिक समीक्षा और कोई रेर गानेको याद करने वाली श्रेणीयाँ पसंद है पर कभी उस पर टिपणी लिख़ने के लिये मेरा ज्ञान कम पड़ता है और थोड़ा मेरा नझरिया अनछुये विषय पर ज्यादा चला जाता है । जिससे सभी लेख़को की बात एक ही होते हुए पाठको के सामने न आये ।
धन्यवाद ।
पियुष महेता ।
नानपूरा-सुरत ।

Wednesday, March 25, 2009

रेडियोनामा: बरख़ा रानी जम के थम के बरसो

रेडियोनामा: बरख़ा रानी जम के थम के बरसो
अन्नपूर्णाजीमैं अकेला ही रेडियो सिलोन सुन पाता हूँ यह गलत सहमी कैसे हुई, क्या रेडियो सिलोन अकेले मेरे लिये कार्यक्रम चलायेगा ? अगर आप आज भी रेडियो सिलोन थोड़ी सी स्पस्टता की तकलीफ़ के साथ भी सुनती तो हमारे देश से ही नहीं, पर पाकिस्तान से भी उनको हररोझ फोन करने वाले कई लोग होते है, जो कभी स्पस्ट सुन पाने या तकलीफ़ से सुन पाने या कभी बिलकुल सुन नहीं पाने के कारण फोन करते रहते है । फोन इन कार्यक्रममें भी देश के और पकिस्तान के भी हर हिस्से से लोग फोन करते है और कार्यक्रम के बारेमें सुझाव भी देते है । हाल ही में सुरत के एक मित्रने मेरे फोन इन कार्यक्रम को सुन कर मूझे बताया तो उसके बाद वाले फोन इन कार्यक्रममें उनका एक ख़ामोश (कभी पत्र से या फोन से रेडियो सिलोन का सम्पर्क नहीं करने वाले) श्रोता के रूपमें जिक्र किया (जिससे रेडियो सिलोन और उनकी दोनोंकी होंशलाअफ़झाई हो) तो उन्होंने तो सुना ही पर एक और ख़ामोश श्रोताने उनको इस बात की सुचना दी ।
भावनगर के एक श्रोता श्री बकुल शुक्लाजीने तो इस तरह के रेडियो सिलोन के श्रोता लोगो की टेलिफोन डिरेक्टरी प्रकाशित करके दो दो कापीयाँ वो जिनको रेडियो सिलोन के ज़रिये जानते है, सभी को अपने ख़ूद के खर्च से भेजी है । इसी तरह के एक श्रोता इन्दौर के श्री कैलाश शुक्लाजी बडोदरा के श्री प्रभाकर व्यास और जयन्तीभाई पटेल द्वारा मूझसे परिचित हो कर सुरत हाल ही में आये थे और उनके ठहराव पर उनकी बिनती अनुसार मैं उनसे मिलने गया भी था । और हाल ही में वी बालसारा की पूण्यतिथी पर रेडियो सिलोन के विषेष प्रसारण क जो जिक्र अपनी कोमेन्ट में मैंनें किया था, उस प्रसारण की समाप्ती पर तूर्त ही टेलीफ़ोनीक प्रतिक्रिया मूझे दी । उनके पास रेडियो श्रीलंका के प्रसारण को अधिक अच्छा बनाने के लिये कई उपयोगी सुझाव है । पोटलीवाले बाबा जैसे कुछ पाठको को मेरी इन बातो बकवास भले लगे पर रेडियो सिलोन के प्रभाव पर पाठको के संशय को कुछ हद तक दूर करने का मूझे यही रास्ता नझर आया । चाहे आप इसे मेरी मर्यादा ही क्यों न समझे ?
पियुष महेता ।
नानपूरा-सुरत ।
दि. 25-04-03

Tuesday, March 24, 2009

बरख़ा रानी जम के थम के बरसो

पिछले दिनों हम रामेश्वरम गए थे। वहाँ मौसम ठंडा था। एकाध बार हल्की बारिश भी हुई। कभी-कभार तेज़ धूप भी निकली। हैदराबाद लौट कर आए तो यहाँ भी मौसम का यही हाल। कभी-कभी तो बहुत तेज़ हवा चल रही है बिल्कुल अंधड़ की तरह। सड़क के किनारे से निकल कर कचरा, पेड़ों के सूखे पत्ते तेज़ी से सड़क पर बीच में आ रहे है। बादल गड़गड़ा रहे है।

जब धूप निकल रही है तो बहुत गर्मी हो रही है। आज भी सुबह से ठंडा मौसम है। बादल भी नज़र आ रहे है। बूँदा-बाँदी भी हुई। मौसम की इस आँख मिचौनी में याद आ रहा है एक गीत। फ़िल्म का नाम है सबक़ जो सत्तर के दशक में रिलीज़ हुई थी पर ज्यादा नहीं चली इसीसे फ़िल्म के बारे में मुझे ज्यादा जानकारी भी नहीं है लेकिन एक गीत बहुत लोकप्रिय रहा। रेडियो से बहुत सुनवाया जाता था फिर धीरे-धीरे बजना बन्द हो गया।

सबक़ फ़िल्म के इस गीत के दो संस्करण है - मुकेश की आवाज़ में और महिला संस्करण सुमन कल्याणपुर की आवाज़ में। इन दोनों गीतों के बोलों में भी थोड़ा सा अंतर है। मुकेश के गाए गीत के बोल है -

बरखा रानी ज़रा जम के बरसो

मेरा दिलबर जा न पाए

झूम कर बरसो

ये अभी तो आए है

और कहते है हम जाए है

सौ बरस भर उम्र भर ये जाए न

बरखा रानी

सुमन कल्याणपुर के गीत के बोल है -
बरखा बैरन ज़रा थम के बरसो

ये मेरे आ जाए तो

चाहे जम के फिर बरसो

उन से है मेरा मिलन

क्यों है री तुझको जलन

आसमाँ पे है …

मुझे बोल ठीक से याद नहीं आ रहे है।
शायद सुमन कल्याणपुर का हिन्दी फ़िल्मों के लिए गाया यह अंतिम गीत है।

कितने बरस हो गए, हर साल बरखा रानी आती है पर यह गीत विविध भारती पर नहीं आता।

पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…

Monday, March 23, 2009

हार्मोनियम वादक स्व. वी. वालसारा की पूण्य तिथी पर श्रद्धांजली

पाठक गण,
नमस्कार । आज यानि 24 मार्च के दिन, हारमोनियम, पियानो, युनिवोक्ष, सिंथेसाईझर, मेन्डोलिन औए पियानो एकोर्डियन वादक तथा महेन्द्र कपूरजीकी बतौर पार्श्वगायक, प्रथम फिल्म मदमस्त तथा विद्यापती (लताजी का गाना मेरे नैना जो विविध भारती से समय समय पर प्रसारित होता है )जैसी फिल्मो के संगीत कार स्व. वी बालसारा की पूण्य तिथी पर उनकी हार्मोनियम पर बाजाई फिल्म श्री 420 के गीत प्यार हूआ इक़रार हुआ की धून प्रस्तूत है । (पिछले साल इसी तारीख के उपलक्षमें उनकी इसी साझ पर बजाई इसी फिल्म की मेरा जूता है जापानी, गीत की धून प्रस्तूत की थी ।)(एक और बात की विविध भारती से कई साल पहेले सिर्फ़ एक ही बार प्रसारित हुई उनकी विषेष जयमाला में उन के द्वारा बताई गयी बात के आधार पर यह जानकारी देता हूँ की फिल्म दाग़ के तलत महेमूद वाले वर्झन ए मेरे दिल कहीं और चल में उनका हारमोनियम बजा है ।)

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पियुष महेता ।
नानपूरा, सुरत ।
ता.24-03-03.

Saturday, March 14, 2009

पियानो एकोर्डियन और पियानो वादक श्री एनोक डेनियेल्स तथा सेक्षोफोन और वेस्टर्न फ्ल्यूट वादक श्री श्याम राज कारजी के ताझा स्टेज शॉझ्

पाठक गण,
जैसे मैंनें श्री वान शिप्ले साहब की प्रथम मृत्यू तारीख़ के श्रद्धांजली पोस्टमें जिक्र किया था वे सेक्षोफोन वादक श्री श्याम राजजी से पहेली मुलाकात बिल्लीमोरा के एक स्टेज शॉ में श्री एनोक डेनियेल्स साहबने करवाई थी । और उन दोनों का संयूक्त शॉ वहाँ की कल संस्था गुंजन ललित कला निकेतन और उनके प्रमूख कर्ताहर्ता श्री नरेशभाई मिस्त्रीने प्रबंधीत किया था, जिनसे मित्रता भी श्री डेनियेल्स साहब की देन है, उसी दिन श्री एनोक डेनियेल्स साहब का और श्याम राजजी का, दोनों के विडीयो इंटर्व्यूझ करने का इरादा था और उनकी भी सहमती थी, पर हमारा शॉ के कुछ ही घंते पहेले पहोंचना, फिर रात्री भोजन करने बाहर निकलना और फिर शॉ के बाद रात्री ही सुरत की और चल पड़ना, यानि की लौट पड़्ना, इस के कारण वहाँ हो नहीं सका । पर उस शॉ की थोडी सी बात कर लूं, कि श्री डेनियेल्स साहब आज भी एकोर्डियन बजानेमें 76 साल के नौजवान है । और श्यामराज जी भी 61वे सालमें होते हुए भी अपनी मज़बूत सांस से सेक्षोफोन और वेस्टर्न फ्ल्यूट बजाते है । और वहाँ की पब्लीक का तो क्या कहना ? मैंनें कार्यक्रम शुरू होने से पहेले पिछे देख़ा था तो होल खाली लगता था । (मैं दूसरी लाईन में था ।)बादमें कार्यक्रम दौरान यकायक पिछे देख़ा तो पूरा होल भरा था, यानि शिस्तबद्ध पब्लीक था। आइटम समाप्ती पर ताल मिला कर तालियाँ और विषिष्ट आइटम्स पर वन्स मोर । दोनों कलाकारोंने सोलो और युगलबंधीमें परफोर्म किया । श्री एनोक देनियेल्स साहबने मांग के साथ तूम्हारा (फिल्म नया दौर ), बाबूजी धीरे चलना (आर पार) और हर दिल जो प्यार करेगा (संगम : जिसमें असल गानेमें इस साझ को उठाव देनेके लिये दो एकोर्डियन श्री डेनियेल्स साहबने और सुमित मित्राजीने बजाये थे ।)जैसी कई शूनें ऐसी बजाई जो उनकी रेकोर्डझ, केसेट्स या सीडी कोई रूपमें प्रकाशित नहीं हुई थी । विज्ञापन प्रसारण सेवा पूना के स्थायी उद्दधोषक श्री मंगेश वाघमारेजी का कम्प्रेरींग भी बहोत बढ़िया रहा । श्री श्यामराजजीने भी राहूल देव बर्मन साहब के कई गानो को अपने साझ पर बख़ूबी अन्जाम दिया । पूरानी वेस्टर्न धून टक़ीला को इन दोनो कलाकारो ने बहोत सुन्दर तरीके से पेष किया । और इसके साथ श्री डेनियेल्स साहब का सुरतमें 39 साल पहेले देख़ा शॉ याद आ गया जिसमें भी यह धून उन्होंने बह्जाई थी । साउंड पहली लाईन में भी सह्य रहा यह इस शॉ की बड़ी बात रही । यह शो दि. 21वी फरवारी, 2009 का था ।
उसके बाद श्री नरेशभाईने फोन पर दि. 8 मार्च, 2009 के दिन बताया की श्यामराज जी सुरत 9 तारीख़ के के शॉमें आ रहे है, यो श्यामराजजी से सम्पर्क होने पर उन्होंने बताया । बह शॉ सुरत के पप्पू म्यूझीक गृप द्वारा स्व आर. डी बर्मन साहब के मानमें था । और मुम्बई सिने म्यूझिशियंस एसोसियेशन के साथ जूडे हुए कई दिग्गज बादक कलालार आने थे । तो मैँ शाम 6.15 पर उनकी सेटिंग के वक्त पहोंचा तो श्यामराजजीने मेरे कहने पर तूर्त ही सहमती जटाई छोटा इन्टर्व्यू देने के लिये और दोनों साझो पर छोटे टूकडे बजाने के लिये, जो खास रेडियोनामा के लिये है ।

तो अब देखीये मेरे साथ श्री श्यामराजजी की बातचीत (जो उनके साथ आये वायोलिन वादक श्री आसिफ़ अनसारी के केमेरा मेन की तरह सहयोग देने के कारण शक्य हुई है, इस लिये आसिफ़जी को भी धन्यवाद ) :



इसके बाद रात्री 9.30 पर शॉ हुआ तो गायक, साझिन्दें सभीने जम कर परफोर्म किया । हाँ साउंड थोडा कम होता तो और भी मझा आता ।

पियुष महेता ।
सुरत ।

Tuesday, March 10, 2009

हिन्दी सिने-संगीत के एक समय के जानेमाने मेन्डोलिन वादक श्री महेन्द्र भावसार को जन्म दिन की बधाई

आज यानि दि. 10 मार्च, 2009 के दिन जानेमाने मेन्डोलिन वादक श्री महेन्द्र भावसारजी 76 साल पूरे करके 77वे सालमें प्रवेष कर चूके है । तो रेडियोनामा की और से ज्नको बधाई देते हुए फिल्म मेरा नाम जोकर के शिर्षक गीत की धून, जो उनके अंतीम (ईपी) रेकोर्ड पर थी, प्रस्तूत कर रहा हूँ । इस धूनमें अन्तराल संगीतमें एकोर्डियन मेरे उनके साथ दूरभाषी परिचय करवाने वाले श्री एनोक डेनियेल्स साहबने बजाया है । जाहिर है की ईपी रेकोर्द होने के कारण यह धून भी उस गीतके ईपी रेकोर्डमें प्रस्तूत मर्यादित स6गीत के अनुसार ही होगी । हाँ, श्री एनोक डेनियेल्स साहब की इस फिल्म के सभी गानोके धूनों की एल पी रेकोर्डमें मेंन्डोलिन वादन श्री महेन्द्र भावसार का ही है, जो किसी समय प्रस्तूत करूँगा ।
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बिते कल सुरत एक स्टेज शॉ के सिलसिलेमें सुरत पधारे हुए जाने माने सेक्सोफोन और वेस्टर्न फ्ल्यूट वादक श्री श्यामराज कारजी से छोटा सा साक्षात्कार हुआ, उस समय का दृष्यांकन आने वाले दिनो प्रस्तूत होगा । पर आज का पोस्ट श्री महेन्द्र भावसारजी के नाम, जिनके साथ ख़ीचवाई हुई मेरी तसवीर पिछली 10 मार्च को इसी मंच पर प्रस्तूत की थी ।

पियुष महेता ।
नानपूरा, सुरत-395001.

नीला पीला हरा गुलाबी कच्चा पक्का रंग

आप सबको होली की शुभकामनाए !


होली के इस अवसर पर मुझे याद आ रहा है आपबीती फिल्म का एक गीत। यह फिल्म सत्तर के दशक में रिलीज हुई थी. मुख्य कलाकार है हेमामालिनी और शशिकपूर और एक महत्वपूर्ण भूमिका में है प्रेमनाथ.


पहले लगभग हर साल होली पर यह गीत रेडियो से सुनने को मिलता था पर पिछले कुछ सालों से नहीं सुनवाया जा रहा। इसी से गीत के बोल भी मैं भूल रही हूं। इस गीत को आशा भोसले के साथ किन कलाकारों ने गाया यह भी याद नही आ रहा।


सिर्फ गीत का मुखडा याद आ रहा है जो इस तरह है -


नीला पीला हरा गुलाबी कच्चा पक्का रंग

रंग डाला मेरा अंग अंग

पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…

Monday, March 9, 2009

हवाईन गिटार और वायोलिन वादक स्व. वान सिप्ले को प्रथम पूण्य तिथी पर श्रद्धांज्ली

आज यानि दि. 9 मार्च के दिन ह्वाईदो धूनें :न ग़िटार और वायोलिन वादक स्व वान सिप्ले को उनकी प्रथम पूण्य तिथी पर श्रद्धांजली के रूपमें प्रस्तूनत है दो धूने :

प्रथम धून इलेक्ट्रीक हवाईन गिटार पर फिल्म शोर से है और गाने के बोल है एक प्यार का नग्मा है । यह धून उन्होंने बाद में वायोलिन पर दो बार प्रस्तूत की थी, जिसमें से एक कभी प्रस्तूत करूंगा । यह धून 45 आर पी एम ई पी रेकोर्ड पर आयी थी, इस लिये बीच वाले संगीत या मेलोडी वादन का पुनरावर्तन उन्होंने टाल दिया है, जो रेकोर्ड की दायरे के बाहर हो सकता था ।

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यह दूसरी धून वायोलिन पर है जो फिल्म चोरी चोरी से और गाने के बोल है 'ये रात भीगी भीगी, जो उनकी अंतीम एल पी बेलेंस्ड ब्रास से है जिन्में वाद्यवृंद संयोजन सुरेन्द्र सोंढी का है और ज्यादा साझ नाम के मुताबिक ट्रम्पेट, ट्रम्बोन जैसे है और सेक्सोफोन और वेस्टर्न फ्ल्यूट को श्री श्याम राज कारने बजाया है, जिनसे पिछली दि 21 को बिल्लीमोरामें उनके प्रसिद्ध पियानो एकोर्डियन और पियानो वादक श्री एनोक डेनियेल्स के साथ एक लाईव शॉ में देख़ा और सुना था, जो वहाँ कि कला संस्था गुंजन कला निकेतन और उसके संचालक श्री नरेश मिस्त्री के सौजन्य से था । और जैसे की श्री एनोक डेनियेल्स साहब तो 10 साल से पहचानते है उन्होंने श्याम राज कारजी से भी मूलाकात करवाई थी । एक बात और है कि आज शायम राजजी सुरतमें एक लाईव शॉ के लिये आये है और उनसे मिलना होगा तथा सुनना भी होगा । इन दोनों शॉ के बारेमें एक अलग पोस्ट लिख़ने वाला हूँ ।

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पियुष महेता ।
नानपूरा, सुरत ।

Friday, March 6, 2009

साप्ताहिकी 5-3-09

सप्ताह भर सुबह 6 बजे समाचार के बाद चितन में गीता का कथन, वशिष्ठ का कथन, मनीषियों, वेदान्तकारों और साहित्यकारों जैसे प्रेमचन्द के विचार बताए गए। हर दिन कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा जिसमें रविवार को सुनवाया गया यह देशगान -


सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा


सभी जानते है यह डा मोहम्मद इक़बाल की रचना है फिर भी नाम नहीं बताया गया।


7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम इस सप्ताह भी अच्छा रहा। ऐसे गीत सुनवाए गए जो बहुत ही कम सुने गए जैसे अनारबाला का सुबीर सेन और सुमन कल्याणपुर का गाया गीत साथ ही कुछ ऐसे लोकप्रिय गीत भी सुनवाए गए जो बहुत दिन बाद सुनवाए गए जैसे पहाड़ी सान्याल और पंकज मलिक का गाया गीत।

7:30 बजे संगीत सरिता में श्रृंखला ठुमक चली ठुमरी जारी समाप्त हुई जिसमें आमंत्रित कलाकार थे माधुरी ओक और शरद सुतवड़े। शोध और आलेख विश्वनाथ ओक जी का था। ग़ैर फ़िल्मी और फ़िल्मी ठुमरियाँ गाकर सुनाई गई जिसके लिए हारमोनियम पर संगत की विश्वनाथ ओक जी और तबले पर संगत की सूर्याक्ष देशपाण्डेय जी ने। इस बार ठुमरी गायक कलाकारों के बारे में बताया गया, काशी बाई, बड़ी मोती बाई, छोटी मोती बाई की गायकी की चर्चा की गई। समापन परम्परा के अनुसार राग भैरवी से हुआ।

अगली श्रृंखला शुरू हुई - ध्रुपद धमाल। लगता है इसका प्रसारण पहले भी हो चुका है। इसे रूपाली रूपक जी ने तैयार किया है। आमंत्रित कलाकार है गुंदेजा बन्धु, रमाकन्त गुन्देजा और उमाकान्त गुन्देजा।

7:45 को त्रिवेणी में जीवन में दूसरों की सहायता करने की, अपने मन को समझाने की बात कही गई और सुनवाए गए संबंधित गीत जैसे -

मन रे तू काहे न धीर धरे

गुरूवार की त्रिवेणी बहुत अच्छी रही। प्रकृति की विविध ध्वनियों की चर्चा हुई। कुछ नया-नया सा लगा। गीत भी अच्छे रहे, अच्छा चुनाव और क्रम, आलेख बढिया और रेणु (बंसल) जी की प्रस्तुति सोने पे सुहागा।

दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम में शुक्रवार को फ़िल्में रही दिल का रिश्ता, चलते चलते, करीब, रब ने बना दी जोड़ी, मर्डर, गुप्त। सोमवार को शहनाज़ (अख़्तरी) जी लाईं बाँबी, चित्रलेखा, मौसम, मेरा गाँव मेरा देश, सेहरा जैसी लोकप्रिय फ़िल्में। मंगलवार को पधारे कमल (शर्मा) जी फ़िल्में रही सफ़र, अलबेला और इस दौर की सुनहरी फ़िल्में। बुधवार को फ़िल्में रही ज़िद्दी, दिल तेरा दीवाना, झुक गया आसमान, मेरे सनम, क़िस्मत। गुरूवार को कमल (शर्मा) जी लाए लोकप्रिय फ़िल्में मन मन्दिर, ज़हरीला इंसान, सोलहवाँ साल, ताजमहल, संजोग, जोशीला, पारसमणी। इस तरह इस कार्यक्रम में पचास साठ के दशक से लेकर अब तक के लोकप्रिय गीत सुनवाए गए।

1:00 बजे म्यूज़िक मसाला कार्यक्रम में एक ऐसी रचना सुनी जिसमें संगीत का आनन्द था, न म्यूज़िक (नए दौर का) था न मसाला था। बड़ा आनन्द आया सुनकर, हरिहरन की आवाज़, एलबम का नाम वेलवेट और बोल ख़ुमार बाराबंकी के। यह इस कार्यक्रम के बजाए गुलदस्ता में ज्यादा अच्छा लगेगा -


मुझे फिर वही याद आने लगे

जिन्हें भूलने में ज़माने लगे है

इस कार्यक्रम में ऐसे मसालेदार गाने अच्छे लगते है जिसमें धमाल हो।


1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में मिले-जुले गीत सुनवाए गए जैसे घराना फ़िल्म का रफ़ी साहब का गाया यह गीत -


हुस्न वाले तेरा जवाब नहीं
कोई तुझसा नहीं हज़ारों में

और नई फ़िल्म फ़ना का शान का गाया गीत - चाँद सितारे ………

3 बजे सखि सहेली में शुक्रवार को हैलो सहेली कार्यक्रम में फोन पर सखियों से बातचीत की शहनाज़ (अख़्तरी) जी ने। देश के विभिन्न राज्यों से सखियों ने फोन किए। इस बार ज्यादा फोनकाल छात्राओं के रहे ख़ासकर स्कूली छात्राओं के जिनमें से अधिकतर ने आगे पढने की इच्छा बताई।

सोमवार को होली की शुरूवात हो गई आन फ़िल्म के इस गीत से -


खेलो रंग हमारे संग आज दिन रंगरंगीला आया

मंगलवार को करिअर संबंधी जानकारी में अध्यापक बनने के बारे में जानकारी दी गई और युवा वर्ग के पसंदीदा नए गाने सुनवाए गए। सामान्य जानकारी में तनाव रहित होकर ख़ुशहाल रहकर भोजन बनाने की सलाह दी गई। वोट देने के अधिकार की बात कही गई।



शनिवार और रविवार को सदाबहार नग़में कार्यक्रम में लोकप्रिय फ़िल्मों के सदाबहार गीत सुनवाए गए जैसे मिस्टर एंड मिसेज 55 फ़िल्म का गाया यह गीत -

जाने कहाँ मेरा जिगर गया जी
अभी अभी यहीं था किधर गया जी

किसी की अदाओं पे मर गया जी

बड़े-बड़े अँखियों से डर गया जी


3:30 बजे शनिवार और रविवार को नाट्य तरंग में कमलेश्वर की कहानी पर आधारित नाटक सुनवाया गया - राजा निर्बन्सिया जिसके रूपान्तरकार है अभय कुमार सिंह जिसके निर्देशक है विजय दीपक छिब्बर।

शाम 4 बजे रविवार को यूथ एक्सप्रेस में दुनिया देखो स्तम्भ में जेसलमेर की सैर कराई गई। किताबों की दुनिया में नोबल पुरस्कार प्राप्त विदेशी लेखक पर आलेख प्रस्तुत किया गया। हमारे आस-पास में रेलवे क्रासिंग की एक दुर्घटना की जानकारी दी गई और साथ में सलाह भी जो किसी श्रोता ने लिख भेजी थी।

पिटारा में शुक्रवार को पिटारे में पिटारा कार्यक्रम में बाइस्कोप की बातें कार्यक्रम प्रसारित हुआ जिसमें नीलकमल फ़िल्म की बातें बताई लोकेन्द्र शर्मा जी ने। हमेशा की तरह इस बार भी अच्छा रहा कार्यक्रम।

सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम डा आमोघ कालेकर से निम्मी (मिश्रा) जी ने अस्थियों के रोग पर बातचीत की। विस्तृत जानकारी मिली। यह बताया गया कि बढती उमर में यह रोग हो सकता है। बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में अभिनेता मनोज कुमार से रविराम जी की बातचीत सुनवाई गई। हरिकृष्ण से मनोज कुमार बनने की बात बताई। 19 साल की उमर से इस क्षेत्र में रहने पर भी निर्देशन के क्षेत्र में आते समय होने वाले तनाव की चर्चा की कि कैसे लोगों को संदेह था कि वो सफल निर्देशक बन पाएगें। बहुत अच्छी रही बातचीत। शनिवार, मंगलवार और गुरूवार को हैलो फ़रमाइश में श्रोताओं से फोन पर बातचीत हुई और उनकी पसन्द के गीत सुनवाए गए।


5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद फ़िल्मी हंगामा में नई फ़िल्मों जैसे लाइफ़ इन मेट्रो, टीम के गीत सुनवाए गए।


7 बजे जयमाला में नए पुराने गीत सुनवाए गए। शनिवार को विशेष जयमाला प्रस्तुत किया निर्देशक मधुर भंडारकर ने। कुछ बातें फ़ौजी भाइयों के नाम रही, कुछ अपनी फ़िल्मों की चर्चा रही जिनमें चर्चित फ़िल्म पेज थ्री की चर्चा की गई। अपने पसंदीदा फ़िल्मकारों जैसे गुरूदत्त की बात की और उनके गीत भी सुनवाए।

7:45 पर शुक्रवार को लोकसंगीत में मालवी और ख़ासी लोकगीत सुनवाए गए। शनिवार और सोमवार को पत्रावली में पधारे निम्मी (मिश्रा) जी और महेन्द्र मोदी जी। इस बार सामान्य प्रतिक्रियाएँ रही। मंगलवार को सुनवाई गई क़व्वालियाँ। बुधवार को इनसे मिलिए कार्यक्रम में क्रिकेट अंपायर सुबोध केलकर से युनूस जी की बातचीत की अगली कड़ी प्रसारित हुई जिसमें व्यावहारिक ज्ञान की जानकारी अच्छी लगी। रविवार और गुरूवार को राग-अनुराग में विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुने।


8 बजे हवामहल में सुनी हास्य झलकी - तलाश एक वकील की (रचना नदीम अजमेरी निर्देशक जटाशंकर शर्मा) हास्य नाटिक - विवाह यंत्र (निर्देशक मुख़्तार अहमद)

9 बजे गुलदस्ता में गीत और ग़ज़लें सुनवाई गई।


रविवार को उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में निर्माता निर्देशक जे ओमप्रकाश से युनूस जी की बातचीत की अगली कड़ी सुनी। इस बार शायरी के अपने शौक की चर्चा की और पसंदीदा शायरो जैसे फ़ैज और गुलज़ार की बात की। अपनी फ़िल्मों के बार में दर्शकों से प्राप्त पत्रों और अपनी फ़िल्मों के रेडियो पर श्रोताओं की पसंद पर बजाए जाने वाले गीतों की भावुकता से चर्चा की।

10 बजे छाया गीत में रविवार को युनूस जी लाए ऐसे लोकप्रिय गीत लेकर जो आजकल कम ही सुनवाए जाते है। शेष दिन वही चाँद तारों रात प्यार की बातें होती रही। इस कार्यक्रम के बारे में कुछ कहना भी कठिन है क्योंकि यह कार्यक्रम उदघोषकों का अपना कार्यक्रम है।

Thursday, March 5, 2009

पियानो वादक तथा सोलोवोक्ष वादक स्व. केरशी मिस्त्री की प्रथम पूण्यतिथी पर श्रद्धांजली

आज स्व केरशी मिस्त्रीजी के देहांतको पूरा एक साल हुआ । इस अवसर पर उनकी पियानो पर बजाई फिल्म पहचान की धून प्रस्तूत है ।


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पियुष महेता ।
सुरत ।

Tuesday, March 3, 2009

महिला दिवस पर याद आ रहा है यह गीत

महिला दिवस आ रहा है। यूँ तो महिलाओं के विभिन्न रूपों पर कई फ़िल्मी गीत है जो रेडियो से हम सुनते रहते है पर आज जिस गीत की हम चर्चा कर रहे है वो महिला की वास्तविक स्थिति बताता है ख़ासकर उसकी बरसों पहले की स्थिति।

यह गीत शायद औरत फ़िल्म का है जिसमें मुख़्य भूमिकाओं में थे राजेश खन्ना और पद्मिनी। यह फ़िल्म सत्तर के दशक के शुरूवाती सालों की है शायद… पद्मिनी वही दक्षिण भारतीय अभिनेत्री है जिसने राजकपूर के साथ मेरा नाम जोकर में काम किया था।

इस गीत को गाया है लता मंगेशकर ने। इसके अलावा और कोई जानकारी मेरे पास नहीं है। होगी भी कैसे, किसी समय रेडियो से बहुत बजने वाला यह गीत अब बजना बन्द जो हो गया है। कुछ बोल मुझे याद है जो इस तरह है -

औरत ने जन्म दिया मर्दों को
मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
जब जी चाहा मसला कुचला
जब जी चाहा दुत्कार दिया
औरत ने जन्म दिया मर्दों को

तुलती है कहीं दीनारों में
बिकती है कहीं बाज़ारों में
नंगी नचवाई जाती है
अय्याशों के दरबारों में
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जिस कोख में इनका जिस्म ढला
उस कोख का कारोबार किया

मर्दो के लिए …
औरत के लिए जीना भी गुनाह

इसमें उर्दू लफ़्ज़ बहुत है, पता नहीं किस शायर ने लिखे है।

पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…

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