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Friday, March 26, 2010

रात के सुकून भरे कार्यक्रमों की साप्ताहिकी 25-3-10

रात में हवामहल कार्यक्रम के बाद 8:15 से क्षेत्रीय कार्यक्रम शुरू हो जाते है फिर हम 9 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुड़ते है।

9 बजे का समय होता है ग़ैर फ़िल्मी रचनाओं के कार्यक्रम गुलदस्ता का। शुक्रवार और बुधवार को यह कार्यक्रम केवल 15 मिनट ही सुनने को मिला।

शुक्रवार को शुरूवात हुई मिताली और भूपेन्द्र सिंह की गाई इस रचना से -

आ गई हैं चमन में बहारे
मन के पंछी चहकने लगे हैं

फिर रूना लैला की आवाज में गूंजा कदम का कलाम।

इसके बाद 9:15 बजे से 9:30 बजे तक क्षेत्रीय प्रायोजित कार्यक्रम प्रसारित हुआ जो हिन्दी में था। सामान्य ज्ञान का यह कार्यक्रम अच्छा रहा।

शनिवार को कुछ एलबमो से रचनाए सुनवाई गई। तलत अजीज की आवाज में अहसास एल्बम, पंकज उदाहास से महक एलबम। इब्राहिम अश्क का कलाम भी सुना जमनादास की आवाज में।

रविवार को केवल राजेन्द्र मेहता और नीना मेहता की गाई रचनाए ही सुनवाई गई -

इधर आओ एक बार फिर प्यार कर ले

कैफी आजमी का कलाम सुनवाते समय खुद शायर की आवाज में भी कलाम सुनवाया गया।

सोमवार को शुरूवात अच्छी हुई -

जिन्दगी कुछ भी नही फिर भी जिए जाते हैं
तुझ पर ऐ वक़्त एहसान किए जाते हैं

इफ्तेकार इमाम सिद्दिकी का कलाम सुनवाया गया चित्रा सिंह की आवाज में, मेहदी हसन को भी सुना।

मंगलवार को बहादुर शाह जफ़र का कलाम रूना लैला की आवाज में सुनना अच्छा लगा -

बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऎसी तो न थी
जैसी अब हैं तेरी महफ़िल कभी ऎसी तो न थी

जिगर मुरादाबादी का कलाम सुना, हरिहरन की आवाज में शहरयार का कलाम सुना और सुमन कल्याणपुर की आवाज मैं शादाब का कलाम भी शामिल-ऐ- बज्म रहा।

बुधवार को 9:15 बजे शुरू हुआ यह कार्यक्रम और दो ही गजले सुनवाई गई। चंदनदास की आवाज में और पंकज उदहास से -

दिल धड़कने का सबब याद आया

9:15 बजे तक प्रायोजित कार्यक्रम प्रसारित हुआ जिसमे दृष्टिहीनो के रोजगार के लिए विभिन्न पद और इससे सम्बंधित शिकायत भी दर्ज कराने सम्बन्धी चर्चा हुई। अच्छा जानकारीपूर्ण कार्यक्रम रहा।

गुरूवार को सैय्यद राही का कलाम सुना, गुलोकार थे हरिहरन, सुदर्शन फाकिर और आतिश को सुना जगजीत सिंह और चित्रा सिंह की आवाजो में, पीनाज मसाणी को भी सुना और चन्दन दास की आवाज में सुनवाया गया -

तनहा न अपने आपको अब पाइए जनाब
मेरी गजल को साथ लिए जाइए जनाब

अक्सर यह कहा जाता रहा कि यह रचना सुनिए और हम इन्तेजार करते रहे कि अब कोई गीत सुनने को मिलेगा पर जो सुनवाया गया वो गीत था या गजल थी यह समझना कठिन हो गया। कार्यक्रम के समापन में कहा जाता रहा - यह था सुनने वालों के लिए विविध भारती का नज़राना - गुलदस्ता। आरंभ और अंत में बजने वाला संगीत अच्छा है।

9:30 बजे रविवार को कार्यक्रम उजाले उनकी यादो के और शेष हर दिन आज के फनकार कार्यक्रम प्रसारित किया गया। आज के फनकार कार्यक्रम में शुरू और अंत में बजने वाला संगीत न तो सुनने में अच्छा है और न ही यह कार्यक्रम संबंधी यानी फनकार का कोई संकेत देता है। वैसे भी लगातार यह कार्यक्रम सुनना अच्छा नही लग रहा है, विविधता होनी चाहिए।

रविवार को उजाले उनकी यादो के कार्यक्रम में अभिनेत्री लीना चंद्रावरकर से कमल (शर्मा) जी की बातचीत की अंतिम कड़ी सुनवाई गई। किशोर कुमार को याद किया। अपने और किशोर कुमार के जीवन के उन अनछुए पहलुओ को बताया जिससे जानकारी मिली उनकी पहली मुलाक़ात और बाद में हुए उनके विवाह के बारे में। खुद के बारे में बताया, गीत लिखने के बारे में, भप्पी लहरी के संगीत में गाए गीतों के बारे में। अच्छी रही यह कड़ी, इसी से अंदाजा लगा कि पूरी श्रृंखला से बहुत जानकारी मिली होगी। किशोर कुमार के गाए चुने हुए गीत सुनवाए गए - सफ़र, पिया का घर, चलते-चलते फिल्मो से। इस कार्यक्रम को तैयार करने में तकनीकी सहयोग दिया डी के कुलकर्णी जी ने, संयोजन किया कमलेश (पाठक) जी ने और प्रस्तुत किया कल्पना (शेट्टी) जी ने।

आज के फनकार कार्यक्रम में जब पिटारा के आज के मेहमान कार्यक्रम और रात में प्रसारित होने वाले इनसे मिलिए कार्यक्रम में की गई बातचीत और कभी-कभार विशेष अवसर पर उन फ़नकारो से हुई टेलीफोन पर बातचीत में से उनके द्वारा कही गई बातो के अंश सुनवा दिए गए साथ ही उदघोषक थोड़ा-बहुत बीच में बोलते रहे और उनके गीत सुनवाते रहे तब यह पद्धति ठीक नही लगी। रात के प्रसारण में ऐसे कार्यक्रम बोझिल से लगे। जरूरी नही कि फनकार के बारे में अधिक जानकारी दे, थोड़ी सी जानकारी भी ठीक हैं और अगर जानकारी न भी दे तो भी कोई हर्ज नही। केवल उनके गीत सुनवा दीजिए, गीतों से उनके काम की जानकारी मिल जाएगी। जब हल्की-फुल्की चर्चा की गई तब अच्छा लगा यह कार्यक्रम। इस तरह से विश्वजीत, हेलन पर कार्यक्रम अच्छे लगे।

शुक्रवार को फ़नकार गीतकार प्रसून जोशी पर कार्यक्रम लेकर आए युनूस (खान) जी। शनिवार को गायिका अलका याज्ञिक का जन्मदिन था, इस अवसर पर उन पर कार्यक्रम लेकर आए अमरकांत जी।

सोमवार का कार्यक्रम अच्छा लगा। अभिनेता विश्वजीत पर कार्यक्रम लेकर आईं रेणु (बंसल) जी। उनकी फिल्मे और काम की जानकारी दी। प्रमुख गीतों को पूरा सुनवाया और कुछ गीतों की झलकियाँ सुनवाई। एक महत्वपूर्ण फिल्म का नाम छूट गया - हमक़दम। बतौर नायक पारी समाप्त होने के लम्बे अंतराल के बाद अस्सी के दशक में परीक्षित साहनी, राखी अभिनीत फिल्म हमक़दम में राखी के बॉस की महत्वपूर्ण चरित्र भूमिका की थी। फिल्म शायद राजश्री प्रोडक्शन की थी। इस नाम से उनकी अभिनय यात्रा पूरी हो जाती थी। कार्यक्रम को प्रस्तुत किया विजय दीपक (छिब्बर) जी ने पी के ऐ नायर जी के तकनीकी सहयोग से।

मंगलवार को अमरकांत जी ने प्रस्तुत किया अपनी तरह की अकेली फनकारा हेलन को। उनके बारे में हल्की-फुल्की चर्चा करते हुए उनके लोकप्रिय गीत सुनवाए - हेलन के पहले गीत मेरा नाम चुन चुन चूं (फिल्म हावड़ा ब्रिज) के साथ कारवां, तीसरी मंजिल, डान जैसी फिल्मो के गीत शामिल रहे।

बुधवार को युनूस (खान) जी ने प्रस्तुत किया फनकार अक्षय कुमार को।

गुरूवार को ममता (सिंह) जी ले आई फनकार फारूख शेख जिनका उस दिन जन्म दिन था। उनकी हैदराबाद की पृष्ठभूमि पर बनी चर्चित फिल्म बाजार का वो सीन सुनवाया जिसमे उनसे सुप्रिया पाठक चूडिया खरीदती हैं, हैदराबादी जुबान (बोलचाल) में। उनकी लोकप्रिय फिल्मो के गीत भी सुनवाए। हल्का-फुल्का अच्छा चल रहा था कार्यक्रम पर एक इंटरव्यू लगा दिया तो बोझिल हो गया।

10 बजे का समय छाया गीत का होता है। कार्यक्रम शुरू करने से पहले अगले दिन प्रसारित होने वाले कुछ मुख्य कार्यक्रमों के बारे में बताया गया।

शुक्रवार को प्रस्तुत किया कमल (शर्मा) जी ने। इस बार प्रस्तुति में बदलाव रहा। साहित्यिक हिन्दी नही बोली गई, कम बोला गया, सीधी सादी भाषा में जिसमे कुछ उर्दू के लफ्ज भी थे। गानों में सिर्फ एक ही स्वर गूंजा - मोहम्मद रफी

शनिवार को प्रस्तुत किया अशोक जी ने। ख्यालो, सपनों की बात कही और सुनवाए ऐसे ही गीत - शामे गम की क़सम
उदासी का माहौल रहा।

रविवार को प्रस्तुत किया युनूस (खान) जी ने, नई फिल्मो के गीत सुनवाए - रॉक आन, ब्लैक, चमेली। नई आवाजे गूंजी जैसे बाम्बे जयश्री की आवाज।

और समापन का अंदाज हमेशा की तरह बढ़िया रहा जिसमे गानों की झलक के साथ विवरण बताया जाता है।

सोमवार को अमरकान्त जी ले आए बेहद नाजुक विषय - प्यार में तारीफ़ कैसे की जाए, क्या कहा जाए - चाँद सी महबूबा, फूलो की रानी बहारो की मलका जैसे तारीफ़ से लदे-फदे गीत सुनवाए। बढ़िया प्रस्तुति।

मंगलवार को प्रस्तुत किया निम्मी (मिश्रा) जी ने। आलेख और प्रस्तुति अच्छी थी पर गीत इस बार भी पुराने सुस्त रहे, पर हाँ एकाध गीत मस्त रहा -

देखो बिना सावन बरस गई बदरी

बुधवार को प्रस्तुत किया राजेन्द्र (त्रिपाठी) ने। कुछ पुराने अच्छे गीत सुनवाए जैसे -

मेरे प्यार की उम्र हो इतनी सनम
तेरे नाम से शुरू तेरे नाम प ख़तम

गुरूवार को रेणु (बंसल) जी ने प्यार के लोकप्रिय नगमे सुनवाए - वक़्त, पत्थर के सनम और यह गीत -

सौ साल पहले मुझे तुमसे प्यार था
आज भी हैं और कल भी रहेगा

10:30 बजे कार्यक्रम प्रसारित हुआ आपकी फ़रमाइश जो प्रायोजित था इसीलिए प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए। इसमें श्रोताओं ने पुराने लोकप्रिय गीत सुनने की फ़रमाइश अधिक की। शुक्रवार को आम्रपाली, ऊँचे लोग, अभिमान, गीत, हम हिन्दुस्तानी और प्यार का मौसम फिल्म का शीर्षक गीत।

शनिवार को मेरा गाँव मेरा देश, बाप रे बाप, आप की परछाइयां, देवता, आशिक और चायना टाउन फिल्म से यह गीत शामिल था

- बार बार देखो

रविवार को जीने की राह फिल्म का गीत तकनीकी खराबी से ठीक से और पूरा नही सुन पाए। जानवर फिल्म का यह गीत सुन कर मजा आ गया - लाल छड़ी मैदान खडी

वो कौन थी और समापन किया इस गीत से - उधर तुम हसीं हो इधर दिल जवां हैं

सोमवार को फूल बने अंगारे, जनम जनम के फेरे, धरती, गैम्बलर फिल्मो के लोकप्रिय गीत सुनवाए गए।

मंगलवार को अगले दिन श्री रामनवमी का ध्यान रखते हुए श्रोताओं की फरमाइश से सरगम फिल्म के राम जी की निकली सवारी गीत से शुरूवात की। इसके अलावा फिल्म पवन पुत्र हनुमान का गीत भी सुनवाया गया और सरस्वती चन्द्र, हकीक़त फिल्मो के गीत भी शामिल रहे।

बुधवार को दिल्ली का ठग, मेरे मेहबूब और यह गीत भी शामिल था - अंखिया मिला के चले नही जाना

गुरूवार को प्रेम पुजारी, एक सपेरा एक लुटेरा, राजकुमार, इंसान जाग उठा फिल्मो के गीतों के साथ यह पुराना गीत भी सुनवाया गया - प्यार किया तो डरना क्या

बुधवार और गुरूवार को ईमेल से प्राप्त फ़रमाइशें पूरी की जाती है अन्य दिन पत्र देखे जाते है। देश के अलग-अलग भागों से बहुत से पत्रों से गानों की फ़रमाइश भेजी गई और हर पत्र में भी बहुत से नाम रहे जबकि ई-मेल की संख्या कम ही रही।

प्रसारण के दौरान अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए और संदेश भी प्रसारित किए गए जिसमें विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में बताया गया।

11 बजे अगले दिन के मुख्य कार्यक्रमों की जानकारी दी जो केन्द्रीय सेवा से ही दी गई जिससे केन्द्रीय सेवा के उन कार्यक्रमों की भी सूचना मिली जो क्षेत्रीय कार्यक्रमों के कारण यहाँ प्रसारित नही होते। 11:05 पर दिल्ली से प्रसारित 5 मिनट के समाचार बुलेटिन के बाद प्रसारण समाप्त होता रहा।

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