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Saturday, February 27, 2010

फ़राज़ की एक ग़ज़ल

इकबाल बानो की आवाज़ में एक ग़ज़ल

Friday, February 26, 2010

दोपहर बाद के जानकारीपूर्ण कार्यक्रमों की साप्ताहिकी 25-2-10

दोपहर में 2:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम की समाप्ति के बाद आधे घण्टे के लिए क्षेत्रीय प्रसारण होता है जिसके बाद केन्द्रीय सेवा के दोपहर बाद के प्रसारण के लिए हम 3 बजे से जुड़ते है।

3 बजे सखि सहेली कार्यक्रम में शुक्रवार को प्रसारित हुआ कार्यक्रम हैलो सहेली। फोन पर सखियों से बातचीत की निम्मी (मिश्रा) जी ने। कार्यक्रम फिर पहले के अवतार में आ गया। फोन पर सखियों से बतियाना, पिछले अंको की तरह ख़ास विषय नही। इस बार अधिकतर फोनकाल छात्राओं के थे खासकर स्कूल की छात्राओं के। स्कूल की छात्राओं ने बताया कि आगे करिअर के बारे में सोचा नही। एक लड़की ने पढाई छोड़ कर घर की दुकान चलाने की बात बताई। इन सखियों ने नए गीत ही पसंद किए। एक सखि ने बताया कि वह ब्यूटी पार्लर में बाल बनाना सीख रही है और आगे यही काम करना चाहती है और गीत भी वैसा ही पसंद किया पिया का घर फिल्म से -

ये जुल्फ कैसी है

एक कालेज की छात्रा ने अपने करिअर की योजना पर खुल कर बात की। इन कालो से एक बात साफ़ हुई कि कुछ लड़कियां अपना करिअर बनाने में चुस्त है पर कुछ ऎसी भी लड़कियां है, आज भी हमारे समाज में जो आराम से जीना चाहती है, आगे जो हो देखेगे जैसा अंदाज और कुछ अब भी घर परिवार के दायरे में रहना चाहती है। विभिन्न क्षेत्रो जैसे हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश से फोन आए। गाँव, जिलो से काल आए। गाँव की लड़की ने अपने खेतो के बारे में बताया। निम्मी जी ने माहौल भी हल्का-फुल्का रखा, सखियों ने जब अपनी पसंद का गीत बताया तो उसे गुनगुनाने के लिए कहा।

सखियों की पसंद पर नए-पुराने विभिन्न मूड के गाने सुनवाए गए। इस कार्यक्रम को निखिल (धामापुरकर) जी के तकनीकी सहयोग से वीणा (राय सिंघानी) जी ने प्रस्तुत किया और प्रस्तुति सहयोग रमेश (गोखले) जी का रहा।

सोमवार को पधारे निम्मी (मिश्रा) जी और चंचल (वर्मा) जी। यह दिन रसोई का होता है, व्यंजन बताया गया - हरे चने के रोल और कचौरी बनाना। सखियों की पसंद पर पुरानी फिल्मो के गीत सुनवाए गए - स्वर्ण सुन्दरी, उपकार, शहीद, विश्वास, राजा और रंक फिल्मो से और बड़ी बहन फिल्म से यह गीत बहुत दिन बाद सुनने को मिला -

छुप छुप खड़े हो जरूर कोई बात हैं
पहली मुलाक़ात हैं ये पहली मुलाक़ात हैं

मंगलवार को पधारी सखियां शहनाज (अख्तरी) जी और सुधा (अत्सुले) जी। इस दिन होली का रंग चढ़ा और सखियों के अनुरोध पर सुनवाए जाने वाले गीतों में से शुरूवात की इस गीत से -

होली खेले रघुवीरा अवध में

इस दिन परीक्षा समय को देखते हुए होली और परीक्षा से तालमेल बिठाने के लिए कहा। एटीटयूट टेस्ट से बच्चो की रुचि का पता लगा कर करिअर बनाने में मदद करने की बात कही। यह करिअर का दिन होता है। इस दिन सौन्दर्य विशेषज्ञ बनने के लिए जानकारी दी गई।

हमेशा की तरह सखियो के अनुरोध पर गाने नए ही सुनवाए गए जैसे चक दे, तुम मिले, लव आजकल, अजब प्रेम की गजब कहानी, परिणीता फिल्मो के गीत।

बुधवार को सखियाँ पधारीं - निम्मी (मिश्रा) जी और चंचल (वर्मा) जी। इस दिन स्वास्थ्य और सौन्दर्य संबंधी सलाह दी जाती है्। इस दिन होली के अवसर पर रंगों के रासायनिक तत्वों से त्वचा और बालो को होने वाले नुकसान से बचाने के नुस्के बताए गए। पोषक तत्वों को सुरक्षित रखते हुए भोजन पकाने के नुस्के भी बताए गए। श्रोता सखियों की फरमाइश पर कुछ पुराने समय के लोकप्रिय गीत इन फिल्मो से सुनवाए गए - ब्लैकमेल, स्वीकार किया मैंने, साथ-साथ और इस गीत में संवाद अधिक हो गए थे -

परदेस जा कर परदेसिया
भूल न जाना पिया

होली के गीत भी सुनवाए गए - धनवान फिल्म से यह गीत जो बहुत ही कम सुनवाया जाता हैं -

मारो भर भर भर पिचकारी

गुरूवार को होली के रंग में रंगी सखियाँ पधारी मंजू (द्विवेदी) जी और चंचल (वर्मा) जी। शुरूवात की सिलसिला फिल्म के गीत से - रंग बरसे

इस दिन सफल महिलाओं के बारे में बताया जाता है। आजकल श्रंखला चल रही है स्वतंत्रता सेनानी लेखिकाओं की। इस बार नयनतारा सहगल के बारे में बताया गया जो विजय लक्ष्मी पंडित की पुत्री हैं। सखियों के अनुरोध पर लोकप्रय गीत सुनवाए आँखे, अभिमान, आरजू, लव इन टोकियो, चितचोर, फिल्मो से और धर्मात्मा फिल्म का यह गीत लगा ख़ास तौर पर इस कार्यक्रम के लिए पसंद किया गया -

क्या खूब लगती हो बड़ी सुन्दर दिखती हो
फिर से कहो, कहते रहो अच्छा लगता हैं

वैसे बुधवार को सुनवाया जाता तो ज्यादा अच्छा लगता :):):)

हर दिन श्रोता सखियों के पत्र पढे गए। सखियों ने रसोई के कुछ नुस्के भेजे, कुछ पत्रों में कार्यक्रमों की तारीफ़ थी, कुछ सखियों ने अच्छे विचार भी भेजे जैसे असफलताओं से न घबराए। यह भी सूचना दी कि हर महीने के पहले शुक्रवार को होने वाले हैलो सहेली के विशेष कार्यक्रम में, इस बार करिअर विशेषज्ञ को आमंत्रित किया जा रहा हैं, सखियों से फोन करने के लिए कहा गया।

इस कार्यक्रम की दो परिचय धुनें सुनवाई गई - एक तो रोज़ सुनी और एक विशेष धुन हैलो सहेली की शुक्रवार को सुनी।

इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया कमलेश (पाठक) जी ने।

शनिवार और रविवार को प्रस्तुत हुआ सदाबहार नग़में कार्यक्रम जिसमे गीत सुनवाने आई राजुल (अशोक) जी। शनिवार की प्रस्तुति में साहिर लुधियानवी के लिखे गीत सुनवाए। विभिन्न मूड के गीत सुनवाए गए। शरारती गीत नया दौर फ़िल्म से, दिल ही तो है फ़िल्म से - तुम अगर मुझको न चाहो तो कोई बात नही

कागज़ के फूल फ़िल्म से - वक़्त ने किया क्या हसीं सितम

हमराज, देवदास, गुमराह फिल्मो के गीत भी शामिल रहे।

रविवार को अभिनेत्री नूतन को उनकी पुण्यतिथि पर याद किया गया। उनकी विभिन्न भूमिकाओं के विभिन्न मूड के गीत सुनवाए -

सरस्वती चन्द्र से - छोड़ दे साड़ी दुनिया किसी के लिए

सौदागर फ़िल्म से - तेरा मेरा साथ रहे

खानदान फ़िल्म से और मैं तुलसी तेरे आँगन की फ़िल्म का शीर्षक गीत पर यह गीत आशा पारिख के लिए अधिक उचित है।

3:30 बजे नाट्य तरंग कार्यक्रम में शनिवार और रविवार को दो भागो में मूल रूप से कन्नड़ में एम के कुलकर्णी के लिखे नाटक का नंदिनी गुंडूराव द्वारा किया गया हिन्दी रेडियो नाट्यरूपांतर सुनवाया गया - पल्लवी। यह एक ऎसी लड़की की कहानी है जिसका परिवार आर्थिक रूप से पिछड़ गया फिर परिवार के पुरूषों के निधन के बाद उसे किन सामजिक समस्याओं का सामना करना पडा। नायक स्मगलर के संगठन को ढूँढता हुआ आता है तो उसे पता चलता है उसका पिता भी अपराधी हैं। निर्देशक है चिरंजीत। दिल्ली केन्द्र की प्रस्तुति। व्यावसायिक फ़िल्म की तरह लगा नाटक।

शाम 4 से 5 बजे तक सुनवाया जाता है पिटारा कार्यक्रम जिसकी अपनी परिचय धुन है और हर कार्यक्रम की अलग परिचय धुन है।

शुक्रवार को प्रस्तुत किया गया कार्यक्रम चित्र भारती। यह कार्यक्रम फ़िल्म पत्रिका के रूप में है। आरम्भ हुआ फिल्मी समाचारों से। सम्पादकीय में बताया अंतर्राष्ट्रीय होता हिन्दी सिनेमा जिसमे सिनेमा के आरम्भ से लेकर अब तक की विकास यात्रा की चर्चा हुई। फिर समाचार छायाकार मूर्ती को दादा साहेब फालके पुरस्कार मिलने का, उनके बारे में बताया, अभिनेता सुजीत कुमार के निधन के समाचार के साथ उनके बारे में बताया। मुम्बई में लघु फ़िल्म और वृत्त चित्र पर हुए फ़िल्म समारोह की जानकारी दी। नई फिल्मो के भी समाचार शामिल थे जैसे अमिताभ बच्चन की तीन पत्ती और करीना कपूर की एजेंट विनोद। समाचारों में राष्ट्रीय पुरस्कारों के बारे में बताया गया। ऐ आर रहमान के बारे में भी बताया। यह समाचार सुनना 15 मिनट अच्छा लगा पर आधे घंटे तक सुनना भारी लगा। फिर शुरू हुआ भेंट वार्ता का सिलसिला। फैशन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार पाने वाली प्रियंका चोपड़ा से बात की गई। स्वर कमल (शर्मा) जी का था और प्रस्तुतकर्ता थे विजय दीपक छिब्बर जी।

रविवार को यूथ एक्सप्रेस लेकर आए युनूस (खान) जी। युवाओं के लिए महत्वपूर्ण चार संस्थानों के बारे में जानकारी दी। जेसलमेर के डिप्टी कमांडेंट अजय प्रताप सिंह से बातचीत की - छात्रो को एनसीसी, गाइड में शामिल होने के बारे में और उन्ही की पसंद का गीत सुनवाया -

पल पल दिल के पास तुम रहती हो

ऎसी ही एक बातचीत रही यूथ हॉस्टल के बारे में जिससे युवाओं को प्रकृति के पास ले जाने के साहसिक काम जैसे ट्रैकिग आदि कामो में भाग लेने के लिए बाते बताई गई। मुम्बई की एक गैर सरकारी संस्था बी एन एस के प्रमुख ने प्राकृतिक इतिहास यानी वन्य जीवन से सम्बंधित जानकारी दी। एक परिचर्चा का भी संचालन किया युनूस जी ने जिसमे छात्रो ने भाग लिया जिसमे समाज सेवा एन एस एस पर चर्चा चली। युवाओं के लिए अच्छे उपयोगी इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया विजय दीपक छिब्बर जी ने पी के ए नायर जी के तकनीकी सहयोग से।

सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में मूत्र रोग विशेषज्ञ और सर्जन डा जयेश धमालिया से निम्मी (मिश्रा) जी की बातचीत सुनवाई गई। विस्तार से जानकारी दी कि मूत्र निकासी में कष्ट होने से हर समय जरूरी नही कि आपरेशन किया जाए, दवाई से भी ठीक हो सकता हैं और गुर्दे की क्रिया के बारे में बताया। सामान्य बाते भी बताई।

बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में ख्यात गीतकार नक्शलायल पुरी से कमल (शर्मा) जी की बातचीत सुनवाई गई। जीवन के आरंभिक दिनों से शुरूवात की, बताया कि यह दिन लालपुर में बीते जो अब पाकिस्तान का भाग हैं। रचनाकर्म की शुरूवात लाहौर के अदीबो की महफ़िलो से हुई। मुम्बई में आरंभिक संघर्ष की चर्चा की। पहले फिल्मी गीत के बोल नही बताए, इस बात पर आश्चर्य हुआ। आमतौर पर याद रहता हैं। फिर कुछ समय बात चेतना फिल्म के गीत फिर सामाजिक फिल्मो के गीतों की चर्चा हुई। उनके लोकप्रिय गीत सुनवाए - मैं तो हर मोड़ पर

घरौंदा फिल्म का गीत -

तुन्हें हो न हो मुझको तो इतना यकी हैं
मुझे प्यार तुमसे नही हैं नही हैं

प्रस्तुति कांचन (प्रकाश संगीत) जी की रही। तकनीकी सहयोगी रही वीणा (राय सिंघानी) जी।

हैलो फ़रमाइश कार्यक्रम में शनिवार को श्रोताओं से फोन पर बात की निम्मी (मिश्रा) जी ने। विभिन्न क्षेत्रो से फोन आए जैसे अहमदाबाद और लोकल काल भी थे। ऐसे श्रोताओं ने भी फोन किया जो काम करने के लिए गाँव से मुम्बई आए हैं। एक युवा ने बताया वह चौकीदार का काम करता हैं और आगे ड्राइवर बनना चाहता हैं। कुछ श्रोताओं ने अपने काम के बारे में भी बताया जैसे सिलाई का काम। एक ने कहा अभी बारिश होने से फसल ख़राब हो गई हैं। सब की पसंद पर गाने अलग-अलग तरह के नए पुराने गीत सुनवाए जैसे हैलो ब्रदर, प्रीत न जाने रीत फिल्मो से और संजीदा गीत पेज थ्री फ़िल्म से -

कितने अजीब रिश्ते हैं यहाँ पर

ऐसा ही आदमी खिलौना हैं फ़िल्म का शीर्षक गीत।

मंगलवार को फोन पर श्रोताओं से बातचीत की अशोक (सोनामणे) जी ने। बड़ा अच्छा लगा कि एक फोनकाल सास-बहू ऩे मिल कर किया। एक लोकल काल में एक प्रोफेसर साहब ऩे देश की भाषा हिन्दी, मातृ भाषा, क्षेत्रीय भाषा और पढाई-लिखाई में अंग्रेजी पर चर्चा की। अच्छी रही भाषा विज्ञान की यह क्लास। गाँव से एक युवक ऩे बात की और बताया कि वह कालेज साइकिल पर जाता हैं, दूर जाना पड़ता हैं। अलग-अलग तरह की बातचीत अच्छी लगी। गाने भी ऐसे ही रहे। पुराना गीत - तू कहाँ यह बता

और नई फिल्मो के गीत रब ऩे बना दी जोडी जैसी फिल्मो के। होली का गीत भी शामिल रहा - रंग बरसे

गुरूवार को श्रोताओं से फोन पर बातचीत की राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ने। पहला काल बड़ा संवेदनशील था। श्रोता ने बताया कि उसे पोलियो हैं। अपने जीवन के बारे में बताते हुए यह सन्देश दिया कि बच्चो को पोलियो का टीका अवश्य लगवाए। एक श्रोता ने अपने बर्फ के व्यापार के बारे में बताया। श्रोताओ से बातचीत से पता चला चंडीगढ़ में मौसम अच्छा हैं। लोकप्रिय गाने भी पसंद किए गए जैसे -

धीरे-धीरे बोल कोई सुन न ले

कृष जैसी नई फिल्मो के गीत भी सुनवाए गए।

तीनो ही कार्यक्रमों में श्रोताओं ने विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों को पसंद करने की बात बताई। एक पुरूष श्रोता ने बताया उसे सखिसहेली कार्यक्रम से प्रेरणा मिलती हैं। कुछ श्रोताओ ने बहुत ही कम बात की। तीनो ही कार्यक्रमों को प्रस्तुत किया महादेव (जगदाले) जी ने। तकनीकी सहयोग सुनील (भुजबल) जी, सुधाकर (मटकर) जी, मंगेश (सांगले) जी और प्रस्तुति सहयोग परिणीता (नाईक) जी, रेखा जी, रमेश (गोखले) जी का रहा।

5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद शनिवार और रविवार को एक ख़ास बात हुई। बहुत दिनों से बच्चो के कार्यक्रम की कमी महसूस हो रही थी जो पूरी हुई। दोनों दिन प्रायोजित कार्यक्रम प्रसारित हुआ - हॉर्लिक्स एक्जाम मिशन पर उदघोषणा में कार्यक्रम का शीर्षक बताया गया - हॉर्लिक्स एक्जाम का भूत भगाओ।

दोनों दिन परिचर्चा प्रसारित हुई। साथ ही विषय से सम्बंधित प्रश्न श्रोताओं से फोन पर पूछने के लिए कहा गया। पहले दिन परीक्षा के तनाव से सम्बंधित चर्चा हुई जिसमे अध्यापिका शोभा सिंह जी, डाक्टर स्वाती कश्यप जी और आहार विशेषज्ञ अनुष्का जी ने भाग लिया। चर्चा चली कि बोर्ड परीक्षा का डर हो जाता हैं जिसे कम करना हैं, नियमित अंतराल से आहार ले, दिमाग को व्यवस्थित करने का छोटा सा व्यायाम भी बताया। दूसरे दिन का विषय था - परीक्षा के समय माता-पिता की भूमिका। भाग लिया मनोवैज्ञानिक गुंजन जी, पिछली बोर्ड परीक्षा में सर्वोच्च स्थान पाने वाला छात्र दिव्यांशु अग्रवाल और आहार विशेषज्ञ निशा सिंहल जी। बताया कि माता-पिता अंको के लिए दबाव न डाले, 45 मिनट से एक घंटे तक पढ़ने के बाद थोड़ा विराम ले, हल्का खाना खाए।

दोनों दिन फोन काल आए, खाना नही खाया जाता, नींद आती है जैसे प्रश्न पूछे गए जिसका उत्तर दिया गया। अच्छा रहा दोनों दिन कार्यक्रम। आशा हैं सिलसिला जारी रहेगा।

शेष हर दिन प्रसारित हुआ नए फिल्मी गीतों का कार्यक्रम फिल्मी हंगामा। शुक्रवार को शहनाज (अख्तरी) जी सुनवाने आई लोकप्रिय गीत - सलामे इश्क, ऐतेराज, राकी, चायना टाउन फिल्मो से और साथ ही सुनवाया अक्सर फिल्म से हिमेश रेशमिया का यह गीत भी - झलक दिखला जा

सोमवार को निम्मी (मिश्रा) जी ने नई फिल्मो के ऐसे गीत सुनवाए गए जो कुछ कम ही सुनवाए जाते हैं -

जुम्मेरात हैं आ जा साथ निभा जा

प्रीतम के संगीत के दो अलग रंग दिखलाते दो गीत सुनवाए। समापन किया - हल्ला रे हल्ला रे गीत से।

मंगलवार को नई फिल्मो के ऐसे गीत सुनवाए अशोक जी ऩे जो ताजे तो नही, कुछ बासी हैं - बंटी और बबली, वक़्त, क्या कूल हैं हम

बुधवार को राजुल जी ले कर आई फड़कते गीत - कुआं मा डूब जाउंगी

तक्षक, नमस्ते लन्दन फिल्मो के गीत भी शामिल थे। गुरूवार को यह कार्यक्रम अमिताभ स्पेशल लगा - मेजर साहब, बागबान, कभी खुशी कभी गम फिल्मो के गीत सुनवाए गए।

इस कार्यक्रम को प्रायोजित किया जा सकता है पर न यह कार्यक्रम प्रायोजित था और न ही विज्ञापन प्रसारित हुए।

प्रसारण के दौरान अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए और संदेश भी प्रसारित किए गए जिसमें विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में बताया गया। दूरदर्शन के कार्यक्रमों के भी विज्ञापन थे।

शाम 5:30 बजे फ़िल्मी हंगामा कार्यक्रम की समाप्ति के बाद क्षेत्रीय कार्यक्रम शुरू हो जाते है, फिर हम शाम बाद के प्रसारण के लिए 7 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुड़ते है।

Thursday, February 18, 2010

प्यार-मोहब्बत के गानों की दुपहरियों की साप्ताहिकी 18-2-10

सवेरे के त्रिवेणी कार्यक्रम के बाद क्षेत्रीय प्रसारण तेलुगु भाषा में शुरू हो जाता है फिर हम दोपहर 12 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुडते है।

दोपहर 12 बजे का समय होता है इंसटेन्ट फ़रमाइशी गीतों के कार्यक्रम एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने का। हमेशा की तरह शुरूवात में 10 फ़िल्मों के नाम बता दिए गए फिर बताया गया एस एम एस करने का तरीका और इन संदेशों को 12:50 तक भेजने के लिए कहा गया ताकि शामिल किया जा सकें। पहला गीत उदघोषक की खुद की पसन्द का सुनवाया गया ताकि तब तक संदेश आ सके। फिर शुरू हुआ संदेशों का सिलसिला। शुक्रवार को युनूस (खान) जी ने एक प्रयोग किया, प्रस्तुति में हल्का सा परिवर्तन किया। शुरू में फिल्मो के नाम दो बार धीरे-धीरे बताए गए जिससे श्रोताओं के संदेश प्राप्त हो गए और पहला गीत भी श्रोताओं की ही पसंद का रहा। अच्छा है यह प्रयत्न। इस दिन रही सत्तर अस्सी के दशक की लोकप्रिय फिल्मे - आराधना, रोटी, मुकद्दर का सिकंदर, कसौटी, खामोशी, अमर प्रेम, कटी पतंग फिल्मो के रोमांटिक गीत और कुछ अलग भाव के गीतों के लिए भी श्रोताओं ने संदेश भेजे फ़िल्म आनंद, धरम करम और नमक हराम का यह गीत -

दिए जलते है फूल खिलते है
बड़ी मुश्किल से मगर दुनिया में दोस्त मिलते है

शनिवार को शेफाली (कपूर) जी साठ सत्तर के दशक की बेहतरीन फिल्मे लेकर आई। हमराज, दिल ने फिर याद किया, हमजोली, वक़्त, झुक गया आसमान, दाग, काजल फिल्मो के रोमांटिक गीतों और आया सावन झूम के फ़िल्म के शीर्षक गीत और जीने की राह फ़िल्म के आँख मिचौली वाले गीत संदेशो के अनुसार सुनवाए गए। रविवार को क्षेत्रीय प्रायोजित कार्यक्रम के कारण हम बहुत देर से जुड़े। मंजू (द्विवेदी) जी द्वारा सुनवाए गए अंतिम दौर में नए गीत सुने। सोमवार को राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ले आए जोधा अकबर, लगान जैसी नई फिल्मे। मंगलवार को नई फिल्मे - हसीना मान जाएगी, जानम समझा करो, धड़कन, सरफरोश, हैलो ब्रदर, बिच्छू, अस्तित्व ले कर आए कमल (शर्मा) जी जिनके लोकप्रिय गीत श्रोताओं के सन्देश पर सुनवाए गए। बुधवार को मनीषा (भटनागर) जी ले आई नई फिल्मे - मन, मस्त, कच्चे धागे, प्यार तो होना ही था। इस दिन 12:30 से पहले लगभग 10 मिनट के लिए क्षेत्रीय प्रायोजित कार्यक्रम प्रसारित हुआ फिर हम केन्द्रीय सेवा से जुड़े। आज नई फिल्मे लेकर आई मनीषा (भटनागर) जी। फिल्मे रही - जब प्यार किसी से होता है , परिंदा, सपने, बंधन, गुलाम, विरासत, करीब, बड़े मियाँ छोटे मियाँ, परदेसी बाबु, तमन्ना।

आधा कार्यक्रम समाप्त होने के बाद फिर से बची हुई फ़िल्मों के नाम बताए गए और फिर से बताया गया एस एम एस करने का तरीका। एक घण्टे के इस कार्यक्रम के अंत में अगले दिन की 10 फ़िल्मों के नाम बताए गए। इस सप्ताह भी नई फिल्मे अधिक रही। संदेशों की संख्या अधिक रही। देश के विभिन्न भागो से जैसे कश्मीर से दक्षिण भारत से संदेश आए। सप्ताह भर इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया विजय दीपक छिब्बर जी ने।

1:00 बजे कार्यक्रम सुनवाया गया - हिट सुपर हिट। यह कार्यक्रम हर दिन एक कलाकार पर केन्द्रित होता है, उस कलाकार के हिट सुपरहिट गीत सुनवाए जाते है। शुक्रवार को यह कार्यक्रम अभिनेत्री रानी मुखर्जी पर प्रस्तुत किया युनूस जी ने और सुनवाए उनके हिट गीत जैसे - आती क्या खंडाला। बंटी और बबली, कुछ कुछ होता है, हम तुम फिल्मो के गीत भी शामिल रहे। शनिवार को शेफाली जी ने अभिनेता गोविंदा पर प्रस्तुत किया यह कार्यक्रम। गोविंदा के लोकप्रिय गीत सुनवाए - किसी डिस्को में जाए, जहाँ पावों में पायल, अंखियो से गोली मारे

रविवार को वेलेंटाइन डे था। इस दिन हिट सुपर हिट रोमांटिक गीत लेकर आई मंजू जी। बाबी, लव स्टोरी, एक दूजे के लिए, क़यामत से क़यामत तक जैसी फिल्मो के गीत। सोमवार को राजेन्द्र जी ने अभिनेता रणधीर कपूर पर यह कार्यक्रम प्रस्तुत किया। उनके लोकप्रिय गीत सुनवाए कल आज और कल, रामपुर का लक्ष्मण, जवानी दीवानी, कसमे वादे, हरजाई, हाथ की सफाई फिल्मो से। धरम-करम और मामा भांजा फिल्मो के गीतों की कमी खली। मंगलवार को अभिनेत्री नीतू सिंह के लिए कमल जी ने प्रस्तुत किया। शुरूवात की बाल कलाकार के रूप में उनकी पहली फिल्म दो कलियाँ के इस गीत से -

बच्चे मन के सच्चे सारे जग की आँख के तारे

इसके बाद खेल खेल में, दूसरा आदमी, रफू चक्कर, जहरीला इंसान फिल्मो के रोमांटिक गीतों के साथ द बर्निग ट्रेन फिल्म की क़व्वाली भी सुनवाई। बुधवार को फिल्मकार गुलज़ार पर प्रस्तुत किया मनीषा जी ने। आंधी, इजाजत, मौसम, मासूम फिल्मो के गीतों के साथ सुनवाया माचिस फिल्म से चप्पा चप्पा चरखा चले। आज मनीषा जी ने अभिनेत्री तब्बू पर प्रस्तुत किया और माचिस, विरासत, अस्तित्व, हम साथ साथ है, चीनी कम फिल्मो के गीत सुनवाए। पर तब्बू का चुनाव इस कार्यक्रम के लिए ठीक नही लगा। तब्बू के फिल्मे चली तो खूब पर गाने हिट सुपरहिट नही माने जा सकते।

1:30 बजे का समय रहा मन चाहे गीत कार्यक्रम का। सप्ताह भर हर दिन नई पुरानी फिल्मो के मिलेजुले गीत सुनवाए गए। पत्रों पर आधारित फ़रमाइशी गीतों में शुक्रवार और शनिवार को रेणु (बंसल) जी ने सुनवाए अधिकतर रोमांटिक गीत - खेल खेल में, अदालत, दयावान, साथी, चोरी चोरी चुपके चुपके, टैक्सी नंबर 9211 और अलग भाव का गीत चन्दा रे चन्दा भी शामिल रहा। शनिवार को पुराने धूम धडाके दार गीतो से शुरूवात हुई - बहारो के सपने फ़िल्म से चुनरी संभाल गोरी , ज्वैल थीफ फ़िल्म से होठो में ऎसी बात जिसके अलावा कल आज और कल, करमा, धूम 2, फना और हिम्मतवाला के गीत भी शामिल रहे और समापन किया चरस फ़िल्म के गीत से। रविवार को राजुल (अशोक) जी ने सुनवाए मेरा गाँव मेरा देश, दूसरा आदमी, रोजा फिल्मो के गीत जिसमे यह नया गीत भी शामिल था -

तेरा रंग बल्ले बल्ले तेरा रूप बल्ले बल्ले

सोमवार को रेणु जी ने शुरूवात में लोकगीत पर आधारित दो फिल्मी गीत सुनवाए गए, पवित्र पापी फिल्म से पंजाबी और नदिया के पार फिल्म से उत्तर भारतीय लोकगीतों की झलक लिए गीत। समापन भी अच्छा रहा - जानी दुश्मन फिल्म के - तेरे हाथो में पहना के चूड़ियाँ गीत से। समापन और शुरूवात के लिए बढ़िया चुनाव। इसके साथ जीने की राह, पत्थर के सनम, लाखो में एक, चितचोर फिल्मो के गीत शामिल थे।

मंगलवार को राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ले आए आशिकी, क़यामत से क़यामत तक, गुप्त, सोलजर, दिल का क्या कसूर फिल्म का शीर्षक गीत। बुधवार को अच्छा चुनाव रहा। अशोक (सोनावने) जी ने शुरूवात की पुरानी फिल्म नौ दो ग्यारह से जिसके बाद नई फिल्म का गीत भी शामिल रहा - भूल भुलैय्या फिल्म से फिर अलग-अलग भावो के गीत सुनवाए गए - जब जब फूल खिले, आँखे फिल्म से, बैजू बावरा फिल्म का भक्ति गीत, प्यार का सागर फिल्म का गीत और सबसे अच्छा लगा मेल से प्राप्त फरमाइश पर सहगल साहब का गीत सुनवाना, बार्डर फिल्म का देशभक्ति गीत - संदेशे आते है भी सुनवाया। आज फिर रेणु जी आई और शुरूवात की मोहरा फिल्म के उदास से गीत से। अच्छा लगा कि श्रोताओं ने इस कम सुने जाने वाले गीत की फरमाइश भेजी -

काश कही ऐसा होता दो दिल होते सीने में

इस तरह कम सुने जाने वाले गीतों के साथ अक्सर इस कार्यक्रम में बजने वाले गीत सुनवाए गए जैसे कृष्णा काटेज फिल्म से।

बुधवार और गुरूवार को श्रोताओं के ई-मेल से प्राप्त संदेशों पर फ़रमाइशी गीत सुनवाए गए। इस सप्ताह भी अधिकतर गीत एक-एक मेल प्राप्त होने पर ही सुनवा दिए गए, अभी भी मेल संख्या बढी नहीं है जबकि पत्रों की स्थिति पहले जैसी ही रही।

इस कार्यक्रम में अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए और संदेश भी प्रसारित किए गए जिसमें विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में बताया गया। दूरदर्शन धारावाहिक के विज्ञापन भी शामिल रहे।

इस सप्ताह भी इस समय के प्रसारण में एक भी कार्यक्रम प्रायोजित नहीं था। जबकि हिट सुपरहिट कार्यक्रम को प्रायोजित किया जा सकता है।

इस प्रसारण को गणेश (शिंदे) जी, विनायक (रेणके) जी, बलदेव जी, निखिल (धामापुराकर) जी के तकनीकी सहयोग से हम तक पहुँचाया गया और यह कार्यक्रम श्रोताओं तक ठीक से पहुँच रहा है, यह देखने (मानीटर) करने के लिए ड्यूटी रूम में ड्यूटी अधिकारी रही मालती (माने) जी।

दोपहर में 2:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम की समाप्ति के बाद आधे घण्टे के लिए क्षेत्रीय प्रसारण होता है जिसके बाद केन्द्रीय सेवा के दोपहर बाद के प्रसारण के लिए हम 3 बजे से जुड़ते है।

Tuesday, February 16, 2010

एक नशेड़ियो की क़व्वाली जिस पर सभी झूमे

कभी-कभी ऐसे होता है कि गाने के बोल विवादास्पद होते है पर गाना अपने संगीत और गायकी से बहुत लोकप्रिय हो जाता है। आज ऎसी ही एक क़व्वाली याद आ रही है। फिल्म का नाम है - फाइव राइफल्स - शायद बहुतो ने इस फिल्म के बारे में सुना भी नही होगा।

इस फिल्म के नायक है शाही कपूर जिनकी शायद यह एक ही फिल्म है। वर्ष 1974 में रिलीज यह फिल्म पूरी तरह से असफल रही। कई शहरों में एक-दो सप्ताह ही चली। लेकिन इस फिल्म की एक क़व्वाली ने वाकई धूम मचाई। स्थिति ऎसी भी रही कि लोगो ने पूछा यह क़व्वाली फिल्मी है या गैर फिल्मी ? फिल्मी है ? किस फिल्म से है ? यानी क़व्वाली से फिल्म का नाम जाना जाने लगा।

उन दिनों जलसों समारोहों में सड़को पर जोर-शोर से बजने वाले लाउड स्पीकरो से यह क़व्वाली बहुत गूंजी। रेडियो सिलोन से बहुत सुनवाई गई और शायद बिनाका गीत माला में भी सुनवाई गई। पर विविध भारती से सुनवाई गई या नही, याद नही आ रहा। अब तो बहुत समय से इसे सुना ही नही।

जहां तक मेरी जानकारी है इस क़व्वाली को अपने साथियो के साथ अजीज नाजा ने गाया है। हालांकि अजीज नाजा अलग तरह की क़व्वालियो से जुड़े है।

यह क़व्वाली एक शेर से शुरू होती है जिसका पहला लफ्ज महरूम या ऐसा ही कुछ है और शायद अंतिम पंक्ति है - और चैन मिलता है तो साकी तेरे मयकाने में

फिर क़व्वाली शुरू होती है -

झूम बराबर झूम शराबी झूम बराबर झूम
कली घटा है, आ हां आ आ आ आ
मस्त समां है, आ हां आ आ आ आ
काली घटा है मस्त समां है जाम उठा कर झूम झूम झूम
झूम बराबर झूम शराबी झूम बराबर झूम

आज अंगूर की बेटी से मुहब्बत कर ले
शेख साहब की नसीहत से बगावत कर ले
इसकी बेटी ने उठा रखी है सर पर दुनिया
वो तो अच्छा हुआ अंगूर को बेटा न हुआ

(पोस्ट वीडियो में लगाकर छेड़छाड़ करने के लिए अन्नपूर्णा जी से क्षमायाचना- सागर नाहर)

और जाने क्या क्या बोल है इसके, पर गायकी का अंदाज कुछ ऐसा रहा कि सुनने वाले झूम उठे खासकर इसका मुखड़ा बहुत मस्त है। सुनने में वाकई अच्छा लगता है बावजूद विवादास्पद बोलो के...

Sunday, February 14, 2010

15 फरवरी, श्री हरीश भीमाणीजी को जन्मदिन की हार्दीक बधाई ।(संवर्धीत)

आदरणीय पाठक गण

आज यानि दि. 15 फरवरी के दिन जाने माने रेडियो और टीवी के प्रसारक तथा विज्ञापन कर्ता, फ़िल्म और टीवी के अभिनेता और टीवी धारावाहिक 'सुकन्या' और 'ग्रहण' के निर्माता और निर्देषक तथा वोईस-ओवर प्रवक्ता, दूरदर्शन धारावाहीक महाभारत के ‘समय’ और न जाने क्या क्या क्या.... श्री हरीश भिमाणीजी की जन्म तारीख है । मैंने उनको सबसे पहेले रेडियो सिलोन (श्री लंका) से प्रायोजित कार्यक्रम ग्यालियर संगीत उपहार के प्रस्तुतकर्ता के रूपमें पहचाना था ।

विविध भारती के स्वर्ण-जयंती वर्ष के उपलक्षमें राष्ट्रीय नेटवर्कमें विविध भारती केन्द्रीय सेवासे प्रायोजित कार्यक्रमों की झलकीयां को प्रस्तूत करते हुए श्री अमीन सायानी साहबने श्री हरीशभाईके बारेमें बोलते हुए जो कुछ बताया था वह और साथमें हरीशजी की आवाझमें इंग्रेजी, हिन्दी और गुजराती तीनो भाषामें प्रस्तूती को और साथमें उनकी पत्नीजी श्रीमती रेखा भीमाणीजी की आवाझमें मराठी भाषामें प्रस्तूती के अंश भी सुनाई देगे ।



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नीचे दी हुई लिन्क पर 15 फरवरी, 2009 के दिन वाला उनके बारेमें मेरा आलेख़ नये पाठक पढ़ सकेंगे ।

श्री हरीश भीमाणीजी को जन्म दिन की बधाई (दि.15 फ़रवारी) और सेक्सोफोन पर एक ही गाने की दो अलग फनकारों की धूने



आज रेडियो श्रीलंका से उनको बधाई देता तथा उनके बारेमें संक्षीप्त जानकारी देता हुआ संदेश प्रसारित हुआ थोदी सी कठीनाई के साथ आप नीचे उसे सुन पायेंगे जरूर ।
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पियुष महेता । सुरत-395001.
(जारी की गई दि. फरवरी, 2010 हालाकी कुछ गरबडी से ब्लोग जारी ता. 14 बताता है )

Friday, February 12, 2010

रेडियो श्रीलंका के भूतपूर्व उद्दधोषक श्री रिपूसुदन कूमार ऐलावादीजी को जन्मदिन की बधाई

आज यानि दि. 12वी मार्च के दिन रेडियो सिलोन के भूतपूर्व उद्दघोषक श्री रिपूसुदन कुमार ऐलावादीजी की जन्मतारीख़ है ।
रेडियो श्रीलंका की उद्दघोषिका श्रीमती ज्योति परमारने उनको बधाई देते हुए आज सुबह 8 बजे यह उद्दघोषणा की । इसके लिये ज्योतिजीके हम आभारी है वैसे श्री रिपूसूदन कुमारजी मेरे भी मित्र बन गये है । तो मेरी और रेडियोनामा की और से उनको बधाई देते हुए उनके सक्रिय और लम्बे आयु की कामना करते है । नीचे दी हुई लिन्क पर आप मेरी उनके घर पर उनके साथ की गयी बात चीत को फ़िर सुन और देख़ सकते है ।

http://radionamaa.blogspot.com/2008/07/blog-post_16.html

एक बात और कि, कल यानि 11 तारीख़को विविध भारती के स्थापक कवि पंडित नरेन्द्र शर्माजी की पूण्यतिथी थी पर रेडियो सिलोन पर ज्योतिजीकी ड्यूटी नहीं होने के कारण उन्होंने आज विविध भारती और महाभारत का जिक्र करते हुए उनकी यादमें पुरानी फिल्मों के गीतोंका विषेष कार्यक्रम प्रस्तूत किया , जिसमे6 उनका लिख़ा, श्री अलि अकबर ख़ाँ जी का संगीत बद्ध किया लताजी का गाया फिल्म आंधियाँ का तीन भाग वाला गाना प्रस्तूत किया ।
पियुष महेता,
नानपूरा, सुरत ।

Thursday, February 11, 2010

सुबह के पंचरंगी प्रसारण की साप्ताहिकी 11-2-10

सप्ताह के हर दिन परम्परा के अनुसार शुरूवात संकेत धुन से हुई जिसके बाद वन्देमातरम फिर बताए गए दिन और तिथि, संवत्सर तिथि भी बताई गई जिसके बाद मंगल ध्वनि सुनवाई गई। यह सभी क्षेत्रीय केंद्र से प्रसारित हुआ। इसके बाद 6 बजे दिल्ली से प्रसारित हुए समाचार, 5 मिनट के बुलेटिन के बाद मुम्बई से प्रसारण शुरू हुआ जिसकी शुरूवात में कभी-कभार सुबह के कार्यक्रमों के प्रायोजकों के विज्ञापन प्रसारित हुए जिसके बाद पहले कार्यक्रम वन्दनवार की शुरूवात मधुर संकेत धुन से हुई, फिर सुनाया गया चिंतन।

चिंतन में इस बार शामिल रहे कथन - रविन्द्रनाथ टैगोर का कथन बताया गया - चरित्र का विकास सृष्टि प्रक्रिया के अचेत योग साधन से होता है। व्यास जी का कथन - माता के रहते चिंता नहीं रहती। लेखक प्रेमचंद के कथन - नेकी करने के बाद वह दिल में रहे तो नेकी नही तो बदी हो जाती है। दूसरा कथन - हमारे समाज में अमीर और गरीब दो वर्ग है इन दो वर्गों के बीच की दूरी को कम करने की पहल अमीर वर्ग को ही करनी होगी। सुभाष चन्द्र बोस का कथन - स्वाभिमान मछली से सीखो जो पानी के लिए तड़प-तड़प कर जान दे देती है। स्वामी विवेकानंद का कथन - युवा शक्ति को आगे लाना है, युवा ही देश की ताक़त है। आज शायद गोल्डी का कथन बताया गया, वैसे यह भी बता देते कि किस क्षेत्र से है तो सबके लिए समझने में आसानी होती।
वन्दनवार कार्यक्रम में हल्का सा परिवर्तन हुआ है जो ठीक नही लग रहा। फिल्मी भक्ति गीत भी सुनवाए जा रहें है। इससे कार्यक्रम की गरिमा को धक्का लगा है। इस कार्यक्रम में पारंपरिक भक्ति गीत होते है, विविध रूप के भक्ति गीत होते है जिनमे डूब कर हम कुछ समय के लिए इस सांसारिक बातो से ऊपर उठते है और यह सुबह का पहला प्रसारण होने से अधिक गरिमामय है। भले ही अच्छी बाते फिल्मी भक्ति गीत में हो पर है तो फिल्मी ही न। जब हम यह सुनते है तो हमारे दिमाग में फिल्म का नाम उभरता है फिर कार्यक्रम का क्या प्रभाव रहा ? इसीलिए विनम्र अनुरोध है कृपया, कृपया, कृपया फिल्मी भक्ति गीतों का अलग कार्यक्रम रखिए ऐसे समय जहां क्षेत्रीय कार्यक्रमों का समय न हो ताकि हम इन फिल्मी भक्ति गीतों का आनंद ले सके और वन्दनवार के आनंद सागर में कोई प्रदूषण न हो।

शुक्रवार को सुदामा की भक्ति का बढ़िया गीत सुनवाया गया जो नया है -

देखो रे श्याम प्रभु ने दीन सुदामा के असुवन से पग धोए

इसके बाद अन्य भक्ति गीतों के बाद सत्यम शिवम् सुन्दरम फिल्म का शीर्षक गीत सुनकर माहौल खराब हो गया। पंडित नरेंद्र शर्मा का बढ़िया गीत है पर है तो व्यावसायिक फिल्म की रचना जो अभिनेत्री जीनत अमान पर फिल्माया गया। हम यह बात गीत सुनते हुए भूल नही सकते।

सप्ताह भर विविध भक्ति गीत सुने, साकार रूप के भक्ति गीत - जय जय जय सरस्वती माता

निराकार रूप के भक्ति गीत शामिल रहे - मोको कहाँ ढूंढें रे मैं तो तेरे पास में

पुराने लोकप्रिय भजन सुनवाए गए -

माई यशोदा जब कहे माखन चोर है ग्वाला
सुन कर पुलकित हो गए मुरलीधर नन्द लाला

पुराने ऐसे भजन भी शामिल रहे जो कम सुनवाए जाते है -

कहाँ छिपे हो संकट मोचन हे गिरधर गिरधारी
राखो लाज हमारी

सप्ताह में एकाध और भी नए भजन सुनवाए गए।

कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा, लोकप्रिय देशभक्ति गीत सुनवाए गए जैसे -

एक है हमारी आज राहे
चाहे लाखो तूफ़ान आए रहेगे एक सब जहां के नौजवान

मिल के चलो
चलो भई मिल के चलो

मेरा देश महान है, भारत देश महान है
अनुपम रत्नों की खान है

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का गीत जिसे सुनवाते समय कवि का नाम नही बताया -

भारती जय विजय करे
कनक कमल शास्त्र धरे
भारती भारती भारती

नया, एकाध बार सुनवाया गया देश गान भी शामिल रहा -

भारत एक दिया है हम सब इस दिए की बातियाँ

और यह गीत भी सुनवाया गया जो शायद फिल्मी है -

हमार सोनार बांगला देश---------------म्हारो देश मारवाड़

और यह लोकप्रिय फिल्मी देश भक्ति गीत इस प्रसारण में सुनना बहुत ही खराब लगा -

ये देश है वीर जवानो का

वैसे भी गैर फिल्मी गीतों के कार्यक्रम कम है उसमे भी फिल्मी घुसपैठ ठीक नही लगती। इन फिल्मी भजनों और देशभक्ति गीतों के लिए कोई साप्ताहिक कार्यक्रम शुरू किया जा सकता है।

6:30 बजे से क्षेत्रीय प्रसारण में तेलुगु भक्ति गीत सुनवाए गए जिसके बाद 6:55 को झरोका में केन्द्रीय और क्षेत्रीय प्रसारण की जानकारी तेलुगु भाषा में दी गई।

7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम के दूसरे भाग से हम जुड़े। यह भाग प्रायोजित रहा। शुक्रवार को बहुत अच्छे गीत सुनवाए गए -
बहारे फिर भी आएगी, सुजाता, तीन देवियाँ, नया अंदाज और मिस्टर एंड मिसेज 55 का रफी साहब का गाया कम सुना गीत। सबसे अच्छा लगा बहुत-बहुत दिनों बाद लाट साहब फिल्म का एक समय का बहुत लोकप्रिय यह गीत सुनना -

सवेरे वाली गाड़ी से चले जाएगे

शनिवार को सुनवाए गए बढ़िया रोमांटिक गीत - ममता, एक राज, दो कलियाँ, मस्ताना फिल्मो से और ये गीत -

चाँद आहे भरेगा फूल दिल थाम लेंगे
हुस्न की बात चली तो सब तेरा नाम लेंगे

अगर मुझसे मुहब्बत है मुझे सब अपने गम दे दो

रविवार को दिल देके देखो, दिल ही तो है, आपकी परछाइयां, रंगोली फिल्मो के लोकप्रिय गीतों के साथ यह गीत भी शामिल थे -

गीत गाया पत्थरो ने फ़िल्म से - तेरे ख्यालो में हम, तेरी ही बाहों में गुम

गैम्बलर फ़िल्म से - मेरा मन तेरा प्यासा

सोमवार को भी गैम्बलर फिल्म शामिल रही लेकिन दूसरा गीत सुनवाया गया। यह गीत भी शामिल था -

ए सनम आज ए कसम खाए

इसके अलावा हमराज, प्रोफ़ेसर, लव इन टोकियो फिल्मो के गीत भी शामिल थे।

मंगलवार को धूम धडाकेदार गीत शामिल रहे - गंगा जमुना, हिमालय की गोद में, काला बाजार फिल्मो से और बहुत दिनों बाद सुना यह गीत -

उई माँ उई माँ ये क्या हो गया
उनकी गली में दिल खो गया

बुधवार को सुनवाया गया - सोचा था प्यार हम न करेगे

इस गीत के साथ इन फिल्मो के गीत भी शामिल रहे - बंबई का बाबू, धुल का फूल, गुमराह।

आज तेरी तलाश में और हरियाली और रास्ता फिल्मो के शीर्षक गीतों के साथ हकीकत, देवर, गैम्बलर फिल्मो के गीत शामिल थे और शुरूवात की इस गीत से -

पर्वतो के घेरो में शाम का अन्धेरा है
सुरमई उजाला है चम्पई अन्धेरा है

हर दिन कार्यक्रम के समापन पर सुनवाए जाने वाले कुंदनलाल सहगल के गीत की अनिवार्यता अब समाप्त हो गई है क्योकि समय आगे बढ़ जाने से अब साठ के दशक के शुरू के और पचास के दशक के अंतिम समय के गीत सुनवाए जा रहें है। इसी के साथ सहगल साहब और उनके दौर का सन्गीत अब सुनने को नही मिल रहा है। अनुरोध है कि इस दौर के गीत सुनवाने की कृपया कोई व्यवस्था कीजिए।

7:30 बजे संगीत सरिता में राजस्थान के लोकसंगीत पर आधारित बहुप्रतीक्षित श्रृंखला मरू धरा की संगीत धारा में शास्त्रीय संगीत समाप्त हुई। आमंत्रित कलाकार रहे लोकगायक बनारसी लाल झोले और कोहिनूर लंगा, शास्त्रीय संगीत के विशेषज्ञ के रूप में आमंत्रित रहे डा प्रकाश संगीत जी और विदुषी एम् राजम जी। बातचीत की निम्मी (मिश्रा) जी ने। शुक्रवार को 26 वी और अंतिम कड़ी प्रसारित हुई। परम्परा के अनुसार समापन राग भैरवी से हुआ। इस कड़ी में कोहिनूर लंगा ने एक लोकगीत प्रस्तुत किया जिसके भाव महेंद्र मोदी जी ने बताए कि मीरा कृष्ण से विवाह का सपना देखती है और इसके बारे में माँ से बताती है। समापन पर राग भैरवी में शास्त्रीय रचना - बाजूबंद खुल खुल जाए प्रस्तुत की गई। हारमोनियम पर संगत की सुधीर नायक जी ने, तबले पर संगत की बालकृष्ण अय्यर जी ने। इस का संयोजन किया महेंद्र मोदी जी ने। संकल्पना और प्रस्तुति कांचन (प्रकाश संगीत) जी की रही। तकनीकी सहयोग दिलीप (कुलकर्णी) जी का रहा और प्रस्तुति सहयोग कमला (कुंदर) जी और वसुंधरा (अय्यर) जी का रहा। निश्चित अवधि के बाद इसके फिर से प्रसारण के लिए अनुरोध है।

शनिवार से एक और बढ़िया श्रृंखला आरम्भ हुई जिसकी कडिया पुरानी है पर श्रृंखला के रूप में प्रसारण का अंदाज नया है। श्रृंखला है - विविध भारती के खजाने से - जिसमे अस्सी के दशक में हर रविवार को प्रसारित कडिया सुनवाई गई। हर रविवार को संगीत सरिता का विशेष कार्यक्रम प्रसारित होता था जिसे संगीत जगत की मशहूर हस्तियाँ प्रस्तुत करती थी। इन कार्यक्रमों को ठीक वैसा ही यानी पुरानी, उस समय की संकेत धुन और उद्घोषणा के साथ प्रसारित किया जा रहा है। शुरूवात हुई लता मंगेशकर की प्रस्तुति से। कुछ बाते बहुत ही अच्छी बताई लता जी ने जैसे - स्वर और नृत्य के मेल के बिना संगीत अधूरा है। यह जानकारी भी अच्छी दी कि संगीत की शुरूवात मराठी से नही की जो उनकी भाषा है बल्कि पंजाबी से की। गीत भी अच्छे सुनवाए, शुरूवात की -

मेघा छाए आधी रात बैरन बन गई निंदिया

बैय्या न धरो ओ बलमा

जा तो से नही बोलू कन्हैय्या

रविवार की कड़ी में आशा भोंसले से अचला नागर जी की बातचीत सुनवाई गई। शुरूवात हुई काजल फ़िल्म के गीत से -

तोरा मन दर्पण कहलाए

आशा जी ने बताया कि आरंभिक शिक्षा घर पर हुई। उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ और नजाकत अली खाँ और सलामत अली खाँ की गायकी ख़ासकर तान में संतुलन से प्रभावित है। अचला जी के पूछने पर बताया कि सुगम संगीत की गायिका होने से कम रियाज करती है। कलाकारों को संदेश दिया कि स्वर की साधना करे और अपने पर नियंत्रण रखे। समापन पर आशा जी के दो अंदाज सुनवाए गए -

कारवां फ़िल्म से - ओ दैय्या मै कहाँ आ फंसी

विजेता फ़िल्म से - मन आनंद आनंद

सोमवार को 1983 में ख्यात तबला वादक अल्ला रक्खा खाँ से राम सिंह पवार की बातचीत पर आधारित कार्यक्रम को संपादित कर प्रसारित किया गया। पखावज की जानकारी दी, संगीत घरानों जैसे पंजाब घराने के तबला वादन को स्पष्ट किया। तबला वादन सुनवाया भी गया पर छोटा सा टुकड़ा। मंगलवार को 1981 में प्रसारित शास्त्रीय और सुगम संगीत की जानी-मानी गायिका माणिक वर्मा से राम सिंह पवार की बातचीत सुनवाई गई। बताया कि आरंभिक शिक्षा घर पर हुई फिर चार घरानों से शिक्षा ली जिसमे किराना घराना पसंद है जहां स्वरों पर अधिक ध्यान दिया जाता है। बातचीत के बाद माणिक वर्मा जी से काफी ठुमरी भी सुनवाई। बुधवार को 1989 में प्रसारित पंडित जसराज से बातचीत सुनवाई गई। सन्गीत शिक्षा के साथ सुरों की चर्चा भी चली। अंत में गायन भी सुनवाया गया। आज किराना घराने की ख्यात गायिका गंगू बाई हंगल से चंदू माधव पाठक की बातचीत सुनवाई गई। इस घराने की शैली बताई। हिन्दुस्तानी संगीत की ओर झुकाव की चर्चा की। अंत में राग चन्द्र कौन्स सुनवाया गया। यह कार्यक्रम में 1990 धारवाड़ केंद्र में तैयार किया गया।

7:45 को त्रिवेणी में शुक्रवार की कड़ी बहुत बढ़िया रही। इंसान द्वारा जाने अनजाने की जा रही जीवहिंसा की चर्चा की गई। अधिक दूध पाने के लिए गायो को दिए जा रहे इंजेक्शन जिससे उन्हें भयंकर दर्द होता है, पेड़ काटना, शिकार करना आदि बातो की चर्चा करता सामान्य से बड़ा और सुंदर आलेख। गीत भी अच्छे चुने गए, हाथी मेरे साथी फ़िल्म से -

नफ़रत की दुनिया को छोड़ कर प्यार की दुनिया में खुश रहना

भाभी फ़िल्म का गीत और यह प्यारा सा गीत -

चुन चुन करती आई चिड़िया

निश्चित अवधि से इसे फिर प्रसारित करने का अनुरोध है।

शनिवार को भी बढिया विचार रहा - प्यार बांटने से बढ़ता है जो जग कल्याण का रास्ता है। अच्छा आलेख और गीत -

दूसरो का दुखड़ा दूर करने वाले तेरे दुःख दूर करेगे राम

ले ले दर्द पराया

रविवार का विषय था - रेल गाड़ी का सफर। सफर करने की तमीज भी सिखाई गई। आशीर्वाद का गीत रेलगाड़ी भी शामिल था और नई फ़िल्म परिणीता का गीत भी और दोस्त फ़िल्म का गीत -

गाड़ी बुला रही है सीटी बजा रही है

सोमवार का विचार था - दोस्त बनाए जाते है। रिश्तेदार होते है पर दोस्त चुने जाते है। आलेख भी अच्छा था और गाने भी अच्छे चुने गए, दोस्ती फिल्म से, शोले फिल्म का -

यह दोस्ती हम नही छोड़ेगे

और दोस्ताना फिल्म का गीत, जाहिर है शामिल था।

मंगलवार को रिश्तो में कम होती सद्भावना की चर्चा चली। बहुत दिन बाद यह गीत सुनना अच्छा लगा -
मतलब निकल गया है तो पहचानते नही (फिल्म का नाम अमानत है शायद)

बुधवार को मन की विशालता की बात चली। मन कभी मनमानी करता है तो कभी समझदारी दिखाता है। पुरानी फिल्म बहारो की मंजिल कुछ पुरानी फिल्म इम्तिहान और कुछ नई फिल्म रोजा का यह गीत आलेख के साथ जोड़ कर सुनवाया गया - दिल है छोटा सा छोटी सी आशा

और आज बताया गया कि जिन्दगी तो एक है पर रूप अनेक है। अच्छा आलेख और गीत भी -

एक प्यार का नगमा है मौजो की रवानी है
जिन्दगी और कुछ भी नही तेरी मेरी कहानी है

खट्टा मीठा और मेरी जंग फिल्म के गीत भी शामिल थे।

सवेरे के त्रिवेणी कार्यक्रम के बाद क्षेत्रीय प्रसारण तेलुगु भाषा में शुरू हो जाता है फिर हम दोपहर 12 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुडते है।

Tuesday, February 9, 2010

डैनी का गाया पहला गीत

डैनी डेनजोगप्पा को आपने फिल्मो में चरित्र भूमिकाओं में देखा होगा, शायद बहुत कम लोग जानते होगे कि डैनी गायक है खासकर पहाडी संगीत

1972 के आस-पास रिलीज हुई थी फिल्म - ये गुलिस्ताँ हमारा

इसी फिल्म से डैनी ने बतौर गायक फिल्मो में प्रवेश किया था। आशा भोसले के साथ् युगल गीत गाया था। इस फिल्म में एक समूह गीत भी है, ये दोनों गीत पहले रेडियो से बहुत सुनवाए जाते थे, अब बहुत समय से नही सुना।

गानों के एक भी बोल मुझे याद नही आ रहे। मेरी जानकारी के अनुसार यह फिल्म देव आनंद ने बनाई थी जिसमे उनकी नायिका शर्मिला टैगोर थी। इन दोनों की शायद यह एक ही फिल्म है। यह फिल्म शायद उन आदिवासियो की कहानी है जो देश के बारे में नही जानते।

पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…

Friday, February 5, 2010

रात के सुकून भरे कार्यक्रमों की साप्ताहिकी 4-2-10

रात में हवामहल कार्यक्रम के बाद 8:15 से क्षेत्रीय कार्यक्रम शुरू हो जाते है फिर हम 9 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुड़ते है।

9 बजे का समय होता है ग़ैर फ़िल्मी रचनाओं के कार्यक्रम गुलदस्ता का। शुक्रवार को यह कार्यक्रम केवल 15 मिनट ही सुनने को मिला जिसमे एक ही विधा सुनवाई गई - गजल। शुरूवात हुई पंकज उदहास की आवाज से, शायर रहे सागर निजामी जिसके बाद कलाम-ऐ-ग़ालिब गूंजा रफी साहब की आवाज में -

दिया है दिल अगर उसको बशर क्या कहिए

वाकई आनंद आ गया।

फिर अहमद हुसैन और मोहम्मद हुसैन की आवाज़ों में शमीम जयपुरी की गजल सुनी। इसके बाद 9:15 बजे से 9:30 बजे तक क्षेत्रीय प्रायोजित कार्यक्रम प्रसारित हुआ जो हिन्दी में था। सामान्य ज्ञान का यह कार्यक्रम अच्छा रहा।

शनिवार को शुरूवात अच्छी हुई, मधुकर राजस्थानी के बोलो में मन्नाडे का गाया यह गीत वाकई आनंदित कर गया -

पल भर की पहचान आपसे
कल से आज सुहाना लागे

फिर शुरू हो गया गजलो का सिलसिला -

बेगम अख्तर से मीर तकी मीर का कलाम, मेहदी हसन की आवाज में -

काश तुमने मुझे दीवाना बनाया होता

इस तरह चुनाव अच्छा रहा पर मुकेश की आवाज में कलाम सुनना कुछ जंचता नही, जानिस्सार अख्तर का कलाम सुनवाया गया।

रविवार को एक ही शायर के कलाम गूंजते है। इस बार इब्राहिम अश्क की गजले गूंजी। चन्दन दास की आवाज़ से शुरूवात हुई -

जिन्दगी के मरहले आसान होते जाएगे
अगर आप इस दिल के मेहमान होते जाएगे

हरिहरन, तलत अजीज की आवाजो में भी गजले सुनवाई गई।

सोमवार को दाग के कलाम से शुरूवात हुई, गुलाम अली की आवाज में उसके बाद सागर अंजुम का कलाम वीनू पुरूषोत्तम की आवाज में अच्छा लगा -

हुस्न पर जब कभी शबाब आया
सारी दुनिया पर इंक़लाब आया

जिसके बाद तलत अजीज के बारे में बताया कि वो हैदराबाद से है और जानकारी दी उनके करिअर के परवान चढने की। फिर बताया अनूप जलोटा के बारे में कि वो डबल किंग के नाम से जाने जाते है। यह तो सभी जानते है कि अनूप जलोटा भजन और गजल दोनों में माहिर है पर यह शायद कम ही श्रोता जानते है कि वो डबल किंग के नाम से जाने जाते है। उनका गाया बेताब लखनवी का कलाम सुनवाया। सुदर्शन फाकिर का कलाम जगजीत सिंह और चित्रा सिंह की आवाज़ों में भी शामिल- ए-बज्म रहा।

मंगलवार को सरदार अंजुम के कलाम से शुरूवात हुई। कम सुनी जाने वाली आवाजो में रेणु और विजय चौधरी की आवाजो में सुना -

मुस्कुराने की बात करते हो किस जमाने की बात करते हो

शायर बशीर बद्र के बारे में बताते हुए उनकी नज्म सुनवाई राजकुमार और इन्द्राणी रिजवी की आवाजो में। भूपेन्द्र और मिताली से सुना सैय्यद राही का कलाम और समापन किया कैफी आजमी के बारे में बता कर राजेन्द्र और नीना मेहता से उनकी गजल सुनवा कर।

बुधवार को बहादुर शाह जफ़र का कलाम सुनवाया गया, सूफी गजल बेगम आबिदा परवीन की आवाज़ में। बताया गया कि सूफी रचनाए गाने में आबिदा परवीन का जवाब नही। गुलाम अली के बारे में बताते हुए सुनवाया -

मेरा जज्बे मोहब्बत कम न होगा
जहा में यार तू बदनाम न होगा

हसन कमाल का कलाम भी शामिल रहा।

गुरूवार को एलबमो की रचनाएं शामिल रही। पंकज उदाहास की गई रचना सुनवाई गई महक एलबम से। मेहदी हसन की पुरानी और मशहूर गजल सुनवाई गई -

आके जब मेरी तरफ

गुलज़ार को सुना जगजीत सिंह की आवाज में। मिताली सिंह की गई गजल भी सुनी और अंत में सुनवाई गई बहादुर शाह जफ़र का कलम मोहम्मद हुसैन और अहमद हुसैन की आवाजो में, पर एक बात समझ में नही आई जब शायर का नाम गया फिर इसे पारंपरिक रचना क्यों कहा गया।

सप्ताह में एकाध गीत ही सुनने को मिला और ग़ज़लों का ही बोलबाला रहा जबकि कहा जाता रहा यह ग़ैर फ़िल्मी रचनाओं का कार्यक्रम है। यह विश्वास करना कठिन है कि कलाकार गैर फिल्मी गीत नही गाते और गजले ही गाते है। वैसे गजल सुनवाते हुए किया जा रहा यह प्रयोग अच्छा लगा जिसमे कभी शायर और कभी गजल गायक के बारे में बताया गया।

कार्यक्रम के समापन में कहा जाता रहा - यह था सुनने वालों के लिए विविध भारती का नज़राना - गुलदस्ता जिसमे एक ही तरह के फूल थे, कही एकाध दूसरी तरह का फूल भी दिखा। आरंभ और अंत में बजने वाला संगीत अच्छा है।

9:30 बजे रविवार को कार्यक्रम उजाले उनकी यादो के और शेष हर दिन आज के फनकार कार्यक्रम प्रसारित किया गया। आज के फनकार कार्यक्रम में शुरू और अंत में बजने वाला संगीत न तो सुनने में अच्छा है और न ही यह कार्यक्रम संबंधी यानी फनकार का कोई संकेत देता है। वैसे भी हर दिन यह कार्यक्रम सुनना अच्छा नही लग रहा है, एकाध दिन एक ही फिल्म से कार्यक्रम हो तो विविधता रहेगी।

रविवार को उजाले उनकी यादो के कार्यक्रम में संगीतकार जोडी लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के प्यारेलाल जी से कमल (शर्मा) जी की बातचीत की अंतिम कड़ी सुनवाई गई। विभिन्न गानों के बनने की चर्चा हुई जैसे जीवन मृत्यु, अभिनेत्री, मेरा गाँव मेरा देश, हकीकत। बताया कि पहले गानों को बनाने के लिए बैठके हुआ करती थी। दो आँखे बारह हाथ, जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली फिल्मो के साथ व्ही शांता राम को याद किया। हर बार साथी लक्ष्मीकांत जी को याद करते रहे। इस कार्यक्रम को तैयार करने में तकनीकी सहयोग दिया स्वाती भंडारकर और प्रीति महाजन ने।

आज के फनकार कार्यक्रम में शुक्रवार को फ़नकार थे संगीतकार वसंत देसाई। कमल (शर्मा) जी ने प्रमुख बातें बताई गई जैसे बचपन में मंच प्रस्तुतियां दी। फिल्म जगत में पहले व्ही शांताराम से मिले। फिर शास्त्रीय सन्गीत सीखा। से फिल्मी सफ़र बतौर संगीतकार शुरू हुआ, पहले सहायक थे 1946 से पहचान से मिली। उनके गीत भी सुनवाए - झनक झनक पायल बाजे और कम सुने जाने वाले गीत भी शामिल थे। अच्छा जानकारीपूर्ण कार्यक्रम रहा।

रविवार को गायिका और अभिनेत्री सुरैया की पुण्यतिथि पर शनिवार की फनकार थी - सुरैया। कमल (शर्मा) जी ने प्रस्तुत किया, बताया कि सन्गीत की विधिवत शिक्षा नही ली पर बेजोड़ गायिका बनी। हुस्नलाल भगत राम के संगीत में बहुत गीत गाए। नानू भाई की ताजमहल के लिए मुमताज बनी तब से फिल्मे मिलने लगी। प्यार की जीत फिल्म से लोकप्रियता मिली। सबसे अच्छा लगा खुद सुरैया की आवाज सुनना जिसमे उन्होंने बताया कि बचपन में राजकपूर के साथ रेडियो कार्यक्रम किए। उनके लोकप्रिय गीत - मुरली वाले मुरली बजा के साथ कम सुने गीत भी सुनवाए गए - पंछी जा पीछे रहा है बचपन मेरा

सोमवार के फनकार रहे दो ग्रैमी एवार्ड जीत कर विश्व पटल पर फिर भारत के झंडे गाड़ने वाले ए आर रहमान। प्रस्तुत किया युनूस (खान) जी ने। उनके चेंनेई में जन्म से लेकर अब तक की बाते, उनके काम से सम्बंधित दूसरो की कही बाते, उनके गीतों में पिरो कर सुनवाई गई।

मंगलवार को रेणु (बंसल) जी ने प्रस्तुत किया फनकार बाबी देओल को। सबसे पहले जो बताया उसकी जानकारी बहुतो को शायद नही होगी - असली नाम - विजय सिंह देओल। उनकी फिल्मो की चर्चा की। बरसात की असफलता, गुप्त की सफलता की बात हुई। गीत तो अनकी फिल्मो के शामिल थे ही।

बुधवार को रेणु (बंसल) जी ने अभिनेत्री वहीदा रहमान को जन्मदिन की बधाई देते हुए उन्ही पर कार्यक्रम प्रस्तुत किया। नाम का अर्थ बताया - वहीदा यानी अनुपम जो शायद बहुतो को नही पता होगा। चौदहवी का चाँद जैसे अमर गीत में उनकी खूबसूरती का बहत योगदान रहा। पहली फिल्म सीआई डीका उअनका पहला गीत भी सुनावे जो लोकप्रिय है - कही पे निगाहें कही पे निशाना, उनकी चर्चित फिल्म नीलकमल के संवाद भी सुनवाए और आज के दौर का गीत भी सुनवाया - ससुराल गेंदा फूल

गुरूवार को निम्मी (मिश्रा) जी ले आई फनकार उर्मिला मार्तोंडकर जिनका उस दिन जन्म दिन था। बाल कलाकार के रूप में फिल्म मासूम से शुरूवात की चर्चा की। राम गोपाल वर्मा ने उनकी प्रतिभा को तराशा। सत्या में अलग ही तरह की भूमिका में चमकी जो कलात्मक भूमिका थी। उनकी फिल्मो से गाने भी चुन कर सुनवाए। उनको मिले फिल्म फेयर और अप्सरा एवार्ड की भी चर्चा हुई।

10 बजे का समय छाया गीत का होता है। शुक्रवार को प्रस्तुत किया कमल (शर्मा) जी ने। हमेशा की तरह साहित्यिक हिन्दी में काव्यात्मक प्रस्तुति। प्रथम स्पर्श की बातें हुई और गीत सुनवाए -

मेरे दो नैना मतवाले किसके लिए

मीठी यादो की बातें हुई और गीत सुनवाए -

कितनी अकेली कितनी तनहा सी लगी उनसे मिलके मै आज

फिर प्यार को परिभाषित करने का प्रयास किया। गीत भी ऐसे ही सुनवाए गए।

शनिवार को प्रस्तुत किया अशोक जी ने। ख्यालो, सपनों की बात कही और सुनवाए ऐसे ही गीत -

मेरे सपने में आना रे सजना

मै तो तेरे हसीं ख्यालो में खो गया

आपकी इनायते आपके करम
आप ही बताए कैसे भूलेगे हम

पर दोनों ही दिन गीतों में एक ख़ास बात रही ज्यादातर गीत गायिकाओ की आवाज में रहे शायद पुरूषों पर प्यार का असर गहराई लिए गानों की हद तक नही होता।

रविवार को प्रस्तुत किया युनूस (खान) जी ने। आलेख से ज्यादा गानों ने ध्यान खींचा। एक गीत को छोड़ कर सभी गीत गुलज़ार के थे। प्रमुख बात यह रही कि दो गानों को छोड़ कर शेष गीत बहत ही कम सुने हुए थे जैसे यह गीत -

सितारों मुझे नाम लेकर पुकारो
मुझे तुमसे अपनी खबर मिल गई है

और समापन का अंदाज हमेशा की तरह बढ़िया रहा जिसमे गानों की झलक के साथ विवरण बताया जाता है।

सोमवार को अमरकान्त जी तलाशते रहे और अंत में मिल गई प्यार की मंजिल। सुन्दर संक्षिप्त आलेख, शुरूवात की राजा जानी फिल्म के इस गीत से जो बहुत कम सुनवाया जाता है - जानी ओ जानी, हालांकि शांत अच्छा गीत है ये पर कम ही सुनवाया जाता है। इसके साथ ड्रीम गर्ल, जानेमन, अनुरोध फिल्मो के गीतों से तलाश हुई जो आंधी फिल्म के गीत से समाप्त हुई।

मंगलवार को शहनाज (अख्तरी) जी ने साथी के साथ की बात की और बताया साथ हो तो प्रकृति भी सुहानी लगती है। पाकीजा, हरियाली और रास्ता फिल्म का शीर्षक गीत और यह गीत भी शामिल रहा -

तुम ही तुम हो मेरे जीवन में
फूल ही फूल है जैसे चमन में

बुधवार को प्रस्तुत किया निम्मी (मिश्रा) जी ने। व्यक्तिगत रूप से मुझे निम्मी जी का छाया गीत कभी पसंद नही आता। पुराने सुस्त गीत, सुनते सुनते झपकी आने लगती है। इस बार भी यही रहा, उदासी का माहौल और गीत -

कभी तो आ कभी तो आ ओ जाने वाले

क़ैद में है बुलबुल सैय्याद मुस्कुराए

गुरूवार को रेणु (बंसल) जी ने भी उदासी का माहौल रखा। गीत चुने -

वो तेरे प्यार का गम

फिर तेरी कहानी याद आई
फिर तेरा फ़साना याद आया

आखिरी गीत मोहब्बत का सुना लूं तो चलूँ

10:30 बजे कार्यक्रम प्रसारित हुआ आपकी फ़रमाइश जो प्रायोजित था इसीलिए प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए। इसमें श्रोताओं ने पुराने लोकप्रिय गीत सुनने की फ़रमाइश अधिक की। शुक्रवार को शुरूवात की प्रेम पर्वत के इस गीत से - ये दिल और उनकी निगाहों के साए जिसकी फरमाइश बहुत दिनों बाद आई। इसके बाद सुनवाए गए यह गीत -

मोरे सैया जी उतरेगे पार नदिया धीरे बहो

मचलती आरजू खडी बाहे पसारे

मेरा नाम जोकर, ऊँचे लोग, आओ प्यार करे फिल्मो के गीत सुनवाए गए। शनिवार को गांधी जी की पुण्यतिथि को ध्यान में रखते हुए श्रोताओं की फरमाइश में से उचित गीत चुने गए। शुरूवात हुई बापू के प्रिय भजन वैष्णव जन से। उसके बाद ऐसी ही गीतों का सिलसिला चला - भाभी, गंगा जमाना, सफर, आओ प्यार करे और सीमा फ़िल्म का गीत - तू प्यार का सागर है। रविवार को बहुत पुराने गीत सुनवाए गए। नौशेरवाने आदिल, काली टोपी लाल रूमाल, दूर गगन की छाँव में, शबनम और प्रिंस फिल्म का यह गीत शामिल था -

बदन पे सितारे लपेटे हुए ए जाने तमन्ना किधर जा रही हो

सोमवार को गुमनाम, रात और दिन, तेरे घर के सामने, एन एडवेंचर आफ राबिन हूड और शरारत फिल्मो के लोकप्रिय गीत सुनवाए गए।

मंगलवार को पत्थर के सनम, सजा, आरजू, बहू बेगम फिल्मो के लोकप्रिय गीतों के साथ गाइड फिल्म का यह गीत भी सुनवाया गया -

पिया तोसे नैना लागे रे

बुधवार को हम हिन्दुस्तानी, बंदिनी फिल्म का एस डी बर्मन का गाया गीत, इसके साथ यह गीत -

तेरे द्वार खडा एक जोगी

से माहौल अलग और अच्छा रहा। साथ ही सुनवाए गए आप आए बहार आई, पड़ोसन फिल्मो के गीत और यह गीत -

सौ बार जनम लेगे

गुरूवार को चलती का नाम गाड़ी फिल्म का पांच रूपया बारह आना, सारंगा फिल्म का शीर्षक गीत और साथ में ताजमहल, राम तेरी गंगा मिली, तीसरा कौन फिल्मो के गीत सुनवा कर पुराने-नए गीतों का मिलाजुला माहौल रखा।

बुधवार और गुरूवार को ईमेल से प्राप्त फ़रमाइशें पूरी की जाती है अन्य दिन पत्र देखे जाते है। देश के अलग-अलग भागों से बहुत से पत्रों से गानों की फ़रमाइश भेजी गई और हर पत्र में भी बहुत से नाम रहे जबकि ई-मेल की संख्या कम ही रही।

प्रसारण के दौरान अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए और संदेश भी प्रसारित किए गए जिसमें विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में बताया गया। इस बार खासकर ऐ आर रहमान पर प्रसारित किए जाने वाले कार्यक्रमों की पूर्व जानकारी दी।

11 बजे अगले दिन के मुख्य कार्यक्रमों की जानकारी दी जो केन्द्रीय सेवा से ही दी गई जिससे केन्द्रीय सेवा के उन कार्यक्रमों की भी सूचना मिली जो क्षेत्रीय कार्यक्रमों के कारण यहाँ प्रसारित नही होते। 11:05 पर 5 मिनट के दिल्ली से प्रसारित समाचार बुलेटिन के बाद प्रसारण समाप्त होता रहा।

Tuesday, February 2, 2010

प्रेम चोपड़ा का गाया रोमांटिक गीत

पुरानी फिल्मो के दौर में ए वी एम प्रोडक्शंस जाना पहचाना नाम है। पारिवारिक और सामाजिक समस्याओं पर इस बैनर तले बनी फिल्मे बहुत पसंद की गई। मूल रूप से तमिल में बनती थी और बहुत सी भाषाओं में रीमेक होता था। 1972 के आसपास मद्रास (चेन्नेई ) की इस फिल्म कम्पनी ने एक फिल्म बनाई जो हर भाषा में बहुत पसंद की गई। हिन्दी में इस फिल्म का नाम है - समाज को बदल डालो

इस फिल्म के गीत रेडियो के सभी केन्द्रों से सालो-साल बजते रहे पर कुछ वर्षो से बिलकुल ही नही सुनवाए जा रहे। आज एक गीत याद आ रहा है। यह रोमांटिक गीत रफी साहब ने गाया है और परदे पर शायद प्रेम चोपड़ा ने गाया है। इस गीत का सिर्फ मुखड़ा मुझे याद आ रहा है -

तुम अपनी सहेली से इतना बता दो
के उससे कोई प्यार करने लगा है

जिससे कहते हुए प्रेम चोपड़ा यह गीत गा रहे है वो है कांचना और जिस सहेली से यह प्रेम करते है वो है शारदा। दोनों दक्षिण भारतीय नायिकाएं है। शारदा को ट्रेजडी क्वीन कहा जाता है और उसे दक्षिण भारतीय सिने जगत के लिए उर्वशी टाइटिल मिला है। देखने में शारदा बहुत ही नाजुक है। यह गीत भी सुनने में बहुत नाजुक है और रफी साहब ने बहुत नजाकत से गाया है।

पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…

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