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Wednesday, March 30, 2011

रेडियो श्रीलंका-हिन्दी सेवा और आकाशवाणी सुरत को स्थापना दिन की बधाईयाँ

आज यानि 30 मार्च रेडियो श्रीलंका हिन्दी सेवा का स्थापना दिन है और आकाशवाणी सुरत का भी स्थापना दिन है । रेडियो श्री लंका का प्रसारण समय दिन ब दिन कम होते होते इन दिनों सुबह 2 घंटे और 5 मिनीट का और सिर्फ़ मंगलवार केदिन 15 मिनीट ज्यादा रहता है । पर एक बात जरूर कि आज भी कई पूराने अलभ्य गानो को कुछ हद तक़ प्रसारित करता है और फिल्मी वादक कलाकारों के जनम दिन या मृत्यू दिन पर समय संजोग आधारित एक या ज्यादा धूनो के विषेष कार्यक्रमो को प्रसारित करता है । जब कि रात्री प्रसारण 1 घंटे के दौरान इन्ग्लीश सेवा के अंतर्गत इन्ग्लीश-हिन्दी का मिला-जूला रहता है ।
जब कि आकाशवाणी सुरत सवा तीन घंटे के सांध्य प्रसारण से एफ एम लोकल के रूपमें शुरू हो कर 9 साल से विविघ भारती की विज्ञापन प्रसारण सेवाके रूपमें कार्यरत है । पर यहाँ के भूतपूर्व और आज सेवा-निवृत केन्द्र निर्देषक श्री भगीरथ पंड्या साहब के अलग अलग कार्यकाल को छोड कर मनोरंजन चेनल होते हुए भी स्थानिय कार्यक्रमोको काफ़ी हद तक़ प्रायमरी चेनल के कार्यक्रमो जैसा बनाया है । और राजकोट विविध भारती पर जैसे स्व. मूकेश साहब की पूण्य तिथी पर जाने माने रेडियो श्रोता श्री मधूसूदन भट्ट को सजीव प्रसारण में आमंत्रीत किया गया था, वैसी तो क्या पूर्व ध्वनि-मूद्रीत कार्यक्रममें भी किसी आम श्रोता को बूलाया जाय वैसी स्थानिय निती रही ही नहीं है । और सरकार और प्रसार भारती तो सुरत को प्रायमरी चेनल देने के मामलेमें अपने दिमाग की ख़िडकीयाँ बंध करके बैठे है । सरकारी विभागो या सरकार प्रायोजीत निगमो द्रारा प्रायोजित कार्यक्रमो को स्थानिय प्रसारण अन्तर्गत शानिल करवाने के बजाय विविध भारती सेवा के कार्यक्रमो के सह-प्रसारण में काट छाट सहनी पड रही है । (यह बात सभी स्थानिय विविध भारती केन्द्रों को लागू होती आयी है ।) डीटीएच अभी मोबाईल में नहीं के बराबर मिल रहा है । आकाशवाणी चाहे स्थानिय विविध भारती केन्द्रों को आय का साधन माने पर आम श्रोता के लिये सबसे पहेले विविध भारती सेवा के कार्यक्रम सुनने सुस्पष्ट के साधन ही है ।

पियुष महेता ।
सुरत ।

Tuesday, March 29, 2011

फिल्म जंगल में मंगल के गीत

सत्तर के दशक में एक फिल्म रिलीज हुई थी - जंगल में मंगल यह फिल्म कॉमेडी सस्पेंस हैं। यह शायद किरण कुमार की पहली फिल्म हैं। नायिका हैं रीना राय। इसमे किरण कुमार नायक हैं, आजकल नकारात्मक चरित्र भूमिकाओं में नजर आते हैं। इस फिल्म में प्राण की तिहरी भूमिका हैं, सोनिया साहनी भी महत्वपूर्ण भूमिका में हैं। इसमे एक किशोर कुमार का गाया रोमांटिक गीत हैं और शायद एक समूह गीत। दोनों गीत पहले बहुत सुनवाए जाते थे, अब लम्बे समय से नही सुना। इसके बोल मुझे याद नही आ रहे। पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…

Friday, March 25, 2011

फरमाइशी फिल्मी गीतों के कार्यक्रमों की साप्ताहिकी 24-3-11

विविध भारती के सभी कार्यक्रमों में सबसे ज्यादा प्रसारण समय फरमाइशी गीतों के कार्यक्रमों का हैं। यूं लगता हैं कि ये कार्यक्रम बहुत आसान हैं यानि जिन गीतों को श्रोता सुनना चाहते हैं वही गीत सुना दो बस... पर ये बात नही हैं। अन्य कार्यक्रमों को तैयार करने में सृजनशीलता, कल्पना शक्ति और विषय से सम्बंधित जानकारी की आवश्यकता होती हैं जबकि फरमाइशी गीतों के कार्यक्रमों में मेहनत बहुत हैं।

किसी भी फिल्मी गीत की औसत अवधि 3-6 मिनट की होती हैं और कम से कम आधे घंटे के प्रसारण में 5-6 गीत सुनवाए जाते हैं। हर गीत के साथ विवरण यानि फिल्म, गायक कलाकार, गीतकार और संगीतकार के नाम बताना जरूरी हैं। इसके साथ उन श्रोताओं के नाम बताए जाते हैं जिनकी फरमाइश पर यह गीत सुनवाया जा रहा हैं। शहरी श्रोता आजकल ई-मेल से फरमाइश भेजते हैं, इसीसे श्रोता का नाम और शहर का नाम बता दिया जाता हैं पर ई-मेल की फरमाइश दो ही दिन होती हैं। शेष पांच दिन पत्रों से आई फरमाइश पर गीत सुनवाए जाते हैं। पत्र अक्सर दूर-दराज के क्षेत्रो से आते हैं जिसमे गाँव, जिला, तहसील फिर राज्य का नाम बताया जाता हैं। इन नामो के साथ श्रोताओं के नाम बताए जाते हैं। हर पत्र के साथ औसतन 5 श्रोताओं के नाम होते हैं। हर गीत के लिए औसतन 5 पत्र होते हैं। अंदाजा लगा लीजिए एक गीत के साथ कितने नाम बताने हैं... फिर लगभग 5 मिनट में एक गीत समाप्त फिर दूसरे गीत के लिए इतने ही नाम फिर तीसरा गीत...... उदघोषक और प्रसारण के तकनीकी पक्ष से जुड़े लोगो को बहुत सावधानी और संयम बरतने की आवश्यकता होती हैं। इसके अलावा फोन पर बातचीत और सबसे अधिक कठिन हैं तुरंत एस एम एस देखना, सभी नाम पढ़ना और तुरंत वह गीत सुनवाना। साथ ही पत्रों और ई-मेलो को एकत्रित कर गीतों का संयोजन करना।

विविध भारती से फरमाइशी गीतों के कार्यक्रम दोपहर से शुरू होते हैं। कार्यक्रम हैं - एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने, मन चाहे गीत, हैलो फरमाइश, जयमाला, आपकी फरमाइश इन कार्यक्रमों का स्वरूप अलग-अलग हैं।

आइए, इस सप्ताह प्रसारित इन कार्यक्रमों पर एक नजर डालते हैं -

पहला कार्यक्रम दोपहर 12 बजे प्रसारित होता हैं - एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने। बहुत आकर्षक हैं कार्यक्रम का शीर्षक जो आधुनिक सा लगता हैं और इस लयात्मक शीर्षक को उपशीर्षक की भी आवश्यकता नही हैं। एस एम एस यानि मोबाइल फोन का sms जिसके बहाने वी बी एस (vbs) यानि विविध भारती सेवा के तराने सुनने का अवसर मिलता हैं।

यह दैनिक कार्यक्रम हैं और यह सजीव (लाइव) प्रसारण हैं। यह अति आधुनिक कार्यक्रम हैं। इसमे फरमाइश के लिए आधुनिक तकनीक एस एम एस का प्रयोग किया जा रहा हैं। लेकिन इसी वजह से यहाँ फरमाइश भी बंध सी गई हैं। अन्य कार्यक्रमों की तरह किसी भी फिल्म के गीत की फरमाइश यहाँ नही की जा सकती बल्कि विविध भारती खुद जिन फिल्मो का चुनाव करती हैं, उसी में से किसी गीत के लिए फरमाइश भेजनी होती हैं। पर बड़ी बात ये हैं कि सन्देश भेजते ही तुरंत गीत सुनने को मिल जाता हैं।

एक घंटे के इस कार्यक्रम की शुरूवात में 10 फ़िल्मों के नाम बता दिए गए फिर बताया गया एस एम एस करने का तरीका जो इस तरह हैं -

मोबाइल के मैसेज बॉक्स में जाकर टाइप करना हैं - vbs - फिल्म का नाम - गाने के बोल - अपना नाम और शहर का नाम और भेज दे इस नंबर पर - 5676744

और इन संदेशों को 12 बजे से 12:50 तक भेजने के लिए कहा गया और यह भी कहा गया कि हर सन्देश में दो श्रोताओं के नाम ही भेजे ताकि अधिक एस एम एस शामिल किए जा सकें। पहला गीत उदघोषक की खुद की पसन्द का सुनवाया गया ताकि तब तक संदेश आ सके। फिर शुरू हुआ संदेशों का सिलसिला। सबसे अधिक सन्देश जिन गीतों के लिए मिले वही गीत सुनवाए गए।

शुक्रवार को प्रस्तोता रही मनीषा (भटनागर) जी। इस दिन सत्तर के दशक की लोकप्रिय फिल्मे चुनी गई। श्रोताओं ने भी अधिकतर लोकप्रिय गीतों के लिए सन्देश भेजे। झील के उस पार, दो फूल, हीरा पन्ना, राजा रानी, अनोखी अदा फिल्मो के गीत, मनचली और जैसे को तैसा फिल्मो के शीर्षक गीत सुनवाए गए। अभिमान फिल्म से दो गीत सुनवाए गए। एक गलती हुई, यह गीत सुनवाया और फिल्म का नाम बताया धुंध -

धीरे से जाना खटियन में ओ खटमल

जबकि यह गीत धुंध फिल्म का हैं ही नही। यह गीत देव आनंद पर फिल्माया गया हैं और शायद शरीफ बदमाश फिल्म का हैं यह गीत। वैसे धुंध फिल्म का यह गीत भी सुनवाया गया -

उलझन सुलझे न, रास्ता सूझे न, जाऊं कहाँ मैं

शनिवार को प्रस्तोता रहे अमरकांत जी। शुरूवात की समझौता फिल्म के इस गीत से - बड़ी दूर से आए हैं प्यार का तोहफा लाए हैं

अन्य फिल्मे रही - ब्लैक मेल, ज्वार भाटा, जोशीला, हँसते जख्म और सौदागर जिसका यह गीत सुनवाया - सजना हैं मुझे सजना के लिए

कुछ गीत ऐसे थे जिन्हें बहुत दिन से नही सुनवाया गया था। अधिकाँश गीत रोमांटिक थे। एक बात अखर गई, इस दिन फागुन फिल्म भी शामिल थी जिसमे होली का एक अच्छा गीत हैं लेकिन नही सुनवाया गया। शायद इसके लिए अधिक सन्देश नही मिले।

सोमवार को प्रस्तोता रहे युनूस (खान) जी। इस दिन अभिनेत्री रानी मुखर्जी का जन्म दिन था इसीलिए उन्ही की फिल्मे चुनी गई। चलते-चलते, बंटी और बबली, नो वन किल जसिका, पहेली फिल्मो के गीत सुनवाए। दिल बोले हडिप्पा फिल्म से हडिप्पा गीत भी शामिल था। यह गीत भी सुनवाया -

तू अगर चाहे तो धूप में बारिश हो

इस दिन एक बात अच्छी हुई, फिल्मो के नाम शुरू में धीरे-धीरे बताने से जल्दी एस एम एस आए और पहला ही गीत फरमाइश पर सुनवाया गया गुलाम फिल्म से। लेकिन दो-तीन बाते बहुत खराब रही। गाना चल रहा हैं और नाम पढ़े जा रहे हैं। जाहिर हैं गीत की आवाज धीमी हैं, ऐसे में गाना सुनने का क्या मजा। एक-दो बार लगा फिल्मो के नाम या तो बताए ही नही गए या गीत के साथ बताए गए जिससे संगीत के शोर में सुनाई नही दिया। अंत में तकनीकी सहयोगी का नाम भी कुछ इस तरह बताया कि ठीक से सुनाई ही नही दिया।

मंगलवार को प्रस्तोता रहे कमल (शर्मा) जी। इस दिन के लिए नई फिल्मे चुनी गई। शुरूवात की बाजीगर फिल्म के काली काली आँखे गीत से। 1942 अ लव स्टोरी, राजा हिन्दुस्तानी, धड़कन, मन, सोलजर, जोश फिल्मो के गीत सुनवाए। फिजा फिल्म का यह गीत भी शामिल था - आ जा माहिआ

बुधवार को प्रस्तोता रही मनीषा (भटनागर) जी। इस दिन के लिए सत्तर के दशक की लोकप्रिय फिल्मे चुनी गई। शुरूवात की बेईमान फिल्म के मुकेश के गाए इस गीत से जिसे बहुत-बहुत दिन बाद सुन कर अच्छा लगा, यह गीत लगभग भूल से गए थे -

न इज्जत की चिंता न फिकर कोई अपमान की जय बोलो बेईमान की

सीता और गीता, पाकीजा, बावर्ची, अपना देश, विक्टोरिया नंबर 203, जवानी दीवानी, गोरा और काला, राजा जानी, रामपुर का लक्ष्मण फिल्मो के लोकप्रिय गीत श्रोताओं से प्राप्त एस एम एस के अनुसार सुनवाए गए। इनमे से पाकीजा फिल्म को रोका जा सकता था क्योंकि पिछले दिन हैलो फरमाइश में यह फिल्म शामिल थी।

सबसे अच्छा कार्यक्रम गुरूवार का रहा। प्रस्तोता रही शेफाली (कपूर) जी। सत्तर के दशक की ऎसी फिल्मे चुनी गई जिनके गीत बहुत दिन से नही सुनवाए गए। अनुराग, परिचय, शरारत, मान जाइए, मेरे जीवन साथी, अपराध, आँखों आँखों में, बॉम्बे टू गोवा। श्रोताओं ने भी उन गीतों के लिए सन्देश भेजे जो बहुत लोकप्रिय हैं और कई दिनों से नही सुने। पिया का घर फिल्म का शीर्षक गीत भी शामिल था। वैसे शुरूवात ही बढ़िया रही - समाधि फिल्म के काँटा लगा गीत से।

पूरा कार्यक्रम बहुत बढ़िया हो जाता अगर एक बात न खटकती। पूरे कार्यक्रम के दौरान कई बार कार्यक्रम को शो कहा गया। हर बार मैं अपने सेल फोन को देखती रही लेकिन न उसमे मुझे शेफाली जी नजर आई, न विजय दीपक छिब्बर जी और न ही मनीष जी, गाना भी नजर नही आया, सिर्फ गाना सुनाई दिया और सुनाई दी शेफाली जी की आवाज। दो-चार बार कहा जाता तो अनसुना कर सकते थे। अंग्रेजी के शब्दों से परहेज नही हैं पर शब्दों का गलत प्रयोग नही होना चाहिए। टेलीविजन कार्यक्रमों को शो कहा जाता हैं क्योंकि वहां स्क्रीन पर नजर आता हैं पर ये आवाज की दुनिया हैं। शो के बजाय प्रोग्राम कह सकते हैं।

आधा कार्यक्रम समाप्त होने के बाद फिर से बची हुई फ़िल्मों के नाम बताए गए और फिर से बताया गया एस एम एस करने का तरीका। कार्यक्रम के अंत में अगले दिन की 10 फ़िल्मों के नाम बताए गए। देश के विभिन्न भागो से संदेश आए। हर गीत के लिए औसतन 10 सन्देश आए। आरम्भ, बीच में और अंत में संकेत धुन सुनवाई गई।

इस कार्यक्रम को राजीव (प्रधान) जी, मंगेश (सांगले) जी, मनीष चन्द्र (वैश्य) जी के तकनीकी सहयोग से हम तक पहुंचाया गया और पूरे सप्ताह इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया विजय दीपक (छिब्बर) जी ने।

दोपहर 1:30 बजे का समय रहा मन चाहे गीत कार्यक्रम का। एक घंटे के इस कार्यक्रम की प्रस्तुति पारंपरिक और आधुनिक दोनों ढंग से हैं। यानि दो दिन ई-मेल से भेजी गई फरमाइश से गीत सुनवाए जाते हैं और शेष दिन पुराने तरीके से पत्रों से प्राप्त फरमाइश के अनुसार गीत सुनवाए जाते हैं। नए-पुराने गीतों के लिए श्रोताओं ने फरमाइश भेजी।

शुक्रवार को शुरूवात की असली नक़ली फिल्म के इस पुराने गीत से - छेड़ा मेरे दिल ने तराना तेरे प्यार का

मर्यादा फिल्म से चंचल गीत, नौकर फिल्म से लोकगीत की छाप का गीत पल्लो लटके सुनवाया। साजन, ईमानदार, कलाकार, लाल दुपट्टा मलमल का, कन्यादान, आए दिन बहार के फिल्मो के गीत सुनवाए। सांझ और सवेरा फिल्म का शीर्षक गीत सुनवाया। रोमांटिक गीत भी सुनवाए। इस तरह अलग-अलग मूड के गीत सुनवाए गए। प्रस्तोता रहे अमरकांत जी।

शनिवार को प्रस्तोता रहे युनूस (खान) जी। आते ही सुनवाया मर्यादा फिल्म का यह गीत -

चुपके से दिल दे दे नइ ते शोर मच जाएगा

यही गीत पिछले दिन इसी कार्यक्रम में सुनवाया गया। समझ में नही आया... जिन श्रोताओं के नाम शुक्रवार को बताए गए उन्हें शनिवार को सम्मिलित कर एक ही बार गीत सुनवा दिया जा सकता था। धरती, पत्थर के फूल, गहरा दाग, साहब बीबी और गुलाम, जब प्यार किसी से होता हैं, नील कमल जैसी नई पुरानी फिल्मो के गीत सुनवाए गए। आक्रमण फिल्म का यह गीत भी सुनवाया जो बहुत कम ही सुनवाया जाता हैं -

छोटी सी उम्र में लम्बे सफ़र में हमसफ़र

बहुत दिन बाद इश्क पर जोर नही फिल्म का यह शीर्षक सुनना अच्छा लगा - सच कहती हैं दुनिया इश्क पर जोर नही

नूरी फिल्म का शीर्षक गीत भी सुनवाया। साजन फिल्म का गीत भी सुनवाया जिसका दूसरा गीत पिछले दिन सुनवाया गया था।

रविवार का कार्यक्रम होली के रंग में डूबा रहा। शुरूवात की बागबान फिल्म के गीत से - होली खेले रघुवीरा अवध में
पराया धन, सिलसिला, शोले, पुरानी फिल्म गोदान फिल्मो के गीत सुनवाए। कामचोर फिल्म का यह गीत सुनवाया जो कम ही सुनवाया जाता हैं -

मल दे गुलाल मोहे आज होली आई रे

होली का आधुनिक गीत भी सुनवाया वक़्त फिल्म से - लेट्स प्ले होली, रंगो में हैं प्यार की बोली

आरती और मुकद्दर का सिकंदर फिल्मो से अन्य गीत भी सुनवाए।

सोमवार को प्रस्तोता रहे नन्द किशोर (पाण्डेय) जी। शुरूवात की हम आपके हैं कौन फिल्म से माई रे माई गीत से। कल हो न हो, कभी अलविदा न कहना, दिल्ली का ठग, कही दिन कही रात, काजल, पारसमणि, नौ दो ग्यारह, पासपोर्ट जैसी नई पुरानी फिल्मो के गीत सुनवाए। पुरानी फिल्मे अधिक शामिल रही। पुरानी फिल्म आया सावन झूम के से इस गीत के लिए श्रोताओं ने बहुत दिन बाद फरमाइश भेजी -

साथिया नही जाना के जी न लगे

नई फिल्म करीब का यह गीत भी शामिल था - चोरी चोरी जब नज़रे मिली

मंगलवार को हद हो गई। दो घंटे के भीतर दूसरी बार सुनवाया 1942 अ लव स्टोरी फिल्म का यह गीत - एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा

यही गीत कुछ समय पहले एस एम एस के तराने कार्यक्रम में सुना था। यहाँ इस गीत को रोका जा सकता था। इस दिन नए पुराने और बहुत पुराने गीत सुनवाए गए। पतिता, आरजू, जीवन मृत्यु, एक राज, दबंग फिल्मो के गीत सुनवाए। रोमांटिक गीत अधिक सुनवाए गए जैसे मोहब्बत, साथिया फिल्मो के शीर्षक गीत। रोमांटिक गीतों के अलावा गंभीर गीत भी शामिल था बहुत पुरानी फिल्म वक़्त से -

आगे भी जाने न तू पीछे भी जाने न तू जो भी हैं बस यही एक पल हैं

राजा हिन्दुस्तानी फिल्म तीसरी बार शामिल रही, एक बार कुछ समय पहले 12 बजे के कार्यक्रम में ही शामिल थी। प्रस्तोता रही ममता (सिंह) जी।

बुधवार को युनूस (खान) जी ने सुनवाए ई-मेल से प्राप्त फ़रमाइशो के अनुसार गीत। इश्किया, रंग दे बसंती, तुम मिले, हम साथ साथ हैं, राम लखन जैसी नई पुरानी फिल्मो के गीत सुनवाए। रूदाली फिल्म से सिली सिली गीत, धड़कन फिल्म का शादी-ब्याह का गीत, उपकार फिल्म से बसंत ऋतु का गीत भी शामिल था। महबूब की मेहंदी फिल्म का यह गीत सुनवाया -

मैंने तुझे पहचाना नही

यह गीत बहुत ही कम सुनवाया जाता हैं। अच्छा लगा कि श्रोताओं ने ऐसे गीत की फरमाइश ई-मेल भेज कर की। इस दिन यह गीत सुनना अच्छा लगा परपिछली रात आपकी फरमाइश कार्यक्रम में भी यह फिल्म शामिल थी जहां लताजी का गाया अक्सर सुनवाया जाने वाला गीत सुनवाया जिसे रोका जा सकता था।

गुरूवार को प्रस्तोता रहे राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी। शुरूवात की अभिलाषा फिल्म के लताजी के गाए इस गीत से जो कम ही सुनवाया जाता हैं, अक्सर रफी साहब का गाया संस्करण सुनवाया जाता हैं -

वादियाँ मेरा दामन रास्ते मेरी बाहें जाओ मेरे सिवाय तुम कहाँ जाओगे

भ्रष्टाचार, आ गले लग जा, कटी पतंग, बिल्लू, अमर प्रेम, आरजू, श्री 420 जैसी नई पुरानी फिल्मो के विभिन्न मूड के गीत सुनवाए गए। क्रान्ति फिल्म का देश भक्ति गीत सुनवाया गया, दो दिन पहले ही जयमाला में इस फिल्म का गीत सुनवाया गया था।

शनिवार, मंगलवार और गुरूवार को शाम 4 बजे पिटारा कार्यक्रम के अंतर्गत प्रसारित हुआ आधुनिक तकनीक से सजा एक घंटे का फरमाइशी कार्यक्रम - हैलो फरमाइश। इसमे विविध भारती के प्रस्तोता श्रोताओं से सीधे फोन पर बात करते हैं। अपनी पसंद का गीत बताने के साथ-साथ कुछ इधर-उधर की भी बाते होती हैं जिससे कई तरह की जानकारियाँ भी मिल जाती हैं।

पिटारा की संकेत धुन के बाद इस कार्यक्रम की संकेत धुन सुनवाई गई।

शनिवार को श्रोताओं से फोन पर बातचीत की रेणु (बंसल) जी ने। अलग-अलग शहरों से फोन आए। होली का हल्का सा रंग नजर आया। श्रोताओं से हल्की-फुल्की बातचीत हुई। एक महिला श्रोता ने बताया कि वह पंचमढी के पास की रहने वाली हैं और छिन्दवाडा के छोटे से गाँव में विवाह हुआ हैं। पढाई जारी रखे हैं और पहली होली के लिए मायके आई हैं। अलग-अलग तरह का काम करने वाले श्रोताओं से बात हुई और सभी ने अपने काम के बारे में बताया दुकानदार, ईंट भट्टी में काम करने वाले, लगेज बैग बनाने वाले, मैकेनिक ने बताया कि नई मॉडल की गाडियों के लिए कम्पनी से प्रशिक्षण मिलता हैं। कुछ युवा दोस्तों ने बात की और होली पर रासायनिक रंगों की चर्चा की और उनकी पसंद पर सुनवाया सिलसिला फिल्म का होली गीत - रंग बरसे, सभी श्रोताओं ने अस्सी के दशक और उसके बाद के गीत पसंद किए। होली के गीत भी थे और अन्य गीत भी।

मंगलवार को फोन पर श्रोताओं से बातचीत की अमरकांत जी ने। एक श्रोता की बातचीत से अमरकांत जी की ही तरह मुझे भी पहली बार पता चला कि हैदराबाद नाम की एक और जगह हैं। शायद बहुत से श्रोताओं के लिए भी यह नई जानकारी हैं कि उत्तर प्रदेश में एक स्थान हैं हैदराबाद ढीन्गारा, यहाँ से एक छात्र ने फोन किया। एक और बातचीत अच्छी रही। एक नेत्रहीन श्रोता ने फोन किया, बताया कि चार साल पहले एक बीमारी के बाद उनकी आँखों की ज्योति जाती रही। बातचीत से पता चला कि वह नेत्रहीन होने से कुछ भी काम नही करते हैं तब अमरकांत जी ने उन्हें सलाह दी कि कई तरह के काम नेत्रहीन भी कर सकते हैं, उन्हें कोशिश करनी चाहिए। एक बार नेटवर्क की समस्या से बातचीत पूरी नही हो पाई। हालांकि कई बार विविध भारती से यह सलाह दी जा चुकी हैं कि नेटवर्क ठीक न हो तो फोन न करे। एकाध श्रोता ने बात ही नही की सिर्फ गीत सुनना चाहा। एक कॉल रोचक लगा, जयपुर से बात की, बताया कि माताजी के मंदिर में पुजारी हैं और शोले फिल्म का होली गीत सुनने की फरमाइश की। लगता हैं किसी मनचले श्रोता ने शरारत की। श्रोताओं के अनुरोध पर पाकीजा, हिना, खुदा गवाह जैसी कुछ पुरानी फिल्मो के गीत सुनवाए।

गुरूवार को श्रोताओं से फोन पर बातचीत की अशोक जी ने। एक फोन कॉल अच्छा लगा, एक नेत्रहीन छात्र ने बात की, अपनी पढाई और करिअर के बारे में बताया। लेकिन एक कॉल में जितनी बातचीत हो सकती थी नही हुई, इस श्रोता ने बताया कि वह जयपुर में लाख की चूड़ियों बनाने का काम करते हैं। यह बहुत ही मशहूर चूड़ियाँ हैं। इस काम के बारे में कुछ बातचीत होनी चाहिए थी, पर नही हुई। श्रोताओं की पसंद पर पुरानी फिल्म महुआ का शीर्षक गीत सुनवाया और आंटी नंबर 1 फिल्म का कॉमेडी शीर्षक गीत भी सुनवाया। हम साथ साथ हैं और क्रान्ति फिल्मो के गीत भी सुनवाए, ये फिल्मे तीसरी बार शामिल रही। कुली फिल्म का यह गीत भी सुनवाया -

मुबारक हो सबको हज का महीना

एक श्रोता ने अपने दोस्तों के लिए फरमाइश की जजीर फिल्म के मन्नाडे के गाए इस गीत की - यारी हैं ईमान मेरा यार मेरी जिन्दगी तीनो ही कार्यक्रमों में कुछ श्रोताओं ने बहुत ही कम बात की, सिर्फ अपनी पसंद का गीत बताया। बातचीत सुन कर लगा कि श्रोता विविध भारती से जुड़े हैं, गाने सुनने का शौक़ रखते हैं लेकिन अपने बारे में कुछ कहना, कुछ बात करना इनके लिए कठिन हैं।

रिकार्डिंग के लिए फोन नंबर बताया गया - 28692709 मुम्बई का एस टी डी कोड 022 यह भी बताया कि हर सोमवार, मंगलवार और शुक्रवार को 11 बजे से 1 बजे तक फोन कॉल रिकार्ड किए जाते हैं।

कार्यक्रम को रेखा (जम्बुवार) जी के सहयोग से महादेव भीमराव (जगदाले) जी ने प्रस्तुत किया। तकनीकी सहयोग साइमन परेरा जी, सुनील (भुजबल) जी का रहा।

शाम बाद 7 बजे दिल्ली से प्रसारित समाचारों के 5 मिनट के बुलेटिन के बाद शुरू हुआ फ़ौजी भाईयों की फ़रमाइश पर सुनवाए जाने वाले फ़िल्मी गीतों का कार्यक्रम जयमाला। इसमे फरमाइशी गीत सुनने के लिए फ़ौजी भाई एस एम एस या ई-मेल भेजते हैं। 7:45 तक चलने वाले इस कार्यक्रम के शुरू और समाप्ति पर बजने वाली संकेत धुन अच्छी हैं, कार्यक्रम की परिचायक हैं।
शुक्रवार को नए-पुराने गीत सुनवाए गए। अच्छा लगा कि एक ही कार्यक्रम में महेंद्र कपूर, किशोर कुमार, कुमार सानू के गीत सुनना, कल्याणजी आनंद जी और अन्नू मालिक द्वारा तैयार किए गए गीत एक साथ सुनना। पुरानी डोन, खुदा गवाह, खून भरी मांग, निकाह फिल्मो के गीत सुनवाए। पुरानी फिल्म सुहाग का भक्ति गीत भी सुनवाया और तमन्ना फिल्म का यह गीत भी सुनवाया जिसे कम ही सुनवाया जाता हैं -

तारों को भी नींद आने लगी आपके आने की आस भी जाने लगी

रविवार को नई पुरानी हर समय की फिल्मो के गीत सुनवाए गए। शुरूवात की पुरानी फिल्म चोरी-चोरी के इस गीत से - आ जा सनम मधुर चांदनी में हम

नई फिल्म एक्शन रिप्ले का यह गीत भी सुना -

जोर का झटका हाय जोरो से लगा शादी बन गई उम्र क़ैद की सजा

सिर्फ तुम, राज फिल्मो के गीत सुनवाए। गीत गाता चल फिल्म का शीर्षक गीत भी सुनवाया। हाथी मेरे साथी फिल्म का पशुप्रेम दर्शाता गीत भी सुनवाया। इस तरह हर दृष्टि से इस दिन गीतों के चुनाव में अच्छी विविधता रही।

सोमवार को प्रस्तोता रही संगीता (श्रीवास्तव) जी। नए गीत अधिक सुनवाए गए - विरासत, रब ने बना दी जोडी, जीत फिल्मो के गीत सुनवाए। बार्डर फिल्म का यह गीत भी शामिल था -

ऐ जाते हुए लम्हों ज़रा ठहरो मैं भी तो चलता हूँ

और क्रान्ति फिल्म से देश भक्ति गीत सुनने के लिए भी फ़ौजी भाइयों ने फरमाइश भेजी।

मंगलवार को शुरूवात हुई पुराने गीत से - जन्म जन्म का साथ हैं तुम्हारा हमारा

फिर सुनवाए नए गीत यमला पगला दीवाना, दाग द फायर, वेलकम फिल्मो से और आज के समय का लोकप्रिय गीत दबंग फिल्म से सुनवाया -

तेरे मस्त मस्त दो नैन मेरे दिल का ले गए चैन

दबंग फिल्म का एक गीत दोपहर में मन चाहे गीत में भी सुनवाया गया था।

बुधवार को प्रस्तोता रहे अजेन्द्र (जोशी) जी। कुर्बान, मोहरा, आ अब लौट चले फिल्मो के गीत सुनवाए। यह गीत भी शामिल था - क्योंके इतना प्यार तुमसे करते हैं हम

बंटी और बबली के कजरारे गीत से शुरूवात की। यह फिल्म इस सप्ताह दूसरी बार शामिल हुई।

गुरूवार को प्रस्तोता रही सविता (सिंह) जी। दिल, दिलवाले फिल्मो के गीतों के साथ ग़दर फिल्म का यह मस्त गीत भी सुनवाया - मैं निकला गड्डी लेके

आज के दौर की फिल्म वंस अपॉन अ टाइम इन मुम्बई और पुरानी फिल्म आपकी क़सम का गीत भी सुनवाया।

फ़ौजी भाइयों को एस एम एस करने का तरीका भी बताया गया जो इस तरह हैं -

मोबाइल के मैसेज बॉक्स में जाकर टाइप करना हैं - vjm - फिल्म का नाम - गाने के बोल - अपना नाम और रैंक जरूर लिखे और भेज दे इस नंबर पर - 5676744

रात 10:30 बजे प्रसारित हुआ आपकी फ़रमाइश कार्यक्रम जो प्रसारण का अंतिम कार्यक्रम होता हैं। आधे घंटे के इस कार्यक्रम में मन चाहे गीत कार्यक्रम की तरह ई-मेल और पत्रों से भेजी गई फरमाइश पर गीत सुनवाए गए। इसमें श्रोताओं की फ़रमाइश पर कुछ समय पुरानी फिल्मो के गीत अधिक सुनवाए गए।

शुक्रवार को अभिनेता, निर्माता-निर्देशक शशि कपूर के जन्मदिन को ध्यान में रखकर फरमाइशी गीतों में से जब जब फूल खिले फिल्म के इस गीत से कार्यक्रम की शुरूवात की, उन पर फिल्माए इस गीत को रफी साहब ने गाया हैं -

परदेसियों से न अखियाँ मिलाना परदेसियों को हैं एक दिन जाना

आखिरी दांव और पुरानी फिल्म शर्त का हेमंत कुमार का गाया गीत भी सुनवाया। जूली फिल्म से शीर्षक युगल गीत भी शामिल था। सौतन फिल्म का गीत भी सुना और सबसे अच्छा लगा मुकेश और सुमन कलयाणपुर की आवाजो में पहचान फिल्म का यह मजेदार गीत सुनना -

वो परी कहाँ से लाऊँ तेरी दुल्हन जिसे बनाऊँ के गोंरी कोई पसंद न आए तुझको

शनिवार को प्रस्तोता रही मंजू (द्विवेदी) जी। होली का रंग नजर आया। प्रस्तुति में छाया गीत की छाप झलक आई। अच्छी रही प्रस्तुति। पराया धन फिल्म का होली गीत और फागुन फिल्म का होली गीत भी सुनवाया -

पिया संग खेलूँ होली फागुन आयो रे

पुराना होली गीत भी सुनवाया गोदान फिल्म से - बिरज में होली खेलत नंदलाल

लव इन शिमला का गीत भी सुनवाया जो कम ही सुनवाया जाता हैं - गाल गुलाबी किसके हैं

अन्य गीत भी शामिल रहे कश्मीर की कलि, लोफर फिल्मो से।

रविवार को शिकार, शबनम, ठाकुर जरनैल सिंह, हीरा फिल्मो के गीत सुनवाए और सफ़र फिल्म का यह गीत बहुत दिन बाद सुनना अच्छा लगा -

हम थे जिनके सहारे वो हुए न हमारे डूबी जब दिल की नैय्या सामने थे किनारे

सोमवार को प्रस्तोता रही संगीता (श्रीवास्तव) जी। प्रस्तुति में छाया गीत की छाप झलक आई। इस दिन इस कार्यक्रम में भी बहुत पुराने गीत सुनवाए गए - चाचाचा, अनपढ़, जाल और महल फिल्म का गीत आएगा आने वाला

मंगलवार को महबूब की मेहंदी, दाग, दिल अपना और प्रीत पराई, और बहुत दिन बाद सुना सेहरा फिल्म का गीत और मेरा नाम जोकर फिल्म का यह गीत - जाने कहाँ गए वो दिन

बुधवार को किस्मत, ज्वैल थीफ, आबरू फिल्मो के गीतों के साथ ससुराल फिल्म का यह गीत भी सुनवाया -

तेरी प्यारी प्यारी सूरत को किसी की नजर न लगे चश्मेबद्दूर

एक बात खटक गई, सभी एकल गीत थे और वो भी गायकों की आवाजों में, एक भी गायिका की आवाज नही सुनवाई, यहाँ तक कि युगल गीत भी नही। हालांकि सभी गीत अच्छे थे फिर भी गानों के चयन में विविधता होती तो अच्छा लगता।

गुरूवार को श्रोताओं के ईमेल आधारित फरमाइशी गीतों में खामोशी, जिन्दगी फिल्मो के गीत सुनवाए, संगम फिल्म का मुकेश का गाया यह गीत भी सुनवाया -

दोस्त दोस्त न रहा प्यार प्यार न रहा

आरजू फिल्म का रफी साहब का गाया गीत सुनवाया जबकि इसी फिल्म का एक गीत दोपहर में मन चाहे गीत कार्यक्रम में सुनवाया था। इसके अलावा नई फिल्म दबंग से मस्त मस्त नैन गीत भी शामिल था जो इस सप्ताह दूसरी बार और यह फिल्म तीसरी बार शामिल रही।

बुधवार और गुरूवार को मन चाहे गीत और आपकी फ़रमाइश कार्यक्रम में ईमेल से प्राप्त फ़रमाइशें पूरी की जाती है अन्य दिन पत्र देखे जाते है। देश के अलग-अलग भागों से गानों की फ़रमाइश भेजी गई। इस सप्ताह एक ख़ास बात देखी गई। पत्रों की संख्या में कमी आई। ई-मेलों की संख्या तो हमेशा से हीकम रही थी। अधिकाँश गीत एक ही पत्र और मेल पर सुनवाए गए। लेकिन 12 बजे के कार्यक्रम में एस एम एस की संख्या हमेशा से ही अधिक रही हैं और दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही हैं।
हर पत्र में और हर एस एम एस के साथ श्रोताओं के नाम बहुत होते हैं। इसीलिए विविध भारती ने सीमा लगा दी हैं। श्रोताओं से अनुरोध किया हैं कि हर एस एम एस के साथ दो श्रोताओं के नाम लिखे, हर ई-मेल के साथ चार श्रोताओं के नाम लिखे, लेकिन पत्र चूंकि दूर-दराज के क्षेत्रो से आते हैं इसीलिए यहाँ कोई पाबंदी नही हैं। अब भी हर पत्र के साथ कई श्रोताओं के नाम होते हैं।

एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम को छोड़कर सभी कार्यक्रम प्रायोजित रहे। प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए। अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए। जयमाला में क्षेत्रीय विज्ञापन भी प्रसारित हुए। पूरे सप्ताह देश के विभिन्न भागों, शहरों, गाँवों, जिलो, कस्बों से श्रोताओं की फरमाइश पर नए पुराने सभी समय के गीत विभिन्न कार्यक्रमों में सुनने को मिले।

एक बात बहुत अखर गई। एक ही फिल्म के गीत दो-तीन बार सुनवाए गए। कभी एक ही गीत दुबारा सुनवाया कभी अलग-अलग गीत सुनवाए। एक ही फिल्म को दुबारा शामिल करने के लिए कम से कम एक महीने का अंतर होने से ठीक रहेगा। श्रोताओं की फरमाइश एक महीने बाद भी पूरी की जा सकती हैं।

एक और बात खटकी। दो-तीन बार कार्यक्रम के समापन पर सुनवाए गए गीत का कभी सिर्फ मुखड़ा बजा और संगीत के बाद अंतरा शुरू भी नही हो पाया और कभी थोड़ा सा अंतरा सुनवाया और कार्यक्रम का समय समाप्त हो गया। इस तरह विविध भारती ने तो श्रोताओं की फरमाइश पूरी की पर श्रोताओं को पूरा गीत सुनने को नही मिला। जब पूरा गीत सुनवा सके जितना समय न बचा हो तब कृपया गीत मत सुनवाइए।

मन चाहे गीत और आपकी फरमाइश कार्यक्रम में फरमाइश भेजने के लिए पता बताया गया -

कार्यक्रम का नाम, विविध भारती सेवा, पोस्ट बॉक्स नंबर 19705 मुम्बई 400091

ई-मेल आई डी - manchahegeet@gmail.com apkifarmaish@gmail.com

Thursday, March 24, 2011

वी. (यानि विस्तास्प) बलसारा को पुण्यतिथि पर संगीत भरी श्रद्धांजलि



आज, यानि 24 मार्च; भारतीय फिल्म संगीत के एक जाने माने वादक कलाकार स्व. वी. बलसारा, जो हारमोनियम (पैर वाली भी), पियानो, पियानो-एकोर्डियन, युनिवोक्स(क्ले वायलिन जैसा ही शायद निर्माता कम्पनियों द्वारा दिये गये साजों के नाम), मेन्डोलिन, इलेक्ट्रिक ऑर्गन और सिन्थेसाईजर)को बजा लेते थे पर पैर वाले दोनों हाथों से बजने वाले हार्मोनियम पियानो स्टाईल से बजाने में उनकी विषेष महारत थी । तो आज उनकी पुण्यतिथि पर फ़िल्म "बरसात" के गीत की धुन इस बार पियानो-एकोर्डियन पर ।
आज रेडियो श्रीलंका की पद्दमिनी परेराजीने इस अवसर पर उनकी युनिवोक्ष पर सुबह 7.15 से 7.30 तक पाँच धूने प्रस्तूत की, जिसकी रेकोर्डिंग पूना के मेरे मित्र श्री गिरीष मानकेश्वरजी से मेईल के द्वारा प्राप्त हुई है । तो मैं उनका और डो. अजितकूमारजी का विषेष आभारी हूँ जिन्होंने स्व. वी. बालसारा साहब की एकोर्डियन के साथ तसवीर लगाई और इस पोस्ट को थोड़ा सा अपना स्पर्श दिया । पर उसके बाद हार्मोनियम की विषेषता बतानी मूझे जरूरी लगी तो मैंनें बादमें संवर्धित किया है ।
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इस महान वादक कलाकार को श्रद्धांजलि स्वरुप आपके दो पुष्प की चाहत में ...
पियुष महेता ।

Friday, March 18, 2011

AIR की ऊर्दू सर्विस पर मजाक !

आज दिनांक 17.03.2010 को ऑल इण्डिया रेडियो की ऊर्दू सर्विस पर श्रोताओ को अच्छा बेवकूफ़ बनाया गया। फोन इन प्रोग्राम - आपकी पसन्द में श्रोताओं की पसन्द के गीत सुनाने की जगह कई गीतों के तो मात्र मुखड़े ही सुना दिये, कुछेक के एक पैरा सुनाए। पूरे गीत तो एक भी नहीं!

भला यह क्या बात हुई कि आप ज्यादा श्रोताओं के फोन सुनवाने के नाम पर ऐसा मजाक करें, भई थोड़ी कम कॉल्स भी रिसीव की जा सकती थी। गाना सुनते समय जैसे ही मूड बनने लगता है और नईम अख्तर साहब बीच गाने को रोक कर बीच में बोलने लगते कि अब अगली फरमाईश सुनवाते हैं। भई कम से कम एक पसन्द तो ढ़ंग से सुनवा देते।

Thursday, March 17, 2011

गैर फरमाइशी फिल्मी गीतों के कार्यक्रमों की साप्ताहिकी 17-3-11

विविध भारती से गैर फरमाइशी फिल्मी गीतों के तीन कार्यक्रम सुने भूले-बिसरे गीत, गाने सुहाने और सदाबहार नगमें जिनमे से भूले-बिसरे गीत सुबह के पहले प्रसारण का और गाने सुहाने शाम में प्रसारित होने वाला दैनिक कार्यक्रम हैं तथा सदाबहार नगमें शनिवार को दोपहर बाद में प्रसारित होने वाला कार्यक्रम हैं।

आइए, इस सप्ताह प्रसारित इन तीनों कार्यक्रमों पर एक नजर डालते हैं -

सुबह 7 बजे से 7:30 बजे तक प्रसारित भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम में दोनों ही तरह के भूले-बिसरे गीत सुनवाए गए यानि ऐसे गीत जो बहुत लोकप्रिय रहे और दूसरे वो गीत जो हमेशा से ही कम सुनवाए जाते हैं, कम लोकप्रिय हैं यानि हमेशा से ही भूले-बिसरे रहे हैं और अब इन बिसराए गीतों को याद कर लिया जा रहा हैं। कभी-कभी इनमे भी कुछ अच्छे गीत सुनने को मिलते हैं और सुन कर आश्चर्य होता हैं कि ये गीत लोकप्रिय गीतों की सूची में क्यों नही हैं।

शुक्रवार को अपने समय के लोकप्रिय गीत सुनवाए गए फूल बने अंगारे फिल्म से -

चाँद आहे भरेगा फूल दिल थाम लेगे
हुस्न की बात चली तो सब तेरा नाम लेगे

इसके अलावा प्यासा, फिर सुबह होगी और पेइंग गेस्ट के गीत सुनवाए गए। हमारा वतन फिल्म का आशा जी का गाया यह गीत अच्छा लगा जो बहुत ही कम सुनवाया जाता हैं -

मेरी जिन्दगी में कोई आ गया
दिल में समा गया
आज मेरा नाचे जिया झूम के

ऐसा ही गीत पटरानी फिल्म से भी सुनवाया गया। फिल्म माशूका से मुकेश और सुरैया की युगल आवाजो में यह गीत भी शामिल था -

झिलमिल तारे करे इशारे सो जा राजदुलारे
इन युगल आवाजो में बहुत ही कम गीत हैं।

शनिवार को पचास के दशक के अधिकतर ऐसे गीत सुनवाए जो कम ही सुनवाए जाते हैं। 1956 में रिलीज फिल्म हीर, 1959 की एक ऎसी फिल्म का गीत सुनवाया जिसकी फिल्म के नाम के साथ अन्य नाम भी ऐसे हैं जिसे शायद ही कभी सुना हो, फिल्म का नाम - नेक खातून, संगीतकार जिमी और गीतकार कमर जमाल साहब, अभिनेता हीरालाल, अभिनेत्री चित्रा। इस फिल्म से लोकप्रिय गायिका गीता दत्त का गाया यह गीत सुनवाया -

आई हूँ दर पे तेरे बन के सवाली
गरीबो के दाता गरीबो के मालिक

गीत उतना अच्छा नही लगा, पर इस फिल्म और इससे सम्बंधित नामो का परिचय मिला जो अच्छी जानकारी रही। पहला पहला प्यार फिल्म का सुमन हेमाडी (जो बाद में सुमन कल्याणपुर के नाम से जानी जाने लगी) का गाया कम सुना गीत भी सुनवाया। इसके अलावा मदारी फिल्म से कमल बारोट और लता जी का गाया यह लोकप्रिय गीत सुनवाया - अकेली मोहे छोड़ न जाना

नया दौर फिल्म का यह बेहद लोकप्रिय युगल गीत सुनवाया - उडी जब जब जुल्फे तेरी

रविवार को निर्मला का रफी साहब के साथ गाया मुसाफिरखाना फिल्म का यह गीत सुनना अच्छा लगा क्योंकि इन युगल आवाजो में और वैसे भी गायिका निर्मला के गीत कम हैं, वैसे यह गीत अक्सर सुनवाया जाता हैं - झूठे जमाने भर के

ऐसे ही जाने-पहचाने गीत सुनवाए गए फिल्म प्यार की जीत, नागिन, जन्म जन्म के फेरे, गूँज उठी शहनाई से और कठपुतली फिल्म का शीर्षक गीत। नागमणि फिल्म से कॉमेडियन सुन्दर और शेख का गाया यह हास्य गीत सुन कर मजा आ गया -

सारी दुनिया हैं बीमार दवा करो

सोमवार को शुरूवात की नागिन फिल्म के गीत से, इस फिल्म का गीत पिछले ही दिन सुनवाया गया था। इसके बाद अगला गीत सुनवाया प्यासा फिल्म से जिसका एक अन्य गीत शुक्रवार को सुनवाया गया था। ये दोनों ऐसे गीत हैं जो अक्सर सुनवाए जाते हैं, जिसमे लव मैरिज फिल्म का गीत भी शामिल था। ऐसे गीत सुनना अच्छा लगा जो कम ही सुनवाए जाते हैं, दिल्ली का ठग, मौसी फिल्मो के गीत और जंगल किंग फिल्म का सुमन कल्याणपुर और बाबुल का गाया यह गीत -

ये हसीं ऋत ये हवा कह रही हैं दिलरूबा
जिन्दगी में प्यार कर

इन युगल स्वरों में गीत शायद बहुत ही कम हैं। ऐसे ही चित्रगुप्त और शमशाद बेगम के युगल स्वरों में नवदुर्गा फिल्म का हास्य गीत भी सुनवाया गया जिसे शायद मैंने पहली ही बार सुना।

मंगलवार को शुरूवात की नौ दो ग्यारह फिल्म के अक्सर सुनवाए जाने वाले इस गीत से -

हम हैं राही प्यार के हम से कुछ न बोलिए

ऐसा ही गीत नई दिल्ली फिल्म से भी सुनवाया। जनम जनम के फेरे फिल्म का लोकप्रिय गीत भी सुनवाया, इस फिल्म का एक गीत रविवार को ही सुनवाया गया था। माशूका फिल्म का कम सुना जाने वाला गीत भी सुनवाया जिसका ऐसा ही गीत शुक्रवार को सुनवाया गया था। मिस्टर क्यू फिल्म से युसूफ आजाद की गाई क़व्वाली सुनवाई गई, यह क़व्वाली और फिल्म का नाम मैंने शायद पहली ही बार सुना। समापन किया हम पंछी एक डाल के फिल्म से बच्चो के गीत से जिसमे जंगल की कहानी हैं। अच्छा लगा यह बच्चो का गीत और क़व्वाली।

बुधवार को ऐसे गायक कलाकारों की आवाजे सुनी जो बाद के समय के गीतों में नही हैं। शुरूवात की सुरेन्द्र के गाए अनमोल घड़ी के गीत से -

वो याद आ रहे गुजरे हुए जमाने

शारदा, दिल्लगी, बाबुल, शगुन फिल्मो के गीत सुनवाए। बहुत दिन बाद पहाडी सान्याल की आवाज सुनी। धूपछांव फिल्म का यह युगल गीत सुनना अच्छा लगा - प्रेम की नय्या चली

शेर दिल फिल्म से मन्नाडे का गाया यह शीर्षक गीत मैंने शायद ही पहले कभी सुना हो - मैं हूँ शेर दिल

आज अधिकतर ऐसे गीत सुनवाए गए जिन्हें कम ही सुनवाया जाता हैं। शुरूवात की इस गीत से -

किसके लिए रूका हैं किसके लिए रुके हो
करना हैं जो भी कर लो

डाकू मंसूर फिल्म का गीत भी शामिल था और एक मेरा अरमान फिल्म से गीता दत्त का गाया शीर्षक गीत भी सुनवाया। हल्की-फुल्की जानकारी भी दी जैसे तलत महमूद का गाया दिले नादाँ फिल्म का गीत सुनवाते हुए यह बताया कि इस फिल्म में उन्होंने अभिनय भी किया हैं, हो सकता हैं यह गीत उन्ही पर फिल्माया गया हो।

एक बात खटक गई, इस सप्ताह कुछ फिल्मो के दो गीत सुनवाए गए, हालांकि गीत अलग थे, फिर भी हम अनुरोध करते हैं कि एक ही फिल्म का दूसरा गीत सुनवाने के लिए भी कम से कम एक महीने का अंतर रखिए।

यह कार्यक्रम प्रायोजित रहा, प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए। अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजको के विज्ञापन भी प्रसारित हुए।

शाम 5 बजे दिल्ली से प्रसारित होने वाले समाचारों के 5 मिनट के बुलेटिन के बाद 5:05 से 5:30 तक प्रसारित हुआ कार्यक्रम गाने सुहाने जिसमे हमेशा की तरह अस्सी के दशक और उसके बाद के गीत सुनवाए गए। लेकिन सत्तर के दशक के दो-तीन गीत भी शामिल थे।

शुक्रवार को शुरूवात की दामिनी फिल्म के इस गीत से - जब से तुमको देखा हैं सनम कितने हैं बेचैन

फिर ऐसे ही रोमांटिक युगल गीत जोश और सड़क फिल्मो से सुनवाए गए। अंतिम गीत दिल हैं कि मानता नही फिल्म से था। इस गीत को छोड़ कर सभी युगल गीत थे। एक बात खटक गई, सभी गीत समीर के लिखे थे। शनिवार को शुरूवात की पहेली फिल्म के इस गीत से -

कंगना रे कंगना रे किरणों से सब रंगना रे

इंटर्नेशनल खिलाड़ी, इश्क फिल्मो के गीत सुनवाए और जेंटलमैन फिल्म का यह गीत भी सुनवाया जिसे राजन खेरा ने लिखा हैं जो गीतकारो में बहुत जाना-पहचाना नाम नही हैं -

आशिकी में हद से गुजर जाने को जी चाहे

रविवार को ऐसे रोमांटिक गीत सुनवाए गए जो कम ही सुनवाए जाते हैं। शुरूवात की इस गीत से -

मेरा दिल जिस दिल पे फ़िदा हैं इक दिलरूबा हैं

ऐसे ही गीत अकेले हम अकेले तुम और बागबान फिल्मो से भी सुनवाए गए। दिल का रिश्ता फिल्म का लोकप्रिय गीत भी शामिल था।

सोमवार को शुरूवात की बादल फिल्म के गीत से जिसके बाद जब प्यार किसी से होता हैं फिल्म का यह गीत सुनवाया -

मदहोश दिल की धड़ंकन और चुप से तन्हाई

ये तेरा घर ये मेरा घर और हकीक़त फिल्मो के गीत भी सुनवाए गए।

मंगलवार को होगी प्यार की जीत, गुप्त फिल्मो के गीतों के साथ खिलाड़ी फिल्म का यह गीत भी शामिल था -

मस्त निगाहों में शोखी हैं शरारत हैं

बुधवार को दो बाते ख़ास हुई - सत्तर के दशक के गीत भी सुनवाए गए और उस दौर में चर्चित रही गायिका कंचन के गीत सुनवाए। शुरूवात की कंचन के मुकेश के साथ गाए धर्मात्मा फिल्म के इस गीत से -

तुमने किसे से कभी प्यार किया हैं

इसके बाद कंचन का दूसरा गीत सुना रफूचक्कर फिल्म से फिर तीसरा गीत सुना मनहर के साथ कुर्बानी फिल्म से। अच्छा तो रहा पर लगातार सुनवाने के बजाय एक-दो दिन के अंतराल से सुनवाते तो अच्छा लगता। बाद के समय के गीत भी सुनवाए, कसूर फिल्म से और दिल का क्या कसूर फिल्म का शीर्षक गीत।

आज आ अब लौट चले, तेज़ाब फिल्मो के गीत और हम तुम्हारे हैं सनम फिल्म का शीर्षक गीत सुनवाया गया। यह गीत भी सुना जो बहुत कम ही सुनवाया जाता हैं -

ओ प्रिया सुनो प्रिया मेरे नैनो में रहो प्रिया

इस कार्यक्रम की विशेषता यह हैं कि इसमे हिन्दी सिने संगीत की जानी-मानी आवाजे यानि लता मंगेशकर, किशोर कुमार, आशा भोंसले, मोहम्मद रफी की आवाजों में गीत लगभग नही सुनवाए जाते। यहाँ उस दौर का संगीत सुनने को मिलता हैं जहां इनके अलावा अन्य आवाजे उभर कर आई और लोकप्रिय हुई। इस दृष्टि से यह कार्यक्रम ख़ास लगता हैं और इसमे अच्छे गीत भी सुनने को मिलते हैं।

शुरू और अंत में संकेत धुन सुनवाई गई, जो विभिन्न फिल्मी गीतों के संगीत के अंशो को जोड़ कर तैयार की गई हैं जिसके साथ कार्यक्रम का शीर्षक, उपशीर्षक के साथ बताया गया - दिलकश धुनों से सजे दिलकश तराने -गाने सुहाने। शीर्षक और उप शीर्षक दोनों अच्छे हैं। कार्यक्रम के दौरान अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजको के विज्ञापन भी प्रसारित हुए।

शनिवार को आधे घंटे के लिए दोपहर 3 से 3:30 बजे तक प्रसारित सदाबहार नगमे कार्यक्रम मे साठ के दशक के लोकप्रिय फिल्मी गीत सुनवाए। इस कार्यक्रम का उपशीर्षक भी अच्छा हैं - फिल्म संगीत के कालजयी गीतों की पेशकश

शुरूवात की रफी साहब के गाए बहारे फिर भी आएगी फिल्म के इस गीत से जिसके लिए बताया गया कि ओ पी नय्यर के संगीत का विशेष अंदाज हैं -

आपके हसीं रूख पे आज नया नूर हैं
मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या कुसूर हैं

फिर अंदाज बदला और सुनवाया मन्नाडे का शास्त्रीय संगीत में पगा दिल ही तो हैं फिल्म का गीत जो साहिर लुधियानवी का लिखा हैं और जिसके भाव आध्यात्मिक हैं -

लागा चुनरी में दाग छुपाऊँ कैसे

रोमांटिक युगल गीत सुनवाए घर बसा के देखो, सुहागन फिल्मो से, सहेली, दोस्ती फिल्मो से उदास गीत सुनवाए, इस तरह अलग-अलग मूड के गाने सुनवाए गए। संकेत धुन भी अच्छी हैं जो विभिन्न गीतों के लोकप्रिय संगीत के अंशो को जोड़ कर बनाई गई हैं।

मुझे याद हैं वर्ष 2002 तक भूले-बिसरे कार्यक्रम में पचास के दशक के पहले के गीत सुनवाए जाते थे जिनमे मैंने स्नेहलता के गाए गीत भी सुने और एक बार इन्द्रसभा फिल्म का गीत भी सुना। यह ऐसे गीत हैं जिनमे गायकी प्रधान हैं, संगीत नही। कई गीतों में संवाद भी हैं। यह गाने उस पुराने सुनहरे दौर के संगीत का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे गीत आजकल नही सुनवाए जा रहे। यह सच हैं कि समय आगे बढ़ने के साथ इस कार्यक्रम में आगे के गीत प्रसारित हो रहे हैं। ऐसे में पचास के दशक के पहले के गीतों के लिए अलग कार्यक्रम रखने का अनुरोध हैं ताकि ये गीत हम भूले नही और साथ ही उस समय के संगीत का भी आनंद मिले।

Wednesday, March 16, 2011

कुदरत फिल्म की गजल

सत्तर के दशक की मल्टीस्टार फिल्म हैं - कुदरत

इस फिल्म से किशोर कुमार का गाया गीत हमें तुमसे प्यार कितना अक्सर सुनवाया जाता हैं पर इस फिल्म में लताजी की गाई एक गजल भी हैं जिसे प्रिया राजवंश पर फिल्माया गया हैं। इसके बोल मुझे याद नही आ रहे। बहुत समय हो गया रेडियो से नही सुनी यह गजल।

पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…

Thursday, March 10, 2011

मेन्डोलिन वादक श्री महेन्द्र भावसार को जनम दिन बधाई

आज हिन्दी फिल्म संगीतमें एक जमाने के बहोत ही सक्रिय मेन्डोलिन वादक श्री महेन्द्र भावसार के जनम दिन पर उनकी इसी साझ पर बजाई हुई फिल्म 'मन मंदीर' के गीत 'जादूगर तेरे नैना' की धून का अंश नीचे प्रस्तूत है । 1933 में आज ही के दिन पैदा हुए श्री महेन्द्र भावसार को जनम दिन की ढेर सारी बधाई और स्वस्थ लम्बे आयु की शुभ: कामनाऐं ।




आज श्रीमती अन्नपूर्णाजी की पोस्ट के तूरंत बाद इस विषेष अवसर के कारण मेरी पोस्ट रख़नी पड रही है पर बहोत ही छोटी लिख़ाई के कारण उनकी पोस्ट भी नज़रमें पहेले पन्ने पर ही आयेगी । फ़िर भी उनसे क्षमा चाहता हूँ । और पाठको से अनुरोध है कि नीचे उनकी पोस्ट भी पढ़े
पियुष महेता ।
सुरत-395001.
ता.क. टिपणीकर्ता लोगों को याद रख़ कर पूरी धून निजी मेईल से भेज़ीने का प्रयास जरूर करूँगा ।

गैर फिल्मी गीतों के कार्यक्रमों की साप्ताहिकी 10-3-11

विविध भारती से गैर फिल्मी गीतों के दो कार्यक्रम प्रसारित हो रहे हैं - वन्दनवार और गुलदस्ता.

सुबह 6:00 बजे दिल्ली से प्रसारित होने वाले समाचारों के 5 मिनट के बुलेटिन के बाद 6:05 पर हर दिन पहला कार्यक्रम प्रसारित होता हैं - वन्दनवार जो भक्ति संगीत का कार्यक्रम हैं। इसके तीन भाग हैं - शुरूवात में सुनवाया जाता हैं चिंतन जिसके बाद भक्ति गीत सुनवाए जाते हैं। इन गीतों का विवरण नही बताया जाता हैं। उदघोषक आलेख प्रस्तुति के साथ भक्ति गीत सुनवाते हैं और समापन देश भक्ति गीत से होता हैं। आरम्भ और अंत में बजने वाली संकेत धुन बढ़िया हैं।

शाम बाद के प्रसारण में 7:45 पर जयमाला के बाद शुक्रवार और मंगलवार को 15 मिनट का कार्यक्रम प्रसारित हुआ - गुलदस्ता।

आइए, इस सप्ताह प्रसारित इन दोनों कार्यक्रमों पर एक नजर डालते हैं -

वन्दनवार में शुक्रवार को शुरूवात की शिव स्तुति से। संस्कृत में बढ़िया स्तुति गायन रहा। इसे मैंने शायद पहले भी एक बार सुना हैं, समापन इन पंक्तियों से हुआ - जय जय करूणा देव श्री महादेव शम्भो

जिसके बाद निर्गुण भक्ति रचना सुनी - आज चेतना के पट खोलो

फिर शास्त्रीय पद्धति में भक्ति रचना सुनवाई गई - आनंदमयी चैतन्यमयी सत्यमयी परमे

अंत में प्रार्थना सुनवाई।

शनिवार को भी शुरूवात शिव भक्ति गीत से हुई जिसके बाद नाम की महिमा का भक्ति गीत सुनवाया - तू भज ले प्रभु का नाम

इसके बाद का गीत भी ऐसा ही था जिसके बाद भक्ति भावना से सम्बंधित ही आलेख पढ़ा गया फिर कहा गया देशगान और सुनवाया देश भक्ति गीत, शायद प्रसारण समय की सीमा का ध्यान नही रहा।

रविवार को शुरूवात की इस कृष्ण भक्ति रचना से -

ओम जय श्री राधा जय श्री कृष्णाश्री राधा कृष्णाय नम

यह भक्ति गीत अधिक पुराना नही हैं। इसके बाद पुरानी निर्गुण भक्ति रचना सुनवाई - मोको कहाँ ढूंढें रे बन्दे

फिर कृष्ण भक्ति गीत - पाँव पडू तोरे श्याम और अंत में यह पुरानी रचना - तेरा राम जी करेगे बेड़ा पार सुनवाई।

सोमवार को नए भक्ति गीत से शुरूवात अच्छी लगी - भगवान बुद्ध की ज्योति अमर

फिर लोकप्रिय भजन सुनवाए गए, अनूप जलोटा का गाया - रंग दे चुनरिया हे गिरधारी

नाम की महिमा बताता यह भक्ति गीत -

युगों युगों से जैसे चमके सूरज चाँद सितारे
एक दिन ऐसे ही चमकेंगे तेरे भाग सितारे
बस राम का नाम लिए जा और अपना काम किए जा

मंगलवार को दो नए भक्ति गीत सुनवाए गए -

श्याम तुम्हारा धाम छोड़ कर और कहाँ मैं जाऊं
शरण प्रभु की आओ रे यही समय हैं प्यारे

इसके अलावा राम नाम की महिमा का लोकप्रिय गीत - जो न जपे राम वो हैं किस्मत के मारे

और लोकप्रिय मीरा भजन भी सुनवाया - ऐ री मैं तो प्रेम दीवानी मेरा दर्द न जाने कोय

बुधवार को आवाज में कुछ कम्पन सा रहा जिससे कुछ शब्द ठीक से सुनाई नही दिए। इस दिन लोकप्रिय भजन सुनवाए - तू दयालु दीनानाथ

दाता एक राम भिखारी सारी दुनिया

जब यही हो लगन मन ये गाए मगन
मन पुलकित हुआ आनंदित हुआ
मन में प्रभुजी समाने लगे

और समापन किया गणेशजी की पारंपरिक आरती से -

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा

आज की प्रस्तुति बढ़िया रही। आलेख भी अच्छा रहा और गीतों का चुनाव बहुत बढ़िया रहा। शुरूवात हुई युगल आवाजो में शास्त्रीय पद्धति में गाई नाद से -

सुभान तेरी कुदरत पे कुर्बान

इसके बाद कृष्ण भक्ति गीत सुना -

लीला तुम्हारी श्याम रूप भी तुम्हारा
डगर डगर गाता जाए पागल बंजारा

जिसके बाद नानक की वाणी सुनी - जप मन सत नाम सदा सत नाम

अंत में सुनवाया यह भक्ति गीत जो कम ही सुनवाया जाता हैं -

हरि को अपना मीत बना लो
सब दुःख से छुटकारा पा लो

हर दिन वन्दनवार का समापन होता रहा देश भक्ति गीतों से, रविवार को नया देशभक्ति गीत सुनना अच्छा लगा -

जय जन्म भूमि जय हो
यह लोकप्रिय गीत सुनवाए गए -

जिन्दगी को बंदगी समझ के तू काम कर
देश का रहनुमा हैं तू, देश का तू नाम कर

जागा देश महान हमारा जागा देश महान

हमारे वीर भारत को कभी डर हो नही सकता
हमारे देश का नीचा कभी सर हो नही सकता

क़दम क़दम बढाते चलो आज नौजवान

आज रामावतार चेतन की रचना सुनवाई -

इंसानियत का कारवां चलता रहे चलता रहे
दीपक अमन का चैन का जलता रहे जलता रहे

सिर्फ आज ही गीतकार का नाम बताया और किसी भी दिन देश भक्ति गीतों का कोई भी विवरण नही बतलाया गया। हमारा अनुरोध हैं कि इन देश भक्ति गीतों के विवरण नियमित बताइए।

इस कार्यक्रम में एक बात खटकती हैं। आजकल बहुत पुराने भक्ति गीत और देशगान नही सुनवाए जा रहे हैं जबकि फिल्मी भक्ति रचनाएं सुनवाई जा रही हैं। हमारा अनुरोध है कृपया फिल्मी भजन और देश भक्ति गीतों का अलग कार्यक्रम रखिए, ऐसे समय जहां क्षेत्रीय कार्यक्रमों का समय न हो ताकि हम इन फिल्मी भक्ति गीतों का अलग से आनंद ले सके और गैर फिल्मी नए-पुराने सभी भक्ति गीत सुनवाइए।

गुलदस्ता कार्यक्रम में शुक्रवार को आगाज हुआ अहमद हुसैन और मोहम्मद हुसैन की युगल आवाजो में अंजुम जयपुरी के इस कलाम से -

किसको सुनाए दिल की बात, रात और वो भी हिज्र की रात

इसके बाद मूड बदला और फलसफा बयां करता जिगर का कलाम सुना आबिदा परवीन की आवाज में -

आदमी आदमी से मिलता हैं, दिल मगर किसी से कब मिलता हैं

मंगलवार को आगाज हुआ इब्राहिम अश्क के कलाम से - आते-जाते सलाम कर जाओ

गुलोकार रहे राजकुमार रिजवी। इसके बाद मूड बदला, अशोक खोसला की आवाज में जानिस्सार अख्तर का कलाम सुना -

जब लगे जख्म तो कातिल को दुआ दी जाए
हैं यही रस्म तो यह रस्म उठा ली जाए

सप्ताह में कुल चार गजले सुनी जिसमे शास्त्रीय पद्धति के कलाकारों को भी सुना। नए पुराने शायर से खूब महका गुलदस्ता। इसकी शुरू और आखिर में बजने वाली संकेत धुन भी अच्छी हैं। सबसे अच्छा लगता हैं कार्यक्रम के अंत में यह कहना - ये था विविध भारती का नजराना - गुलदस्ता !

सप्ताह भर के गैर फिल्मी संगीत पर साप्ताहिकी लिखने बैठे तो लगा यह तो मुट्ठी भर कार्यक्रम हैं जबकि रोज फिल्मी संगीत सुबह से रात तक बजते रहता हैं। गैर फिल्मी संगीत के हिस्से में रोज चार भक्ति गीत, एक देश भक्ति गीत और सप्ताह में 4-6 गजले हैं। विभिन्न विधा का संगीत शामिल नही हैं जैसे कव्वालियाँ, लोक गीत, नए-पुराने गीत। हमारा अनुरोध हैं इन कार्यक्रमों को शामिल कर गैर फिल्मी संगीत के प्रसारण समय को विस्तार दीजिए।

Tuesday, March 8, 2011

आज वान शिप्ले को पूण्य तिथी पर श्रद्धांजलि

आज यानि ता. 8 मार्च एक जमाने के प्रसिद्ध और अपनी निज़ी स्टाईल के इलेक्ट्रीक हवाईन गिटार और वायोलिन वादक स्व. वान शिप्ले को इनकी मृत्यू तारीख़ पर श्रद्धांजलि के रूपमें उनकी एक आज के दिनोंमें अप्राप्य धून फिल्म धून्ध के शिर्षक गीत की इलेक्ट्रीक हवाईन गिटार पर एक अंश के रूपमें प्रस्तूत है ।



आज स्व. मनोहरी सिंह का जनम दिन है पर उन पर पोस्ट उनकी मृत्यू तारीख़ पर होगी ।
पियुष महेता ।
सुरत ।

Saturday, March 5, 2011

स्व. केरशी मिस्त्री को पूण्य तिथी पर याद ।

आज यानि दि. 5 फरवरी के दिन, एच. एम. वी. के स्टाफ पियानो और सोलोवोक्ष वादक तथा वाद्यवृंद संचालक स्व. केरशी मिस्त्रीजीको याद करते हुए नीचे प्रस्तूत करता हूँ, उनकी पियानो पर बजाई फिल्म यादों की बारात के शिर्षक गीतका शुरूआती और पहेले अंतरे का अंश ।


पियुष महेता ।
सुरत-395001.

Thursday, March 3, 2011

विविध भारती के मेहमान - साप्ताहिकी 3-3-11

विविध भारती में लगभग हर दिन मेहमान पधारे। उनके अनुभव और संघर्ष यात्रा को जानने के साथ जानकारी भी मिली और उनके पसंदीदा गीत भी सुने। यह कार्यक्रम हैं -

शुक्रवार - सरगम के सितारे
शनिवार और सोमवार - विशेष जयमाला
रविवार - उजाले उनकी यादो के
सोमवार - सेहतनामा
बुधवार - आज के मेहमान


इनमे से विशेष जयमाला को छोड़ कर सभी भेंटवार्ताएं हैं।

आइए, इस सप्ताह प्रसारित इन कार्यक्रमों पर एक नजर डालते हैं -

इस सप्ताह का विशेष कार्यक्रम रहा सोमवार को प्रसारित विशेष जयमाला। विविध भारती के जन्मदाता ख्यात कवि और गीतकार पंडित नरेंद्र शर्मा जी की पावन स्मृति में उनके द्वारा प्रस्तुत जयमाला की रिकार्डिंग संग्रहालय से निकालकर सुनवाई गई। सबसे पहले उन्होंने सभी फ़ौजी भाइयों को नमन किया। पूरे कार्यक्रम के दौरान देश भक्ति की, नैतिकता की बाते बताई। एक-एक शब्द मन पर गहरा असर कर गया, एक उदाहरण देखिए - उन्होंने कहा कि हम झूठ भी बोलते हैं तो यह सोचकर कि यह सच माना जाएगा यानि झूठ का लक्ष्य भी सच ही हैं। फिल्मो से चुने हुए गीत सुनवाए जिनमे उनके लिखे गीत भी थे। शुरूवात की पूरब और पश्चिम के इस देश भक्ति गीत से - हैं प्रीत जहां की रीत सदा

यह गीत भी सुनवाया - अब कोई गुलशन न उजड़े अब वतन आजाद हैं

साहित्यकार अमृता प्रीतम का गीत सुनवाया फिल्म कादम्बरी से -

अम्बर की एक पाक सुराही बादल का एक जाम उठा केघूँट चांदनी पी हैं हमने बात कुफ्र की की हैं हमने
जिस देश में गंगा बहती हैं और सत्यं शिवं सुन्दरम फिल्मो के शीर्षक गीत सुनवाए। उत्सव फिल्म का प्रकृति गीत भी सुनवाया और सुबह फिल्म से प्रार्थना भी सुनवाई - तुम आशा विश्वास हमारे

फिल्मी गीतों के साथ संत कवि दादू दयाल की रचना सुनवाई - तुम्ही मेरे रतना, तुम्ही मेरे श्रवणा तुम्ही मेरे नैना

विविध भारती के जनक श्रद्धेय पंडित नरेंद्र शर्मा जी को सादर नमन !

शाम 7 बजे दिल्ली से प्रसारित समाचारों के 5 मिनट के बुलेटिन के बाद प्रसारित प्रसारित होने वाले फ़ौजी भाईयों के इस जाने-पहचाने सबसे पुराने कार्यक्रम जयमाला में शनिवार को विशेष जयमाला में मेहमान रहे लोकप्रिय गीतकार, संगीतकार और गायक रविन्द्र जैन। पूरा कार्यक्रम गीत-संगीत को समर्पित रहा। शुरूवात की (मोहम्मद) रफी साहब और लता (मंगेशकर) जी के गाए इस गीत से -

एक डाल पर तोता बोले एक डाल पर मैना

अपने साथ काम लिए सभी गायक कलाकारों के गीत सुनवाए - महेंद्र कपूर, हेमलता, यसुदास, जसपाल सिंह, आरती मुखर्जी।

तपस्या फिल्म का यह गीत - भाभी की उंगली में हीरे का छल्ला

और आशा (भोंसले) जी की आवाज में सलाखे फिल्म से बरखा का मौसम गीत बहुत दिन बाद सुनना अच्छा लगा। सौदागर फिल्म से मन्ना (डे) दा का यह गीत भी सुनवाया जिससे दर्शको से उनका परिचय हुआ - दूर हैं किनारा

यह भी बताया कि इस गीत में बंगाल के संगीत का प्रभाव हैं। मुकेश के स्वर में भजन भी सुनवाया और उनके निधन पर लिखी गई मर्मस्पर्शी कविता भी सुनवाई। अंत में सभी वरिष्ठ संगीतकारों को नमन किया और एक देश भक्ति रचना की कुछ पंक्तियाँ गुनगुनाई। बहुत अच्छी प्रस्तुति रही। यह रिकार्डिंग भी संग्रहालय से चुन कर सुनवाई गई।

शरू और अंत में जयमाला की संकेत धुन सुनवाई गई। यह कार्यक्रम प्रायोजित था। प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए।

शेष कार्यक्रम शाम 4 से 5 बजे तक पिटारा कार्यक्रम के अंतर्गत प्रसारित किए जाते हैं। पिटारा कार्यक्रम की अपनी परिचय धुन है जो शुरू और अंत में सुनवाई जाती हैं और सेहतनामा को छोड़कर अन्य दोनों कार्यक्रमों की अलग परिचय धुन है जिसमे आज के मेहमान कार्यक्रम में संकेत धुन के स्थान पर श्लोक का गायन हैं।

शुक्रवार को प्रस्तुत किया गया कार्यक्रम सरगम के सितारे। जैसा कि शीर्षक से ही समझा जा सकता हैं इस कार्यक्रम के मेहमान संगीत के क्षेत्र से होते हैं। इस सप्ताह पार्श्व गायक बाबुल सुप्रियो से शेफाली (कपूर) जी की बातचीत सुनवाई गई। शुरू में ही अपने नाम के बारे में स्पष्ट किया कि वास्तविक नाम सुप्रियो हैं, बाबुल घर का नाम हैं और पूरा नाम हैं - सुप्रियो बराल। बताया कि पारिवारिक माहौल संगीत का रहा। किशोर कुमार उनके आदर्श हैं, उनके गीतों को भी गुनगुनाया। पहले गीत के बारे में बताया कि दो गीत एक साथ मिले - भप्पी लहरी का गीत और विनोद खन्ना की फिल्म इक्का राजा रानी का गीत। जानकारी दी कि आशा (भोंसले) जी के साथ विदेशो में शोज किए। शाहरूख खान के साथ शो के अनुभव बताए। उमराव जान का गीत दिल चीज क्या हैं गुनगुनाया और बताया कि नए कलाकारों के लिए रियाज के लिए अच्छा गीत हैं। इस गीत के साथ चर्चा में आए गीत सुनवाए, उनके पसंदीदा गीत सुनवाए जिनमे उनका गाया यह गीत भी शामिल था -

साँसों को साँसों में ढलने दो ज़रा

नदीम श्रवण के साथ मिले सहयोग की बात की और यह माना कि अभी करिअर की शुरूवात हैं। बातचीत में उतनी सहजता नही थी, कहीं-कहीं प्रश्नोत्तर जैसा लगा। उनके गीतों के बनने की भी विस्तार से चर्चा नही हुई जबकि यह कार्यक्रम ही हैं सरगम के सितारे, आम भेट वार्ता नही हैं। यह भी पता नही चला कि कुल कितने गीत गाए हैं। यह बताया कि टेलीविजन धारावाहिकों के लिए भी गाते हैं पर यह जानकारी नही मिली कि गैर फिल्मी और अन्य भाषाओं के गीत भी गाते हैं या नही। कुल मिलाकर बहुत सतही बातचीत रही, इस कार्यक्रम के सांचे में नही ढली। इस कार्यक्रम को परिणीता (नाइक) जी के सहयोग से शकुन्तला (पंडित) जी ने प्रस्तुत किया। संयोजन कल्पना (शेट्टे) जी ने किया। शुरू और अंत में इस कार्यक्रम की संकेत धुन सुनवाई गई।

रविवार को प्रसारित हुआ कार्यक्रम उजाले उनकी यादो के। मेहमान रहे लेखक और निर्देशक बी आर इशारा जिनसे बातचीत की निम्मी (मिश्रा) जी ने। बातचीत की यह पहली कड़ी थी। इसमे बचपन की यादे थी। 16 साल की उम्र में मुम्बई आना। फिर संघर्ष जिसमे होटल में, फैक्ट्री में काम करने का जिक्र रहा। नरगिस जी से मुलाक़ात और काम पाने की कोशिश की चर्चा हुई। पहला अफसाना दूसरो के लिए लिखा। फिर मुलाक़ात हुई कैफ इरफानी और रोशन लाल शर्मा से और इनका नाम बदल कर रखा गया बाबू राम और इनके उर्दू लेखन को देखते हुए तकल्लुस भी दिया - इशारा जिससे पूरा नाम बना बाबू राम इशारा और लोकप्रिय हुए बी आर इशारा के नाम से। पहली फिल्म लिखी आवारा बादल। इसके बाद निर्देशन में सहायक बने। इन्साफ का मंदिर फिल्म से निर्देशन की शुरूवात की। इसके बाद पहली फिल्म बनाई - चेतना। इस फिल्म के बारे में बताया कि 7 दिन में फिल्म लिखी गई। यह बताया कि समाज में दुहरे व्यक्तितत्व के लोगो को दर्शाने के लिए यह फिल्म बनाई गई और यह फिल्म बोल्ड रही जिससे इसके रिलीज में भी दिक्कते आई। इसके बाद मिलाप फिल्म की चर्चा की जिसमे सांपो को भी केंद्र में रखा गया। यहाँ संगीत की भी चर्चा की कि अपनी फिल्मो के गीतों के लिए गीतकार और संगीतकार पर ही पूरा भरोसा करते हैं क्योंकि गीतों की समझ अधिक नही हैं। उनकी फिल्मो के और उनके पसंदीदा पुरानी फिल्मो के गीत सुनवाए गए - चेतना, मिलाप, दिल की राहे, पुरानी फिल्म मल्हार का यह गीत -

बड़े अरमानो से रखा हैं बलम तेरी क़सम प्यार की दुनिया में यह पहला क़दम

इस कार्यक्रम को कल्पना (शेट्टे) जी ने प्रस्तुत किया। रिकार्डिंग इंजीनियर हैं - तेजेश्री (शेट्टे) जी और प्रदीप (शिंदे) जी।

सोमवार को प्रस्तुत किया गया कार्यक्रम सेहतनामा। इसमे गर्भाशय के मुख के कैंसर पर बातचीत की गई। मेहमान डाक्टर थी स्त्री रोग विशेषज्ञ डाक्टर मौलिक जोशी जिनसे रेणु (बंसल) जी की बातचीत सुनवाई गई। बहुत विस्तार से जानकारी दी। रोग के लक्षण, इलाज और सावधानी पर चर्चा की। मुख्य लक्षण अधिक रक्त स्त्राव बताया। बताया कि वायरस के संक्रमण से यह कैंसर होता हैं। आजकल इसके टीके उपलब्ध हैं जिसके नाम भी बताए। यह टीके संक्रमण से पहले लगवाना चाहिए। विवाहित स्त्री को कभी भी ये रोग हो सकता हैं, साठ साल की उम्र तक भी। बेहतर होगा कि नियमित जांच करवाते रहे। यदि संक्रमण अधिक नही फैला हैं तो बिना गर्भाशय निकाले भी ठीक हो सकता हैं।

बातचीत के साथ डाक्टर साहब की पसंद के गीत सुनवाए गए - पुरानी फिल्म साहब बीबी और गुलाम से और नई फिल्मो 1942 अ लव स्टोरी, धूम फिल्म के गीत। इस कार्यक्रम को तेजेश्री (शेट्टे) जी के तकनीकी सहयोग से कमलेश (पाठक) जी ने प्रस्तुत किया।

बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम मे मेहमान रहे जाने-माने लेखक और निर्देशक सुधीर मिश्र जिनसे बातचीत की निम्मी (मिश्रा) जी ने। बताया कि बचपन में सभी तरह की फिल्मे देखी। शिक्षा के लिए सागर आए जहां विविध क्षेत्रो का ज्ञान मिला। फिर दिल्ली आए। भोपाल के अनुभव, थियेटर में किए नाटको के अनुभव बताए। अभिनय में खुद की कमजोरियों को जाना- समझा और निर्देशन से जुड़े। निर्देशक कुंदन शाह के साथ फिल्म की - जाने भी दो यारो जो सफल रही। समान्तर फिल्मो के प्रश्न पर बताया कि यह फिल्मे सशक्त होती हैं पर अधिकाँश व्यावसायिक दृष्टि के फिल्मकार अपनी पसंद से फिल्मे बनाते हैं। इसीसे से ऎसी फिल्मो की संख्या कम हैं। यहाँ एक बात अच्छी बताई कि ऎसी फिल्मे बननी चाहिए ताकि दर्शको को इसकी आदत हो। अच्छी चल रही थी बातचीत, यहाँ एक सवाल किया गया फिल्मो में दिए जाने वाले सन्देश के बारे और साथ ही यह पूछा गया कि वह कैसी फिल्मे बनाना पसंद करते हैं, अगर इसे दो प्रश्नों में एक के बाए एक पूछा जाता तो चर्चा को अच्छा विस्तार मिलता था। खुद की फिल्मो के बारे में बताया - मैं ज़िंदा हूँ, हजारो ख्वाहिशें ऎसी, चमेली और धारावी के बारे में बताया कि इसमे कोई गाना नही हैं और इस फिल्म को सर्वोत्तम संगीत के लिए पुरस्कार मिला यानि पहली बार किसी फिल्म को पार्श्व संगीत के लिए पुरस्कार के लिए चुना गया। अपने लेखक होने के बारे में बताया कि जो देखा, जो भोगा उसे लेखन में ढाला। शबाना आजमी और ओम पुरी जैसे दिग्गज कलाकारों से मिले सहयोग की भी चर्चा की। अपनी फिल्मो के गीत भी सुनवाए और पसंद के पुराने गीत भी सुनवाए - चलती का नाम गाड़ी, गुमराह फिल्मो से।

इस सप्ताह डाक्टर साहब से उपयोगी जानकारी मिली। फिल्मी क्षेत्र से अलग-अलग समय और क्षेत्र की बातो को जाना।

Wednesday, March 2, 2011

चले भोले बाबा ब्याह रचाने

आज महा शिवरात्री पर्व के अवसर पर सुबह भूले बिसरे गीत कार्यक्रम का आरम्भ अमरकांत (दुबे) जी ने मुनीमजी फिल्म से हेमंत कुमार और साथियो के गाए शिवजी की बरात के इस भक्ति गीत से किया जिसे हमने बहुत दिन बाद सुना -

शिवजी बिहाने चले पालकी सजा के भभूति लगाके

इसे सुनकर हमें एक और ऐसा ही गीत याद आया जो शायद कैलाशपति फिल्म का हैं और जिसे शायद (मोहम्मद) रफी साहब ने गाया हैं। यह दोनों गीत पहले रेडियो से बहुत सुना करते थे, अब लम्बे समय से नही सुना। वास्तव में फिल्मी भक्ति गीतों का कार्यक्रम ऐसे समय प्रसारित होता हैं जो क्षेत्रीय कार्यक्रमों का समय हैं इसीसे इस तरह के गीत हम सुन नही पा रहे।

इस गीत के कुछ बोल मुझे याद नही आ रहे हैं -

चले भोले बाबा चले शंकर बाबा
होके बैल पे सवार करके अनूठा सिंगार
चले भोले बाबा ब्याह रचाने को

पार्वती हैं मगन आज स्वागत की कर तैयारी
नाचत गावत धूम मचावत शिव आए ससुरारी
कितनी ही बाराते देखी यह बारात हैं न्यारी
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भांति भांति के आए बराती ले ले के उपहार
शिव का छोटा संसार बसाने को

पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…

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