tag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post1417509452696041638..comments2024-01-30T13:46:01.722+05:30Comments on रेडियोनामा: रेडियो वाणी पर मरहूम श्री मास्टर इब्राहिमRadionamahttp://www.blogger.com/profile/01219194757101118288noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-31996509177547489142008-03-15T23:20:00.000+05:302008-03-15T23:20:00.000+05:30सागर भाई;आपकी बातें वाजिब ही नहीं ....सैध्दांतिक द...सागर भाई;<BR/>आपकी बातें वाजिब ही नहीं ....सैध्दांतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं...मैने भी आपके द्वारा लिखी गई इस टिप्पणी से सीखा है...आपने दिल की सफ़ाई से बात कही है सो कोई बुरा मानेगा...प्रश्न ही नहीं उठता.. ...हम सब भी तो इस दुनिया में एक विद्यार्थी ही तो हैं न....बस ख़याल इतना रहना चाहिये कि हमारे मशवरे या नसीहत में तंज़ (व्यंग्य) न हो....बाक़ी सब सर माथे.sanjay patelhttps://www.blogger.com/profile/08020352083312851052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-34725807627278678122008-03-13T17:04:00.000+05:302008-03-13T17:04:00.000+05:30पीयूष भाईआपसे हार्दिक अनुरोध है कि जिस बात को आप प...पीयूष भाई<BR/>आपसे हार्दिक अनुरोध है कि जिस बात को आप पहले से टिप्पणी के रूप में कह चुके हैं उसे फिर से पोस्ट के रूप में प्रकाशित ना करें। और अगर पोस्ट ही लिखना चाहें तो उस को पहले टिप्पणी के रूप में दर्ज ना करें।<BR/>दूसरी बात यह कि बार बार आदरणिय श्री अन्नपूर्णाजी या आदरणिय श्री यूनुसजी.. जैसे सम्बोधनकारक शब्दों का प्रयोग ना करें।<BR/>अगर आपको युनुस जी से कुछ कहना है तो आदरणिय श्री... की बजाय सीधे @ युनुस जी.. लिख दें।<BR/>मात्रा की अशुद्धियों पर थोड़ा ध्यान दे, और पोस्ट के शीर्षक संभव हो तो थोड़े छोटे रखें। <BR/>हरेक पोस्ट को सम्पादित कर पाना मुश्किल है।<BR/> आशा है आप बुरा नहीं मानेंगे। क्यों कि हमें रेडियोनामा पर अच्छी सामग्री प्रस्तुत करनी है।सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-55831059817461779912008-03-13T08:43:00.000+05:302008-03-13T08:43:00.000+05:30नेट का फायदा भी है तों नुकसान भी. वहां जो भी सामग्...नेट का फायदा भी है तों नुकसान भी. वहां जो भी सामग्री है वह असंपादित है. उसकी विश्वसनीयता हमेशा संदेह में रहती है. इसलिए नेट से कोई चीज उठाई जाय तों समझदारों को ऐसा सतर्कता से करना चाहिए. आपने गलती पकड़ी इसके लिए शुक्रिया पीयूष भाई.Rajendrahttps://www.blogger.com/profile/01527849650038905232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-49608825088089697412008-03-12T20:55:00.000+05:302008-03-12T20:55:00.000+05:30मुझे भी कुछ ऐसा ही लगा था पीयूष काका कि जो बज रहा ...मुझे भी कुछ ऐसा ही लगा था पीयूष काका कि जो बज रहा है वह शायद क्लेरिओनेट नही है ...यूनुस भाई ही शायद कुछ बता पाएं ..मैंने उनके ब्लॉग पर भी ऐसी ही टिप्पणी लिख दी थी.यूनुस भाई जिस तत्परता से काम को अंजाम देते है उस लिहाज़ से वे खोज ही निकालेंगे कि जो बज रहा है वह साज़ क्या है.....इंशा अल्लाह !sanjay patelhttps://www.blogger.com/profile/08020352083312851052noreply@blogger.com