tag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post2383620508199706061..comments2024-01-30T13:46:01.722+05:30Comments on रेडियोनामा: मेन्डोलिन वादक श्री महेन्द्र भावसार को जनम दिन बधाईRadionamahttp://www.blogger.com/profile/01219194757101118288noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-8627824626904684952011-03-13T17:23:30.810+05:302011-03-13T17:23:30.810+05:30संगीत सरीता में फिल्मी धून की बात मेरा मतलब नहीं ह...संगीत सरीता में फिल्मी धून की बात मेरा मतलब नहीं है । पर मेरा कहना ऐसा है कि स6गीत सरीता शुरू होने के बाद विविध भारती सेवा के साझ और आवाझ को शाश्त्रीय संगीत के निकाल कर ए आइ आर उर्दू और रेडियो श्री लंका हिन्दी की तरह ही फिल्मी धून और संबन्धीत फिल्मी गानो पर आधारित किया गया था ।<br />पियुष महेता ।PIYUSH MEHTA-SURAThttps://www.blogger.com/profile/12760626174047535862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-29046654537009081772011-03-13T09:10:30.789+05:302011-03-13T09:10:30.789+05:30इरफान जी की वो पोस्टे मुझे भी याद हैं, अब भी उनकी ...इरफान जी की वो पोस्टे मुझे भी याद हैं, अब भी उनकी ऎसी पोस्टों का इन्तेजार हैं।<br />रेर धुनों को यहाँ प्रस्तुत करने का आपका विचार अच्छा हैं। देर किस बात की... शुरू कर दीजिए। <br />संगीत सरिता में पहले एक राग पर आधारित गायन या वादन सुनवाया जाता था और उसी राग पर आधारित फिल्मी गीत सुनवाया जाता था। इस तरह यह किसी वाद्य का वादन होता था उस राग पर लेकिन उस फिल्मी गीत की धुन नही होती थी शायद...annapurnahttps://www.blogger.com/profile/05503119475056620777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-33804497222088718782011-03-12T23:31:19.656+05:302011-03-12T23:31:19.656+05:30अन्नपूर्णाजीने जो अन्य बात पूरी धून रख़ने की कही है...अन्नपूर्णाजीने जो अन्य बात पूरी धून रख़ने की कही है तो एक बार तो मूझे विचार भी आया था कि हमारे इस मंच के इस विषय में खुद शोख़ीन पर बिन-कद्रदान साथीयों के लिये मैं इतनी मेहनत क्यों करूँ । फ़िर यह नया विचार आया जो अब पुराना हो चूका है । तारीफ़ तो भगवान को भी प्यारी होती है तो हम तो इन्सान है, और सिर्फ़ तारीफ़ ही क्यो ? इन से सम्बंधित पुरक बातें भी लिख़नी चाहीए । और मेरा प्रयास भी रूटिन धूनो की जगह पुरानी या रेर धूनों को रख़ने की कोशिश रही है । इस लिये इस मंच पर इस वक्त तो मेरा मन नहीं मानता । पर लिख़ने के मूताबीक अपना वचन जरूर निभाऊँगा । इरफ़ानजी युनूसजी के साथ इसी मंच पर क्विझे रख़ा करते थे पर एक बार अपने मंच पर क्विझ रख़ कर मूझे उत्तर लिख़ने के लिये लिन्क भेज़ी तब मैंनें अकेले ही उसका उत्तर दिया जो 95% सही था पर उन्हों ने आज तक़ इस 5% की कमी न तो अपने ब्लोग पर या अपने मेईल द्वारा बताया है । इस ब्लोग के ले आउटमें जरूरी परिवर्तन की पूरानी बात को आज तक इस ब्लोग के नियामकोने चाहे कोई भी वजह से (शायद अति व्यस्तता) अभी तक निभाया नहीं है । तो इस नियमन की जवाबदारी अन्यों को भी देनी चाहीए चाहे अपने साथ ही । सागर भाई, युनूसजी और डो. अजीत कूमार तीनो यहाँ समय नहीं दे पाते है, जिनके पास किसी भी पोस्ट या टिपणी को हंगामी रूप से रोकने के, कायमी रूप से हटाने के या लिख़ाईमें सुधार के अधिकार है । <br />पियुष महेता ।<br />सुरत ।<br />पियुष महेता ।PIYUSH MEHTA-SURAThttps://www.blogger.com/profile/12760626174047535862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-13030348023354134682011-03-12T22:35:09.380+05:302011-03-12T22:35:09.380+05:30अन्नपूर्णाजी और चिदाम्बरजी,
अन्नपूर्णाजी की बात पर...अन्नपूर्णाजी और चिदाम्बरजी,<br />अन्नपूर्णाजी की बात पर मैं जो कल लिख़ने जा रहा था उसमें चिदाम्बरजी का जवाब आ आता पर मेरी टिपणी अपलॉड न हो पायी । साझ और आवाझ सब से पहेले एआईआर उर्दू का अविष्कार फिल्म संगीत पर आधारित ही था जिसे कुछ समय अन्तराल पश्चात विविध भारती ने शुरूमें शास्त्रीय रचनाओ के वाद्य और कंठ संगीत की एक ही राग पर रचना के रूपमें और साथ ही साथ रेडियो श्री लंकाने रात्री प्रसारण के अन्तीम घंटे में साप्ताहीक रूप से शुरू किया था । विविध भारतीने संगीत सरीता की शुरूआत कके साथ दैनिक साझ और आवाझ को फिल्म संगीत और फिल्मी धून का बना दिया । <br />पियुष महेता ।PIYUSH MEHTA-SURAThttps://www.blogger.com/profile/12760626174047535862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-5606717708713479602011-03-11T15:30:43.336+05:302011-03-11T15:30:43.336+05:30रेडियो सिलोन पर वाद्य संगीत नाम का कार्य्रक्रम ही ...रेडियो सिलोन पर वाद्य संगीत नाम का कार्य्रक्रम ही होता था जिस में सिर्फ धुनें बजती थीं। हां, विविध भारती पर शायद रात 9 बजे साज और आवाज कार्यक्रम होता था जहां धुन के बाद गीत भी सुनवाया जाता था ।<br /><br /><br />चिदंबर काकतकरChidambar Kakathkarhttps://www.blogger.com/profile/09618358138192876862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-9425678035116404212011-03-11T09:09:05.986+05:302011-03-11T09:09:05.986+05:30महेंद्र भावसार जी को जन्म दिन की शुभकामनाएं !
हम ...महेंद्र भावसार जी को जन्म दिन की शुभकामनाएं !<br /><br />हम उनके अच्छे स्वास्थ्य और चिरायु की कामना करते हैं।<br /><br />चिदंबरम जी शायद साज और आवाज कार्यक्रम की बात कर रहे हैं।<br /><br />पीयूष जी, धुन बहुत अच्छी लगी, आवाज बहुत स्पष्ट हैं, अगर पूरी धुन यहीं सुनने को मिल जाए तो अच्छा रहेगा।<br /><br />साप्ताहिकी रूटीन पोस्ट हैं, इसके लिए मुझे नही लगता कि किसी सदस्य को अपनी पोस्ट रोकनी चाहिए।annapurnahttps://www.blogger.com/profile/05503119475056620777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-59249652342558889282011-03-11T09:09:05.660+05:302011-03-11T09:09:05.660+05:30This comment has been removed by the author.annapurnahttps://www.blogger.com/profile/05503119475056620777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-66358943810519457552011-03-10T17:32:28.834+05:302011-03-10T17:32:28.834+05:30महेंद्र भावसारजी कॊ जनम दिन की शुभकामनाएं ।
एक जमा...महेंद्र भावसारजी कॊ जनम दिन की शुभकामनाएं ।<br />एक जमाने में रेडियो सिलोन पर सवेरे 7 से 7-15तक प्रसारित होने वाले वाद्यसंगीत कार्यक्रम में उन की बहुत धुने बजती थीं । उन दिनों इस वाद्य संगीत कार्य्रक्रम और उसके बाद आने वाले एक ही फिल्म के गीत कार्यक्रमों के साथ ही हमारी दिनचर्या आरंभ हॊती थी ।<br /><br /><br />चिदंबर काकतकर<br />मंगलूर कर्नाटकChidambar Kakathkarhttps://www.blogger.com/profile/09618358138192876862noreply@blogger.com