tag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post2560729355561924096..comments2024-01-30T13:46:01.722+05:30Comments on रेडियोनामा: कैक्टस के मोह में बिंधा एक मन - भाग १२: महेंद्र मोदी के संस्मरणों की श्रृंखलाRadionamahttp://www.blogger.com/profile/01219194757101118288noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-14039549288348631492016-01-21T21:43:08.489+05:302016-01-21T21:43:08.489+05:30अर्चना जी ने अक्षरश:सत्य कहा !
मेरी हार्दिक संवेदन...अर्चना जी ने अक्षरश:सत्य कहा !<br />मेरी हार्दिक संवेदना एवम् श्रद्धांजलि !! "डाक साब"noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-88857793432239430372016-01-18T10:00:01.712+05:302016-01-18T10:00:01.712+05:30This comment has been removed by the author.महेन्द्र मोदी / mahendra modi /مہندر مودیhttps://www.blogger.com/profile/12159771335768668682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-41410606045983666132016-01-18T09:59:28.029+05:302016-01-18T09:59:28.029+05:30हार्दिक आभार हार्दिक आभार महेन्द्र मोदी / mahendra modi /مہندر مودیhttps://www.blogger.com/profile/12159771335768668682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-32756377640889281902016-01-18T03:20:22.976+05:302016-01-18T03:20:22.976+05:30मेरे सादर नमन एवं सच्चे मन से अर्पित श्रद्धांजलि आ...मेरे सादर नमन एवं सच्चे मन से अर्पित श्रद्धांजलि आपके समस्त परिवार के लिए भेज रही हूँ। <br />ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने महत प्रकाश में समा लें यह विनम्र प्रार्थना है। <br />- लावण्या लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-76109288181926531472016-01-17T12:29:59.692+05:302016-01-17T12:29:59.692+05:30वैसे किसकी ज़िंदगी कब तक है कौन जानता है? मैं कितने...वैसे किसकी ज़िंदगी कब तक है कौन जानता है? मैं कितने दिन ज़िंदा रहूंगी कोई बता सकता है क्या?”<br />इन्हें पढ़ते हुए अपने एक चाचा जी याद आ गये. उन्हें भी यही कैंसर था. पूरे परिवार में अकेले वही थे जो संगीतप्रेमी थे और जिनके पास रेडियो था.. बड़ा वाला. तब टीवी गाँव में नहीं पहुँची थी. छत पर एक कोने में उनका इकलौता कमरा था जो रेडियो के साथ कैसेट्स से पूरा भरा रहता था. पुराने गीतों का परिचय विविध भारती से पहले उन्होंने ही दिया था. हमें तब इतना भी नहीं पता था कि रेडियो से आवाज कैसे निकलती है... शायद भीतर बैठा कोई बोल रहा हो. बालमन था.. कल्पना करता रहता. सफाई बहुत पसन्द थी उन्हें.. हम लोग गन्ने चूसते हुए उनके कमरे में पहुँच जाते थे तो वे रेडियो की आवाज थोड़ी बढ़ा देते और कहते इधर पेड़ की छाँव में बैठकर गन्ने चूसो और गाना सुनो... <br />उन्हें गुजरे हुए तकरीबन चार साल हो गये. अन्तिम बार जब हम लोग उनसे मिले थे तब माता जी ने कुछ ऐसा ही कहा था - वैसे किसकी ज़िंदगी कब तक है कौन जानता है? मैं कितने दिन ज़िंदा रहूंगी कोई बता सकता है क्या?” वे मुस्कुराते हुए बोले थे - आप बहुत जीयेंगी भाभी... लेकिन मैं कितना ज़िन्दा रहूँगा, मुझे पता है.Manishhttps://www.blogger.com/profile/01119933481214029375noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-81376684952656047582016-01-16T19:21:53.990+05:302016-01-16T19:21:53.990+05:30परिवार में प्यार और अपनत्व होतो एक का दुःख एक का न...परिवार में प्यार और अपनत्व होतो एक का दुःख एक का नहीं रहता ,बहुत पीड़ादायक होता है ऐसा समय ।Archana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-56205913836917848672016-01-16T19:17:47.893+05:302016-01-16T19:17:47.893+05:30परिवार में प्यार और अपनत्व होतो एक का दुःख एक का न...परिवार में प्यार और अपनत्व होतो एक का दुःख एक का नहीं रहता ,बहुत पीड़ादायक होता है ऐसा समय ।Archana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-60659281036584572092016-01-16T17:00:40.752+05:302016-01-16T17:00:40.752+05:30Dil bhar aya..agey padhne ki utkantha badh gayee.....Dil bhar aya..agey padhne ki utkantha badh gayee..!!abhinav, a group of culturettes,allahabadhttps://www.blogger.com/profile/05207917541719321228noreply@blogger.com