tag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post4276234708327494101..comments2024-01-30T13:46:01.722+05:30Comments on रेडियोनामा: इलाहाबाद आकाशवाणी, बालसंघ और बड़े भैया विजय बोसRadionamahttp://www.blogger.com/profile/01219194757101118288noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-77084945679224390482008-05-07T13:55:00.000+05:302008-05-07T13:55:00.000+05:30Main apke madhyam se vivid bharati ko ek sandesh b...Main apke madhyam se vivid bharati ko ek sandesh bhejna chahta hoon. main vivid bharti bachpan se sun raha hoon aur ab 45 saal ka ho chuka hoon. pehle ham vivid bharti ko bina kisi pareshani ke saaf-saaf sun sakte the par pichhale 5-7 saalon se hum delhi mein Vivid Bharti bilkul bhi nahi sun pa rahe hain, agar kabhi raat ko sunte bhi hai to shor ke saath. Kad-Kad ki awaaz lagataar aati rehti hai. Vivid Bharti ko please FM mode mein shift karne ki kirpa kar varna ek behad purana shrota kho baithenge. Hum AIR ki Urdu Service to pehle hi chod chuke hai (low frequency ke karan) ab Vivid Bharti ki baari hai, jiska hame afsos rahega. Dhanyewaad.vanshrajahttps://www.blogger.com/profile/02233907260943971917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-7761567688728764552008-05-07T09:16:00.000+05:302008-05-07T09:16:00.000+05:30"अगर आप रेडियोप्रेमी हैं और आपके जीवन में रेडियो क..."अगर आप रेडियोप्रेमी हैं और आपके जीवन में रेडियो के किसी पुराने प्रस्तुतकर्ता की भूली बिसरी याद है तो कृपया संपर्क करें रेडियोनामा से" - यूनुस<BR/>"मेरा अनुरोध है कि रेडियोनामा पर एक ऐसी श्रृंखला चलाई जाए जिसमें सभी के बारे में एक-एक करके बताया जाए।" - अन्नपूर्णा<BR/>**********************<BR/>आपने तो वाकई मेरे मुंह की बात छीन ली, अन्नपूर्णा जी ।<BR/>आपकी बात को यूनुस जी की बात से मिलाते हुए, लीजिये पेश है मेरी पहली फ़रमाइश:<BR/>बहुत ही छोटा था, शायद तीन -चार साल का ही, जब की यादों में शुमार है जाडो़ की गुनगुनाती धूप में , इतवार की फ़ुरसतिया दोपहरों में, यही कोई दो-ढाई बजे, सालों तक सारे घर का आँगन में बैठकर, विविध भारती पर " अपना घर " सुनना । घर भर के लिये इसमें कुछ न कुछ होता भी था ।तब एक आवाज़ , जिसका बच्चों से लेकर बडे़- बूढों तक सबको बडी़ ही बेसब्री से इन्तज़ार रहता था , वह थी श्री बृजेन्द्र ( या ब्रजेन्द्र ? ) मोहन की । हास्य-व्यंग्य की रचनाओं को पढ़ने का उनका जो अन्दाज़ था, वैसा आज तक फिर दोबारा देखने-सुनने को नहीं मिला । मुझे तो आज भी लगता है कि हिन्दी की कोई भी हास्य-व्यंग्य की रचना अधूरी है, अगर उसे बृजेन्द्र मोहन का स्वर नहीं मिल पाया,तो ।<BR/>हाल में ही अपनी स्वर्ण - जयन्ती के अवसर पर विविध भारती ने अपनी भूली-बिसरी यादों का खज़ाना जो खोला, तो उसमें सबसे नायाब मोती मुझे तो यही नज़र आया ।<BR/>ज़िन्दगी की तमाम आधी-अधूरी रह गयी हसरतों में से एक खा़स है - श्री बृजेन्द्र मोहन जी की अवाज़ की सीरत के बाद उनकी सूरत से भी रू-ब-रू होना और उनकी निजी ज़िन्दगी की किताब के भी कुछ पन्ने पढ़ना ।<BR/>मेरी यह हसरत पूरी करेंगे क्या; यूनुस भाई ?<BR/>- वही <BR/>___________________-<BR/><BR/>बडे़ भैया के बारे में भी मेरे मुँह की बात पहले ही छीन ली है-सागर नाहर जी ने !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-60256236448066214342008-05-06T22:23:00.000+05:302008-05-06T22:23:00.000+05:30बहुत ही अच्छा लगा पढ़/सुनकर...आपके संग्रेह में से ऐ...बहुत ही अच्छा लगा पढ़/सुनकर...आपके संग्रेह में से ऐसे ही और इंटर्रव्यू निकालिये सर!<BR/>बड़े भैया के बारे में जानकर भी बहुत अच्छा लगा एक सामान्य मिल मजदूर से आप इतने उंचे ओहदे पर पहुंचे। अस्सी वर्ष की उम्र में आप इतना बढ़िया बोलते हैं। <BR/>बड़े भैया को सादर प्रणाम।सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-52278383492868948952008-05-06T12:46:00.000+05:302008-05-06T12:46:00.000+05:30Respected Yunus sahab & MamtaJiThanx from the bott...Respected Yunus sahab & MamtaJi<BR/>Thanx from the bottom of my heart because aapne apne blog main baba ko space diya.<BR/>kabhi kabhi main bhi aapka yeh blog dekhta hoon,aachch hai aur gyanwardhak bhi hai.<BR/>aapko dheroin subhkamnayain<BR/><BR/>Dr.Tripathi key barey main kya likhuun veh baba ke bachchey hain<BR/>unhe bhi dheroin aashirwad<BR/><BR/>regards<BR/>kamalbose-eldest son of Sh.Vijai bose.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-17423431975677970632008-05-06T09:22:00.000+05:302008-05-06T09:22:00.000+05:30इस चिट्ठे के लिए धन्यवाद !आपने जो वाक्य लिखा कि रे...इस चिट्ठे के लिए धन्यवाद !<BR/><BR/>आपने जो वाक्य लिखा कि रेडियो के किसी पुराने प्रस्तुतकर्ता की भूली-बिसरी यादें…<BR/><BR/>अरे कोई एक हो तो कहें यहाँ तो लम्बी-चौड़ी सूची है। सिर्फ़ हवामहल की ही लम्बी सूची है बाकी सब कार्यक्रमों की तो अलग बात है। आपने एक नाम लिया मुख़्तार अहमद जो समुद्र में बूँद की तरह है।<BR/><BR/>मेरा अनुरोध है कि रेडियोनामा पर एक ऐसी श्रृंखला चलाई जाए जिसमें सभी के बारे में एक-एक करके बताया जाए।<BR/><BR/>अन्नपूर्णाAnonymousnoreply@blogger.com