tag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post6547026359290007715..comments2024-01-30T13:46:01.722+05:30Comments on रेडियोनामा: तिनके विच जान--'न्यूज़ रूम से शुभ्रा शर्मा' कड़ी 4Radionamahttp://www.blogger.com/profile/01219194757101118288noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-90431220116544890572012-07-23T19:53:48.309+05:302012-07-23T19:53:48.309+05:30This comment has been removed by the author.Gaurav Tyagihttps://www.blogger.com/profile/06465973009507618125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-35381640035169401762011-07-22T01:47:13.243+05:302011-07-22T01:47:13.243+05:30Shubhraji ek teer se do nishane saadh rahi hein. N...Shubhraji ek teer se do nishane saadh rahi hein. Newsroom ki andar ki baaten ujaagar ker ke bahar walon se wah wahi loot rahi hein aur Ravinder tatha Sandhu jaise tathakathit Newsreaders ko Hero bana ker newsroom mein sasti lokpriyata haasil ker rahi hein. Ravinderji se to shayad hi kisi ne koi bulletin suna hoga aur jo log Sandhuji ke bulletin sunte hein wo unki qabliyat pehchaan sakte hein. Aaj tak Prasaran ko Persaran hi bolte hein. Han, News mein Drama sun ne shokeen shrota un se zarur prabhavit ho sakte hein , kyonki Sandhuji news ko bina samjhe jo padhte hein.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-5967441045246891902011-07-22T00:37:05.477+05:302011-07-22T00:37:05.477+05:30GGShaikh said:
सारेगामा में सच में कैलाश ख़ैर की ह...GGShaikh said:<br /><br />सारेगामा में सच में कैलाश ख़ैर की हिंदी अचंभित करती है...<br />बेहद सहज हिंदी के सही-सही शब्द उनके मुंह से निकलते हैं <br />जो इस बात का एहसास कराती है कि वह हिंदी भाषा सीख <br />रहे हैं और भाषा का शास्त्रीय अध्ययन भी कर रहे हैं...<br /><br />निशा जी हमारे यहाँ कौन सी ऐसी संस्था है जहाँ कड़वे अनुभव <br />नहीं होते...? मनुष्य की महत्वाकांक्षा, स्वार्थ, ईर्षा, स्पर्धा, भय, गुरु-लघु ग्रंथि से ग्रस्त होना, अहं इत्यादि सभी जगह एक से होते हैं...<br /><br />पर यहाँ मीठे-मधुर अनुभव न हो ऐसा भी नहीं...GGShaikhhttps://www.blogger.com/profile/02232826611976465613noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-14748616912053719482011-07-19T18:30:50.212+05:302011-07-19T18:30:50.212+05:30परसों रात जीटीवी पर सारेगामा के दौरान हर्ष मुझसे ब...परसों रात जीटीवी पर सारेगामा के दौरान हर्ष मुझसे बोले कि देखिए पापा कैलाश खैर को सही हिन्दी बोलना भी नहीं आता, कैसी अजीब सी हिन्दी बोलते हैं।<br />मुझे कहना पड़ा "बेवकूफ़- कैलाश खैर को तो सही हिन्दी बोलनी आती है लेकिन आपको सही हिन्दी समझ में नहीं आती है। <br />:)सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-3813864252204717272011-07-19T18:28:52.477+05:302011-07-19T18:28:52.477+05:30शुभ्राजी,
"ब्रह्मपुत्र एवं उसकी अनुवर्ती नदिय...शुभ्राजी,<br /><i>"ब्रह्मपुत्र एवं उसकी अनुवर्ती नदियों के जल स्तर में अत्यंत तीव्रता से वृद्धि हो रही है. असम में अभूतपूर्व बाढ़ की परिस्थितयां उत्पन्न हो गयी हैं."</i><br />हिन्दी की यह पंक्तियां इतनी भी क्लिष्ट तो नहीं है, कि किसी को समझ में नहीं आती। और क्या आपको यह नहीं लगता कि हमें इस हिन्दी को क्लिष्ट मानने की आदत हो चली है और इस वजह से हिन्दी के कई शब्द गायब से हो गए हैं।सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-860682873857265672011-07-19T18:25:23.593+05:302011-07-19T18:25:23.593+05:30@nisha ji
अनुभव खट्टे-मीठे हों या कड़वे, पढ़ने-सुनने...@nisha ji<br />अनुभव खट्टे-मीठे हों या कड़वे, पढ़ने-सुनने वालों को अक्सर गुदगुदाते हैं, कुछ याद दिलाते हैं, कई बार प्रेरणा भी देते हैं, सो आप लिखने की तैयारी तो कर ही लें। सही समय आने पर और आपके कहने पर ही हम उन्हें छापेंगे। <br />यह रेडियोनामा टीम की तरफ से अनुरोध है।सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-86215868311000113432011-07-19T14:14:42.768+05:302011-07-19T14:14:42.768+05:30ajit sir aapka bahoot bahoot dhanywad jo aapne muj...ajit sir aapka bahoot bahoot dhanywad jo aapne mujhe kuch likhne ka awasar diya magar shubhra jee ka anubhav barso ka hai aur hamara chand saalo ka hum to waha chhote se paashinde haijab kabhi shubhra jee hamara jikr karengi apne sansmaran main tab shayad main kuch kahoon ,radio ki yaaden to bahoot hai magar anubhav bahoot kadve hai phir bhi hum radio ka ek hissa hai kahte huye garv mahsoos hota hai!nishahttps://www.blogger.com/profile/15022801799347401322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-90742723851454101782011-07-18T15:42:31.980+05:302011-07-18T15:42:31.980+05:30बहुत अच्छे! रोचक, सोचक और मोचक किस्सा. अर्थात् आ...बहुत अच्छे! रोचक, सोचक और मोचक किस्सा. अर्थात् आपने आकाशवाणी के जिंदादिल माहौल की याद दिला दी जो रोचक तो होता ही था (जितना मैंने देखा), दिमाग को भी खुला और चालू (सोचक) हालत में रखता था. यह जिंदादिली मोक्ष भाव (मोचकता) से कम नहीं थी. शुभ्रा जी धन्यवाद और यूनस जी इस ठिकाने तक पहुंचाने के लिए आपका विशेष धन्यवाद.Anup sethihttps://www.blogger.com/profile/13784545311653629571noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-2198279708188078982011-07-16T21:58:01.375+05:302011-07-16T21:58:01.375+05:30@निशा जी, आपकी टिप्पणी को देख कर ऐसा लगता है कि आप...@निशा जी, आपकी टिप्पणी को देख कर ऐसा लगता है कि आप भी रेडियो से जुड़ी हुई हैं, या यूं कहें एक प्रस्तोता हैं. कितना अच्छा हो अगर आप भी हमारे इस रेडियोनामा परिवार का एक हिस्सा बनें. आप अपने संस्मरण लिपिबद्ध कर हमें भेज दें. हमें उन्हें प्रकाशित करने में काफी प्रसन्नता होगी.डॉ. अजीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/10047691305665129243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-20223338385440625702011-07-16T21:12:47.082+05:302011-07-16T21:12:47.082+05:30GGShaikh said:
मूल्यपरक भी, रसप्रद भी... आलेख पसं...GGShaikh said:<br /><br />मूल्यपरक भी, रसप्रद भी... आलेख पसंद आ रहे हैं...<br /><br />सेतिया जी का भाषा लाघव और आपकी उनसे और सभी से सीखने की जिज्ञासा,अनूठी विशेषता व्यक्तित्व की ... <br /><br />आपकी बातों का जादू धीरे-धीरे हमारे सर चढ़ रहा है. बहुत सी रसप्रद बातें हम तक अस्खलित पहुँच रही है.<br /><br />शुभ्रा जी, मैंने आपको कभी समाचार पढ़ते हुए सुना हो, याद नहीं. बाकी कुछ नामों की सहज पहचान, आलेख में पढ़कर ही दिमाग़ में कौंध जाती हैं जैसे एक नाम अभी पढ़ा 'राजेंद्र चुघ',<br />शायद उनके सरनेम की विशेषता रही हो जो नाम आजतक याद रहा.GGShaikhhttps://www.blogger.com/profile/02232826611976465613noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-43092146600336530262011-07-16T14:30:27.076+05:302011-07-16T14:30:27.076+05:30आपके इस पोस्ट की कई बातें प्रेरणादायक हैं। घटनाओं ...आपके इस पोस्ट की कई बातें प्रेरणादायक हैं। घटनाओं की सहज, सरस और स्वाभाविक प्रस्तुति बेजोड़ है। आपके अगले पोस्ट की बेसब्री से प्रतीक्षा रहेगी।Rajesh Ojhanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-10394385660404037472011-07-15T15:36:06.570+05:302011-07-15T15:36:06.570+05:30सस्मरणों ने आत्मविभोर किया। अगले लेख की प्रतीक्ष...सस्मरणों ने आत्मविभोर किया। अगले लेख की प्रतीक्षा रहेगीRoshan Jaswalhttp://roshanvikshipt.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-56954915699866992011-07-14T10:41:03.283+05:302011-07-14T10:41:03.283+05:30bahoot maza aaya mam padhkar, aur ye jaan kar jins...bahoot maza aaya mam padhkar, aur ye jaan kar jinse bahoot saare log aaj bhi darte hai aur jo radio ke kai logo ko galat baat ko lekar daant deti hai unhone bhi kabhi khoob daant khaaye hai!<br />aur jaisa aapne sikha wahi aaj hamein bhi sikha rahi hai aap to unke jaise ban gaye magar hum aapke jaise kabhi nahin ban paayenge. aapki daant main jo pyar hai wo aage badhne wale aur sikhne wale he samjh sakte hai. jyada to nahin magar bahoot kuch aapse humne sikha, aapke har lekh ka main intezaar karti hoon aur poori shiddat se padhti hoon .shukriyanishahttps://www.blogger.com/profile/15022801799347401322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-12886148459659904862011-07-13T16:01:47.205+05:302011-07-13T16:01:47.205+05:30शुभ्रा जी की पोस्ट्स समाचार वाचन की बाइबिल बनती जा...शुभ्रा जी की पोस्ट्स समाचार वाचन की बाइबिल बनती जा रही है. बातें अरु क़िस्से बहुत छोटे छोटे से हैं लेकिन उनमें छुपा मर्म बड़ा है. मुझे लगता है कि रेडियोनामा पर दो-तीन अग्रणी समाचार वाचक और आ जाएँ तो समाचार वाचन पर एक किताब की संभावना बन जाएगी.मुझे नहीं लगता कि इस तरह का कोई दस्तावेज़ हाल-फ़िलहाल बाज़ार में मौजूद होगा.डाक साब आपसे सहमत हूँ कि संधुजी का स्वर प्रसारण के लिये एकदम फ़िटफ़ाट है लेकिन पंजाबी लहजे के कारण कुछ कुछ शब्द अलग सुनाई देते हैं.sanjay patelhttps://www.blogger.com/profile/08020352083312851052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-15754465459148856002011-07-13T13:46:01.227+05:302011-07-13T13:46:01.227+05:30शुभ्रा जी, आपके संस्मरणों को पढ़ कर काफी अच्छा लग ...शुभ्रा जी, आपके संस्मरणों को पढ़ कर काफी अच्छा लग रहा है.. सच कहूँ तो मजा आ रहा है. आकाशवाणी से जुड़े लोगों के बारे में जानना काफी रोचक है. कुछ लोगों की अव्वाजें तो हमारे दिलों में बसी हैं. उनके बारे में पढता हूँ तो लगता है की उनसे मिलने की ख़ुशी हो रही है. यही बात है की जब आपने रामानुज जी की बात की. जब मैं वो आवाज़ याद करता हूँ तो मानों अपने उन्हीं बचपन के दिनों में लौट जाता हूँ. जब शायद ६.५५ सुबह पर संस्कृत का समाचार आता था.. पापा कहते थे बेटा समाचार सुनो और अनुवाद करके मुझे सुनाओ...क्यूंकि संस्कृत में ज्यादा नंबर जो आया करते थे.. वो आवाज़.. इयं आकाशवाणी.. सम्प्रति वार्ताः श्रुयांताम. प्रवाचकः बलदेवा नन्दः सागरः... और मैं कोशिश करता अनुवाद करने की. और ठीक सात बजे वो आवाज़ गूंजती. .. ये(एक ठहराव) आकाशवाणी है. अब आप रामानुज प्रसाद सिंह से समाचार सुनिए. उनके उस रामानुज कहने की वो अदा बहुत पसंद थी.. वो ठहराव और गहराई मैंने कम ही सुनी है. आपने राजेन्द्र चुघ जी का नाम लिया , उनकी आवाज़ का भी मैं बहुत प्रशंशक हूँ. संजय बनर्जी को मैं तब से जानता हूँ जब वो आकाशवाणी पटना के लिए खेल परिक्रमा किया करते थे. सिर्फ एक नाम मेरी फेहरिश्त में फिट नहीं बैठता तो वो हैं हरि संधू जी. कृपया वे अन्यथा ना लें, पता नहीं क्यूँ पर मुझे कभी कभी लगता है कि वे शब्दों को अनावश्यक खिंचाव देते हैं. कभी लगेगा कि जाने पहचाने शब्द या कहें चीजों को बोलने में वे अनजानापन सा दिखला जाते हैं. बाक़ी ऊनकी आवाज़ का भी कोई सानी नहीं है.<br />एक बार फिर से पोस्ट के लिए धन्यवाद.डॉ. अजीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/10047691305665129243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-65104372372470949292011-07-13T10:24:55.924+05:302011-07-13T10:24:55.924+05:30"सर, ऐसा लग रहा था जैसे देश भर की गाड़ियों ने..."सर, ऐसा लग रहा था जैसे देश भर की गाड़ियों ने तय कर लिया था कि आज हम अपनी मनमानी करेंगी और आकाशवाणी के बुलेटिनों में छायी रहेंगी. इसलिए मैंने बीच-बीच में कुछ और समाचार ले लिए."..I am still laughing..........Shubraji, Very Nice and Thanx for sharing these golden moments with us.<br /><br />आकाशवाणी बड़ौदा के उदघोषक अभिषेक शाह। फेसबुक पर।Anonymousnoreply@blogger.com