tag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post791050340084006585..comments2024-01-30T13:46:01.722+05:30Comments on रेडियोनामा: जनसता दिल्ही का रेडियोनामा के बारेमें लेखRadionamahttp://www.blogger.com/profile/01219194757101118288noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-17925003428566031712008-01-14T14:57:00.000+05:302008-01-14T14:57:00.000+05:30आदरणिय श्री अन्नपूर्णाजी,कोपी पेस्ट करते समय दो ला...आदरणिय श्री अन्नपूर्णाजी,<BR/><BR/>कोपी पेस्ट करते समय दो लाईन छूटने पर भी मेरा मूल सवाल जो उस ’लेखक महाशय’ की मानसिकता के बारेमें मेरे विचार नहीं बदलने वाले है । यह तो उलटा यह साबित करता है, कि वे सब अभ्यासपूर्ण रूपसे पढ़ कर भी बातको अपनी चाह के मूताबी़क थोडा़ सा मरोड़ना पसंद करते है । अगर उनका ई मेईल मिल पाता तो मैं इस ब्लोग की जगह उनको सीधा ही लिख़ता । आप तो रेडियो से जूडी़ है । किसी मेहमानकी लम्बी रेडियो मुलाकात को जब समय के हिसाबसे सम्पादित किया जाता है तब समय के अलावा सिर्फ़ स्लील अस्लील के हिसाबसे ही नहीं पर कोई दूसरे जाने पहचाने व्यक्ति की तारीफ़ या निंदा को चेनल के निर्देषक या कार्यक्रम निर्माता के नझरिये से अलग हुई तो भी काटा जाता है । मेरा सुरत आकाशवाणी केन्द्र पर श्री गोपाल शर्माजी की साल गिराह पर फोन इन कार्यक्रम का अभी का ही अनुभव है । इतना ही नहीं एक बार विविध भारती के हल्लो फरमाईश कार्यक्रममें मैनें हाल सुरत निवासी अभीनेता और निर्देषक श्री क्रिष्नकांतजी पर फिल्माया हुआ एक गाना पसंद करके उनके बारेमें बताया था तो मेरी फरमाईश तो आयी थी पर उसमें से क्रिष्नकांतजी की पूरी बात गायब थी । और इसकी करूणता तो इस बातसे थी, कि मेरे कहने पर क्रिष्नकांतजीने यह कार्यक्रम सुना था । उन्हों ने भले ही नायक नहीं बने थे । पर उनके साथ वाले श्री जयराजजी और श्री चंद्रशेखरजी हीरो बने थे वे फिल्में साफ़ सुथरी और अच्छी होने पर भी फिल्म्री दुनिया के हिसाबसे वे बी या सी ग्रेड की ही कही जाती थी, पर वे मुम्बईमें होने के कारण उनको अपनी ढलती उम्रमें रेडियो नसीब हुआ । पर अगर विविध भारती दिलसे चाहे तो श्री जयंत नारलीकर साहबकी तरह ( जैसे श्री कमल शर्माजी पूना गये थे और वि. प्र. सेवा पूना के साथ मिलकर यह मुलाकात रेकोर्ड की थी ।)विविध भारती सेवा आकाशवाणी सुरत के साथ मिल कर भी तय कर सकती है या वि. प्र. सेवा सुरत की भेट के रूपमें भी प्रस्तूत किया जा सकता है, सेल्यूलॊईड के सितारें या हमारे मेहमान अंतर्गत । एक बात मैं मानता हूँ, कि भाषा अनुसाशन हमें जरूर बनाये रख़ना है, पर दिलमें जो सच लगे वही कहना या लिख़ना और जरूर लिख़ना चाहिए ।<BR/><BR/>पियुष महेता ।<BR/>सुरत-३९५००१.PIYUSH MEHTA-SURAThttps://www.blogger.com/profile/12760626174047535862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-28888901708947696672008-01-14T09:44:00.000+05:302008-01-14T09:44:00.000+05:30peeyush jee thoda edit keejeey.jansatta ki report ...peeyush jee thoda edit keejeey.<BR/><BR/>jansatta ki report ke neeche ki do lines bhi meri original post ki hai.<BR/><BR/>annapurnaannapurnahttps://www.blogger.com/profile/05503119475056620777noreply@blogger.com