Thursday, October 11, 2007

मेरा विविध भारती पर इन्टर्व्यू

मेरा विविध भारती पर स्वर्ण स्मृति कार्यक्रम में दिनांक . २८-०४-२००७ के दिन प्रस्तूत इन्टर्व्यू (भेट कर्ता : श्रीमती कांचन प्रकाश संगीत)
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6 comments:

  1. वाह भाई पीयूष जी, आपकी बातचीत सुन कर आनन्द आ गया और माउथ आर्गन पर आपको सुनना बहुत उत्तम रहा, बधाई.

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  2. धन्यवाद श्री उदन तश्तरीजी, आपका यही असली नाम है या तखल्लूस बनाया है । अगर सच्चा लिखने के पूरे प्रयत्नो के बावजूद गलती हुई हो तो ध्यान खिचीयेगा जरूर । ऐसे थोडे और नमूने पहेले विविध भारती के हल्लो आपके अनुरोध पर कार्यक्रम और वह कार्यक्रम बंध होने के बाद हल्लो फरमाईश अन्तर्गत श्री युनूसजी और श्रीमती ममताजीने एक बार एक साथ और कई बार अलग अलग तथा एक बार श्री रेणूजीने भी प्रस्तूत किये थे । और वह भी इस लिये की मैं और सिर्फ़ मैं ही विविध भारती के हल्लो आपके अनुरोध पर कार्यक्रममें वादक कलाकारों और वाद्यो का नाम खूद बताकर फ़िल्मी धूनों की फरमाईश करता था । तो कार्यक्रम को थोडा नया पन देने के इरादेसे मेरी पसंद सराही जाती थी और श्रीमती ममताजीने ही पूछा था कि मैंखूद भी कुछ बजानेका शौख़ रखता भी हूँ या नहीं ? तब से योग्य समयांतराल पर यह सिलसिला उस समय चला था । वह सभी मेरे निजी संग्रहमें है ।
    पियुष ।

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  3. सभी पेश करिये न!!!

    मेरा असली नाम समीर लाल है..क्नाडा मे रहता हूँ मगर सच्चा भारतीय देहाती हूँ...और मुन्ना टाईप में लोग उड़न तश्तरी पुकारते हैं..कभी पधारें उड़न तश्तरी की सवारी को:

    http://udantashtari.blogspot.com/

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  4. पीयूष मेहता जी आपकी बातचीत अच्छी लगी।

    समीर जी आपके दोनों नाम अच्छे है।

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  5. मेहताजी बधाई स्वीकारें.

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  6. श्री समीरजी, श्रीमती अन्न्पूर्णाजी और श्री संजयजी, आप सभी को मूझे बधाई देने के लिये धन्यवाद । उस दिन हमारे वि. प्र. सेवा , सुरत क ट्रान्मीटर थॊडा वीक सिग्नल्स दे रहा था । इस लिये थोडी चरचराहट सुनाई पड रही है । पर फ़िर भी समजने में दिक्कत नहीं है , इस लिये इधर प्रस्तूत किया । इस कार्यको तक़निकी रूपसे कैसे अन्जाम दिया जाय, इस बातसे मैं परिचीत नहीं था । तो उस कार्यमें श्री सागरजी मेरे गुरू बने और गूगल टॊक पर आवाज्ञी चेटींग करके मूज्ञे शिखाया, और इनकी बदौलत यह रेडियो-प्रसारण आपके सामने है ।

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आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।