Wednesday, January 16, 2008

रेडियो पर हमारा पहला कार्यक्रम

सत्तर के दशक मे जब पहली बार हमने रेडियो पर गिटार बजाया था वो दिन आज तक नही भूला हैउस समय युववाणी कार्यक्रम जो की आज भी आता है उसमे शास्त्रीय संगीत बजाने के लिए गिटार क्लास की हम - लड़कियां अपने मास्साब के साथ तय समय पर यानी ठीक ग्यारह बजे रेडियो स्टेशन पहुंच गयी थीऔर हम सभी लड़कियां जितनी उत्साहित थी उतनी ही डरी हुई भी थीउत्साह इस बात का की हमें बहुत सारे लोग सुनेंगे और डर इस बात का था की कहीं कुछ गड़बड़ ना हो जायेआख़िर पहला-पहला मौका जो था रेडियो पर बजाने का


अपने गिटार बजाने से ज्यादा डर इस बात का था की कहीं तबले पर संगत करने वाले ने ठीक से नही संगत की तो मुश्किल हो जायेगीक्यूंकि वहाँ बाहर के कलाकार नही बल्कि रेडियो स्टेशन के तबला वादक ही सबके साथ संगत करते थेइस बात का भी डर था की अगर कहीं सम गड़बड़ हुआ तो रेडियो वाले तबला वादक पता नही सम मिलाएँगे भी या नही क्यूंकि क्लास मे तो हम लोगों के तबला मास्टर अगर हम लोग इधर-उधर हो जाते थे तो सम मिला लेते थे

खैर जब रेकॉर्डिंग के लिए हम रेकॉर्डिंग रूम मे गए और हमने यमन कल्याण बजाना शुरू किया तो उसके बाद हमे याद नही कि कहीं सम छूटा भी था क्यूंकि उन तबला वादक ने बहुत ही अच्छी संगत की थीऔर तब समझ मे आया की हम नाहक ही डर रहे थे

5 comments:

  1. आपके पहले कार्यक्रम का अनुभव पढना अच्छा लगा। मैं भी अपने पहले कार्यक्रम का अनुभव बांटूगी एक चिट्ठे पर।

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  2. आपने कौन सा गिटार बजाया था? हवाइयन या स्पैनिश? वैसे मै भी आकाशवाणी के किसलय मे कम्पीयर था फिर बाल कलाकार के रूप मे भी कई नाटक किये। बडा ही रोचक अनुभव है आकाशवाणी का। बाल कलाकार के रूप मे बडा सम्मान मिला सभी बडो से। आपने पुरानी यादे ताजा कर दी। कुछ सालो पहले युनुस जी ने मेरे द्वारा खोजे गये प्लास्टिक खाने वाले कीडे के विषय मे एक कार्यक्रम पेश किया रेडियो मे। मै खाना खा रहा था और इससे विषय मे जानकारी नही थी। मेरे माता-पिता सभी रेडियो से चिपक गये और मेरे बारे मे सुनकर गर्वांवित होने लगे। ऐसे है रेडियोवाले और रेडियो जगत।

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  3. श्री ममताजी,
    क्या आपकी इस तरह्की रेकोर्डिंग इधर प्रस्तूत कर सकती है ?
    पियुष महेता (सुरत)

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  4. पियुष जी फिलहाल तो हमारे पास रिकार्डिंग नही है।

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  5. पंकज जी हम हवाइयन गिटार बजाते थे।

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आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।