पिछले दिनों हम रामेश्वरम गए थे। वहाँ मौसम ठंडा था। एकाध बार हल्की बारिश भी हुई। कभी-कभार तेज़ धूप भी निकली। हैदराबाद लौट कर आए तो यहाँ भी मौसम का यही हाल। कभी-कभी तो बहुत तेज़ हवा चल रही है बिल्कुल अंधड़ की तरह। सड़क के किनारे से निकल कर कचरा, पेड़ों के सूखे पत्ते तेज़ी से सड़क पर बीच में आ रहे है। बादल गड़गड़ा रहे है।
जब धूप निकल रही है तो बहुत गर्मी हो रही है। आज भी सुबह से ठंडा मौसम है। बादल भी नज़र आ रहे है। बूँदा-बाँदी भी हुई। मौसम की इस आँख मिचौनी में याद आ रहा है एक गीत। फ़िल्म का नाम है सबक़ जो सत्तर के दशक में रिलीज़ हुई थी पर ज्यादा नहीं चली इसीसे फ़िल्म के बारे में मुझे ज्यादा जानकारी भी नहीं है लेकिन एक गीत बहुत लोकप्रिय रहा। रेडियो से बहुत सुनवाया जाता था फिर धीरे-धीरे बजना बन्द हो गया।
सबक़ फ़िल्म के इस गीत के दो संस्करण है - मुकेश की आवाज़ में और महिला संस्करण सुमन कल्याणपुर की आवाज़ में। इन दोनों गीतों के बोलों में भी थोड़ा सा अंतर है। मुकेश के गाए गीत के बोल है -
बरखा रानी ज़रा जम के बरसो
मेरा दिलबर जा न पाए
झूम कर बरसो
ये अभी तो आए है
और कहते है हम जाए है
सौ बरस भर उम्र भर ये जाए न
बरखा रानी
सुमन कल्याणपुर के गीत के बोल है -
बरखा बैरन ज़रा थम के बरसो
ये मेरे आ जाए तो
चाहे जम के फिर बरसो
उन से है मेरा मिलन
क्यों है री तुझको जलन
आसमाँ पे है …
मुझे बोल ठीक से याद नहीं आ रहे है।
शायद सुमन कल्याणपुर का हिन्दी फ़िल्मों के लिए गाया यह अंतिम गीत है।
कितने बरस हो गए, हर साल बरखा रानी आती है पर यह गीत विविध भारती पर नहीं आता।
पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…
एक अच्छा गाना याद दिलाया आपने ...शुक्रिया
ReplyDeleteमेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
Vividh-Bharti par hi pahli baar suna tha yeh geet. Aapki hi tarah mujhe bhi intejaar hai.
ReplyDeleteशायद ही नहीं पर सौ फीसदी यह गाना सुमन अल्याणपूरने ही गाया है । और गाने ए शुरूआती बोल है 'बरखा बैरन अरा थमके बरसो ' रेडियो श्रीलंका से यह गाना दो पहलू दो रंग दो गीत आर्यरममें समय समय पर एक ज़मानेमें प्रस्तूत होता रहता था । अभी कुछ ही दिन पहेले रेडियो श्रीलंका के सजीव फोन इन कार्यक्रममें मैंनें इस गाने का जिक्र किया था । दि. 25 फरवारी के दिन ही तो । जब रेडियो श्री लंका की बात चल ही पड़ी है तो आअ की ताझा बात बताता हूँ कि आअ आपकी इस पोस्ट के पहेले मेरी जिस कलाकार के बारेमें पोस्ट प्रकाशित हुई है, उस कलाकार स्व. वी बालसारा के संगीतबद्ध किये फिल्म मदमस्त के करीब सभी गाने एक ही फिल्मसे कार्यक्रममें सुबह 7 से 7.30 तक प्रसारित हुए थे और 8 बजे उनकी युनिवोक्ष पर बजाई फिल्म ससुराल के गाने तेरी प्यारी प्यारी सुरत को शुरूआती शब्दो वाले गीत की धून को मेरे नाम के साथ सुनवाया था । जब की विविध भारती इस बारेमें ख़ामोश रही हर साल की तरह ही तो !
ReplyDeleteधन्यवाद अनिलकान्त जी अभिषेक जी !
ReplyDeleteपीयूष जी, लगता है सिलोन आप अकेले ही सुनते है, पता नहीं कैसे सुन लेते है, हम तो तरस रहे है रेडियो सिलोन सुनने के लिए।
गायिका का नाम मैनें पक्की तौर पर सुमन कल्याण्पुर ही लिखा। शायद यह उनका हिन्दी फ़िल्मों में अंतिम गीत है, ऐसा लिखा, अगर इस बारे में कोई जानकारी हो तो बताइए।