वर्ष 1975 के आसपास रिलीज फिल्म प्रेमनगर का एक गीत आज याद आ रहा है जिसे बहुत दिनों से रेडियो से नही सुना.
लता जी के गाए इस गीत को हेमामालिनी पर फिल्माया गया है. इसके जो बोल याद आ रहे है वो है -
ये कैसा सुर मंदिर है जिसमे संगीत नही
गीत लिखे दीवारों पे गाने की रीत नही
मूरत रख देने से क्या मंदिर बन जाता है
यूं ही पडा रहने से शीशा पत्थर बन जाता है
वो पूजा कैसी पूजा जिसमे प्रीत नही
पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…
सुन्दर गीत याद किया । पर आज आशाजी के जन्मदिन को भी याद कर लेते है । आज विविध भारती के भूले बिसरे गीत कार्यक्रम तथा सदा बहार गीत कार्यक्रममें उनके गाये ज्यादात्र एकल और एक या दो युगलगीत प्रस्तूत हुए । गाने बहोत सुन्दर थे पर सभी जाने पहचाने । जबकि रेडियो श्रीलंका से पूराने फिल्मी गीतो के कार्यक्रममें काफ़ी अलभ्य गाने जो मेरे भी ज्यादा तर पहेली बार सुननेमें आये , ऐसे प्रस्तूत हुए ।
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