आप सबको उगादी, गुडी पडवा, बसंत नवरात्री की शुभकामनाएं !
आप सबके लिए नव वर्ष २०६७ मंगलमय हो !
आज इस अवसर पर फिल्म संत ज्ञानेश्वर का एक भक्ति गीत याद आ रहा हैं। यह फिल्म साठ के दशक की हैं।
इस फिल्म का एक भक्ति गीत बहुत लोकप्रिय हुआ था। रेडियो के हर केंद्र से बहुत सुनवाया जाता था। अब लम्बे समय से नही सुना जिससे अब बोल भी याद नही।
इस गीत के दो संस्करण हैं - एक लता जी ने गाया और एक सुरेश वाडेकर ने जिनका फिल्मो में यह पहला गीत हैं। यह गीत ही कुछ ऐसा हैं कि यह गायक की आवाज में अधिक अच्छा लगा, इसीसे लताजी से अधिक सुरेश वाडेकर का गाया गीत अधिक पसंद किया गया। रेडियो से भी यही संस्करण अधिक बजता। कई बार गायक का नाम भी नही बताया जाता इसीसे गीत तो पसंद किया गया पर सुरेश वाडेकर को पहचान नही मिली।
बाद में सत्तर के दशक में अमोल पालेकर की फिल्मो में गाने से उन्हें कुछ पहचान मिली फिर उत्सव के सांझ ढले गीत और गमन की गजल से उन्हें लोकप्रियता मिली।
आजकल संत ज्ञानेश्वर नाम की एक और नई फिल्म हैं जिसमे भी सुरेश वाडेकर ने गाया हैं, विनोद राठौर ने भी गाया हैं पर गानों में साठ के दशक की बात नही हैं।
पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…
गायक सुरेश वाडकर का नाम ठीक कर लें । उनका नाम वाडेकर नहीं है । वासन्तिक नवरात्रि की शुभेच्छा।
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