Tuesday, August 17, 2010

हैं तेरे साथ मेरी वफ़ा मैं नही तो क्या

आज याद आ रही हैं लताजी की गाई एक गजल। इसे शायद कैफी आजमी ने लिखा हैं।

यह सत्तर के दशक की गजल हैं। शायद हिन्दुस्तान की क़सम फिल्म से हैं। शायद अभिनेत्री प्रिया राजवंश पर फिल्माई गई हैं।

पहले रेडियो के सभी केन्द्रों से बहुत सुनवाई जाती थी पर अब बहुत समय से नही सुना। इसके बोल शायद कुछ इस तरह से हैं -

हैं तेरे साथ मेरी वफ़ा मैं नही तो क्या
ज़िंदा रहेगा प्यार मेरा मैं नही तो क्या

सीने में दर्द दिल में तमन्ना जगाए जा
ये रात जागने की हैं शम्मे जलाए जा
तू जश्न जिन्दगी का मना
मैं नही तो क्या

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मेरे लिए न अश्क बहा
मैं नही तो क्या

कुछ धड़कनों का जिक्र हो कुछ दिल की बात हो
मुमकिन हैं इसके बाद न दिन हो न रात हो
कोई नया चराग जला
मैं नही तो क्या

पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…

4 comments:

  1. यह वास्तव ही में सदाबहार गीत है

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  2. aap ke sabhee "shayad" sahee hain, geet kee yeh panktiyan bhee hain

    tere liye ujalon kee koi kamee naheen
    sab teree roshanee hai, meree roshanee naheen
    koi naya chirag jala...main naheen to kya

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  3. बहुत बढ़िया पोस्ट.बधाई

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आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।