इस पोस्ट को दि. 28 के ही दिन 1 ए.म. पर रख़ा गया था, पर इस पर साईन इन 12 के पहेले होने के कारण ता. 27 ही दिख़ाई देती है । और दूसरी बात की इस रेकोर्डींग को देख़ते सुनते किसी और के बताये बिना ही मेरे ध्यानमें मेरी एक गलती आयी है कि मैनें श्री गोपाल शर्माजी की अत्मकथा के लिये गलती से ओटोबायोग्राफ़ी की जगह बायोग्राफ़ी शब्द इस्तेमाल किया है । पर भले शर्माजीने मूझे उस समय सुधारना ठीक़ नहीं समझा होगा । वैसे उनकी भाषा पर काबू का कोई जवाब नहीं है । और तीसरी बात इस रेकोर्डिंगमें केमेरा मेन यानि विडीयोग्राफर , लाईट मेन , सेट मास्तर और इन्टरव्यूअर और बाद्में सम्पादक की पाँचो भूमीकाएँ मूझसे जैसे बनाया पडा, निभाई है । तो मूल रेकोर्डिं सही होने पर भी सम्पादन के दौरान कहीं विडीयो की गुणवत्ता नीचले हिस्सेमें कहीं कहीं थोड़ी सी ठीक नहीं आयी है । तो इसके लिये क्षमा प्रार्थी हूँ । और इस निर्धारीत समय मर्यादामें काम निपटाने के लिये थकान तो होनी ही थी ।
आज यानि दि. 28-दिसम्बर के दिन रेडियो प्रसारण के एक महत्व पूर्ण पायोनियर श्री गोपाल शर्माजी की जनम तारीख़ है, तो
इस अवसर पर उनको जनम दिन की रेडियोनामा की और से शुभ: कामनाएँ देते हुए मेरी हाल ही की मुम्बई यात्रा के दौरान दि. 19 के दिन उनके बुलावे पर उनक्रे धर की गई उनके केरियर के बारेमें वातचीत को आप सुन ही नहीं पर देख़ भी पायेंगे, जो अवसर आज से तीन साल पहेले वहाँ की लोकल ट्रेईन्स की गरबडीयों के कारण खो दिया था । जो चार भागोमें बाँटना पडा है । शायद दूसरा भाग आप देख़ नहीं पाये तो इसका ऑडियो भी रख़ा जायेगा । यहाँ एक और बात बता दूँ, कि दि. 21 दिसम्बर के दिन श्री अमीन सायानी साहब को सुरत में गैरहाज़री के कारण उनको इस मंच से बधाई नहीं दे पाया पर उनको उसी दिन उनके कार्यालय जा कर बधाई देनेका सुनहरी मोका मिला ।
पियुष महेता ।
सुरत ।
आदरणीय अमीन सयानी जी और गोपाल शर्मा जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं !
ReplyDeleteपॊस्ट के लिए शुक्रिया । गोपाल शर्माजी को जनम दिन की शुभ कामनाएं । शायद 1976 की बात है । रविवार के दिन शर्माजी ‘आप ही के गीत’ प्रस्तुत कर रहे थे । जब ‘नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे’ फिल्म के ‘कभी तेरा दामन न छॊडेंगे हम’ की बारी आई तो उन्हॊने कहा था ‘अगर सोच समझ कर दामन पकडा तो छोडने की बात आती ही कहां है ’ । आज भी जब यह गीत सुनता हूं तो उनकी यह बात याद आती है ।
ReplyDeleteचिदंबर काकतकर
मंगलूर, कर्नाटक
गलती सुधार
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वह बात 1966 की है, 1976 की नहीं !
चिदम्बर काकतकर
आवाझकी दुनियाके यह दो नाम आति सन्मानिय है। विडियोके झरीये हुइ यह प्रस्तुतिके लिये पियुषजीको धन्यवाद। आनेवाले समयमें कुछ एसेही विडियो देखने मीलेन्गे एसी अपेक्षा रहेगी।
ReplyDeletemain abhibhoot hoon aap logon ki is sunder duniya mein aakar ,aur lagta hai main yahi sab miss kar raha tha!
ReplyDeleteshandilya
अमीन सयानी जी और गोपाल शर्मा जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं !
ReplyDeleteवीडियो देखता हूँ