Monday, November 7, 2011

जल्‍द आ रही है महेंद्र मोदी के संस्‍मरणों की एक श्रृंखला: 'कैक्‍टस के मोह में बिंधा एक मन'

रेडियोनामा पर हमने हमेशा रेडियो से जुड़ी यादों को संजोने पर ज़ोर दिया है। modiji
हालांकि हम धीरे-धीरे रेडियो-विमर्श पर भी फोकस करने का प्रयास कर रहे हैं। नियमित संस्‍मरणों की श्रृंखला में हर बुधवार मशहूर न्‍यूज़रीडर शुभ्रा शर्मा अपने संस्‍मरण लिख रही हैं। जिसका नाम है--'न्‍यूज़-रूम से शुभ्रा शर्मा'। शुभ्रा जी की श्रृंखला को देश-विदेश में काफी पसंद किया जा रहा है।

इस दौरान हमारा दूसरा प्रयास है रेडियो से जुड़े बहुत पुराने दौर के मशहूर लोगों के इंटरव्‍यू का। हालांकि ये सिलसिला फिलहाल अनियमित है।


रेडियोनामा को और आगे बढ़ाने और नया आयाम देने की दिशा में आज हम ऐलान करने जा रहे हैं विविध भारती में सहायक केंद्र निदेशक रहे और रेडियो की दुनिया में अपना महत्‍वपूर्ण योगदान देने वाले श्री महेंद्र मोदी के संस्‍मरणों की श्रृंखला का।


मोदी जी ख़ासतौर पर रेडियो-नाटकों की दुनिया के एक महत्‍वपूर्ण हस्‍ताक्षर रहे हैं। अभी हाल ही में उन्‍होंने रेडियो में अपनी लंबी और कामयाब पारी खत्‍म की है। हमें याद है कि रेडियोनामा ब्‍लॉग की शुरूआत से ही इससे मोदी जी का प्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍यक्ष जुड़ाव रहा है। अब रेडियोनामा पर मोदी जी अपने संस्‍मरणों की लंबी श्रृंखला लेकर आ रहे हैं। इस श्रृंखला का नाम है--'कैक्‍टस के मोह में बिंधा एक मन'।

तय ये पाया गया है कि श्रृंखला हर दूसरे बुधवार को प्रस्‍तुत हो। इस तरह रेडियोनामा पर हर बुधवार सजीला हो जायेगा।
एक बुधवार आप शुभ्रा जी को पढ़ेंगे। उसके अगले बुधवार को मोदी जी को। यानी संस्‍मरणों की जुगलबंदी।

उम्‍मीद है कि हमारा ये प्रयास आपको पसंद आयेगा।
सच तो ये है कि हम भी इस श्रृंखला को लेकर काफी उत्‍साहित और बेक़रार हैं।
इसके अलावा रेडियो की एक और मशहूर हस्‍ती श्री लोकेंद्र शर्मा से भी हमने अपनी यादें लिखने का अनुरोध किया है।
उनके लिखे का भी हमें इंतज़ार रहेगा।

तो मिलते हैं इसी बुधवार यानी नौ नवंबर 2011 को।

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