tag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post1601861795967577386..comments2024-01-30T13:46:01.722+05:30Comments on रेडियोनामा: छायागीत और हम लोगRadionamahttp://www.blogger.com/profile/01219194757101118288noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-20994624709654732792007-09-25T16:28:00.000+05:302007-09-25T16:28:00.000+05:30इतना ही नहीं गुजराती भाषा प्रेमी भी ।इतना ही नहीं गुजराती भाषा प्रेमी भी ।PIYUSH MEHTA-SURAThttps://www.blogger.com/profile/12760626174047535862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-68687631326519237722007-09-25T16:27:00.000+05:302007-09-25T16:27:00.000+05:30श्री सागरजी, आप तीन सालके गुजरातके वसवाटसे ही पक्क...श्री सागरजी, <BR/>आप तीन सालके गुजरातके वसवाटसे ही पक्के गुजरात प्रेमी बन गये है ।PIYUSH MEHTA-SURAThttps://www.blogger.com/profile/12760626174047535862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-70056115475593129712007-09-24T15:12:00.000+05:302007-09-24T15:12:00.000+05:30ममताजीपियूष भाई सुरत ( गुजरात) से हैं और वहाँ महिल...ममताजी<BR/>पियूष भाई सुरत ( गुजरात) से हैं और वहाँ महिलाऒं को बहुत सम्मान दिया जाता है, आप विश्वास नहीं करेंगी शायद एक गुजरात ही ऐसा प्रांत होगा जहाँ स्त्रियों को पाँव नहीं छूने दिया जाता, क्यों कि स्त्री जननी है, माँ है, फिर माँ किसी के पाँव कैसे छू सकती है?<BR/>इसलिये पीयूष भाई ने आपको दो बार आदरणीय कह कर सम्बोधित किया है। :)<BR/>एक बात और अब रेडियो नामा पर दो दो ममताजी होने वाली हैं तो क्यों ना आप रेडियोनामा में आपके जाने माने नाम Mamta TV से ही लिखें?<BR/>पोस्ट के अन्त में सिर्फ ममता टीवी लिख दिया करें। टैग लगाने का तरीका आपको पता हो तो सही है अन्यथा कोई बात नहीं।<BR/>आज की पोस्ट में मैं सुधार कर रहा हूँसागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-66462143986321244092007-09-24T15:11:00.000+05:302007-09-24T15:11:00.000+05:30This comment has been removed by the author.सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-45114351022194330472007-09-23T23:27:00.000+05:302007-09-23T23:27:00.000+05:30ममताजी ;छायागीत ने पूरे देश में कई कार्यक्रम सूत्र...ममताजी ;<BR/>छायागीत ने पूरे देश में कई कार्यक्रम सूत्रधारों(एंकर पर्सन्स) को बोलना सिखाया; मै भी जिनमें से एक हूँ. छायागीत गीतों और शब्दों का आसरा लेकर एक कथानक गढ़ता था जो विजुअल से भी ज़्यादा ताक़तवर हुआ करता था. जुदा जुदा उन्वानों पर उदघोषकों द्वारा रचे गए आलेख हिन्दी के प्रसार में भी बहुत सहायक हुए. साढ़े नौ या दस तक बिस्तर पर जाना अब आश्चर्यजनक सा लगता है पर आपने ठीक कहा कि गर्मियों की छुट्टियों में छत पर छायागीत सुनने के लिये किसके पास ट्रांज़िस्टर रहेगा इस बात पर परिवारों में घमासान होना आम बात थी. आज तो पूरा देश निशाचर होता जा रहा है .रात दस साढ़े दस तक सो जाना यानी अपने आप जल्द उठने का सबब बनता था . इसी से समाज स्वस्थ रहता था और छायागीत जैसी रचनात्मक चीज़ों से जुड़ाव रहता था. छायागीत पूरे देश के बिस्तरों पर रातरानी बन कर महकता था.sanjay patelhttps://www.blogger.com/profile/08020352083312851052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-67475540074818600252007-09-23T22:56:00.000+05:302007-09-23T22:56:00.000+05:30छायागीत बचपन में मेरी दीदियों का भी पसंदीदा कार्यक...छायागीत बचपन में मेरी दीदियों का भी पसंदीदा कार्यक्रम हुआ करता था, पर उस वक़्त मैं सो जाया करता था :)Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-39089078202195499512007-09-23T18:55:00.000+05:302007-09-23T18:55:00.000+05:30पियूष जी कभी-कभी ऐसा हो जाता है। पर हम एक बार फिर ...पियूष जी कभी-कभी ऐसा हो जाता है। पर हम एक बार फिर आपसे कहते है की आप प्लीज हमे आदरणीय मत लिखिए। अच्छा नही लगता है।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-8409528317398003582007-09-23T14:15:00.000+05:302007-09-23T14:15:00.000+05:30आदरणिय ममताजी,आपका नाम पढ़ते समय हर वक्त सोचता था ...आदरणिय ममताजी,<BR/>आपका नाम पढ़ते समय हर वक्त सोचता था कि आप विविध भारती वाली ममताजी है या कोई ओर इस लिये एक बार तो यह गलती होनी ही थी । कहीं फोटो को पूरी तरह देखे बिना लिख डाला और फोटो भी सामने वाला नहीं है । इस लिये आप माफ करेंगी और श्री युनूसजीने यह भूल का कारण आपको बता दिया इस लिये उन्के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ ।<BR/><BR/>पियुष महेता ।<BR/>सुरत -३९५००१.PIYUSH MEHTA-SURAThttps://www.blogger.com/profile/12760626174047535862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-75719606873353573622007-09-23T08:43:00.000+05:302007-09-23T08:43:00.000+05:30ममता जी हमारे घर में भी रेडियो का यही आलम रहता था ...ममता जी हमारे घर में भी रेडियो का यही आलम रहता था । <BR/>और हां होड़ लगी रहती थी कार्यक्रम सुनने की । <BR/>आपको बता दें कि पियूष जी जिस ममता की बात कर रहे हैं, वो मेरी शरीके हयात रेडियो सखी ममता सिंह हैं ।<BR/>और वो भी इलाहाबाद की ही हैं ।<BR/>और जल्दी ही वे भी रेडियोसखी ममता के नाम से रेडियोनामा पर लिखने वाली हैं । <BR/>एक बात और तीन अक्टूबर को विविध भारती के पचास साल पूरे हो रहे हैं । इस अवसर पर हम सब अपनी जिंदगी में <BR/>विविध भारती के योगदान और अन्य तमाम विषयों पर लिखने वाले हैं । आप भी तीन अक्तूबर के लिए तैयार <BR/>हो जाईये ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-23348184722579572682007-09-22T23:42:00.000+05:302007-09-22T23:42:00.000+05:30वे दिन भी क्या दिन थे !वे दिन भी क्या दिन थे !इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-22794910317607735762007-09-22T20:41:00.000+05:302007-09-22T20:41:00.000+05:30पियूष जी लगता है आप हमे कोई और ममता समझ रहे है। आप...पियूष जी लगता है आप हमे कोई और ममता समझ रहे है। आपको हमारा लिखा अच्छा लगा इसके लिए धन्यवाद। और आप प्लीज हमे आदरनीय मत लिखिए। <BR/>वैसे हम आपको अपने रेडियो से जुडे अनुभव जरुर बताते रहेंगे।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-75593557785463170552007-09-22T18:06:00.000+05:302007-09-22T18:06:00.000+05:30आदरणीय ममताजी,रेडियोसे जूडी आपकी पूरानी बाते पढनेक...आदरणीय ममताजी,<BR/><BR/>रेडियोसे जूडी आपकी पूरानी बाते पढनेका मझा आया । आपने अपनी बहनों की बात की है, तो उनमें से एक श्री सविता सिंह जो आपकी विविध भारतीमें ही साथी है उनसे भी कुछ लिखवाईए या उनके रेडियो के अनुभव आप ही बताईए ।<BR/><BR/>पियुष महेता<BR/>सुरत-३९५००१.PIYUSH MEHTA-SURAThttps://www.blogger.com/profile/12760626174047535862noreply@blogger.com