tag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post2614609750172026322..comments2024-01-30T13:46:01.722+05:30Comments on रेडियोनामा: मधुर धुनेंRadionamahttp://www.blogger.com/profile/01219194757101118288noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-74992840348681743632008-03-20T09:24:00.000+05:302008-03-20T09:24:00.000+05:30धन्यवाद पीयूष जी !धन्यवाद यूनुस जी जानकारी के लिए।...धन्यवाद पीयूष जी !<BR/><BR/>धन्यवाद यूनुस जी जानकारी के लिए। <BR/><BR/>आज सुबह भूले-बिसरे गीत में ब्रेक में बजी धुन शायद फ़िल्मी नहीं थी और कोई वादन था जो अच्छा लगा।<BR/><BR/>एक बात और कहनी है कि क्या ऐसा नहीं हो सकता कि इन धुनों को बजाने वालों के नाम भी बताए जाए।<BR/><BR/>अन्नपूर्णाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-8175992230834648152008-03-19T20:27:00.000+05:302008-03-19T20:27:00.000+05:30अन्नपूर्णा जी अच्छा मुद्दा उठाया । दरअसल मैं आपक...अन्नपूर्णा जी अच्छा मुद्दा उठाया । दरअसल मैं आपको बता दूं कि स्थानीय केंद्रों को विज्ञापन बजाने के लिए जगह देने के इरादे से विविध भारती पर लंबे फिलर बजाने की परंपरा शुरू हुई । जो अमूमन नब्बे सेकेन्ड के होते हैं और तयशुदा नियम के तहत तयशुदा जगह पर बजते हैं । ये बात सही है कि ज्यादातर अनाउंसर फिलर्स को गंभीरता से नहीं लेते । लेकिन आपका ये नाचीज़ साथी जीवन भर से फिलर्स से प्रेम करता रहा है और स्वयं चीज़ों को जोड़कर फिलर तैयार करता रहा है । मजाल है कि कभी समझौते के तहत कोई फिलर हमारे अपने प्रसारण में बज जाए । चलते चलते ये बात कि रेडियोवाणी पर इंस्ट्रूमेन्टल्स पर काम जारी है । आपने देखा सुना होगाYunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-82514969300414562172008-03-17T17:39:00.000+05:302008-03-17T17:39:00.000+05:30श्री अन्नपूर्णाजी,आपने जो धूनका जिक्र किया है, वह ...श्री अन्नपूर्णाजी,<BR/>आपने जो धूनका जिक्र किया है, वह वायोलिन पर मशहूर वादक और वाद्यवृन्द संयोजक श्री अनिल मोहिले ने बजाई है और यह रेकोर्ड एल. पी. होते हुए भी आम तोर पर होने वाली ३३ आरपीएम की बजाय ४५ आरपीएम होने के कारण अनुभवी उद्दधोषक तो सही गति से बजाते है, पर जब अस्थायी और बिन-अनुभवी <BR/><BR/>उद्दघोषक जब प्रसारण फर्ज़ पर होते है, तभी सही अंद्दाज़ में सुनने को मिलती है, पर अनजाने उद्दघोषक जो अस्थायी तौर पर आते है, वे ऐसा नियम से बाहर की बात ध्यान पर ले नहीं पाते । इस लिये प्रसारण अधिकारी को यह बात ऐसे उद्दघोषको के ध्यान पर लानी जरूरी होती है । यह एल पी आज पूरानी लगती है, पर इस गाने के रिलीझ के यानि १९७० के सालो< बाद यह धून आयी । हाँ, १९७० में पोलिडोर (आज की म्यूझिक ) इन्डिया ने इस गीत की धून दीपक कापडिया की बाजाई हुई स्पेनिश गिटार पर जारी कि थी । और हाल ही में शायद टाईम्स म्यूझिक ने एक सी डी पर यह गाने की धून सेक्सो फोन पर शौकत खान की बजाई जारि की है । इस शनिवार रात्री ८.३० –पर रेडियो सिलोन से साझ और आवाझ में कल्याणजी वीरजी शाह (संगीतकार कल्याणजी-आनंदजी वाले) की क्ले वायोलिन पर बजाई इल्म नागीन की धून मेरा दिल ये पूकारे आजा आयी थी । <BR/>पियुष महेता ।PIYUSH MEHTA-SURAThttps://www.blogger.com/profile/12760626174047535862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-92139070509179290062008-03-17T17:13:00.000+05:302008-03-17T17:13:00.000+05:30उद्दघोषक जब प्रसारण फर्ज़ पर होते है, तभी सही अंद्...उद्दघोषक जब प्रसारण फर्ज़ पर होते है, तभी सही अंद्दाज़ में सुनने को मिलती है, पर अनजाने उद्दघोषक जो अस्थायी तौर पर आते है, वे ऐसा नियम से बाहर की बात ध्यान पर ले नहीं पाते । इस लिये प्रसारण अधिकारी को यह बात ऐसे उद्दघोषको के ध्यान पर लानी जरूरी होती है । यह एल पी आज पूरानी लगती है, पर इस गाने के रिलीझ के यानि १९७० के सालो< बाद यह धून आयी । हाँ, १९७० में पोलिडोर (आज की म्यूझिक ) इन्डिया ने इस गीत की धून दीपक कापडिया की बाजाई हुई स्पेनिश गिटार पर जारी कि थी । और हाल ही में शायद टाईम्स म्यूझिक ने एक सी डी पर यह गाने की धून सेक्सो फोन पर शौकत खान की बजाई जारि की है । इस शनिवार रात्री ८.३० –पर रेडियो सिलोन से साझ और आवाझ में कल्याणजी वीरजी शाह (संगीतकार कल्याणजी-आनंदजी वाले) की क्ले वायोलिन पर बजाई इल्म नागीन की धून मेरा दिल ये पूकारे आजा आयी थी । <BR/>पियुष महेता ।PIYUSH MEHTA-SURAThttps://www.blogger.com/profile/12760626174047535862noreply@blogger.com