tag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post3117993108557943784..comments2024-01-30T13:46:01.722+05:30Comments on रेडियोनामा: शार्ट वेव प्रसारण की तकनीकि समस्याRadionamahttp://www.blogger.com/profile/01219194757101118288noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-42578102800055208032008-04-16T14:36:00.000+05:302008-04-16T14:36:00.000+05:30श्री अन्नपूर्णाजी,इस ब्लोग पर हम थोडा समय निकाल कर...श्री अन्नपूर्णाजी,<BR/>इस ब्लोग पर हम थोडा समय निकाल कर लिख़ लेते है । पर सवाल है, कि इस ब्लोग को प्रसार-भारती के उच्च सत्ताधीस और सरकार के सूचना- प्रसारण मंत्रालय के मंत्री और अधिकारी कितना रस रूची ले कर पढ़ते है । मेरा अनुभव भारत सरकार के इस विभाग और प्रसार भारती के साथ इस तरह का रहा है, कि कोई अपनी बातों को कितनी भी दलीलों से सजायें, इन के ज्यादा तर लोगो के सर के उपर से ही जायेगा, चाहे जान बूज़ कर या कोई काम के दबाव के बहाने । और इक और बात भी है कि अगर हमारे सांसद कोई मंत्री बने तो उनकी हालत बिलकूल स्टार प्लस के धारा वाहिक –जी मंत्रीजी- के मंत्री जैसी ही होती है, पर यही सांसद विपक्षमें आये तो उनका का काफी घ्यान अपने निर्वाचन क्षेत्र के प्रश्नों पर रहेगा और उनको सम्बंधित मंत्रालय से ठीक उत्तर भी मिलेंगे ।<BR/>रही बात श्री युनूसजी की इस प्रश्न पर राय की, तो वे एक जमाने में यह बात पूरी सही थी । पर आज के दिनों इन केन्द्रों हमारे देश के केन्द्रों से थोडे से अच्छे शायद अलग अलग क्षेत्रमें सुनाई देते होगे ।<BR/>एक जमानेमें रेडियो मोस्को अपने साम्यवाद के प्रचार के लिये भारत की करीब हर भाषामें अपने कार्यक्रम देता था, चाहे इकोनोमी की हालत कैसी भी हो । आज वोईस ओफ़ अमेरिकाने भी हिन्दी प्रसारण की दो सभामें से एक को बन्ध कर दिया है । रेडियो श्री लंकाने भी अपनी सुबह की हिन्दी सेवा हाल ही में एक घंटा कम कर दिया है । <BR/>हाँ, रेडियो बैजिंग, वोईस ओफ़ जर्मनी कभी कभी सुननेमें आते है, पर हम लोग नियमीत श्रोता उन सेवाओं के नहीं है, इस लिये कोई ठोस बात करने की स्थितीमें नहीं है ।PIYUSH MEHTA-SURAThttps://www.blogger.com/profile/12760626174047535862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-7954390018880915642008-04-15T09:12:00.000+05:302008-04-15T09:12:00.000+05:30दिनेश जी, यूनुस जी और पीयूष जी, क्या इस चर्चा को च...दिनेश जी, यूनुस जी और पीयूष जी, क्या इस चर्चा को चिट्ठा लिख कर आगे बढाया जा सकता है जिससे यह पता लगाया जा सकें की बेहतर तकनीक और उसकी उपयोगिता के लिए कैसे प्रयास किया जा सकता है.annapurnahttps://www.blogger.com/profile/05503119475056620777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-9261794822234959432008-04-14T15:23:00.000+05:302008-04-14T15:23:00.000+05:30वैसे एआइआर उर्दू सेवा और विविध भारती की केन्द्रीय ...वैसे एआइआर उर्दू सेवा और विविध भारती की केन्द्रीय सेवा उपग्रह प्रसारण सेवा है ही, जिस तरह का सुझाव श्री दिनेशराय त्रिवेदीजीने कहा है । पर दिक्क्त एक ही है कि उसे सुनने के लिये सेटटोप बोक्ष और टीवी या ओडियो एम्लिफायर जरूरी होगे ही, और और साथमें डिश एन्टेना जो कोई भी अडचण या ओब्स्टेकल या अवरोध बिना सीधा उपग्रह ट्रान्स्पोन्डर के सामने ही एक निश्चित कोना बनाकर स्थिर रहे ।<BR/>तो जाहिर है, कि जिस तरह हम ट्रान्सिस्टर या मोबाईल फोन पर एफ एम सुन पाते है, घर के बाहर होते हुए भी, वह इस तक़निक में कर नहीं पायेंगे । इस के लिये तो जैसे विविघ भारती पर पत्रावलिमें श्री महेन्द्र मोदी साहब बोलते है, डी आर एम यानि शायद डायरेक्ट रेडियो मोड्यूलेशन की तक़निक ही उपाय है, और यह भी जरूरी रहेगा कि रेडियो या मोबाईल फोन बनाने वाली कम्पनियाँ सिर्फ़ ए एम वाले रेडियो या मोबाईल की जगह मध्यम और लघू तरंग रेडियो बनायें । इतना ही नहीं उनके विग्यापन करके उनका प्रचलन भी बढायें ।PIYUSH MEHTA-SURAThttps://www.blogger.com/profile/12760626174047535862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-12620308080086439512008-04-14T15:15:00.000+05:302008-04-14T15:15:00.000+05:30अन्नपूर्णा जी दिक्कत तकनीक में नहीं है उसके उपयो...अन्नपूर्णा जी दिक्कत तकनीक में नहीं है उसके उपयोग में है । आप पायेंगी कि वॉयस ऑफ अमेरिका और बी बी सी जैसे रेडियो स्टेशन समंदर पार से भी तीव्र सिग्नल भेजकर जबर्दसत प्रसारण करते हैं । यहां तक कि रेडियो अफगानिस्तान के पश्तो कार्यक्रम और सबेरे नेपाल के नेपाली कार्यक्रम बेहतरीन सुनाइ देते हैं । इसका मतलब ये है कि विविध भारती समेत कुछ स्टेशनों की फ्रीक्वेन्सी कमज़ोर है जिससे हमें परेशानी होती हैYunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-81336433595366357162008-04-14T14:29:00.000+05:302008-04-14T14:29:00.000+05:30दिनेश जी ने सुझाव तो दिया है देखिये शायद कुछ अच्छा...दिनेश जी ने सुझाव तो दिया है देखिये शायद कुछ अच्छा ही हो जाए।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-12784834646867637122008-04-14T12:11:00.000+05:302008-04-14T12:11:00.000+05:30तकनीकी लौंचा है, शॉर्ट वेव की मार दूर तक है। टीवी ...तकनीकी लौंचा है, शॉर्ट वेव की मार दूर तक है। टीवी और एफएम की नहीं। इस का इलाज सैटेलाइट प्रसारण है। अगर ये तीनों स्टेशन वहाँ से भी बोलने लगें तो लाइफ बन जाए।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com