tag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post3133491273452707761..comments2024-01-30T13:46:01.722+05:30Comments on रेडियोनामा: क्यों नहीं है विविध भारती किशोरों और युवाओं की पहली पसंद ?Radionamahttp://www.blogger.com/profile/01219194757101118288noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-57932111182104503022014-09-06T23:34:14.991+05:302014-09-06T23:34:14.991+05:30हर चीज का एक वक्त होता है , विविध भारती का कभी वक्...हर चीज का एक वक्त होता है , विविध भारती का कभी वक्त था | अब नहीं है , विविध भारती की कमी यही थी कि अच्छे गानों के लिए लोग तरस जाते थे | चूँकि सभी प्रोग्राम पहले से रिकॉर्ड होते थे तो ऐसी विधा तब तक ही अच्छी चली जब तक उसके विकल्प नहीं आ गए | लोगों का ये भी कहना है की गाने सुनवाने में सिफारिश और अन्य बुराईयों का समावेश हो गया था | शाम पौने 6 से सवा 6 तक वही भजन दोहराए जाते थे | विविध भारती की विविधता प्रायोजित गानों से रही जो समय के खत्म हो गयी |vinodsirohihttps://www.blogger.com/profile/06688954420277417195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-72087110765670110682008-11-04T15:40:00.000+05:302008-11-04T15:40:00.000+05:30mujhe nahi lagta ki vivdh bharti me naye gane nahi...mujhe nahi lagta ki vivdh bharti me naye gane nahi sunate...aur jahan tak udhghoshak ki baat hai vividh bharti jaise prastootkarta mene meri jindagi abhi tak to nahi sune.Itni suarli aur gyanvardhak baate aapko niji channlo par shayad hi mil payengi.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-29351004508660872552007-10-30T21:13:00.000+05:302007-10-30T21:13:00.000+05:30इरफ़ान भाई आपने कुछ ना कह कर भी इशारों में काफी कु...<B>इरफ़ान भाई</B> आपने कुछ ना कह कर भी इशारों में काफी कुछ समझा दिया ।<BR/><BR/><B>पियूष जी</B> बिलकुल आप एक अलग पोस्ट में इस बात को रखें.।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-68447477032674001952007-10-30T21:09:00.000+05:302007-10-30T21:09:00.000+05:30यूनुस भाई मैं आप की टिप्पणी की प्रतीक्षा कर रहा था...<B>यूनुस भाई</B> मैं आप की टिप्पणी की प्रतीक्षा कर रहा था। क्यूंकि मेरा तो रेडियो से सिर्फ श्रोता भर का नाता है। बहुत कुछ जो बाहर से बेहद सरल दीखता है उस तंत्र के अंदर काम करने वाला ही उसके ना होने की वज़ह बता सकता है। आपकी छोटी टिप्पणी से निराशा हुई पर मुझे ये भी लगा कि हो सकता है कि बहुत सी बातें जानते हुए भी इस तरह के फोरम में आपका कहना कठिन रहा होगा।<BR/>खैर आप के उद्गारों की प्रतीक्षा रहेगी।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-20902035085632044372007-10-30T18:27:00.000+05:302007-10-30T18:27:00.000+05:30Piyushji,kripaya bataayein.Piyushji,kripaya bataayein.इरफ़ानhttps://www.blogger.com/profile/10501038463249806391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-49848368470551799712007-10-30T15:54:00.000+05:302007-10-30T15:54:00.000+05:30मेरे पास भी कुछ विविध भारती के काफी़ लोगोके बहोत अ...मेरे पास भी कुछ विविध भारती के काफी़ लोगोके बहोत अच्छे पर कुछ लोगो के थोडे से नकारत्मक रवैये के बारें में, विविध भारतीके स्थानिक केन्द्रों के विविध भारती की केन्द्रीय सेवा के कार्यक्रमों के प्रति नकारत्म्क रवैये के बारेमें आकाशवाणी के केन्द्रीय बिक्री एकांश (सेन्ट्रल सेल्स युनिट ) के सरकारी विज्ञापनो और सरकार या सरकारी एजन्सीयोँ द्वारा प्रायोजित कार्यक्रमों (हकीकतमें प्रज़योजित कार्यक्रम के नाम ५ से लेकर ३० मिनिट तक के समयावधी वाले विज्ञापन) जो केन्द्रीय विविध भारती सेवा को पता लगे विना ही स्थानिक केन्द्रों के लिये खल नायिक साबित होने के बारेमें और आकशवाणी के तक़्निकी विभाग द्वारा विविध भारती के दो पहर के लधू-तरंग प्रसारणमें २.५ घंटे की सालोंसे डाली हुई रूकावट के बारेमें कई कई बातें बताने के लिये दिमागमें है । आप पाठक गण क्या वह जानना पसंद करेंगे क्या ? अगर हाँ, तो समय समय पर मेरे विविध भारती और आकाशवाणी के सवोच्च अधिकारीयों के साथ किये गये पत्र व्यवहार को मैं जरूरत के मुताबिक रख़ सकता हूँ, पर टिपणी के रूपमें नहीं पर पोस्ट के रूपमें सही रहेगा ।<BR/><BR/>पियुष महेता ।PIYUSH MEHTA-SURAThttps://www.blogger.com/profile/12760626174047535862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-47526179663008523052007-10-30T13:49:00.000+05:302007-10-30T13:49:00.000+05:30मनीष इस बहस में मैं बहुत कुछ कहना चाहता हूं । लेकि...मनीष <BR/>इस बहस में मैं बहुत कुछ कहना चाहता हूं । <BR/>लेकिन अलग से और बाद में कहूंगा ।<BR/>ये ज़रूर कह दूं कि मौजूं विषय पर काफी कुछ सही कहा है आपने ।Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-48170895276219778262007-10-30T11:21:00.000+05:302007-10-30T11:21:00.000+05:30मनीष जी युवा वर्ग के लिए भी विविध भारती में कार्यक...मनीष जी युवा वर्ग के लिए भी विविध भारती में कार्यक्रम है जैसे जिज्ञासा और नए गीतों का कार्यक्रम है। मुझे लगता है इतना पर्याप्त है।<BR/><BR/>अन्नपूर्णाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-75617278525970209162007-10-30T10:21:00.000+05:302007-10-30T10:21:00.000+05:30मनीष जी जिस तरह इस बात पर चर्चा नहीं होती कि जब प्...मनीष जी जिस तरह इस बात पर चर्चा नहीं होती कि जब प्रायवेट टीवी के ज़रिये न्यूज़ आप तक पहुंच सकती है तो प्रायवेट रेडियो पर न्यूज़ प्रतिबंधित क्यों है, जब शराब पीना स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है तो शराब की सरकारी दुकान क्यों होती है? जब बच्चे इम्तेहानों के दबावों में अपनी जान दे देते हैं तो इम्तेहानों का स्वरूप दबावमूलक क्यों है? जब सभी धर्म बराबर हैं तो स्कूलों में कुछ ख़ास धर्मों की प्रार्थनाओं से ही सुबह की शुरुआत क्यों होती है? जब विकास से बेरोज़गारी बढ़ रही है तो हम विकास का ढ़िंढोरा क्यों पीटते हैं...और जब.... <BR/>सवालों का सिलसिला लंबा हो सकता है और जवाब ये है कि चूंकि सरकार और व्यवस्था जनोन्मुखी नहीं है इसलिये उसकी चिंताओं में हमारी विविध भारती ्या ऐसी कोई चीज़ नहीं है जो हमें कोमल और संवेदनशील बनाए रखने में मदद करती हो. जय बोर्ची.इरफ़ानhttps://www.blogger.com/profile/10501038463249806391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-68392320532164079922007-10-29T18:39:00.000+05:302007-10-29T18:39:00.000+05:30अनाम मुझे अच्छा लगा कि आप ने यहाँ आपने विचार व्य...<B>अनाम</B> मुझे अच्छा लगा कि आप ने यहाँ आपने विचार व्यक्त किए। पर नाम के साथ करतीं तो मुझे आपको संबोधित करने में आसानी होती। आपने कहा कि आप मुझसे सहमत नहीं है पर ऐसा मुझे तो नहीं लगा, क्योंकि मेरे इस कथन को आपने कहीं नहीं नकारा कि किशोरों और युवाओं की पहली पसंद विविध भारती नहीं हैं जहाँ भी कोई विकल्प मौजूद है, और यही मेरे लेख का मूल बिंदु था।<BR/><BR/>हाँ, आपने विविध भारती के मौजूदा स्वरूप को ना बदलने की हिमायत की है क्योंकि आपके मतानुसार इसका मूल उद्देश्य हमारी सांगीतिक संस्कृति की धरोहर बनना है। फिर आपने कहा<BR/><I>मनोरंजन के लिए कोई भी चैनल सुनिए पर संस्कृति की रक्षा तो विविध भारती से ही होगी। </I><BR/> <BR/>विविध भारती के कार्यक्रमों (गैर फर्माइशी) और उसके उद्घोषकों की गुणवत्ता पर ना मुझे कोई संदेह था ना अभी है पर आप जिस संस्कृति की बात कर रही हैं उसकी नींव बचपन से ही पड़ती है जैसी हमलोग की पड़ी थी। और जब आज के बच्चे और युवा इसकी अच्छाईयों के बावज़ूद अगर इससे कटे रहेंगे तो बड़े होकर अपनी इस धरोहर को सुनने आएँगे इसमें मुझे पर्याप्त संदेह है।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-32397104249660953062007-10-29T18:04:00.000+05:302007-10-29T18:04:00.000+05:30इरफ़ान भाई अगर विविध भारती के साथ सौतेला व्यवहार ...<B>इरफ़ान भाई</B> अगर विविध भारती के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है तो उस पर भी चर्चा होनी चाहिए कि ऐसा क्यों किया जा रहा है?Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-64049541065803383052007-10-29T10:24:00.000+05:302007-10-29T10:24:00.000+05:30मनीष जी आपकी बात से मैं सहमत नहीं हूं क्योंकि विवि...मनीष जी आपकी बात से मैं सहमत नहीं हूं क्योंकि विविध भारती केवल मनोरंजन नहीं एक संस्कृति है।<BR/><BR/>समय कोई भी हो जब बात संस्कृति की जाए तो केवल युवा वर्ग को ही ध्यान में नहीं रखा जा सकता।<BR/><BR/>क्या कोई चैनल आपके दिन की शुरूवात वन्दन्वार जैसे शान्त, मधुर कार्यक्रम से करता है ?<BR/><BR/>क्या हास्य की गरिमा को बनाए रखने वाला हवामहल कहीं आप सुनते है ?<BR/><BR/>क्या छाया गीत जैसा गीतों की प्रस्तुति का गरिमामय कार्यक्रम आपने सुना है ?<BR/><BR/>क्या कोई चैनल आपको घर बैठे संगीत सरिता की तरह शास्त्रीय संगीत की जानकारी दे पाएगा ?<BR/><BR/>मनोरंजन के लिए कोई भी चैनल सुनिए पर संस्कृति की रक्षा तो विविध भारती से ही होगी। ये बात सिर्फ़ मेरी नहीं लाखों के दिल की है लेकिन सभी के विचार आप तक नहीं पहुंच पाते इसीलिए आप नहीं जान पा रहे।<BR/><BR/>मैं भी कई सालों के बात अब इंटरनेट के माध्यम से यह कह पा रही हूं।<BR/><BR/>मेरी समझ में विविध भारती में किसी परिवर्तन की कोई आवश्यकता नहीं है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-2863064455219175912007-10-29T00:18:00.000+05:302007-10-29T00:18:00.000+05:30मित्रो मैं यह कहना चाहता हूं कि खुद प्रसार भारती क...मित्रो मैं यह कहना चाहता हूं कि खुद प्रसार भारती के लोग आकाशवाणी की विभिन्न सेवाओं के साथ सैबोटाज में लगे हैं इसलिये अगर आप भोलेमोहन नहीं है तो कृपया इस सच को स्वीकार करें और कई अनहोनियों के लिये तैयार रहें.जय बोर्ची.इरफ़ानhttps://www.blogger.com/profile/10501038463249806391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-72054208161384140452007-10-28T19:33:00.000+05:302007-10-28T19:33:00.000+05:30वेब रेडिओ तो और अच्छा सुझाव है। वैसे ये विषय मैंने...वेब रेडिओ तो और अच्छा सुझाव है। वैसे ये विषय मैंने रेडियोनामा पर इसलिए उठाया है कि इस पर व्यापक बहस हो ताकि हमारी अपेक्षाएँ सामने आ सकें। साथ ही ये भी पता चले कि प्रसार भारती की छत्र छाया में चलने वाले विविध भारती को किन समस्याओं से रूबरू होना पड़ता है जिससे उनके प्रतिद्वंदी नहीं होते।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3782548319482564737.post-51814799886365305212007-10-28T15:25:00.000+05:302007-10-28T15:25:00.000+05:30मनीषभाई...आपने बात पते की कही है.प्रसार भारती विवि...मनीषभाई...आपने बात पते की कही है.प्रसार भारती विविध भारती को बहुत हल्के से ले रहा है. विविध भारती की वैबसाईट बनाने से ज़्यादा ज़रूरी है कि वह वैब रेडियो की तरह लाइव सुनना शुरू हो जाए. जल्द ही विविध भारती को राष्ट्रीय प्रसारण की रात्रिकालिन सेवा के खरखरे प्रसारण से हटा कर एफ़ पर ही पूरी रात प्रसारण शुरू करने चाहिये. रात को ये भी हो सकता है कि किसी अनाउंसर की ज़रूरत न रहे...बस सुमधुर संगीत बजता रहे..कुछ अच्छे प्रायोजक भी मिल जाएंगे इस नेक काम के लिये. दर-असल विविध भारती के हुक़्मरान उसकी ताक़त से बेख़बर हैं.दूरदर्शन वाली हालत तो होगी ही ये भी हो सकता है कि किसी भी दिन इसे कोई उद्योगपति टेकओवर कर ले.sanjay patelhttps://www.blogger.com/profile/08020352083312851052noreply@blogger.com