लावण्या जी का तकरीबन एक सप्ताह पहले एक संदेश आया था--
आज रेडियोनामा के लिये २ गीतों के लिन्क भेज रही हूँ । दोनों गीत ऐसे हैं जिनका संबंध रेडियो से है । नायक और नायिका अपने दिल के अहसास गीतों में पिरोकर रेडियो के द्वारा एक दूसरे के मन की बात सुन रहे हैं । और इस तरह रेडियो-मैसेन्जर क्यूपीड माने प्रेम देवता का रूप ले लेता दिखलाया गया है ।
आगे लावण्या जी लिखती हैं--'जी हाँ ! ऐसा अकसर होता भी है, कोई गीत रेडियो मेँ बज रहा होता है और उसी के साथ, किसी के दिल की धडकनोँ मेँ अपने बिछुडे सजन की याद भी गूँथ जाती है, कभी कोई प्रेमी अपनी निराशा का भाव रेडियो मेँ बजाये गीत के साथ हूबहू मिलता हुआ महसूस करता है - और रेडियो मशीन ना रहकर तनहाईयोँ का एक साथी - सा जान पडता है - ज्यादा लँबी बात क्या कहेँ ..अब ये गीत और दो प्रेमी मन से उठती टीस आप भी अनुभव कीजिये और रेडियोनामा के रेडियो को अपना साथी समझ लीजिए । हां आप याद करके जरुर ऐसे गीत बतायें जिनमें "रेडियो" की खास भूमिका हो ?
Song : 1 " ज़िँदगी भर नहीँ भूलेगी वो बरसात की रात
फिल्म-बरसात की रात । संगीत रोशन
Song : 2 " ऐ अजनबी , तू भी कभी , आवाज़ दे कहीँ से ..." फिल्म : दिल से । सँगीत : ए. आर.रहमान
मैंने लावण्या जी की बात आप तक पहुंचा दी । कुछ ऐसे गीत याद आ रहे हैं जिनमें नायक या नायिका रेडियो स्टेशन से गा रहे हैं । पर ये जिम्मेदारी तो उन्होंने आपको दी है ।
बताएं आपको कौन-कौन से गाने याद आये ।
शुक्रिया - मेरी बात को "रेडियोनामा " के मँच पर रखने के लिये आभारी हूँ
ReplyDelete- लावण्या
बहुत खूब...ये बहुत अच्छी पहल है और खूबसूरत सिलसिला सा चल सकता है। बिम्बों के बहाने तो बहुत बातें हुईं प्रेम की ...अब तो सीधे रेडियो, फिर टेलीफोन, फिर मोबाईल पर आइये...बहुत मज़ा आएगा तलाशने में भी। पर फिलहाल तो ये रेडियो-क्यूपिड ही आगे बढ़ाइये..
ReplyDeleteशुक्रिया लावण्या दी...आपकी ऊर्जा काबिले-रश्क है...:)
सुन्दर। दोनो गीत मधुर हैं पर पहले और दूसरे में समय का अन्तर स्पष्ट नजर आता है।
ReplyDeleteयहां आ कर यह लगता है कि सारी जिम्मेदारियां त्याग केवल गीत सुने जायें - ढेर सारे गीत!
'हम थे जिनके सहारे वो हुए ना हमारे' इस गाने में भी गीत रेडियो पर ही तो बजता है ! अच्छी पोस्ट.
ReplyDelete' सुजाता ' मेँ सुनील दत्त फोन पर - 'जलते हैँ जिसके लिये , तेरी आँखोँ के दीये- ढूँढ लाया हूँ वही , गीत मैँ तेरे लिये '
ReplyDeleteClick
और ग़ुलाम अली साब की विख्यात ग़ज़ल "चुपके-चुपके रात दिन,,," भी तो निक़ाह में रेडियो पर ही बजती है..
ReplyDeleteएक धर्मेन्द्र का भी कोई गाना है, याद नहीं आ रहा...जिसे नायिका फोन पर गाती है और धर्मेन्द्र फोन का कनेक्शन बड़े से स्पीकर में लगा कर सुनता है।
रेडियो पर गाने सुनते सुनते हुए ही हम बडे हुए, और आज जो भी गा रहे हैं वहीं से कानों के ज़रिये दिल में और जेहन में अंकित हुए है ये सभी गीत.
ReplyDeleteअब फ़िल्मों में रेडियो पर ही बजने वाले गीतों को सुनवा कर हमारी पुरानी यादें ताज़ा हो गयी. धन्यवाद...
लावण्या जी की पसंद की दाद देता हूँ. 'ज़िन्दगी भर नहीं भूलेगी ये बरसात की रात' ऐसा गाना है ज़िन्दगी भर नहीं भूलेगा. भारत भूषण और मधुबाला का सौन्दर्य, संतोषी का निर्देशन और रोशन का संगीत, कुल मिलाकर यह फिल्म कालजयी है.
ReplyDeleteमणिरत्नम की फिल्म 'दिल से' यह गाना ए. आर. रहमान के संगीत के हीरों की माला का एक सुन्दर हीरा है.
लावण्या जी और रेडियो नामा को अनेक धन्यवाद.
One song I remember is from film Anurodh filmed on Rajesh Khanna
ReplyDelete-Harshad Jangla
Atlanta, USA
लावण्या दीदी ने बहुत अच्छी बात उठाई है । और भी कई गीत हैं ऐसे । किन्तु अभी जो याद आ रहे हैं उनमें । फिलम अलबेला का अद्भुत गीत जो लता जी ने गाया था 'देवता माना और पूजा तेरी तस्वीर को ' सबसे अनोखा है । ये पुरानी वाली अलबेला नहीं है बल्कि महमूद साहब जिसमें नायक थे वो है । इसके अलावा अभिमान के कई सारे गीत रेडियो पर आते हैं । मेरे विचार में जहां तक मुझे याद आता है कि फिल्म खामोशी में भी ऐसा ही एक गीत है ।
ReplyDeleteमुझे याद आ रहा है , अपना शायद सब से प्रिय गीत - गुलज़ार साहब का लिखा ’खामोशी’ फ़िल्म से ’हम ने देखी है उन आंखो की महकती खुशबु , हाथ से छू के इसे रिश्तों का इल्ज़ाम न दो’ ।
ReplyDeleteजहां तक मुझे याद है नायिका इसे रेडियो स्टेशन पर गाती है ।
लावण्या जी के चुने हुए दोनों गीत अच्छे लगे ।
सन्नी या सातवाँ आसमान फिल्म में भी एक गीत रेडियो पर अमृता सिंह गाती है.
ReplyDeleteजुर्माना फिल्म का यह लोकप्रिय गीत -
सावन के झूले पड़े तुम चले आओ
जिसे राखी रेडियो पर लाइव गाती है और उसी को ढूंढ रहे अमिताभ गाडी में गीत सुनकर रेडियो स्टेशन पहुँच जाते है
लावण्या जी, बडे ही खुबसूरत गानो का चयन , मुझे फिर भी पूरा समझाईये, वास्तव मे यह किस तरह का पहल है, मै पूरा जानना चाहून्गा. क्या ये गाने play भी होते है?
ReplyDeleteमुझे अमिताभ जी पर फिल्माया गाना याद आ गया-
कभी-कभी मेरे दिल मे खयाल आता है , कि जैसे तुझको बनाया गया है...
राकेश
Anup ji ki baat se sahamat. Sab se pahale jo geet yaad aata hai Vo yahi hai KHAMOSHI film ka.
ReplyDeleteGautam Bhai bhi Sahyad isi geet ki baat kar rahe haiN
aur naye geeto me Munna bhai... ka "PAL PAL"
बहुत अच्छी शुरुआत.........
ReplyDeleteमुझे आर्शीवाद फिल्म का गाना याद आया...एक था बचपन बचपन के एक बाबूजी थे .......
मीत न मिला रे मन का..."अभिमान" फिल्म में ये गीत लोग रेडियो पर ही सुनते हैं... इसके अलावा रेडियो पर "आप आये तो खयाले दिले नौशाद आया..." फिल्म "गुमराह" का गीत बहुत लोकप्रिय हुआ था, जिसे सुनने अभिनेत्री माला सिन्हा अपने पति आशिक कुमार को झूठ बोल कर सुनने चली जाती है ...
ReplyDeleteलावण्या जी ने पुराने दिनों की याद ताज़ा कर दी...
नीरज
यह गुमराह वाला गाना फिल्ममें रेकोर्ड होते हुए दिख़ाया गया है पर रेडियो पर बजता दिख़ाया नहीं गया है पर फिल्म लव इन सिमला का एक गाना इकबाल कूरेशी के संगीतमें मरहूम श्री महमद रफ़ी की आवाझमें रेडियो पर गाते हुए जोय मुकरजीको दिख़ाया गया है जो बर्फ़ीले तूफ़ानमें साधनाजी ट्रांझीस्टर रेडियो पर सुननी हुई दिखायी गयी है । यह फिल्म क़रीब 9 सालकी उम्र में सिर्फ़ एक बार दिख़ी थी । इस लिये पाठक थोडी भी गलती पाये तो सुधारने की कृपा करें । लावण्याजी और युनूसजी को बधाई ।
ReplyDeleteपियुष महेता ।
नानपूरा, सुरत ।
अरे वाह ...
ReplyDeleteआप सभी ने कई नायाब गीतों को याद किया और मेरी बात का सिलसिला आगे चलाया ....
"रेडियो",
हम सभी के जीवन से जुडा हुआ है और वह एक निष्प्राण मशीन होते हुए भी , हमारे अहसास
और तन्हाई का साथी भी है !
आशा करती हूँ ,
रेडियो द्वारा
आप तक पहुँचते गीत ,
आपको सुकून ,
प्यार और
करार पहुंचाए .........
सुनते रहीये रेडियो और सदा,
:-) यूं ही ,
मुस्कुराते रहीये ..
शुक्रिया और शब्बा खैर...
स्नेह सहित ,
- लावण्या
Itne barhiye gaanon ki kari main bhi ek gaan jorna chahta hun................Mere Huzoor film ka gaana.......'Ghum uthane ke liye main to jiye jaoonga'
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