आज भारतकी फिल्म शौख़ीन जनता की फ़िल्मो की पसंद में सकारात्मक परिवर्तन करने वाले यानी साफ़-सुथरी फ़िर भी सफ़ल फिल्मों के निर्माता-निर्देषक, सम्पादक और एक पाठशाला समान श्री हृषिकेश मुख़र्जी की भी स्व. मूकेशजी के अलावा पूण्यतिथी है । पर विविध भारती की केन्द्रीय सेवा के सदा-बहार गीत कार्यक्रम को छोड़ बहोत कम याद किया गया, जब की गायक को काम और नाम तभी नसीब होता है, जब कि हृषिदा जैसे लोग अच्छे विषय पर फिल्में बनानेका साहस करके गुणी संगीतकारों तथा साथ साथ गीतकारों के लिये काम खडा करते है ।
हृषिदाने संवेदनशील फिल्में तो बनाई ही है पर हास्यप्रधान फिल्मोंमें भी साफ-सुथरापन और स्थूल हास्य के स्थान पर परिस्थितीजन्य हास्य को अपनी फिल्मों में बखूबी इस्तेमाल किया । और यह भी हर बार एक नयी कहानी और नया विषय ले कर । पाश्चात्य संगीत के लिये जानेमाने श्री राहुल देव बर्मन साहब को कई बार अपनी फिल्मोंमें गुलझारजी के गानों के साथ उन्होंनें लिया और बड़े सुन्दर गाने हमें प्राप्त हुए । कई अभिनेताओं की स्थापित छबीयों को उन्होंने बखूबी बदा डाला । उदाहरणके तौर पर हीमेन के रूपमें जाने पहचाने श्री धर्मेन्द्र को मझली दीदी, सत्यकाम और अनूपमा जैसी संवेदन शील फिल्मोंमें चावीरूप भूमीकाएं दी तथा चूपके चूपकेमें बड़ी मझेदार हास्य कलाकार हीरो के रूपमें प्रस्तूत किया । बिन्दूजी और शशिकलाजी को वेम्प यानि ख़ल-नायिका के रूपमें से बाहर निकालके अनुपमा, अभिमान और अर्जून-पंडित (चरित्र अभिनेत्रीके रूपमें बिन्दूजी ) भी प्रस्तूत किया । ग्ल्रेमरस भूमिका के लिये जानिमानी शायरा बानूजी को चैतालीमें सादगी भरी भूमिकामें प्रस्तूत किया । और देवेन वर्माजी का सह अभिनेता या ख़ल नायक (देवर) के रूपमें से हास्य अभिनेता के रूपमें फिल्म बूढ्ढा मिल गया से परिवर्तन किया । श्री बासु चेटर्जीने हास्य-प्रधान फिल्में अपने तरीकेसे बनाई पर साफ-सुथरापन और परिस्थितीजन्य हास्य के हृषिदा के राह पर तो वे चले ही चले । यानि हृषिदाका प्रदान कई जगहो पर मील का पत्थर साबित हुआ । हास्य फिल्मों की कोई भी चर्चा उनके नामोल्लेख़ के बिना अधूरी ही है । श्री युनूसजी द्वारा सम्पादीत और प्रस्तूत हास्य-प्रधान फिल्मों के स्तर पर मंथन कार्यक्रममें एक कड़ीमें मूझे इस बारेमें बोलनेका मोका मिला था ।
इन दोनों व्यक्तिविषेषों को रेडियोनामाकी और से श्रद्धांजलि ।
पियुष महेता ।
सुरत-395001.
हृषिदा बासूदा को खबू याद किया। इनकी साफ सुथरी फिल्में सकारात्मक, खुशनुमा प्रभाव छोड़ती हैं।
ReplyDeleteसंगीत नहीं सुन पाया। यहां सुविधा नहीं है। घर जाकर सुनूंगा।
स्व. ऋषिकेश मुखर्जी ऐसे महान निर्देशक थे, जिन्होने हमेशा साफ सुथरी और सामाजिक विषयों पर फिल्में बनाई। आपकी बनाई हरेक फिल्म हिन्दी फिल्म जगत में आपके नाम को सदैव अमर रखेगी।
ReplyDeleteऔर स्व.मुकेश अपनी गायकी से हमेशा हमेशा के लिये अमर हो गये। शायद ही कोई दिन बीतता होगा जिस दिन रेडियो पर किसी भी स्टेशन से आपके गीत ना गूंजते हों।
हम आज आप दोनों को हार्दिक श्रद्धान्जली अर्पित करते हुए नमन करते हैं।
बढ़िया लेख...आनंद कभी नहीं मरते...
ReplyDeletebaithak.hindyugm.com
पियूष भाई शु्क्रिया ऋषि दा को याद करने के लिए ।
ReplyDeleteमुकेश के गीत अन्य कलाकारों के साथ मैंने भूले बिसरे गीत कार्यक्रम में सुने पर ऋशि दा को नही सुना
ReplyDeletehrishikash da ki hi film ANAD ka dailough yaad aa gaya. ZINDGI BADI HONI CHAHIYE LAMBI NAHI.
ReplyDeleteASE MAHAN FILMKAR KO YAAD KARNE KE LIYE SHUKRIYA.
MERA BLOG KA ADDRESS AGAR SAMBHAV HO TO ZAROOR VISIT KAREN. MUJHE KHUSHI HOGI.
http://takeoneready.blogspot.com/
શ્રી પિયુષભાઈ, આપનો ભારતિય સંગીતનો અને સંગીતકારો માટેનો રસ અને અધ્યયન ઘણો ઊંડો છે, એ માટે મને માન છે. સમજવા કોશિશ કરીશ પરંતુ એ કાંઈ ખાવાના ખેલ નથી માટે તમારી વાતોમાંથી જે સમજાય એથી સંતોષ માણીશ. આપને આપની પ્રવૃત્તિમાં વધુ યશ મળે એ માટે પ્રભુ પ્રાર્થના.
ReplyDeleteઆવજો.
કાંતિલાલ પરમાર
હીચીન
kantilal1929@yahoo.co.uk