आज श्री गोपाल शर्माजी की शादी की साल गिरह के मोके पर और साथमें उनकी आत्मकथा आवाझकी दुनियाके दोस्तों के विमोचन के भी तीन साल पुरे होने पर उनको बधाई और इस मोके पर उस विमोचन समरोह के कुछ अंश जो समय मर्यादा के अंतर्गत मूझसे हो सका इधर प्रस्तूत कर रहा हूँ । अन्नपूर्णाजी से आज ही इसी पोस्ट को प्रकाशित करने के लिये क्षमा चाहता हूँ, पर यह तारीख़ की मजबूरी है और कम से कम आने वाले शुक्रवार को भी यही मजबूरी रहेगी ।
इस दूसरे विडीयोमें उनके भी गुरू श्री विजय किशोर दूबे साहब शर्माजी के लिये तारीफ़में संक्षिप्त बात करते है ।
पियुष महेता ।
नानपुरा, सुरत ।
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Tuesday, April 13, 2010
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