आज यानि 24 मार्चके दिन भारतिय फिल्म जगतके सुप्रसिद्ध वादक-कलाकार, जो हारमोनियम, पियानो, पियानो-एकोर्डियन, युनिवोक्स, इलेक्ट्रीक ओर्गन, मेलोडिका, सिन्थेसाईझर और मेन्डोलिन बजाते थे,वैसे स्व. वी. बालसाराजी को उनकी पूण्यतिथी के अवसर पर नीचे उनकी पियानो पर बजाई हुई फिल्म मेरा नाम जोकर के गीत जीना यहाँ, मरना यहाँ की धून प्रस्तूत है, जिसका वाद्यवृंद संचालन, निर्देषन और संयोजन , प्रसिद्ध वायोलिन वादक श्री दिलीप रॉय ने किया है । साथमें वी. बालसाराजी के संगीत वाली फिल्म विद्यापती और मदमस्त (स्व.महेन्द्र कपूर की बतोर पार्श्व गायक प्रथम फिल्म)की भी मैं पाठको को याद दिलाना चाहता हूँ । नीचे जो धून मैंनें रखी है वह जिस म्यूझी केसेट से मूझे मिली है, उसके लिये मैं मेरे दोस्त मूकेश गीतकोष, गुजराती फिल्मी गीत कोष, सयगल गीत कोष (संयूग्त रूपसे हरमंदिरजी के साथ ) तथा गुजराती किताब इन्हें ना भूलाना के संकलनकार सुरत के श्री हरीश रघूवंशी जी का शुक्रगुज़ार हूँ, जो अपनी कलकत्ता यात्रा के दौरान वहाँ के बाझार से खास मूझे याद करके इसे ख़रीद लाये थे, जो पूरी पियानो पर ही है बालसाराजी की ही बजाई हुई । तो सुनिये धून:
पियुष महेता
नानपूरा, सुरत-395001.
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Wednesday, March 24, 2010
वादक कलाकार और संगीतकार स्व. वी बालसाराजीको पूण्यतिथी पर स्मरणांजलि
Monday, March 23, 2009
हार्मोनियम वादक स्व. वी. वालसारा की पूण्य तिथी पर श्रद्धांजली
पाठक गण,
नमस्कार । आज यानि 24 मार्च के दिन, हारमोनियम, पियानो, युनिवोक्ष, सिंथेसाईझर, मेन्डोलिन औए पियानो एकोर्डियन वादक तथा महेन्द्र कपूरजीकी बतौर पार्श्वगायक, प्रथम फिल्म मदमस्त तथा विद्यापती (लताजी का गाना मेरे नैना जो विविध भारती से समय समय पर प्रसारित होता है )जैसी फिल्मो के संगीत कार स्व. वी बालसारा की पूण्य तिथी पर उनकी हार्मोनियम पर बाजाई फिल्म श्री 420 के गीत प्यार हूआ इक़रार हुआ की धून प्रस्तूत है । (पिछले साल इसी तारीख के उपलक्षमें उनकी इसी साझ पर बजाई इसी फिल्म की मेरा जूता है जापानी, गीत की धून प्रस्तूत की थी ।)(एक और बात की विविध भारती से कई साल पहेले सिर्फ़ एक ही बार प्रसारित हुई उनकी विषेष जयमाला में उन के द्वारा बताई गयी बात के आधार पर यह जानकारी देता हूँ की फिल्म दाग़ के तलत महेमूद वाले वर्झन ए मेरे दिल कहीं और चल में उनका हारमोनियम बजा है ।)
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पियुष महेता ।
नानपूरा, सुरत ।
ता.24-03-03.
नमस्कार । आज यानि 24 मार्च के दिन, हारमोनियम, पियानो, युनिवोक्ष, सिंथेसाईझर, मेन्डोलिन औए पियानो एकोर्डियन वादक तथा महेन्द्र कपूरजीकी बतौर पार्श्वगायक, प्रथम फिल्म मदमस्त तथा विद्यापती (लताजी का गाना मेरे नैना जो विविध भारती से समय समय पर प्रसारित होता है )जैसी फिल्मो के संगीत कार स्व. वी बालसारा की पूण्य तिथी पर उनकी हार्मोनियम पर बाजाई फिल्म श्री 420 के गीत प्यार हूआ इक़रार हुआ की धून प्रस्तूत है । (पिछले साल इसी तारीख के उपलक्षमें उनकी इसी साझ पर बजाई इसी फिल्म की मेरा जूता है जापानी, गीत की धून प्रस्तूत की थी ।)(एक और बात की विविध भारती से कई साल पहेले सिर्फ़ एक ही बार प्रसारित हुई उनकी विषेष जयमाला में उन के द्वारा बताई गयी बात के आधार पर यह जानकारी देता हूँ की फिल्म दाग़ के तलत महेमूद वाले वर्झन ए मेरे दिल कहीं और चल में उनका हारमोनियम बजा है ।)
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पियुष महेता ।
नानपूरा, सुरत ।
ता.24-03-03.
Tuesday, April 1, 2008
स्व. वी बलसारा
२४ मार्च के दिन स्व. वी वालसारा, जो यूनिवोक्स, पियानो-एकोर्डियन और पियानो वादक के रूपमें तथा एक संगीतकार के रूपमें (उदाहरण के तौर पर फिल्म करोडपति-मेरे नैना सावन भादों) विविध भारती के माध्यम से जाने पहचाने हुए थे; की पूण्य तिथी थी ।
स्व. बलसारा का प्रिय वाद्य यंत्र हार्मोनियम था और उसे बजाने में आप बडे ही माहिर थे। विविध भारती के पास उनके पुराने विशेष जयमाला की ध्वनि-मूद्रि है। फिल्म दाग में तलत साहब के गीत ऐ मेरे दिल कहीं और चल में उनका बजाया हुआ हार्मोनियम है, जो उन्होंने पैरों से चलने वाली धमण (यह गुजराती शब्द है, पर सागर जी या युनूसजी को अनुरोध है कि इसका हिन्दी बतायें ) ( धमण को हिन्दी में धौंकनी कहा जा सकता है जैसे लुहार आग में हवा करने के लिये काम में लेते हैं- सागर नाहर) वाला दो हाथॊं से बजने वाला हार्मोनियम है। जो पियानो की स्टाईल से बजा है । दूरदर्शन राष्ट्रीय नेटवर्क में कलकत्ता दूरदर्शन द्वारा निर्मीत एक बार उनकी एक या डेढ़ घंटे का साक्षात्कार ग्रेट मास्टर श्रंखला के अंतर्गत प्रस्तुत हुई थी, जिसमें से पता चला था, कि मनोहरी सिंह की तरह वे भी मेंडोलिन बजाते थे, पर बाद में वह छोड़ दिया था ।
एक या दो एल पी उनके वाद्यवृन्द संयोजनमें पाश्च्यात्य संगीत की धूनों पर सितार पर सिंगींग सितार के नाम से प्रस्तूत हुई है, पर इसमें सितार वादक कौन है, वे खुद या अन्य वह स्पष्ट नहीं हुआ लगता है।
एक रेकोर्ड उनका भारत के हरेक प्रांतों के लोक संगीत को प्रस्ततु करती है, जिसमें उन्होंने शायद मेलोडिका नामका मूहसे हवा फूक कर बजाये जाने वाला की बोर्ड, जो उस समयका नया साझ था, बजाया था । कलकत्ता के मशहूर हार्मोनियम वादक स्व. ज्ञ्यान प्रकाश घोष के साथ उन्होंने पियानो पर युगलबंधी करते हुए भी उन्होंने एक भारतीय शास्त्रीय रागो को प्रस्तूत किया है, जिनमें से एक दो मेरे निजी संग्रह में आये है। इधर उनकी हार्मोनियम पर बजाई फिल्म श्री ४२० के गीत मेरा जूता है जापानी प्रस्तूत है ।
यहां मैं एक और बात जोड़ना चाहता हूँ, कि यह धून उन्होंने कुछ: साल पहेले ही प्रस्तूत कि है, जब कि रेडियो श्री लंका से मैंने इस गीत की जो धून उनकी ही हार्मोनियम पर ही सुनी थी, उसमें ताल वाद्य को छोड़ अन्य कोई साझ वाद्यवृन्दमें नहीं थे, उसमें पूरा मेलोडी और मूल गाने में बजने वाला शुरूआती और अन्तराल वाद्यवृन्द संगीत उन्होंने ही हार्मोनियम पर प्रस्तुत किया था, जब कि इस धुन में अन्य साझ हाजिर है। मेरे द्वारा दी गयी पूर्व सूचना अनुसार रेडियो श्री लंका हिन्दी सेवा से श्रीमती पद्दमिनी परेराजी ने उनको श्रद्धांजलि देते हुए उनकी युनिवोक्स पर बजाई धून ठंडी हवाओ में-फिल्म गुमराह से प्रस्तूत कि थी । थोडी तक़नीकी परेशानियों के चलते यह पोस्ट देरी से आयी ।
स्व. बलसारा का प्रिय वाद्य यंत्र हार्मोनियम था और उसे बजाने में आप बडे ही माहिर थे। विविध भारती के पास उनके पुराने विशेष जयमाला की ध्वनि-मूद्रि है। फिल्म दाग में तलत साहब के गीत ऐ मेरे दिल कहीं और चल में उनका बजाया हुआ हार्मोनियम है, जो उन्होंने पैरों से चलने वाली धमण (यह गुजराती शब्द है, पर सागर जी या युनूसजी को अनुरोध है कि इसका हिन्दी बतायें ) ( धमण को हिन्दी में धौंकनी कहा जा सकता है जैसे लुहार आग में हवा करने के लिये काम में लेते हैं- सागर नाहर) वाला दो हाथॊं से बजने वाला हार्मोनियम है। जो पियानो की स्टाईल से बजा है । दूरदर्शन राष्ट्रीय नेटवर्क में कलकत्ता दूरदर्शन द्वारा निर्मीत एक बार उनकी एक या डेढ़ घंटे का साक्षात्कार ग्रेट मास्टर श्रंखला के अंतर्गत प्रस्तुत हुई थी, जिसमें से पता चला था, कि मनोहरी सिंह की तरह वे भी मेंडोलिन बजाते थे, पर बाद में वह छोड़ दिया था ।
एक या दो एल पी उनके वाद्यवृन्द संयोजनमें पाश्च्यात्य संगीत की धूनों पर सितार पर सिंगींग सितार के नाम से प्रस्तूत हुई है, पर इसमें सितार वादक कौन है, वे खुद या अन्य वह स्पष्ट नहीं हुआ लगता है।
एक रेकोर्ड उनका भारत के हरेक प्रांतों के लोक संगीत को प्रस्ततु करती है, जिसमें उन्होंने शायद मेलोडिका नामका मूहसे हवा फूक कर बजाये जाने वाला की बोर्ड, जो उस समयका नया साझ था, बजाया था । कलकत्ता के मशहूर हार्मोनियम वादक स्व. ज्ञ्यान प्रकाश घोष के साथ उन्होंने पियानो पर युगलबंधी करते हुए भी उन्होंने एक भारतीय शास्त्रीय रागो को प्रस्तूत किया है, जिनमें से एक दो मेरे निजी संग्रह में आये है। इधर उनकी हार्मोनियम पर बजाई फिल्म श्री ४२० के गीत मेरा जूता है जापानी प्रस्तूत है ।
यहां मैं एक और बात जोड़ना चाहता हूँ, कि यह धून उन्होंने कुछ: साल पहेले ही प्रस्तूत कि है, जब कि रेडियो श्री लंका से मैंने इस गीत की जो धून उनकी ही हार्मोनियम पर ही सुनी थी, उसमें ताल वाद्य को छोड़ अन्य कोई साझ वाद्यवृन्दमें नहीं थे, उसमें पूरा मेलोडी और मूल गाने में बजने वाला शुरूआती और अन्तराल वाद्यवृन्द संगीत उन्होंने ही हार्मोनियम पर प्रस्तुत किया था, जब कि इस धुन में अन्य साझ हाजिर है। मेरे द्वारा दी गयी पूर्व सूचना अनुसार रेडियो श्री लंका हिन्दी सेवा से श्रीमती पद्दमिनी परेराजी ने उनको श्रद्धांजलि देते हुए उनकी युनिवोक्स पर बजाई धून ठंडी हवाओ में-फिल्म गुमराह से प्रस्तूत कि थी । थोडी तक़नीकी परेशानियों के चलते यह पोस्ट देरी से आयी ।
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