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Sunday, February 15, 2009

श्री हरीश भीमाणीजी को जन्म दिन की बधाई (दि.15 फ़रवारी) और सेक्सोफोन पर एक ही गाने की दो अलग फनकारों की धूने

श्री हरीश भीमाणीजी को जन्म दिन की बधाई । आज बहू आयामी व्यक्तीत्व वाले यानि मशहूर रेडियो प्रसारक, टी.वी एन्कर, अभिनेता, टी.वी. धारावाहिक निर्माता और निर्देषक, विज्ञापन कार, लेखक, तथा स्टेज शो के संचालक श्री हरीश भीमाणीजी का जन्म दिन है । मैंनें उनको सबसे पहेले रेडियो श्री लंका के ग्वालियर सूटिंग द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम के प्रस्तूत-कर्ता के रूपमें सुना था । बादमें मुम्बई दूरदर्शन से प्रसारित हिन्दी समाचार वाचक के रूपमें जब मुम्बई जाता था तब देखा था । लताजी के कई अनगिनत स्टेज शो को उन्होंनें संचालित किया । उनके बारेमें पुस्तक भी लिख़ी । फिल्म प्रेम विवाहमें दूरदर्शन के प्रतिनीधी का पात्र किया । आज कई मोबाईल कम्पनीयोँ के मोबाईल कनेक्सनमें आप उनके द्वारा बोले गये सन्देश हिन्दी, इंग्लीश और गुजरातमें गुजरातीमें भी सुन सकते है । गुजरात के विविध भारती केन्दों पर उनके द्वारा प्रायोजीत (फिल्मो के और अन्य उत्पादनोके) कार्यक्रम गुजरातीमें भी आते रहे है । महाभारत के समय को हम कैसे भूल सकते है ? दिस्कवरी और नेशनल ज्योग्राफीक जैसे चेनल्स पर हिन्दी वोईस ओवर भी उनके आते रहे है । आज भी टी वी परदे पर सीधे आने को बाद करके करीब हर प्रकार के व्यावसायिक काममें वे अति व्यस्त है । दूरदर्शन के राष्ट्रीय प्रसारणमें भी उन्होंने केझ्यूल समाचार वाचक के रूपमें कभी कभी अपने को प्रस्तूत किया था । इस तरह वे गुजराती, हिन्दी और इंग्रेजी तीनों भाषामें प्रस्तूत-कर्ता रहे । हालाकि वे मूल रूपसे तो रासायणिक अभियंता है । वे बहोत मशरूफ़ होने के कारण अपने चाहको से ज्यादा नहीं मिल पाते, फ़िर भी अगर उनसे रूबरू मिलना नसीब हुआ तो श्री अमीन सायानी साहब और श्री रिपूसूदन कूमार ऐलावादीजी की तरह अगर वे राज़ी हुए तो उनसे की गयी बात चीत का दृष्यांकन इस मंच पर प्रस्तूत करने में मूझे खुशी होगी । रेडियोनामा के पूरे दल की और से उनको जन्मदिन की और स्वस्थ जीवन की शुभ: कामना ।
पियुष महेता ।
सुरत ।

साथ सुनिये सेक्सोफोन पर फिल्म 'काला बाझार' के गीत की दो धूने :
प्रथम धून महेन्द्र कबीर की बजाई हुई है ।
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और अब यही धून सेक्सोफोन पर ही सुरेश यादव की बजाई सुनिये जो आप विविध भारती से भी कभी सुन चूके है, जिसको थोडा डिस्को स्पर्श दिया गया है, जिसमें अंतराल संगीतमें एकोर्डियन श्री एनोक डेनियेल्स साहब का है ।
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5 comments:

दिलीप कवठेकर said...

हरीश भिमानी की आवाज़ में जो गहराई थी उसके साथ एक खनक थी जो उसे श्राव्य बना देती थी.

हमारे यहां भी एक ऐसे ही गुणी कलाकार है, जिनकी आवाज़ में ये तो सभी गुण हैं ही, मगर एक आत्मीयता भी है.

खोया खोया चांद गाना मेरी पसंद का है, सुनवाने का धन्यवाद.पहली धुन में समा बन गया, क्योंकि वह अंतरमन में बसी हुई है, इतने समय से.

मगर दूसरी धुन भी प्रयोगधर्मिता की जगह पर अच्छी है, लेकिन इसके डिस्को स्पर्श की वजह से मन पहली बार नहीं जुड पाया, एक दो बार सुनने के बाद भला लगेगा ये सम्भव है.

ऐसी ही धुने सुनाते रहें.

दिलीप कवठेकर said...

मैं उस गुणी कलाकार का नाम लिखना भूल ही गया.... जो एंकरिंग के साथ साथ एक बढिया लेखक भी है.

विष्णु बैरागी said...

भिमानीजी की चर्चा एक पूरे युग की याद दिला देती है।
काला बाजार का यह गीत मेरे प्रिय गीतों में अग्रणी है। इसे सुनने के बाद देर तक इसकी गिरफ्त से बाहर आ पाना मुमकिन नहीं होता।
पहली वाली धुन ही बेहतर है।

इस सबके लिए आपको धन्‍यवाद।

चलते चलते said...

महाभारत का मैं समय हूं..हरीश भिमाणी...उन्‍हें कौन भूल सकता है। जन्‍म दिन की बधाई। आपने बेहतर धुनें सुनाईं इसके लिए आपको भी बधाई।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

हरीश भाई को जन्म दिन की बधाई - उनकी पत्नी सँध्या मेरी गुजराती स्कुल प्युलिल्स ओन हाई स्कुल की छात्रा हैँ वे मुझसे जुनियर थीँ धुनेँ भी बढिया लगीँ पियूष भाई ...Thanx !
- लावण्या

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