सबसे नए तीन पन्ने :

Thursday, September 24, 2009

प्यार-मोहब्बत के गानों की दुपहरियों की साप्ताहिकी 24-9-09

विविध भारती का नाम लेने से दिमाग़ में एक ही बात आती है - फ़िल्मी गाने।

समाज में कुछ लोगो को तो यहाँ तक कहते सुना है कि दुनिया में चाहे कुछ हो जाए विविध भारती से तो बस चौबीसों घण्टे प्यार-मोहब्बत के गाने ही बजते रहते है। वैसे फ़िल्मी गानों के अलावा विभिन्न तरह के कार्यक्रम भी प्रसारित होते है जिनमें सेहतनामा जैसे कार्यक्रम भी शामिल है पर विविध भारती अपने स्वभाव के अनुसार इसमें भी फ़िल्मी गीत शामिल कर ही लेती है।

दोपहर के प्रसारण की बात करें तो इस समय मुख्य रूप से फ़रमाइशी फ़िल्मी गानों के ही कार्यक्रम प्रसारित होते है। एक-एक घण्टे के दो कार्यक्रम जिसके बीच आधे घ्ण्टे का शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम होता है।

सुबह के प्रसारण में त्रिवेणी कार्यक्रम के बाद क्षेत्रीय प्रसारण तेलुगु भाषा में शुरू हो जाता है फिर हम दोपहर 12 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुडते है। कभी-कभार एकाध मिनट देर से जुड़ते है इसीसे आरंभिक बातें छूट जाती है। रविवार को क्षेत्रीय प्रायोजित कार्यक्रम के कारण 12:30 बजे से जुड़ते है।

दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम में शुरूवात में 10 फ़िल्मों के नाम बता दिए जाते है फिर बताया जाता है एस एम एस करने का तरीका। पहला गीत उदघोषक खुद की पसन्द का सुनवाते है ताकि तब तक संदेश आ सके। फिर शुरू होता है संदेशों का सिलसिला। संदेश 12:50 तक ही करने के लिए कहा गया क्योंकि उसके बाद के संदेश शामिल नहीं किए जा सकते।

शुक्रवार को मंजू द्विवेदी जी साठ के दशक से अस्सी के दशक की फ़िल्में लेकर आई - अंदाज़, सच्चाई, दयावान, डार्लिंग-डार्लिंग, देस-परदेस, जीवा, धनवान, फ़रिश्ता, मनपसन्द, हरजाई। शनिवार को निम्मी (मिश्रा) जी लाई नई फ़िल्में - भूलभुलैया, फ़ना, दिल चाहता है, जब वी मेट, ज़ुबेदा, दस, चमेली, मैं ऐसा ही हूँ, नमस्ते लन्दन, ब्लैक एन्ड व्हाइट। रविवार को कुछ पुरानी फ़िल्में लेकर आए नन्द किशोर पाण्डेय जी - तेरे मेरे सपने, बावर्ची, गुड्डी, बीवी और मकान और बहुत दिन बाद श्रोताओं के अनुरोध पर सुनवाया गया नौकर फिल्म का यह गीत -

पल्लो लटको ओ म्हारो पल्लो लटके

सोमवार को इन पुरानी फ़िल्मों के साथ रेणु (बंसल) जी आई - जहांआरा, बरसात की रात, तराना, पाकीज़ा, शबनम, वल्लाह क्य बात है, मल्हार, बसन्त बहार, शादी, आह। इस दिन ईद का माहौल बना, कुछ ऐसे ही गीतों को सुनवाने के लिए श्रोताओं से संदेश आए जैसे -

मुझे मिल गया बहाना तेरी दीद का
कैसी ख़ुशी लेके आया चांद ईद का

मंगलवार को नई फ़िल्में रही - वीर-ज़ारा, धडकन, हम तुम, फ़िजा, सोलजर, कहो न प्यार है, मिशन काश्मीर, करीब। बुधवार को रेशमा और शेरा जैसी साठ सत्तर के दशक की बेहतरीन फ़िल्मों के साथ आए अशोक (सोनावणे) जी। इस दिन 12:15 से क्षेत्रीय प्रायोजित कार्यक्रम प्रसारित हुआ फिर 12:30 बजे से हम केन्द्रीय सेवा से जुड़े। गुरूवार को नई फ़िल्मों के साथ आए कमल (शर्मा) जी, फ़िल्में रही - चेक दे इंडिया, देवदास, लगान, कृष, बंटी और बबली, सपने, अजनबी, रेफ़्यूजी

प्राप्त संदेशों के आधार पर अधिकतर लोकप्रिय रोमांटिक गीत सुनवाए गए जैसे शुक्रवार को सच्चाई फ़िल्म का यह गीत शामिल था -

सौ बरस की ज़िन्दगी से अच्छे है
प्यार के दो चार दिन

एकाध गीत अलग रहा जैसे गुरूवार को चेक दे इंडिया फ़िल्म का शीर्षक गीत उपदेशात्मक था।

आधा कार्यक्रम समाप्त होने के बाद फिर से बची हुई फ़िल्मों के नाम बता दिए जाते है और फिर से बताया जाता है एस एम एस करने का तरीका। एक घण्टे के इस कार्यक्रम के अंत में अगले दिन की 10 फ़िल्मों के नाम बताए जाते है।

इस तरह सप्ताह भर पुराने पचास के दशक से लेकर आज के दौर की फ़िल्में शामिल रही यानि हर उमर के श्रोता के लिए रहा यह कार्यक्रम। अधिकतर संदेश लोकप्रिय गीतों के लिए आए इसीसे इन फ़िल्मों के कम लोकप्रिय गीत सुनवाए नहीं जा सके।

हर गाने के लिए औसत 5-7 संदेश आए और संदेश के साथ कहीं 1-2 नाम थे तो अधिक से अधिक 5-8 नाम भी थे। सप्ताह भर इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया विजय दीपक छिब्बर जी ने। तकनीकी सहयोग रहा अशोक माहुलकर, सुमति शिंघाडे, प्रदीप शिन्दे, नि्खिल धामापुरकर, साइमन परेरा और तेजेश्री शेट्टी का।

1:00 बजे शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम अनुरंजनि में शुक्रवार को सुनवाया गया सविता देवी का ठुमरी गायन जिसके बाद राधिका मोइत्रा और कल्याणी राय की सरोद और सितार पर राग भैरव में जुगलबन्दी। शनिवार को नूरजहाँ का उप शास्त्रीय गायन और प्रतिमा देवी का सितार वादन सुनवाया गया। रविवार को भस्वराज राजगुरू का गायन सुनवाया गया, सुर मल्हार में दो बंदिशे सुनवाई गई -

बदरवा बरसन को आस

सजन बिन आस निरास भई

सोमवार को बी वी पलोसकर का गायन और रघुनाथ सेठ का बांसुरी वादन सुनवाया गया। बुधवार को विदुषी पद्मावती शालीग्राम का गायन और चन्द्रशेखर नार्लिंगकर का सुर बहार वादन सुनवाया गया। गुरूवार को विदुषी किशोरी अमोलकर और डा मंगलपल्ली बालमुरली कृष्णा के गायन की जुगलबन्दी सुनवाई गई।
राग पूर्या धनाश्री में बोल थे - कैसे दिन कटे

रविवार और गुरूवार को केवल गायन सुनने में ही अधिक आनंद आया और हर दिन गायन और वादन दोनों सुनवाए गए। सप्ताह भर बढिया संयोजन रहा - एक वादन और एक गायन की जुगलबन्दी रही, शास्त्रीय गायन के साथ उप शास्त्रीय गायन भी सुनवाया गया और सरोद, सितार, बांसुरी सुनने का आनन्द भी मिला।

1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम प्रसारित हुआ जो प्रायोजित था। इस कार्यक्रम और अन्य कार्यक्रमों के केवल प्रायोजक के विज्ञापन ही प्रसारित हुए। पत्रों पर आधारित फ़रमाइशी गीतों में शुक्रवार को कुछ कम लोकप्रिय और कुछ नए गीत सुनवाए गए जैसे इन फ़िल्मों से - हीर रांझा, दो दिलो की दास्तान, तेरा जादू चल गया, दिल से, धड़कन। एकाध लोकप्रिय गीत भी सुना -

हर पल हर पल कैसा कटेगा हर पल

अन्य दिनों में फ़रमाइश के अनुसार लोकप्रिय गीत अधिक सुनवाए गए। लगता है श्रोता लोकप्रिय गीत ही अधिक सुनना चाहते है।

शनिवार को सत्तर अस्सी के दशक की लोकप्रिय फ़िल्मों जैसे अब्दुल्ला, शोर, ड्रीम गर्ल, सत्ते पे सत्ता, बातो बातों में के लोकप्रिय गीत सुनवाए गए। अंतिम दौर में एक-दो नए गीत भी सुनवाए गए। रविवार को फरमाइश से अस्सी के दशक के गीत अधिक चुने गए एक-दो नए गीतों के साथ - थोड़ी सी बेवफाई, स्वयंवर, एक बार फिर, विरासत, कृष, हलचल, बरसात की एक रात। सोमवार को नई फ़िल्मों के गीत सुनवाने के लिए पत्र चुने गए जिनमें से आरंभ में कुछ अस्सी के दशक की फ़िल्में भी थी - स्वर्ग-नरक, एक दूजे के लिए, जब वी मेट, अपने, जैकपाट, वि्वाह, कुछ कुछ होता है। मंगलवार को अधिकतर अस्सी के दशक के गीत शामिल रहे - क्रान्ति, लवस्टोरी, नसीब, काला पत्थर फ़िल्मों से, एकाध नई फ़िल्म जैसे - मुझसे शादी करोगी के गीत भी सुनवाए गए।

बुधवार और गुरूवार को श्रोताओं के ई-मेल से प्राप्त संदेशों पर फ़रमाइशी गीत सुनवाए गए। अच्छा लगा कि ई-मेल से संदेश भेजने वा्लों ने लगभग हर दशक की फ़िल्मों के गीत सुनने के लिए भी संदेश भेजे जैसे - संजोग, चौदहवीं का चांद, प्यार का मौसम, पगला कहीं का, राम तेरी गंगा मैली, बार्डर, नई फ़िल्में भी शामिल रही - अनवर, रब ने बना दी जोड़ी, ओंकारा

बहुत सुने जाने वाले गीतों के साथ कुछ ऐसे गीतों के लिए भी ई-मेल आए जो कम ही सुनवाए जाते है जैसे इजाज़त फ़िल्म का गीत -

ख़ाली हाथ शाम आई है

बुधवार को पुराने गीत अधिक सुनवाए गए और गुरूवार को नए गाने अधिक रहे।

ई-मेल की संख्या कम ही रही। अधिकतर गीत तो एक ही ई-मेल पर सुनवाए गए जबकि अन्य दिन हर गीत के लिए देश के दूरदराज से औसत 5-6 फ़रमाइशी पत्र और हर पत्र में नामों की लम्बी सूची रही जैसा कि बरसो से विविध भारती पर सुनते आ रहे है।

इस तरह पत्रों और ई-मेल संदेशों, दोनों से ही प्राप्त नई पुरानी फ़िल्मों के गीतों के अनुरोध पर सप्ताह भर मिले-जुले गीत सुनवाए गए जिनमें ज्यादातर गीत रोंमांटिक ही रहे। नवरात्रि और ईद के इस सप्ताह में शनिवार को प्यार-मोहब्बत के गाने ही बजते रहे पता ही नहीं चला की इस दिन से नवरात्री शुरू हुई है और ईद के गीत तो 12 बजे के कार्यक्रम में एस एम एस के संदेशों पर ही सुनने को मिले, मन चाहे गीत में कोई पत्र ईद के किसी गीत की फ़रमाइश के लिए नहीं आया।

3 अक्तूबर विविध भारती के जन्मदिन का रंग भी नज़र आया। विविध भारती का गीत भी सुनवाया गया - मैं हूँ विविध भारती। एक विशेष संदेश भी बताया गया कि इस दिन विशेष मन चाहे गीत प्रसारित होगा जिसके लिए श्रोता अपने जीवन की किसी विशेष घटना के साथ अपनी पसन्द के गीत के लिए संदेश भेज सकते है। एक और विशेष कार्यक्रम के बारे में बताया गया जिसे इस दिन 12 से 1:30 बजे तक अलका याज्ञिक और कुमार सानू प्रस्तुत करेंगे, अगर इन दोनों गायकों से श्रोता कुछ पूछना चाहते है तो 22 तारीख़ तक ई-मेल भेजने के लिए कहा गया।

मन चाहे गीत की समाप्ति पर 2:30 बजे से आधे घण्टे के लिए क्षेत्रीय प्रसारण होता है जिसमें मन चाहे गीत की ही तरह तेलुगु फ़िल्मों के फ़रमाइशी गीतों का कार्यक्रम जनरंजनि शीर्षक से प्रसारित होता है जिसके बाद केन्द्रीय सेवा के दोपहर बाद के प्रसारण के लिए हम 3 बजे से जुड़ते है।

No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।

अपनी राय दें