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Friday, November 6, 2009

दोपहर बाद के जानकारीपूर्ण कार्यक्रमों की साप्ताहिकी 5-11-09

दोपहर में 2:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम की समाप्ति के बाद आधे घण्टे के लिए क्षेत्रीय प्रसारण होता है जिसके बाद केन्द्रीय सेवा के दोपहर बाद के प्रसारण के लिए हम 3 बजे से जुड़ते है।

3 बजे सखि सहेली कार्यक्रम में शुक्रवार को हैलो सहेली कार्यक्रम में फोन पर सखियों से बातचीत की शहनाज (अख़्तरी) जी ने। कार्यक्रम शुरू हुआ, पहला फोनकाल फिर दूसरा तो लगा बालदिवस आ गया, पर इस दिन से तो नवम्बर शुरू भी नहीं हुआ था… छोटी सखियों के फोन से शुरूवात हुई, लगता है बड़ी सखियाँ कार्यक्रम से बोर हो गई ख़ैर… वैसे इस बार छोटी सखियों के फोन ही अधिक आए जिससे विविध जानकारियाँ नही मिल पाई। छात्राओं ने अपनी पढाई के बारे में बताया और अपने सिलाई कढाई के शौक के बारे में बताया। एक सखि ने बताया ज्यादा विषय पसन्द नहीं है आगे भी ज्यादा पढना नहीं चाहती। इससे अधिक बात करना उनके लिए कठिन भी होता है। परिपक्व उमर की सखियों की बातचीत से उस क्षेत्र की जानकारी मिलती है। कुछ कम शिक्षित घरेलु महिलाओं ने भी बात की। विविध भारती के कार्यक्रम पसन्द करने की भी बात की। सखियों की बातचीत से पता चला श्रीनगर का मौसम आजकल अच्छा है पर इस समय वहाँ सैलानी अधिक नहीं है। अलवर बिहार का गाँव है जहाँ आजकल धान की खेती हो रही है। इस बार भी विभिन्न स्थानों से फोनकाल आए जैसे जौनपुर जिला उत्तर प्रदेश, श्रीनगर, बिहार - अलवर, गोकुलपुरा - उदयपुर - राजस्थान।

कुच सखियों ने पुरानी फ़िल्मों के गीतों की फ़रमाइश की जैसे -

दिल का खिलौना हाय टूट गया

और छोटी सखियों ने नई फ़िल्मों के गीत पसन्द किए जैसे ओम शान्ति ओम।

इस बार का कार्यक्रम सुनकर लगा कि इसका शीर्षक हैलो सहेली नहीं बल्कि हैलो बेबी हाय बेबी होना चहिए था।

सोमवार को पधारे सुनीता (पाण्डेय) जी और निम्मी (मिश्रा) जी। यह दिन रसोई का होता है और यह बात सखियों ने बहुत याद से याद रखी। यहाँ हम एक बात कहना चाहेंगे कि कोई भी दिन सिर्फ़ दिन या कोई वार (जैसे सोम, मंगल) नहीं होता उसके अलावा कभी-कभी कुछ और भी होता है। सोमवार को रसोई की बातें जोर-शोर से बताई गई। पौष्टिकता और खाद्य पदार्थों में मिलावट की बातें करते-करते खेतों तक पहुँच गई। मौसम के अनुसार आँवले का मुरब्बा, चूर्ण बनाना बताया। सखियों के पत्र भी ऐसे ही रहे, हरियाणा की सखि ने पशुपालन को बढावा देने की बात की और दूध, दही से पनीर तक बात हुई और पनीर के व्यंजन भी बताए। बात सिर्फ़ यहीं तक नहीं है, आँवले की बात करते हुए आँवला नवमी के पूजन की भी चर्चा हो गई फिर भी याद नहीं आया कि उस दिन कार्तिक पूर्णिमा थी, गुरू नानक जयन्ती थी जिसे प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता है। गुरू नानक जी की कितनी शिक्षाप्रद बातें है, अगर एकाध ज्ञान की बात से कार्यक्रम शुरू होता तो, लेकिन हाय रे पेट ! सच कहा गया है - भूखे पेट भजन न होए गोपाला…

सखियों की पसन्द पर इस दिन पुराने गीत सुनवाए गए जिनमें से कुछ बहुत ही कम सुने गीत सुनकर अच्छा लगा जैसे दुनिया न माने फ़िल्म का शीर्षक गीत -

हो सकता है काँटों से भी फूल की ख़ुशबू आए
दुनिया न माने

कुछ लोकप्रिय गीत भी शामिल रहे - वो चाँद जहाँ खो जाए

मंगलवार को पधारी सखियां शहनाज़ (अख़्तरी) जी और सुनीता (पाण्डेय) जी। इस दिन करिअर की बात होती है। शुरूवात में बताया गया कि घर में तनाव न होने और सकारात्मक माहौल होने से जीवन में आगे बढने में सहायता मिलती है। श्रोता सखि के पत्र के आधार पर सेना में महिलाओं के करिअर बनाने की जानकारी दी गई। इस दिन हमेशा की तरह सखियो के अनुरोध पर गाने नए ही सुनवाए गए जैसे कल हो न हो, जब वी मेट, दस और उमराव जान फ़िल्म का यह गीत -

अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो

बुधवार को सखियाँ पधारीं - शहनाज़ (अख़्तरी) जी और सुधा जी। इस दिन स्वास्थ्य और सौन्दर्य संबंधी सलाह दी जाती है्। इस बार फूलों से इत्र बनाने का प्राचीन समय का तरीका बताया गया जो शायद सभी लोग नहीं जानते इसीलिए अच्छा लगा। इसके अलावा ऐसी बातें बताई गई जो गाँव शहर की सभी महिलाएँ जानती है जैसे हरी सब्जियाँ खानी चाहिए, हद तो तब हो गई जब अंत में कहा गया कि पैरों में मोजे पहनने चाहिए। वैसे बहुत अधिक बोला गया जिनमें इत्र को छोड़ कर बाकी बातें कहना, लगा कि अनावश्यक रूप से विभिन्न कोणों से विषय को विस्तार दिया जा रहा है।

इस दिन सखियों के अनुरोध पर कुछ पुराने समय के गाने सुनवाए गए - आँधी, अभिलाषा और बदलते रिश्ते फ़िल्म का यह गीत -

मेरी साँसों को जो महका रही है
पहले प्यार की ख़ुशबू
तेरी साँसों से शायद आ रही है

गुरूवार को भी पधारीं रेणु (बंसल) जी और सुधा जी। इस दिन सबसे पहले राष्ट्रमंडल खेलों की मशाल आगे बढाने की ख़बर सुनाई गई। इस दिन सफल महिलाओं के बारे में बताया जाता है। इस बार नोबुल शान्ति पुरस्कार प्राप्त स्वीडन की अल्वा मिडाइल के बारे में बताया गया जो समाज सेविका थी।

सखियों की पसन्द पर मिले-जुले गीत सुनवाए गए जैसे मेरे हमसफ़र, आपकी कसम, गोलमाल, नमक हलाल, कामचोर और ज़मीर फ़िल्म का गीत -

ज़िन्दगी हंसने गाने के लिए है पल दो पल

हर दिन श्रोता सखियों के पत्र पढे गए। कुछ पत्रों में कार्य्रक्रमों में कार्यक्रमों की तारीफ़ थी, कुछ पत्रों में सखियों ने विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार भी बताए और कुछ ने अच्छी जानकारी भी दी जैसे पर्यावरण को प्रदूषित न करने के लिए बिना पटाखों के मनाई गई दीवाली का समाचार। इस कार्यक्रम की दो परिचय धुनें सुनवाई गई - एक तो रोज़ सुनी और एक विशेष धुन हैलो सहेली की शुक्रवार को सुनी।

इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया वीणा (राय सिंघानी) जी, कल्पना (शेट्टी) जी, कमलेश (पाठक) जी ने प्रदीप शिन्दे जी के तकनीकी सहयोग से।

सदाबहार नग़में कार्यक्रम में गीत तो सदाबहार थे साथ ही विविधता भी रही। शनिवार को संगीतकार सचिन देव बर्मन को उनकी पुण्यतिथि पर याद करते हुए उनके सदाबहार गीत सुनवाए। उनके निर्देशन में विभिन्न मूड के और विभिन्न गायकों के गाए गीत सुनवाए गए जैसे हेमन्त कुमार, आशा जी और रफ़ी साहब का गाया फ़िल्म बेनज़ीर का यह रोमांटिक गीत -

दिल में एक जाने तमन्ना ने जगह पाई है
आज गुलशन में नहीं घर में बहार आई है

टैक्सी ड्राइवर फ़िल्म का किशोर कुमार का गाया यह मस्ती भरा गीत -

चाहे कोई खुश हो चाहे गालियाँ हज़ार दे
मस्त राम बनकर ज़िन्दगी के दिन गुज़ार दे

काग़ज़ के फूल फ़िल्म का गाया यह उदास गीत -

वक़्त ने किया क्या हसीं सितम

और समापन किया उन्ही के गाए सुजाता फ़िल्म के गीत से - सुन मेरे बन्धु रे

इन फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए - तेरे घर के सामने, जाल, तीन देवियाँ, लाजवन्ती, चलती का नाम गाड़ी। प्रस्तुति भी अच्छी थी।

और रविवार को भी विभिन्न मूड के सदाबहार गीत सुनवाए गए - मैं सुहागन हूँ, चन्द्रकान्ता, देवदास, एक रात, नीला आकाश और नागिन फिल्म का यह गीत -

मेरा दिल ये पुकारे आजा

इस सप्ताह इस कार्यक्रम में प्रायोजकों के विज्ञापन भी प्रसारित हुए।

3:30 बजे नाट्य तरंग में शनिवार को लक्ष्मी देवी का लिखा नाटक सुनवाया गया - सदियों पहले जिसके निर्देशक है- गंगा प्रसाद माथुर। शेरगढ के ग़ुलाम हैदर शाह और उनकी बेगम गुल बेगम की कहानी थी। प्राचीन समय की सत्ता को लेकर राजघरानों के राज और षडयंत्रो की कहानी थी। रविवार को हरीश थापलिवाल का लिखा नाटक सुनवाया गया - श्रीमान टोपीबाज जिसके निर्देशक है अनूप सेठी। जैसे की नाम से ही पता चलता है झूठ बोलना, हेरा फेरी करना बताया गया और वैसे इससे मनोरंजन हुआ।

शाम 4 से 5 बजे तक सुनवाया जाता है पिटारा कार्यक्रम जिसकी अपनी परिचय धुन है।

शुक्रवार को सुना कार्यक्रम पिटारे में पिटारा जिसमें कुछ चुने हुए कार्यक्रमों का दुबारा प्रसारण होता है। इस बार 3 अक्तूबर यानि विविध भारती का जन्मदिन और साथ ही स्वर्ण जयन्ती छायी रही। स्वर्ण जयन्ती के दौरान प्रसारित विशेष कार्यक्रम सुहाना सफ़र याद किया गया, उसकी परिचय धुन के साथ। संगीतकार शंकर जयकिशन के गीतों पर आधारित कार्यक्रम की झलक सुनवाई गई। लोकधुनों पर आधारित फ़िल्मी गीतों के कार्यक्रम की भी झलक मिली जिसमें शामिल रहा यह गीत -

घूँघट नहीं खोलूँगी सैंय्या तोरे आगे

फोन-इन-कार्यक्रम में रेणु (बंसल) जी द्वारा श्रोताओं से की गई बातचीत के अंश भी सुनने को मिले।

रविवार को यूथ एक्सप्रेस लेकर आए युनूस खान जी। इसकी परिचय धुन बदली सी लगी। पूरा कार्यक्रम जानकारियों का पुलिंदा था। सबसे अच्छी जानकारी थी कि इंटरनेट पर अब हिन्दी समेत अन्य भाषाओ में भी डोमेन नाम दिए जा सकेगें। कार्टूनिस्ट और व्यंग्यकार आबिद सुरती के बारे में यह बताया गया कि आजकल वो पानी बचाओ अभियान चला रहे है और नलाकारियो (प्लंबर) को साथ लेकर बहते नालो को दुरूस्त करवाते है। आस्ट्रेलिया से ख़बर कि वहां बिजली की बचत और पर्यावरण पर अच्छे असर के लिए सप्ताह में एक दिन रेल नही चलती। साथ ही विभिन्न सर्वेक्षणो की जानकारियाँ कि सिगरेट पीने वाले के सामने खड़े होने वाले पर भी इसका असर पङता है, सेल फोन के अधिक उपयोग से ब्रेन ट्यूमर का खतरा है, इसके अलावा रामचंद्र मिश्र की वार्ता का विषय - शीतल पेय से नुकसान - यह सभी जानकारियाँ युनूस जी पुरानी है। ब्रेन स्ट्रोक दिवस की भी जानकारी दी गई और हमेशा की तरह विभिन्न पाठ्यक्रमो की सूचना भी दी। इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया विजय दीपक छिब्बर जी ने।

सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में मधुमेह और हृदय रोग विषय पर डा प्रफ़्फ़ुल पटेल से निम्मी (मिश्रा) जी की बातचीत सुनवाई गई। बताया कि मधुमेह अनुवांशिक होता है। कठिनाई यह है कि इसके लक्षण नहीं दिखने से अन्य लोगों में रोग का पता नहीं चलता। ब्लड शुगर की जाँच करवाने से पता चलता है। मोटापे से इस रोग को ख़तरा है। जीवन शैली के कारण गाँव की महिलाओं में कम और शहर की महिलाओं में इस रोग का ख़तरा अधिक रहता है। इंसुलिन के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी। इस रोग के विभिन्न स्तर भी समझा कर बताए गए।

बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में चरित्र अभिनेता लिलिपुट से निम्मी (मिश्रा) जी की बातचीत प्रसारित हुई। उनको पर्दे पर देख कर जो आनन्द आता है वही आनन्द बातचीत से आया। पूरी बातचीत अच्छी रही जिसमें जीवन के आरंभिक समय यानि बचपन और शिक्षा की बात बताई जो गया शहर में हुई। अच्छा लगा कि उस दोस्त को याद किया जिसकी सहायता से मुंबई पहुँचे इस क्षेत्र में क़दम रखने। खुल कर बताया अभिनय यात्रा को, संवाद की शैली में। सबसे बड़ी बात रही असली नाम जानना जो मोहम्मद मिस्बाउद्दीन फ़ारूकी है और लिलिपुट नाम ख़ुद ही रख लिया मुंबई आते समय रेलवे के रिज़र्वेशन में। यह सुन कर बड़ा अच्छा लगा कि अभिनय के साथ-साथ गायक भी है। निम्मी जी के अनुरोध पर गाकर सुनाई यह पंक्तिया -

तुम्हारी ज़ुल्फ़ के साए में शाम कर लूँगा

एक बेहतरीन कलाकार के बारे में अधिक जानने का मौका मिला इस कार्यक्रम से। प्रस्तुति कल्पना (शेट्टी) जी की रही।

हैलो फ़रमाइश कार्यक्रम में शनिवार को श्रोताओं से फोन पर बात की युनूस खान जी ने। श्रोताओ से इतनी सहज बातचीत हुई की लगा आमने-सामने बैठ कर ही बात हो रही है। कुछ श्रोताओं ने अच्छी विस्तार से बात की, एक श्रोता ने अपने कांच लकडी के काम को विस्तार से बताया जिससे जानकारी अच्छी मिली और थोडा ज्ञान भी बढा। कुछ श्रोताओ ने बहुत ही कम बात की। नए पुराने गानों के लिए अनुरोध किया, सुहाग रात फिल्म का गीत -

अरे ओ रे धरती की तरह हर दुःख सह ले

पडोसन का गीत - सामने वाली खिड़की में एक चाँद का टुकडा रहता है

और मुझसे शादी करोगी जैसी नई फिल्मों के गीत सुनवाए गए।

मंगलवार को फोन पर श्रोताओं से बातचीत की निम्मी (मिश्रा) जी ने। कुछ श्रोताओं ने बहुत ही कम बात की। कुछ श्रोताओं ने अपने स्थान के बारे में बताया जैसे झाँसी से बताया गया कि वहाँ एक मन्दिर में राजा के रूप में है राम। इस दिन बातचीत में अधिक आनन्द नहीं आया पर जिन गीतों का अनुरोध किया गया उन्हें सुन कर बहुत आनन्द आया -

मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू (फ़िल्म आराधना)

फ़िल्म अवतार का भजन - चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है

एक श्रोता ने फ़िल्म एक फूल दो माली का यह गीत अपने भैय्या-भाभी को उनके पुत्र-रत्न के जन्म पर समर्पित किया -

तुझे सूरज कहूँ या चन्दा

इस तरह कुछ संवेदनशील बातें भी हुई।

और गुरूवार को श्रोताओं से फोन पर बातचीत की शहनाज़ (अख़्तरी) जी ने। अन्य दिनों की तरह इस दिन भी कुछ श्रोताओं ने बातचीत खुल कर की पर कुछ श्रोताओं ने बहुत ही कम बात की। एक श्रोता ने बताया कि अंधेरी शहर पहले कैसा था और अब कैसा है, अल्मोड़ा के बारे में बताया गया कि वहाँ फूलों के बाग़ बहुत है, छत्तीसगढ से बात हुई और भी कई शहरों से फोन आए। बातचीत के साथ नए-पुराने गानों की फ़रमाइश की जैसे लव स्टोरी फिल्म से यह गीत -

याद आ रही है तेरी याद आ रही है

एक बात पर मेरा ध्यान गया कि छत्रों खासकर नवीं दसवीं के छात्रों से अधिक बात नहीं की गई जबकि की जानी चाहिए थी, पता तो चलता कि विभिन्न मुद्दों पर आने वाली पीढी क्या सोचती है जैसे पहले कैरिअर शिक्षा-नौकरी से ही बनता था अब तो और भी रास्ते है, ऐसी बहुत सी परिवर्तन की बातें है।

इस कार्यक्रम को सुभाष जी, प्रदीप शिन्दे जी, जयंत महाजन जी के सहयोग से महादेव (जगदल) जी ने प्रस्तुत किया।

हैलो सहेली और हैलो फरमाइश के तीनो दिन के प्रसारण के अंत में रिकार्डिंग का दिन और फोन नंबर बताए गए।

हैलो फ़रमाइश, यूथ एक्सप्रेस और आज के मेहमान कार्यक्रमों की अपनी परिचय धुन भी बजाई गई।

5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के दिल्ली से प्रसारित होने वाले बुलेटिन के बाद प्रसारित हुआ नई फ़िल्मों का कार्यक्रम - फ़िल्मी हंगामा जो पूरी तरह व्यावसायिक स्तर का रहा। शुरू में 15 मिनट रिलीज़ होने वाली फ़िल्मों के विज्ञापन प्रसारित हुए। अंत के 15 मिनट में नई फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए साथ में विज्ञापन भी प्रसारित हुए। इस कार्यक्रम में सिर्फ हंगामा ही नही रहा बल्कि संजीदा गीत भी शामिल रहे।

शुक्रवार को दोस्ताना, बचना ऐ हसीनों के साथ दशावतार फ़िल्म का के के की आवाज़ में यह भक्ति सुन कर सुखद आश्चर्य हुआ -

श्री राम जय राम जय जय राम

ऐसे हंगामेदार कार्यक्रम में यह भजन, वैसे लम्बे समय के बाद शायद किसी फ़िल्म में भजन रखा गया है।

शनिवार के गीत अच्छे थे। विक्टोरिया नंबर 203 फिल्म का गीत जो इसके पुराने संस्करण के गीत जैसा ही था - दो बेचारे बिना सहारे

दलेर मेहदी का हैलो फिल्म से हंगामेदार गीत था और सबसे अच्छा लगा खोया खोया चाँद फिल्म से श्रेया घोषाल का गाया गीत जो पुरानी गजलो की याद दिला गया - चले आओ सैय्या

रविवार को भी हैलो फिल्म का गीत सुनवाया गया लेकिन गीत अलग था। इसके अलावा बाम्बे टू गोआ और ढूँढते रह जाओगे का यह गीत सुनवाया गया - आँखे है तेरे सपने

सोमवार को भी हंगामेदार गीत शामिल रहे। मंगलवार को जहाँ भी जाएगा हमें पाएगा फ़िल्म के इस गीत -

नज़रों को कोई शिकार चाहिए

के साथ पिछले समय की फ़िल्म अक्सर का गीत भी सुनवाया गया।

बुधवार को आने वाली फ़िल्म 42 किलोमीटर्स के साथ लकी फ़िल्म का धमाकेदार गीत भी शामिल था - नच ले, और यह संजीदा गीत भी -

कहने को जश्ने बहारा

ऐसा ही एक रोमांटिक गीत अन्य गीतों के साथ गुरूवार को भी सुना -

प्यार दीवाना होता है

शाम 5:30 बजे फ़िल्मी हंगामा कार्यक्रम के बाद क्षेत्रीय प्रसारण शुरू हो जाता है जिसके बाद दुबारा हम 7 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुड़ते है।

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