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Friday, July 17, 2009

साप्ताहिकी 16-7-09

सुबह 6 बजे समाचार के बाद चिंतन में स्वामी रामतीर्थ, स्वरूपानन्द, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू जैसे महर्षियों के कथन बताए गए। वन्दनवार में नए पुराने अच्छे भक्ति गीत सुनवाए गए जैसे यह कीर्तन -


गोविन्द जय जय गोपाल जय जय राधा रमण हरि गोपाल जय जय


लम्बा होने से अक्सर यह कीर्तन पूरा नही सुनवाया जाता। कुछ बहुत पुराने भजन सुनवाए गए।

कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा।


7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम में मंगलवार को संगीतकार मदन मोहन को याद किया गया और उनके चुने हुए कुछ कम सुने अच्छे गीत सुनवाए गए जैसे पूजा के फूल फ़िल्म का गीत। लोकप्रिय ग़ज़ल भी रफ़ी साहब की आवाज़ में सुनवाई गई -

कोई साहिल दिल को बहलाता नहीं

7:30 बजे संगीत सरिता में श्रृंखला राग परछाई समाप्त हुई। नई श्रृंखला आरंभ हुई- समानान्तर रागावली जिसमें हिन्दुस्तानी और कर्नाटक शैली के समान रागों के बारे में बताया जा रहा है जैसे हिन्दुस्तानी संगीत का राग भीमपलासी और कर्नाटक संगीत का राग अघेरी। इस तरह दो-दो रागों की जोडिया बना कर जानकारी दी जा रही है। कर्नाटक संगीत के लिए जानकारी दे रहे है टी एन अशोक और हिन्दुस्तानी संगीत के लिए जानकारी दे रहे है चन्द्रशेखर । जोडी के दोनों रागो की पूरी जानकारी देते हुए दोनों रागो के लिए अलग-अलग बन्दिशे और उसके बाद जुगलबन्दी भी सुनवाई जा रही है। उसके बाद इन रागों पर आधारित फिल्मी गीत और सुगम संगीत भी सुनवाया जा रहा है जैसे राग भीमपलासी और राग अघेरी की चर्चा करते हुए राग भीमपलासी पर आधारित मोहरा फ़िल्म का गीत सुनवाया गया -


तू चीज़ बड़ी है मस्त-मस्त

और राग अघेरी की चर्चा करते हुए सुगम संगीत की एक रचना सुनवाई गई। चर्चा में रहे जोड़ी राग - मारवा और हंसानन्दी, पूर्या कल्याण, पूर्वी कल्याण।

जिस तरह स्कूल-कालेज मे हम एक-एक वर्ष आगे बढते जाते है तो पाठ अधिक कठिन पर अधिक ज्ञान देने वाले होते है उसी तरह संगीत सरिता में भी शिक्षा बढ रही है और ज्ञान भी बढा रही। स्तर बढ भी रहा है और एक-एक अंक सुनने समझने में कठिन भी हो रहा। लेकिन घर बैठे अच्छा ज्ञान बढ रहा है जिसके लिए हम धन्यवाद देना चाहते है काँचन (प्रकाश संगीत) जी को और आभार मानते है महेन्द्र मोदी जी का।

7:45 को त्रिवेणी में प्रकृति की भी बातें हुई, पर्यावरण की भी बात हुई और जीवन और प्रकृति के संबंध की भी बात हुई, नीली छतरी वाले यानि ऊपर वाले को भी याद किया, ग़नीमत यहाँ फ़िल्मी भजन नही सुनवाए। एक बात थोड़ी सी खटक रही है। ऐसा लग रहा है त्रिवेणी के विशाल फ़लक का उपयोग नहीं किया जा रहा। जीवन और प्रकृति के अलावा और भी बहुत है जैसे कभी-कभार टेलीफोन जैसी चीज़ों पर भी बात होती है वैसे ही और भी उपयोगी या ऐश्वर्य की वस्तुएँ है। बहुत से विषय नज़र नही आते हालांकि गीत है जैसे फ़ैशन, चूड़ियाँ, गाड़ी

दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने एक ऐसा कार्यक्रम में शुक्रवार को युनूस जी लाए निकाह, लव स्टोरी, इन्तेकाम जैसी लोकप्रिय फिल्मे. शनिवार को मंज़िल, चांदनी जैसी लोकप्रिय फिल्मे रही। सोमवार को प्रेमगीत, मिली जैसी फ़िल्मों के संजीदा गीतों के लिए श्रोताओं ने संदेश भेजे। मंगलवार को वेलकम टू सज्जनपुर जैसी नई फिल्मे रही। बुधवार को सौदागर जैसी नई फिल्मे रही। गुरूवार की फिल्मे रही प्रेमकहानी, आदमी।


1:00 बजे शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम अनुरंजनि में शुक्रवार को शाहिद परवेज का सितार वादन सुनवाया गया। सोमवार को पंडित ओंकारनाथ ठाकुर का गायन सुनवाया गया। मंगलवार को डी अमेल (शायद नाम लिखने में ग़लती हो) का बाँसुरी वादन सुनवाया गया। बुधवार को सविता देवी का उप शास्त्रीय गायन सुनवाया गया।

1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में श्रोताओं की फ़रमाइश पर मिले-जुले गीत सुनवाए गए सत्तर के दशक की फिल्म दाग़ का गीत -


मेरे दिल में आज क्या है तू कहे तो मैं बता दूँ

नई फ़िल्म साया का यह गीत -

देखी ये मस्त-मस्त मौसम ये बहार

3 बजे सखि सहेली कार्यक्रम में शुक्रवार को हैलो सहेली कार्यक्रम में फोन पर सखियों से बातचीत की शहनाज़ (अख़्तरी) जी ने। उत्तर प्रदेश, झाड़खण्ड, महाराष्ट्र के गाँव से फोन आए। इस बार गाँवो कस्बो से कुछ अधिक फोन आए। सुविधाए कुछ कम होने की बात पता चली। एक सखि ने बताया कि गाँव मे सुविधा न होने से वह अधिक पढ नही पाई। घरेलु महिलाओं ने भी बात की और नए पुराने गीतों की फ़रमाइश की जैसे नई फिल्म नसीब का गीत, पुरानी फिल्म शोर का गीत और कुछ समय पहले की फ़िल्म विश्वात्मा का साधना सरगम का गाया गीत -


सात समुन्दर पार मैं तेरे पीछे-पीछे आ गई

सीमा के पास रहनी वाली महिला ने बताया नेपाल के काठमाण्डु के पशुपतिनाथ मन्दिर के बारे मे पर विस्तार से जानकारी नही दी। लगभग सभी ने अपने-अपने क्षेत्र के मौसम की जानकारी दी जिससे पता चला कि देश मे मानसून की स्थिति ठीक ही है।

सोमवार को बारिश के मौसम में छोटे आलू जिन्हें आलू की गोलियाँ भी कहते है जिससे चटपटे आलू बनाना बताया गया। यहाँ हम एक बात बता दे कि यह आलू तो सर्दी के मौसम के है और यह व्यंजन भी। वैसे आजकल सभी सब्जियाँ हर मौसम में मिलती है पर न खाए तो ही ठीक है क्योंकि दवाइयों से उगाया जा रहा है जिससे स्वास्थ्य ख़राब हो सकता है। मंगलवार को ग्रन्थालय यानि लाइब्रेरी साइंस में करिअर बनाने की जनकारी दी गई। बुधवार को सौन्दर्य विशेषज्ञ रीता भारद्वाज से की गई बातचीत में सौन्दर्य संबंधी जानकारी भी मिली और उपाय भी बताए गए। अच्छा लगा यह अंक।

सखियों की पसन्द पर सप्ताह भर नए पुराने अच्छे गीत सुनवाए गए जैसे साठ के दशक की फिल्म का गीत -


उड़ के पवन के संग चलूँगी मैं भी तिहारे संग चलूँगी रूक जा ऐ हवा

नई फ़िल्म कुछ-कुछ होता है का शीर्षक गीत सुनवाया गया।

3:30 बजे शनिवार और रविवार को नाट्य तरंग में भगवती चरण वर्मा के प्रसिद्ध उपन्यास चित्रलेखा का रेडियो नाट्य रूपान्तर सुना जिसके निर्देशक है विजय दीपक छिब्बर।


पिटारा में शाम 4 बजे रविवार को यूथ एक्सप्रेस में कलाकार तैय्यब मेहता को श्रृद्धान्जलि दी गई। 22 जुलाई को होने वाले सूर्यग्रहण के बारे में बताया गया। कुछ समाचार खेल जगत - टेनिस जगत से भी रहे। विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश की सूचना भी दी गई। अपने आस-पास स्तम्भ में एक ख़ास बताई गई कि मुंबई स्थित आईआईटी में एक सर्वेक्षण जैसा करते हुए छात्रो से पूछने पर लगभग सभी छात्रों ने इस क्षेत्र में दिलचस्पी दिखाई पर विचारणीय बात यह रही कि इस क्षेत्र में अभी तक नोबुल पुरस्कार नहीं मिला पर एक छात्र ने कहा कि उसे अंतरिक्ष विज्ञान में रूचि है और वो एक शैटल डिज़ाइन करना चाहता है। इस पर युनूज़ जी ने संदेश दिया कि सपने देखो तो बड़े सपने देखो। अब हम पूछना चाहते है कि जेम्स वाट ने कौन सा सपना देखा था जो विश्व को रेलगाड़ी की अनुपम सौगात दी। उन्होने तो माँ को चाय बनाते समय भाप की शक्ति से केतली के ढक्कन को ऊपर उठते देखा था। मुझे नही लगता कि कोई सपने देखकर योजना बना कर बड़ा काम कर सकता है। बहुत से युवा सपने देखते है और योजना बनाकर काम भी करते है और सफलताएँ मिल भी जाती है पर किसी काम के लिए ख़ासकर खोज के लिए शायद यही एक रास्ता नहीं है… शायद… खैर युवाओं का यह एक अच्छा कार्यक्रम है इसमें सन्देह नहीं।

शुक्रवार को प्रस्तुत किया गया कार्यक्रम पिटारे में पिटारा जिसमें बाईस्कोप की बाते कार्यक्रम में ऊंचे लोग फिल्म की बाते बताई लोकेन्द्र शर्मा जी ने। हमेशा की तरह फ़िल्म से जुड़ी और फ़िल्म निर्माण से जुड़े लोगों के बारे में भी जैसे निर्देशक फ़णी मजूमदार के बारे में। कार्यक्रम सुनते-सुनते मुझे याद आ गए बहुत साल पुराने वो पल जब हमने दूरदर्शन पर यह फ़िल्म देखी थी। जब लोकेन्द्र शर्मा जी ने बताया कि यह फ़िल्म लीक से हटकर है तो मुझे याद आया कि हमारे घर में हम बहुत से लोग बैठ कर यह फ़िल्म देख रहे थे और फ़िल्म समाप्ति पर एक टिप्पणी आई कि यह भी कोई फ़िल्म है एक भी औरत की आवाज़ तक नहीं। सच में, नाटक पर आधारित बनी इस फ़िल्म को देखने से नाटक देखने का आभास होता है। कार्यक्रम में बताई गई बातों से भी यह लगा। सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में बारिश में होने वाली आम बीमारियों के संबंध में डा पंकज के गाँधी से रेणु (बंसल) जी की बातचीत सुनवाई गई। वैसे कई बातें तो सभी जानते है कि सर्दी-ज़ुकाम संक्रमण से होता है पर विस्तार से अच्छी जानकारी दी गई। बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में अभिनेता इरफ़ान खान से बातचीत हुई. अभिनय क्षेत्र की यात्रा को विस्तार से बताया. शनिवार, मंगलवार और गुरूवार को हैलो फ़रमाइश में श्रोताओं से फोन पर बातचीत हुई। श्रोताओं की पसन्द के नए पुराने गीत सुनवाए गए।

5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद सप्ताह भर फ़िल्मी हंगामा कार्यक्रम में नई फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।


7 बजे जयमाला में शनिवार को विशेष जयमाला प्रस्तुत किया संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल के लक्ष्मीकान्त जी ने. वास्तव में गीतों की जयमाला बहुत अच्छी लगी। खुद के बारे में भी बताया और साथी कलाकारों के बारे में भी, खुद के और दूसरो के भी लोकप्रिय गीत सुनवाए। उनका बहुत कम सारगर्भित बोलना अच्छा लगा। सोमवार से एस एम एस द्वारा भेजी गई फ़ौजी भाइयों की फ़रमाइश पर गीत सुनवाए गए। गाने नए और पुराने दोनों ही सुनवाए जा रहे है।

7:45 पर शुक्रवार को लोकसंगीत कार्यक्रम में इस बार पंजाबी लोकगीत - भंगड़ा, अच्छा लगा। शनिवार और सोमवार को पत्रावली में निम्मी (मिश्रा) जी और कमल (शर्मा) जी आए। कुछ नियमित तो कुछ नए श्रोताओं के पत्र आए। विभिन्न कार्यक्रमों जैसे सेहतनामा, संगीत सरिता की तारीफ़ की। कुछ फ़रमाइशे भी की गई जैसे रोमांटिक गीत सुनवाने की। कुछ हल्के-फुल्के सुझाव भी रहे जैसे झरोका में ही छायागीत प्रस्तुत करने वाले उदघोषक का नाम बता दें। कोई विशेष पत्र नहीं रहा। मंगलवार को सुनवाई गई क़व्वालियाँ। बुधवार को इनसे मिलिए कार्यक्रम में बस कंड्क्टर छाया रविन्द्र से बातचीत की सुनवाई गई। राग-अनुराग में रविवार और गुरूवार को विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुनवाए। गुरूवrर को एक ही राग भैरवी पर आधारित गीत सुनवाए गए।

9 बजे गुलदस्ता में गजले और गीत सुनवाए गए. इन्दिवर का लिखा एक पुराना गीत हेमन्त कुमार की आवाज़ में सुनना अच्छा लगा। बोल कुछ इस तरह है - आँचल से क्यों छोड़ दिया प्यार, बचपन का…
9:30 बजे एक ही फ़िल्म से कार्यक्रम में उलझन, मुक्कदर का सिकन्दर, दिल दिया दर्द लिया जैसी लोकप्रिय फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए। मंगलवार को संगीतकार मदनमोहन को याद करते हुए अनपढ फ़िल्म के गीत सुनवाए गए।


रविवार को उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में अभिनेता शम्मी कपूर से बातचीत की अगली कडी प्रसारित हुई।

10 बजे छाया गीत में लोकप्रिय गीत सुनने को मिले। भाव लगभग वही रहे।

10:30 बजे से श्रोताओं की फ़रमाइश पर लोकप्रिय गीत सुनवाए गए। 11 बजे समाचार के बाद प्रसारण समाप्त होता रहा।

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