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Thursday, July 23, 2009

गंगू बाई हँगल का जाना और संगीत सरिता का निर्बाध गति से बहना

संगीत जगत की महान हस्ती गंगूबाई हँगल हमारे बीच नहीं रही। इस शोक समाचार को समाचार जगत ने महत्वपूर्ण स्थान दिया। समाचार पत्र, इंटरनेट, आकाशवाणी और दूरदर्शन के समाचार बुलेटिनों में उचित स्थान पर यह समाचार रहा। कुछ समाचार पत्र तो पहले से ही उनके अस्वस्थ रहने का समाचार दे रहे थे। लेकिन विविध भारती का इस क्षेत्र का प्रमुख और एकलौता कार्यक्रम संगीत सरिता इससे बेख़बर रहा।

विविध भारती के शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम अनुरंजनि में तो हम कलाकारों के केवल गायन और वादन ही सुन पाते है पर संगीत सरिता ही अकेला ऐसा कार्यक्रम है जहाँ कलाकारों का पूरा परिचय मिलता है जैसे उनका जीवन, उनकी शिक्षा, उनकी संगीत यात्रा और उनकी उपलब्धियाँ। इतना ही नहीं यहाँ आकर कलाकार अन्य कलाकारों के प्रति भी अपने विचार बताते है। सीधी सी बात है कि इस कार्यक्रम में शास्त्रीय संगीत की जानकारी के अलावा इस जगत की हस्तियों के बारे में भी जानकारी मिलती है और यह सब रोज़मर्रा के कार्यक्रम में शामिल है ऐसे में किसी कलाकार के गुज़र जाने की चर्चा तक न हो तो अजीब लगता है।

ऐसा पहली बार नहीं हुआ। दरअसल इस तरह की चर्चा या समाचार इस कार्यक्रम में हमने कभी सुना ही नहीं। कुछ समय पहले उस्ताद बिस्मिला खाँ के बारे में भी कोई समाचार नहीं दिया गया था। इस बार भी वही हुआ। शाम में और रात में समाचारों मे देखते सुनते रहे अगले दिन सुबह संगीत सरिता कार्यक्रम शुरू हुआ रोज़ के अंदाज़ में और श्रृंखला रूद्र वीणा की अगली कड़ी प्रसारित हुई। कम से कम कार्यक्रम शुरू करने से पहले उदघोषणा में इतना तो कहा होता कि इस जगत की एक हस्ती गंगूबाई हँगल अब नहीं रही जबकि भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम में यह भी बताया उदघोषक ने कि इस समय सूर्य ग्रहण है। ऐसी कई छोटी-बड़ी बातें होती है जो कार्यक्रम के दौरान बताई जाती है पर संगीत सरिता में ऐसी महत्वपूर्ण बात भी क्यों नहीं बताई जाती ? एक दिन का एक अंक उस कलाकार को क्यों समर्पित नहीं किया जा सकता ? आखिर यह एकमात्र कार्यक्रम है। यही पर उस कलाकार से संबंधित उचित जानकारी मिल सकती है।

1 comment:

Unknown said...

pune ganesh utsav ke dauran do mbaar unse mulakat ka saubhagya mila tjha...
ve jitni mahaan gaayika thin utni hi saral sahaj aur madhur vaani se mamatv baantne waali aadarsh naari bhi thin

unki paavan smriti ko pranaam
vinamra shraddhanjli.........

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