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Thursday, December 10, 2009

प्यार-मोहब्बत के गानों की दुपहरियों की साप्ताहिकी 10-12-09

सवेरे के त्रिवेणी कार्यक्रम के बाद क्षेत्रीय प्रसारण तेलुगु भाषा में शुरू हो जाता है फिर हम दोपहर 12 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुडते है। कभी-कभार एकाध मिनट देर से जुड़ते है। रविवार को क्षेत्रीय प्रायोजित कार्यक्रम 12:30 बजे के बाद भी जारी रहा।

दोपहर 12 बजे का समय होता है इंसटेन्ट फ़रमाइशी गीतों के कार्यक्रम एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने का। हमेशा की तरह शुरूवात में 10-11 फ़िल्मों के नाम बता दिए गए फिर बताया गया एस एम एस करने का तरीका। पहला गीत उदघोषक की खुद की पसन्द का सुनवाया गया ताकि तब तक संदेश आ सके। फिर शुरू हुआ संदेशों का सिलसिला और इन संदेशों को 12:50 तक भेजने के लिए कहा गया ताकि शामिल किया जा सकें।

शुक्रवार को साठ सत्तर अस्सी के दशक की यह फ़िल्में रही - आँधी, हीरो, हरे काँच की चूड़ियाँ, आमने-सामने, समाधि, कन्यादान, अँखियों के झरोके से, जवानी दीवानी, आप तो ऐसे न थे, इन फ़िल्मों से रोमांटिक गानों के लिए ही सदेश आए और बहुत दिन बाद श्रोताओं ने हरे काँच की चूड़ियाँ फ़िल्म के इस गीत की फ़रमाइश की -

पंछी रे ओ पंछी उड़ जा रे ओ पंछी
मत छेड़ तू ये तराने
हो जाए न दो दिल दीवाने

इन फ़िल्मों के गीत सुनवाने आईं रेणु (बंसल) जी। शनिवार को नई फ़िल्में रही - जब वी मेट, मैं ऐसा ही हूँ, देवदास, ग़दर एक प्रेम कथा, डोर, गुरू, । इस दिन अच्छा लगा, कुछ अलग गीतों के लिए संदेश भेजे श्रोताओं ने जैसे रंग दे बसन्ती फ़िल्म से दलेर मेहन्दी और चित्रा का गाया शीर्षक गीत जिसमें पंजाबी लोक संगीत झलका। भूलभुलैय्या का शास्त्रीय रंग में रंगा गीत -

मेरे ढोलना सुन मेरे प्यार की धुन

इन फ़िल्मों के गीत सुनवाने आईं निम्मी (मिश्रा) जी। सोमवार को 1942 ए लव स्टोरी, आज का गुन्डाराज, अमर अकबर एन्थोनी, साजन, त्रिशूल, लव स्टोरी फ़िल्में लेकर आए अजेन्द्र (जोशी) जी। मंगलवार को अभिनेता धर्मेन्द्र को जन्मदिन की शुभकामनाएँ देते हुए उनकी लोकप्रिय फ़िल्में लेकर आए अजेन्द्र (जोशी) जी - शोले, इज्ज़त, आए दिन बहार के, अपने, धर्मवीर, प्यार ही प्यार, काजल।
बुधवार को दोस्त फ़िल्म के प्रेरणादायी गीत से शुरूवात हुई -

आ बता दे के तुझे कैसे जिया जाता है

इसके अलावा इजाज़त, रोटी, कपड़ा और मकान, सिलसिला, मेरे अपने जैसी कुछ पुरानी फ़िल्मों के साथ आईं रेणु (बंसल) जी। इस दिन 12:15 से क्षेत्रीय प्रायोजित कार्यक्रम प्रसारित हुआ फिर 12:30 बजे से हम केन्द्रीय सेवा से जुड़े। आज अशोक कुमार की पुण्य तिथि और रति अग्निहोत्री के जन्मदिन पर उन दोनों की महत्वपूर्ण फ़िल्मों को शामिल किया गया - सफ़र, बहू बेगम, हावड़ा ब्रिज, वक़्त, मिली, विक्टोरिया नम्बर 203, एक दूजे ले लिए, ग़ुलामी, शौक़ीन, ख़ामोशी, यह फ़िल्में लेकर आए अजेन्द्र (जोशी) जी। इस दिन की शुरूवात भी बढिया गीत, वक़्त के शीर्षक गीत से हुई -

वक़्त के दिन और रात, वक़्त की हर शय ग़ुलाम

आधा कार्यक्रम समाप्त होने के बाद फिर से बची हुई फ़िल्मों के नाम बताए गए और फिर से बताया गया एस एम एस करने का तरीका। एक घण्टे के इस कार्यक्रम के अंत में अगले दिन की 10-11 फ़िल्मों के नाम बताए गए।

इस सप्ताह भी पुराने पचास के दशक से लेकर आज के दौर की फ़िल्में शामिल रही, यानि हर उमर के श्रोता के लिए रहा यह कार्यक्रम।

इस सप्ताह संदेशों की संख्या अधिक रही बिल्कुल उसी तरह जैसे फ़रमाइशी पत्रों के नामों की सूची पढी जाती है। सप्ताह भर इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया विजय दीपक छिब्बर जी ने।

1:00 बजे शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम अनुरंजनि संतुलित रहा। एक दिन गायन और दो दिन वादन तथा शेष हर दिन गायन को अधिक समय देते हुए दोनों सुनवाए गए, इस तरह दोनों का बराबर आनन्द मिला। लोकप्रिय राग नन्द, यमन के अलावा राजकल्याण जैसे कम सुने जाने वाले राग भी सुनवाए गए और विभिन्न वाद्य सुनवाए गए।

शुक्रवार को शास्त्रीय गायन में विदुषी अंजली बाई लोलेलकर का गाया राग जयजयवन्ती, केदार, शुद्ध कल्याण और छाया नट सुनवाया गया। उस्ताद अल्लारखा खाँ का तबला वादन द्रुत गति एक ताल में सुनवाया गया। शनिवार को पंडित राजन मिश्रा और पंडित साजन मिश्रा का गायन सुनवाया गया, राग राजकल्याण में ख़्याल और तराना। मंजुला जगन्नाथ राव का सरस्वती वीणा वादन राग बैरागी भैरव में सुनवाया गया। रविवार को बब्बन राव हल्लण का गायन सुनवाया गया, अंत में वायलन वादन में बहुत छोटी धुन सुनवाई गई। सोमवार को पंडित जितेन्द्र अभिषेकी का गायन और उस्ताद साबरी खाँ का सारंगी वादन सुनवाया गया। मंगलवार को हब्बू खाँ और बाबू खाँ का बजाया वायलन पर राग मधुवन्ती और यमन सुनवाया गया।

बुधवार को गायन सुनवाया गया - विदुषी प्रभा अत्रे से मिश्र ख़माज ठुमरी - कौन गली गयो श्याम
पंडित कुमार गन्धर्व से राग नन्द - अब तो आ जा रे राजन
विदुषी परवीन सुल्ताना से राग नन्द कौंस - पय्या पड़ू तोरे रसिया मोहे छेड़ो न
पंडित जसराज से राग नागर ध्वनि कानड़ा - हमको बिसार कहाँ चले

आज सुनवाया गया रईस खान का बजाया सितार वादन - तीन ताल में राग तिलक कामोद और दरबारी कानड़ा तथा छोटी सी दादरा धुन। तबले पर संगत की वसीर खान ने।

1:30 बजे का समय रहा मन चाहे गीत कार्यक्रम का। पत्रों पर आधारित फ़रमाइशी गीतों में शुक्रवार को पुरानी नई फ़िल्मों के मिले-जुले गीत सुनवाए गए - अपना देश, कलाकार, कुछ कुछ होता है, साँवरिया, विवाह, सिर्फ़ तुम। सभी रोमांटिक गीत सुनवाए गए जैसे जुदाई फ़िल्म से यह गीत -

मौसम सुहाने आ गए प्यार के ज़माने आ गए

केवल एक गीत बेटा फ़िल्म से शादी-ब्याह के माहौल का गीत था।

शनिवार को सत्तर अस्सी के दशक की लोकप्रिय फ़िल्मों के अलावा नई फ़िल्मों - महबूब की मेहन्दी, बैराग, फ़ासले, क्या दिल ने कहा, तलाश, जिस्म, बादशाह के गीत सुनवाए गए। इस दिन एक ख़ास बात हुई, प्यार-मोहब्बत से हट के भी गीत सुनवाए गए जैसे जवानी-दीवानी फ़िल्म की अंताक्षरी -

अगर साज़ छेड़ा तराने बनेगें

रविवार को फिल्मकार शेखर कपूर का जन्मदिन था। शुभकामनाओं के साथ उनके बारे में बताया गया। पद्मश्री और विश्व स्तर के सम्मान की जानकारी देते हुए उनकी फिल्मों के श्रोताओं की फरमाइश पर गीत सुनवाए गए। टूटे खिलौने, मिस्टर इंडिया के साथ मासूम फ़िल्म का यह गीत शामिल था -

मुझसे नाराज नही जिन्दगी हैरान हूँ मैं
तेरे मासूम सवालों से परेशान हूँ मैं

इसके अलावा दिल तो पागल है, धनवान जैसी नई पुरानी फ़िल्मों के गीत शामिल रहे। सोमवार की फ़िल्में रही - शर्मिली, सोहनी महिवाल, वीर ज़ारा, सिंग इज़ किंग, हीरो, दिल माँगे मोर, किस्मत कनेक्शन जैसी नई फ़िल्मों के साथ एकाध पुरानी फ़िल्म का गीत शामिल था। मंगलवार को सुना साजन, सच्चा झूठा, लाखों में एक फ़िल्मों के रोमांटिक गीत और इन्कार फ़िल्म का उदास गीत -

दिल की कलि खिलती रहे बगिया तुम्हारी महकती रहे

इस दिन 2:00 बजे से धर्मेन्द्र के जन्मदिन पर विशेष कार्यक्रम प्रसारित हुआ। कमल (शर्मा) जी की धर्मेन्द्र से हुई टेलीफ़ोन पर बातचीत सुनवाई गई। धर्मेन्द्र ने भी पुराने दिनों में विविध भारती को याद किया। अपने संघर्ष की बात बताई। अपनी ख़ास फ़िल्में सत्यकाम, हक़ीकत की बातें बताई और फ़ौजी भाइयों को संदेश दिया। अपनी संस्कृति से जुड़ने को सुखद बताया। दिलीप कुमार को अपनी प्रेरणा बताया। उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में नायिकाओं द्वारा उनको याद किए जाने की बात पर धर्मेन्द्र ने उन्हें याद करते हुए पुराने शूटिंग के दिन याद किए। अपने लिखने के शौक के बारे में बताया। उनकी ही पसन्द पर शोला और शबनम, हक़ीक़त, ब्लैक मेल, मेरे हमदम मेरे दोस्त, शालीमार फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए। बहुत स्वाभाविक बातचीत। धर्मेन्द्र की आवाज़ बहुत दिन बाद सीधे सुनना बहुत अच्छा लगा।

बुधवार और गुरूवार को श्रोताओं के ई-मेल से प्राप्त संदेशों पर फ़रमाइशी गीत सुनवाए गए। इस सप्ताह भी ज्यादातर लोकप्रिय गीत सुनवाए गए। विवाह, जब वी मेट, आँधी, आशा, हम आपके है कौन, अमर अकबर एंथोनी, बहुत पुरानी फ़िल्म गंगा जमुना और आज़ाद के इस गीत की फ़रमाइश मेल से आई तो अच्छा लगा -

कितना हसीं है मौसम कितना हसीं सफ़र है

आज जब प्यार किसी से होता है, आँखें, जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली, लम्हें, अमृत, मेरे हुज़ूर, जोश, रब ने बना दी जोड़ी, जब वी मेट फ़िल्मों के गीतों के लिए मेल आए जिससे नए पुराने मिलेजुले गीतों का आनन्द मिला।

इस सप्ताह भी अधिकतर गीत एक-एक मेल प्राप्त होने पर ही सुनवा दिए गए, अभी भी मेल संख्या बढी नहीं है जबकि पत्रों की स्थिति पहले जैसी ही रही और एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम में संदेशों की संख्या बढी।

इस कार्यक्रम में अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए और संदेश भी प्रसारित किए गए जिसमें यह बताया गया कि फ़रमाइशी फ़िल्मी गीतों के कार्यक्रम में अपनी पसन्द का गाना सुनने के लिए ई-मेल और एस एम एस कैसे करें। सोमवार को कार्यक्रम के दौरान महत्वपूर्ण सूचना दी गई प्रसिद्ध अभिनेत्री बीना राय के निधन की और उन पर प्रस्तुत किए जाने वाले विशेष सदाबहार नग़में कार्यक्रम की।

इस सप्ताह यह देख कर अच्छा लगा कि विविध भारती के श्रोता कुछ सुधर गए, लगता है उन्हें समझ में आने लगा है कि औए भी ग़म है ज़माने में मोहब्बत के सिवा। प्यार-मोहब्बत के अलावा दूसरी तरह के गानों के लिए भी फ़रमाइशें आईं।

इस सप्ताह इस समय के प्रसारण में एक भी कार्यक्रम प्रायोजित नहीं था, पहले की तरह मन चाहे गीत भी नहीं। हालांकि एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम को प्रायोजित किया जा सकता है।

दोपहर के इस प्रसारण को हम तक पहुँचाने में तकनीकी सहयोग रहा गणेश शिन्दे जी, विनायक तलवलकर जी, सुनील भुजबल जी, तेजेश्री शेट्टी जी, पी के ए नायर जी का और यह कार्यक्रम श्रोताओं तक ठीक से पहुँच रहा है, यह देखने (मानीटर) करने के लिए ड्यूटी रूम में ड्यूटी अधिकारी रहे कमला कुन्दर, आशा नायकन

दोपहर में 2:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम की समाप्ति के बाद आधे घण्टे के लिए क्षेत्रीय प्रसारण होता है जिसके बाद केन्द्रीय सेवा के दोपहर बाद के प्रसारण के लिए हम 3 बजे से जुड़ते है।

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