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Tuesday, September 21, 2010

शिमला रोड फिल्म का कॉमेडी गीत

1969 के आसपास रिलीज हुई थी फिल्म - शिमला रोड

फिल्म पूरी तरह से पिट गई थी, लेकिन यह गीत रेडियो के सभी केन्द्रों से बहुत दिनों तक सुनवाया जाता रहा। बाद में बंद हो गया. इस कॉमेडी गीत को शायद रफी साहब ने गाया हैं. शमशाद बेगम की भी आवाज हैं, और गायक कलाकारों के नाम याद नही आ रहे.

इस फिल्म के किसी भी कलाकार के बारे में पता नही पर शायद टुनटुन इसमे हैं. यह गीत लड़कियों के कपड़ो के फैशन पर हैं. इसके कुछ बोल याद आ रहे हैं -

पजामा तंग है कुर्ता ढीला
ग़ज़ब है उसपे दुपट्टा नीला
ओ रेशमा आ ओ नीला आ

ये तेरी नौ गज़ की शलवार
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पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…

3 comments:

शरद कोकास said...

हाँ यह रफी साहब ने हे गाया था , बहुत मज़ेदार गीत है ।

रोमेंद्र सागर said...

"पजामा तंग है कुर्ता ढीला..." वाह ! किस गीत की याद ताज़ा कर दी आपने. किसी ज़माने में खूब ही सुना करते थे और अक्सर गुनगुना भी लिया करते थे...लड़कपन था साहब ! शिमला रोड फिल्म का यह गीत रफ़ी साब के साथ कृष्णा कल्ले ने गाया है ( शमशाद बेगम ने नहीं ..) ! अगर इसके बोल देखें तो सचमुच बहुत ही मजेदार गीत है यह !~ मैं इसके पूरे बोलो को लिखने का लोभ संवरण नहीं कर पा रहा ...सो लिख ही देता हूँ....!


पजामा तंग है कुर्ता ढीला गज़ब है उस पे दुपट्टा
पजामा तंग है कुर्ता ढीला गज़ब है उस पे दुपट्टा नीला
ओ रेशमा ...ओ नीलमा , इधर तो आ ..ना दिल तड़पा , गले लग जा

ये तेरी नौ गज की सलवार और उसपे पगड़ी ...
ये तेरी नौ गज की सलवार और उसपे पगड़ी ...तुर्रेदार
ओ भोलेया , वे पागला ...कभी शीशा भी है देखा , परे हट जा ...!

ज़रा चाल संभल के चलना ....ज़रा चाल संभल के चलना
ओ तेरे पाँव तले मेरा दिल है
देखे हैं बहुत दिलवाले
बहकाना हमें मुश्किल है ...बहकाना हमें मुश्किल है

ओ गोरिये , ओ सोनिये , ओ बल्लिये मेरी जान
( पजामा तंग है कुर्ता ढीला गज़ब है उस पे दुपट्टा नीला
ओ रेशमा ...ओ नीलमा , इधर तो आ ..ना दिल तड़पा , गले लग जा..)

तू सारस हैं मैं बुलबुल
क्या जोडी है तेरी मेरी
ओ ...तू सारस हैं मैं बुलबुल, क्या जोडी है तेरी मेरी

उड़ जाऊंगा लेकर तुझको
आने दे रात अंधेरी

ओ बैरिया , ओ मक्खना ...मुझे उड़ना नहीं आता !!

ये तेरी नौ गज की सलवार और उसपे पगड़ी ...
ये तेरी नौ गज की सलवार और उसपे पगड़ी ...तुर्रेदार
ओ भोलेया , दीवानेया ...कभी शीशा भी है देखा , परे हट जा ...!

annapurna said...

शुक्रिया शरद जी !

पूरा गीत लिखने के लिए शुक्रिया रोमेंद्र जी !

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