मित्रो जैसा कि आप जानते हैं विविध भारती का ये स्वर्ण जयंती वर्ष है । और पूरे साल हर महीने की तीन तारीख़ को विविध भारती पर विशेष आयोजन किये जा रहे हैं । ये सिलसिला अक्तूबर में शुरू हुआ था और देखते देखते हम तीन मई तक आ पहुंचे हैं । मैंने सोचा तो ये था कि कल सुबह-सुबह इस आयोजन का विवरण देता, लेकिन फिर लगा कि अगर आज से बता दिया जाए तो लोगबाग अपना शेड्यूल व्यवस्थित कर लेंगे । जगह बना लेंगे विविध भारती के लिए अपने व्यस्त दिन में ।
हां तो तीन मई का विविध भारती का विशेष आयोजन है ‘फिल्में आह फिल्में वाह’ । ये फिल्मों पर केंद्रित एक व्यंग्य सम्मेलन है । इस व्यंग्य सम्मेलन में हिस्सा लेंगे कुछ मशहूर व्यंग्यकार । ज़रा फेहरिस्त जांचिए-
भोपाल से ज्ञान चतुर्वेदी, जिनकी पुस्तक बारामासी पर्याप्त चर्चित है । नया ज्ञानोदय में आप इनका नियमित कॉलम भी पढ़ते हैं ।
जयपुर से आए यशवंत व्यास । जो 'अहा! जिंदगी' के संपादक भी हैं । इनकी पुस्तक 'कॉमरेड गोडसे' भी महाचर्चित और पुरस्कृत हो चुकी है ।
ग़ाजियाबाद से आए आलोक पुराणिक ब्रह्माण्ड के सबसे धांसू रचनाकार हैं । ब्लॉगिंग की दुनिया में सक्रिय लोगों तक आलोक का आलोक ना पहुंचा हो ऐसा कैसे हो सकता है ।
इंदौर से आए 'प्रभात किरण' के संपादक और बेहतरीन व्यंग्यकार प्रकाश पुरोहित । जिनकी बीस कम पचास और अटकल पंजे बारह जैसी पुस्तकें चर्चित हैं ।
मुंबई के यज्ञ शर्मा जो नवभारत टाइम्स मुंबई में खाली पीली नामक और दिल्ली संस्करण में निंदक नियरे नामक कॉलम लिखते हैं ।
इन दिग्गजों के बीच इस कार्यक्रम का संचालन आपके इस दोस्त यूनुस ख़ान और मेरे वरिष्ठ सहयोगी कमल शर्मा ने किया है ।
अब ज़रा समय भी नोट कर लीजिए ।
शनिवार को दिन में ढाई बजे से लेकर शाम साढ़े पांच बजे तक ।
भाई रवि रतलामी इस कार्यक्रम के लिए रेडियोनामा पर संभवत: वही करेंगे जो उन्होंने पिछली बार किया था ।
तो ज़रूर सुनिए विविध भारती का बंपर व्यंग्य सम्मलेन -' फिल्में आह- फिल्में वाह'