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Sunday, February 3, 2008

प्यार हुआ इकरार हुआ... पहले सुनिए, फिर कुछ कहिए!

विविध भारती पर 3 फरवरी 2008 को दोपहर ढाई बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक एक विशेष स्वर्ण जयंती कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया जिसका थीम था - प्यार हुआ इकरार हुआ.

कुछ विवरण यहाँ पढ़ें


विविध भारती की जुबली झंकार की झनझनाहट सुनी क्या?

प्यार हुआ इकरार हुआ

मात्र झलक

यकीनन. इसके सुनने के बाद प्यार का जो बुखार चढ़ेगा, वो
शर्तिया हफ़्तों, महीनों नहीं उतरेगा.
तो फिर देर किस बात की, दिए गए लिंक क्लिक करिए व सुनिये

और हाँ, धन्यवाद यूनुस जी व संपूर्ण विविध भारती की टीम को इस शानदार प्रस्तुति के लिए.
यूनुस जी ने इसे खासतौर पर कोई सप्ताह भर में इसे संपादित किया था. और क्या खूब संपादित किया था. इसीलिए संपूर्ण रेकॉर्डिंग प्रस्तुत है - शाम पांच बजे का समाचार भी - ताकि सनद रहे...

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8 comments:

डॉ. अजीत कुमार said...

रवि जी,
मैंने प्रोग्राम तो सुनना शुरू कर ही दिया है. voice क्वालिटी भी काफी अच्छी है. शायद आप बताना चाहें की आपने इसे क्या DTH से रेकॉर्ड किया?
धन्यवाद.

रवि रतलामी said...

जी हाँ, आपने सही कयास लगाया अजित जी.

और रेकॉर्डिंग क्वालिटी के बारे में बताने हेतु धन्यवाद आपका. मुझे अंदेशा सा हो रहा था कि रेकॉर्डिंग सही है या नहीं क्योंकि फ़ाइल आकार कम करने के चक्कर में मैंने मोनो फ़ॉर्मेट में न्यूनतम केबीपीएस (16) पर रेकॉर्ड किया है.

Sanjeet Tripathi said...

भई वाह!!
पहली बार इतना लम्बा पॉडकास्ट सुना लेकिन मजा आ गया, पूरी बातचीत जितनी अच्छी रही उतने ही अच्छे गाने बीच बीच मे फिट किए गए हैं।
श्रीमान विमलेंदु के समाचार पठन की भी रिकॉर्डिंग ने इसे वाकई रेडियो सुनने का अनुभव बना दिया !!
मजा आ गया, वाईस क्वालिटी भी बहुत बढ़िया रही!!
शुक्रिया रतलामी जी इसे उपलब्ध करवाने के लिए!!

सागर नाहर said...

धन्यवाद रवि साहब
मजा आ रहा है ( अभी सुन रहा हूँ)
ज्यादा अच्छा होता आप ईस्निप पर भी फाईल को क्रमांक १,२.३...इस तरह दे देते क्यों कि ब्लॉग स्पोट पर सही प्ले नहीं हो रहा है, प्ले हो जाता है तो पॉज नहीं होता और अगर किसी कारण से पॉज करना हो तो रेडियोनामा के पेज को बंद कर दुबारा खोलना पड़ता है।
इसके बिना बड़ी परेशानी हो रही है। पता ही नहीं चलता कि कौनसा पहले और कौनसा बाद में बजाना है।
फिर भी क्वालिटी बहुत ही बढ़िया होने की व्जह से मजा आ रहा है, कार्य्क्रम भी बहुत बढ़िया है।
धन्यवाद।

रवि रतलामी said...

सागर भाई,
आप ध्यान देंगे तो फ़ाइल पर पहले तिथि लिखी है, फिर रेकॉर्डिंग का समय लिखा है. तो जो रेकार्ड पहले हुआ है, उसे पहले बजाएँ, और जो रेकार्ड बाद में हुआ है उसे बाद में बजाएँ. सिम्पल!

बोधिसत्व said...

रतलामी साहेब
आपके चलते सुन पाया हूँ...
शुक्रिया

mamta said...

चलिए उस दिन तो हमारा ये प्रोग्राम छूट गया था पर आज सुन लिया।

रवि जी धन्यवाद।

Yunus Khan said...

रवि जी धन्‍यवाद । यहां मौजूद रहकर कार्यक्रम दूर तक और देर तक बना रहेगा । शुक्रिया फिर से ।
जैसलमेर की व्‍यस्‍तताओं में हम तो प्रोग्राम नहीं सुन सके । हां लोगों की प्रतिक्रियाएं वहीं मिल गयीं थीं ।

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