दिन का पहला-पहला कार्यक्रम हमने सुना 6:30 बजे - तेरे सुर और मेरे गीत जो युगल गीतों का कार्यक्रम हैं। इसके बाद 7 बजे प्रसारित होता हैं पुराना लोकप्रिय कार्यक्रम भूले-बिसरे गीत। पहले कार्यक्रम में अधिकतर गीतों का चुनाव अच्छा रहा जैसे आराधना, पाकीजा, गुमराह फिल्म का यह गीत - इन हवाओं में इन फिजाओं में तुझको मेरा प्यार पुकारे। दोनों में साठ के दशक की फिल्मो के गीत सुनवाए, एक्का-दुक्का गीत पचास और सत्तर के दशक के भी थे। कभी-कभार आधे-आधे घंटे के ये दोनों ही कार्यक्रम मुझे लगभग एक जैसे लगे। फर्क सिर्फ इतना कि एक में सिर्फ युगल गीत सुनवाए गए। इसमे हलाकू जैसी फिल्मो के गीत सुनवाए गए और मिर्जा ग़ालिब फिल्म का तलत महमूद और सुरैया का गाया यह गीत - दिले नादाँ तुझे हुआ क्या हैं जो अक्सर भूले बिसरे गीत कार्यक्रम में सुनवाया जाता हैं। हद तो तब हो गई जब सोमवार को नागिन का हेमंत कुमार और लता जी का गाया युगल गीत पहले कार्यक्रम में सुना फिर अगले ही दिन इसी फिल्म का दूसरा गीत भूले बिसरे गीत कार्यक्रम में सुना। युगल गीतों के कार्यक्रम में गीतों का चुनाव तर्क संगत होने से दोनों कार्यक्रम अलग-अलग हो जाएगे जो अच्छा रहेगा।
भूले बिसरे गीत कार्यक्रम में सुमन कल्याणपुर,शमशाद बेगम जैसी आवाजे सुनना, राकेट टार्जन, सात समुन्दर पार जैसी भूली बिसरी फिल्मे और कुछ ऐसे गीत सुनना भी अच्छा लगा जिससे जुड़े सभी नाम भूले-बिसरे हैं - फिल्म का नाम मतलबी दुनिया, गायिका सुलोचना चौहान, गीतकार रमेश मेहता, संगीतकार भरत चौहान, गीत के बोल - हमको इण्डिया बहोत पसंद। ऐसे लोकप्रिय गीत भी शामिल थे जो अक्सर सुनवाए जाते हैं जैसे - मैं प्रेम की गलियों का राजा तू रूप की नगरी की रानी। कार्यक्रम तो अच्छा रहा लेकिन बहुत पुराने सुनहरे दौर के गीत सुनने को नही मिले जैसे लाल मोहम्मद के स्वर बद्ध किए, सुरेन्द्र, श्याम, उमा देवी के गाए गीत। अगर हो सके तो सप्ताह में एक दिन पचास के दशक और उससे पहले के गीत सुनवाइए।
7:30 बजे संगीत सरिता में बढ़िया श्रृंखला प्रसारित हुई - उपशास्त्रीय संगीत के विभिन्न रूप। इन विभिन्न रूपों को बताया ख्यात ठुमरी गायिका शोभा गुर्टू ने जिनसे चर्चा की ख्यात गायिका सरला भिड़े ने। इस श्रृंखला को छाया (गांगुली) जी ने 1992 में तैयार किया था। इसमे होरी, कजरी, झूला, लोक गीत, बारहमासी, समापन कड़ी में भैरवी लोकगीत पर चर्चा हुई, राग पीलू, शिवरंजनी, माज खमाज, पहाडी, जौनपुरी में शोभा जी ने गाकर सुनाया साथ ही शास्त्रीय गायन और वादन भी सुनवाया गया - रसूलन बाई का ठुमरी गायन, पंडित रविशंकर का सितार वादन, उस्ताद नजाकत अली खां और सलामत अली खां की गाई पहाडी ठुमरी, उस्ताद रज्जब अली खां का गायन, उस्ताद बरकत अली खां की गाई भैरवी ठुमरी। इस तरह शुद्ध शास्त्रीय संगीत का आनंद देने वाले, अब बंद हो चुके कार्यक्रम अनुरंजनि की कमी नही खली। हर दिन राग पर आधारित फिल्मी गीत भी सुनवाए गए। संग्रहालय से बेहतरीन प्रस्तुति। इसके बाद प्रसारित हुआ विचारोत्तेजक कार्यक्रम त्रिवेणी जिसमे चर्चा हुई कि जीवन जीना भी एक कला हैं जिसने जाना वो सफल हुआ, संस्कृति की बात चली कि हम पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहे हैं, जीवन में उतार चढ़ाव आते रहते हैं, वक़्त को दोष दिए बिना उसका सामना करना चाहिए, यही भाव अगले दिन भी थे पर इसे जल धारा के समान जीवन के रूप में प्रस्तुत किया गया, यह भी चर्चा चली कि जीवन में हर दिन एक चुनौती हैं, सकारात्मक सोच बनाए रखे, समाज की स्थिति पर इस मुहावरे को बताते हुए चर्चा की - जहां चने हैं वहां दांत नही और जहां दांत हैं वहां चने नही, जीवन में आगे बढ़ने के दो रास्ते हैं, एक लंबा मेहनत का रास्ता और दूसरा छोटा रास्ता जिसमे कई गलत बाते हैं। चर्चा के दौरान विषय पर आधारित तीन फिल्मी गीत सुनवाए गए, नए-पुराने गीतों का चुनाव बढ़िया रहा जैसे - अपने हुए पराए किस्मत ने क्या दिन दिखलाए हाय रे धीरज कौन बंधाए, ये तो जिन्दगी हैं कभी खुशी हैं कभी गम और नई फिल्म जन्नत का गीत - दुनिया का क्या .... पत्थर को छू कर मैं सोना बना दूं जन्नत यहाँ। दोनों ही कार्यक्रमों की संकेत धुन बढ़िया हैं।
दोपहर के प्रसारण में फरमाइशी फिल्मी गीतों के एक-एक घंटे के दो कार्यक्रम प्रसारित हुए - 12 बजे प्रसारित हुआ आधुनिक तकनीक से सजा कार्यक्रम SMS के बहाने VBS के तराने। यह एक घंटे का दैनिक सजीव (लाइव)प्रसारण हैं। इसमे गाने सुनने के लिए किसी इन्तेजार की जरूरत नही, तुरंत फरमाइश भेजिए और तुरंत सुनिए अपनी पसंद का गीत। फरमाइशी खतों की परम्परा से दूर इस इंस्टेंट फरमाइशी कार्यक्रम से युवावर्ग सहज ही विविध भारती से आकर्षित हो गया। फरमाइशी गीत सुनना भी आसान हैं, बस, मोबाइल के मैसेज बॉक्स में जाकर टाइप करना हैं - vbs - फिल्म का नाम - गाने के बोल - अपना नाम और जगह (शहर,गाँव) का नाम और भेज दे इस नंबर पर -5676744
और इन संदेशों को 12 बजे से 12:50 तक भेजने के लिए कहा गया और यह भी कहा गया कि हर सन्देश में दो श्रोताओं के नाम ही भेजे ताकि अधिक SMS शामिल किए जा सकें। कार्यक्रम के शुरू में फ़िल्मों के नाम बताए गए और कार्यक्रम के अंत में अगले दिन की फ़िल्मों के नाम बताए गए ताकि फरमाइश भेजने में आसानी हो। पूरे सप्ताह अधिकाँश फिल्मे सत्तर के दशक की रही। फिल्मो के चुनाव में विशेष अवसरों का भी ध्यान रखा गया। बुधवार को ऎसी फिल्मे चुनी गई जिनमे डिम्पल कपाडिया ने अभिनय किया और शुरूवात की उनकी महत्वपूर्ण फिल्म बौबी के गीत से। इस दिन उनका जन्मदिन था। श्रोताओं की फरमाइश पर विभिन्न मूड के गीत सुनवाए जैसे फिल्म प्रेमनगर का गीत - ठंडी हवाओं ने साजन को नटखट बना दिया, मौसम के अनुसार छतरी न खोल उड़ जाएगी गीत, प्रतिज्ञा फिल्म से यमला पगला दीवाना गीत भी शामिल था। इस कार्यक्रम की संकेत धुन सुन कर लगता हैं मोबाइल बज रहा हैं या SMS आ रहा हैं। इस कार्यक्रम को साइमन परेरा जी, राजीव (प्रधान) जी, गणेश (शिंदे) जी के तकनीकी सहयोग से हम तक पहुंचाया गया और पूरे सप्ताह इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया विजय दीपक (छिब्बर) जी ने।
दोपहर 1:30 बजे का समय रहा मन चाहे गीत कार्यक्रम का। एक घंटे के इस कार्यक्रम की प्रस्तुति पारंपरिक और आधुनिक दोनों ढंग से हैं यानि दो दिन बुधवार और गुरूवार को ई-मेल से भेजी गई फरमाइश से गीत सुनवाए जाते हैं और शेष दिन पुराने तरीके से पत्रों से प्राप्त फरमाइश के अनुसार गीत सुनवाए जाते हैं। नए-पुराने गीतों के लिए श्रोताओं ने फरमाइश भेजी। सोमवार को बीते दिन मनाए गए पर्यावरण दिवस को ध्यान में रख कर बूँद जो बन गई मोती फिल्म से यह गीत भी शामिल किया - हरी भरी वसुंधरा पे नीला-नीला ये गगन। ईमेल से पुरानी और बहुत पुरानी जैसे सरस्वती चन्द्र और दादीमाँ फिल्मो के गीत सुनने के लिए भी फरमाइश भेजी और वीरजारा जैसी नई फिल्मे भी शामिल थी।
इन दोनों कार्यक्रमों के बीच में 1:00 बजे आधे घंटे के लिए प्रसारित होता हैं कार्यक्रम हिट-सुपरहिट जिसे रात 9 बजे दुबारा प्रसारित किया जाता हैं। रविवार को छोड़कर हर दिन किसी एक कलाकार पर केन्द्रित हिट-सुपरहिट गीत सुनवाए जाते हैं। सोमवार को संगीतकार आदेश श्रीवास्तव के जन्मदिन के अवसर पर उन्ही पर केन्द्रित रहा यह कार्यक्रम। शिल्पा शेट्टी अभिनीत फिल्मो के गीत सुनवाए गए जबकि पिछली रात एक ही फनकार कार्यक्रम उन्ही पर केन्द्रित था जिसका स्वरूप हिट-सुपरहिट जैसा ही था। अभिनेता विनोद खन्ना, संगीतकार सलीम-सुलेमान, निर्माता-निर्देशक महेश भट्ट, गायक शान के गीत सुनवाए गए। गीतों के साथ कलाकार से सम्बंधित कुछ जानकारी भी दी गई। रविवार को आयोजन रहा - फेवरेट फाइव। इसमे कोई एक कलाकार आमंत्रित होते हैं, अपने पसंदीदा पांच गीत बताते हैं इस बार आमंत्रित रही बीते समय की मशहूर अभिनेत्री कामिनी कौशल। यह दूसरी कड़ी थी। अपनी पसंद के बेहतरीन गाने सुनवाए जिसमे वो फिल्मे शामिल थी जिसमे उन्होंने काम किया। बहुत पुरानी फिल्म जेलर जिसमे सोहराब मोदी के साथ काम किया, पुरानी फिल्म दो रास्ते का गीत भी शामिल था और देश भक्ति गीत भी - मेरा रंग दे बसंती चोला।
दोपहर बाद के प्रसारण में सोमवार से शुक्रवार तक 3 बजे से एक घंटे के लिए प्रसारित हुआ महिलाओं के लिए कार्यक्रम, गुरूवार तक हैलो सहेली कार्यक्रम में हर दिन दो प्रस्तोता सखियाँ आपस में बतियाते हुए कार्यक्रम को आगे बढाती हैं साथ ही फरमाइश के गीत भी सुनवाए जाते हैं। प्रस्तोता सखियाँ रही - ममता (सिंह) जी, निम्मी (मिश्रा) जी, शहनाज (अख्तरी) जी। प्रस्तुति में हल्का सा परिवर्तन अच्छा लग रहा हैं, खासकर गुरूवार के प्रसारण में। गुरूवार को गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर के चर्चित उपन्यास आँख की किरकिरी का वाचन हुआ। पता चला कि यह पिछले सप्ताह ही शुरू हुआ। ममता जी बहुत अच्छा पढ़ कर सुना रही हैं। हमारा अनुरोध हैं कि चारो दिन यह उपन्यास पढ़ कर सुनाइए। हर दिन इसका कुछ अंश सुनना सुखद रहेगा। अब पूरे प्रसारण में सखियों के पत्र पढ़ने के बजाय केवल अंतिम आधे समय में पत्र पढ़े जा रहे हैं और शुरू का आधा घंटा किसी विषय पर दोनों प्रस्तोता सखियाँ बतियाती हैं। सोमवार को पर्यावरण दिवस के सन्दर्भ में बतियाते हुए अच्छी सलाह दी कि घर में जब भी कोई शुभ दिन हो तब एक पेड़ लगा दे। व्यंजनों में मूंग की दाल का पराठा और सखियों के पत्रों से टमाटर का हलवा बनाना बताया गया। स्वास्थ्य और सौन्दर्य के नुस्के बताए। सफल महिलाओ की गाथा में नसीमा हुर्जूर के बारे में बताया जो रीढ़ की हड्डी की समस्या से विकलांग हुई फिर प्रशिक्षित होकर आत्मनिर्भर बनी। इसके लिए आलेख उन्नति (वोहरा) जी ने तैयार किया।
बुधवार को कुछ तकनीकी खराबी से आवाज ठीक से सुनाई नही दी पर तुरंत ही ठीक कर दिया गया। सखियों की फरमाइश पर हर दिन अलग-अलग दौर के फिल्मी गीत सुनवाए गए। बहुत पुराने गीत जैसे भीगी रात फिल्म का गीत -दिल जो न कह सका, पुराने गीत जैसे मेघा रे मेघा रे मत परदेस जा रे। हर दिन सखियों के पत्र पढ़े गए जिनमे से घरेलु नुस्के बताए गए, दोस्ती, पूजा का महत्त्व बताया। शुक्रवार को प्रसारित हुआ हैलो सहेली कार्यक्रम। श्रोता सखियों से फोन पर बातचीत की ममता (सिंह) जी ने। विभिन्न स्तर की श्रोता सखियों से बात हुई - छात्र, कम शिक्षित, अशिक्षित गृहणीयों ने फोन किए। एक सखि ने बातो ही बातो में खम्मन ढोकला बनाने की विधि बता दी। एक ने बताया कि उसके पास कुछ छात्र आते हैं जिन्हें वो फैशन डिजाइनिंग सिखाती हैं। सखियों की पसंद पर नए-पुराने गीत सुनवाए गए जैसे नागिन फिल्म से - तेरे संग जीना तेरे संग मरना, कुछ ऐसे गीत भी सुने जो बहुत ही कम सुनवाए जाते हैं। कार्यक्रम के समापन पर बताया गया कि इस कार्यक्रम के लिए हर बुधवार दिन में 11 बजे से फोन कॉल रिकार्ड किए जाते हैं जिसके लिए फोन नंबर भी बताए - 28692709 मुम्बई का एस टी डी कोड 022 दोनों कार्यक्रमों के लिए अलग-अलग संकेत धुन सुनवाई गई। प्रस्तुति मनीषा(जैन)जी की रही सहयोग रीता (गोम्स)जी का।
सप्ताहांत में इस एक घंटे का प्रसारण अलग रहा। 3:30 बजे तक शनिवार को प्रसारित हुआ सदाबहार नगमे कार्यक्रम जिसमे मेरे सनम, ससुराल जैसी साठ के दशक की फिल्मो के सदाबहार गीत सुनवाए गए। रविवार को प्रसारित हुआ कार्यक्रम सदाबहार नगमे सन्डे स्पेशल। मेरे लाल फिल्म का गीत सुनवाया - पायल की झंकार हंसते हंसते ढूंढें तेरा प्यार रस्ते रस्ते जिसे बहुत दिन बाद सुनना अच्छा लगा। तीसरी मंजिल, अनुपमा फिल्मे भी शामिल थी। 3:30 बजे नाट्य तरंग कार्यक्रम में शनिवार और रविवार को नाटक सुनवाया - दुल्हन का दाम। इस नाटक के मूल लेखक हैं लोमेर दाई और हिन्दी रूपान्तरकार हैं आरती दास बैरागी और निर्देशक हैं तरूण आजाद डेका। परम्पराओं के नाम पर महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को दर्शाया गया। पंचायत ने महिला के हक में फैसला सुनवाया। अच्छी प्रेरणादायी रचना, प्रस्तुति दिल्ली केंद्र की रही।
शाम 4 से 5 बजे तक हर दिन प्रसारित हुआ कार्यक्रम पिटारा जिसमे हर दिन अलग-अलग कार्यक्रम प्रसारित हुए। इसकी अपनी संकेत धुन हैं और हर कार्यक्रम की अलग संकेत धुन हैं। इसमे सोमवार का कार्यक्रम महत्वपूर्ण रहा - सेहतनामा। इस कार्यक्रम में डा गीता बिरला से युनूस (खान) जी की बातचीत प्रसारित हुई। बातचीत का विषय था - यकृत प्रत्यारोपण (लीवर ट्रान्सप्लानटेशन)। बताया कि शराब पीने से लीवर खराब हो जाता हैं, हेपीटाईटीस के शिशुओं को लगाए जाने वाले टीको की जानकारी दी। पीलिया रोग और अन्य संक्रमण की जानकारी भी दी। महत्वपूर्ण बात यह बताई कि लीवर के प्रत्यारोपण में 80-90% मामलों में सफलता मिली हैं। लीवर देने वाले से 60% भाग निकाला जाता हैं और दूसरे को लगाया जाता हैं और बहुत जल्द दोनों में लीवर अपने पूरे आकार में आ जाता हैं क्योंकि शरीर का यही एक ऐसा अंग हैं जो तेजी से बढ़ता हैं। इसीलिए लीवर दान देने के लिए सन्देश भी दिया। अन्य महत्वपूर्ण बात यह बताई कि ब्रेन डेथ यानि मस्तिष्क पहले काम करना बंद करने पर लीवर निकालना आसान होता हैं और अगर ह्रदय काम करना पहले बंद कर दे तो थोड़ा कठिन हो जाता हैं। प्रत्यारोपण के बाद डाक्टर की देखरेख में नियमित दवाई लेने से कोई समस्या नही होगी। इस काम में 10-20 लाख का खर्च हैं। इस कार्यक्रम को सुनील भुजबल जी के तकनीकी सहयोग से तनूजा कोंडाजी कानरे जी ने प्रस्तुत किया।
बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में मेहमान रही कवियित्री और गीतकार माया गोविन्द जिनसे बातचीत की अमरकांत (दुबे) जी ने। शुरू में इस कार्यक्रम की संकेत धुन के स्थान पर इस श्लोक का गायन सुना - अथ स्वागतम शुभ स्वागतम, आनंद मंगल मंगलम, इत प्रियम भारत भारतम। बातचीत की शुरूवात अच्छी हुई और आगे भी अच्छा बढी, जानकारी मिली कि बचपन से ही रेडियो की कलाकार हैं, फिर संगीत, नृत्य की शिक्षा ली, नाटको में काम किया, विवाह हुआ और टूटा। मंच पर काव्य प्रस्तुति द्वारा अभिनेता भारत भूषण से मुलाक़ात और फिल्म जगत में प्रवेश। उनके गीतों पर चर्चा हुई, गीत सुनवाए। क़ैद फिल्म के गीत करा ले साफ़ करा ले, कानो का ये मैल को लेकर चर्चा अच्छी रही कि फिल्म की सिचुएशन के अनुसार गीत लिखे फिर कार्यक्रम समाप्त हो गया। एक महत्वपूर्ण बात रह गई, उनके कुछ गीतों की आलोचना हुई कि गीत द्विअर्थी हैं। इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती थी पर इस मुद्दे को छुआ भी नही गया। इस कार्यक्रम को रमेश (गोखले) जी के सहयोग से शकुन्तला (पंडित) जी ने प्रस्तुत किया। शुक्रवार को प्रसारित हुआ सरगम के सितारे जिसमे बातचीत हुई पार्श्व गायक मनहर उदहास से। यह सातवी कड़ी थी। बातचीत की युनूस (खान) जी ने। नब्बे के दशक की फिल्म जान के शीर्षक गीत के बनने की चर्चा की। संगीतकार ओ पी नय्यर से मुलाक़ात की चर्चा की और खेद जताया कि यह भेंट तब हुई जब नय्यर साहब फिल्म जगत छोड़ चुके थे। अमिताभ बच्चन के साथ किए गए स्टेज शोज की भी चर्चा की। इस कार्यक्रम को विनायक (रेणके) जी के तकनीकी सहयोग से तनूजा कोंडाजी कानरे जी ने प्रस्तुत किया। रविवार को प्रस्तुत हुआ कार्यक्रम उजाले उनकी यादो के जिसमे पार्श्व गायक मन्नाडे से कमल (शर्मा) जी की बातचीत प्रसारित हुई। शुरूवाती बात हुई कि चाचा के सी डे के माध्यम से फिल्मो में आए। शंकर राव व्यास को याद किया। शुरू में उच्चारण में होने वाली दिक्कतों की भी चर्चा की। सहगल साहब और पंकज मलिक को याद किया। यह गीत भी सुनवाया - केतकी गुलाब जूही चम्पक बन फूले। विभिन्न गीतों के लिए उन्हें मिले एवार्ड्स की भी चर्चा हुई। इस कार्यक्रम को कैलाश नाथ वर्लीकर जी के तकनीकी सहयोग और कमला (कुंदर)जी के सहयोग से कमल (शर्मा) जी ने प्रस्तुत किया।
मंगलवार, गुरूवार और शनिवार को प्रसारित हुआ कार्यक्रम हैलो फरमाइश जिसमे फोन पर कई श्रोताओं ने विविध भारती के विविध कार्यक्रमों को पसंद करने की बात बताई। विभिन्न स्तर के श्रोताओं ने फोन किया - छात्र, अलग-अलग तरह का काम करने वाले जैसे टेलर, ब्रेल लिपि सिखाने वाले टीचर। अपने-अपने काम के बारे में बताया। साथ ही कुछ और बाते भी पता चली जैसे राजस्थान में गर्मी बहुत हैं। नए-पुराने गीतों की फरमाइश की - बसंत बहार, महबूब की मेहदी जैसी फिल्मो से। 5 बजे दिल्ली से प्रसारित समाचार के 5 मिनट के बुलेटिन के बाद प्रसारित हुआ कार्यक्रम गाने-सुहाने। इसमे नए और कुछ पुराने गीत सुनवाए गए जैसे नई फिल्मे खट्टा मीठा, ढाई आखर प्रेम का, कुछ पुरानी फिल्मे - डर, दिल का रिश्ता फिल्म का शीर्षक गीत भी शामिल था।
शाम बाद 7 बजे प्रसारित हुआ फ़ौजी भाइयों के लिए कार्यक्रम जयमाला जिसमे SMS से प्राप्त फरमाइश के अनुसार गीत सुनवाए जाते हैं। हर दिन लगभग सभी दौर की फिल्मो के गीत सुनवाए गए, पुरानी फिल्म आँखे का गीत - मिलती हैं जिन्दगी में मोहब्बत कभी-कभी, कुछ पुराना देश भक्ति गीत - दिल दिया हैं जाँ भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए, आज के दौर का गीत यमला पगला दीवाना फिल्म से - इश्क का मंजन घिसे हैं पिया। फ़ौजी भाइयो को SMS करने का तरीका भी बताया गया - मोबाइल के मैसेज बॉक्स में जाकर टाइप करना हैं - vjm - फिल्म का नाम - गाने के बोल - अपना नाम और रैंक जरूर लिखे और भेज दे इस नंबर पर - 5676744
शनिवार को विशेष जयमाला प्रस्तुत किया चरित्र अभिनेता ए के हंगल ने। अपनी पहली फिल्म शागिर्द की चर्चा के साथ पर्यारण की चर्चा की। एक फ़ौजी जवान का किस्सा भी सुनाया। लोकप्रिय गीत सुनवाए। जयमाला के बाद 7:45 पर 15 मिनट के लिए अलग-अलग कार्यक्रम प्रसारित हुए। सोमवार को पत्रावली में श्रोताओं के पत्र पढ़े रेणु (बंसल) जी ने और उत्तर दिए कमल (शर्मा) जी ने। विभिन्न राज्यों से जिलों, शहरो और दूरदराज के गाँव से पत्र आए। कुछ नियमित श्रोताओं ने पत्र भेजे और कुछ नए श्रोताओं के भी पत्र पढ़े गए। लगभग सभी कार्यक्रमों की तारीफ़ थी। कुछ पत्रों में फरमाइशे भी थी। अंत में डाक पता बताया गया जिससे कुछ श्रोता अगर अब पत्र भेजना चाहे तो उन्हें दिक्कत न हो - विविध भारती सेवा, पोस्ट बॉक्स नंबर 19705 मुम्बई 400091
मंगलवार, शुक्रवार और रविवार को सुना कार्यक्रम गुलदस्ता जिसमे मंगलवार को नए शायर और गुलोकारों को सुना - कतिल शिफाई, इब्राहिम अश्क, भूपेन्द्र, राजकुमार रिजवी। शुक्रवार को गैर फिल्मी गीत सुनवाए गए - मधुकर राजस्थानी, योगेश की रचनाएं, मन्नाडे, सुमन कल्याणपुर को सुना। रविवार को दो गजले सुनवाई, आगाज में अंदाज नया रहा, एक एलबम से निदा फाजली का कलाम सुनवाया और आखिर में बेगम अख्तर साहिबा को सुना - दिल में तमन्ना भी नही - कलाम फ़िराक गोरखपुरी का हैं। इस तरह अच्छी विविधता रही। बुधवार को इनसे मिलिए कार्यक्रम में संगीतकार जोडी के संगीतकार दिलीप सेन से निम्मी (मिश्रा) की बातचीत का दूसरा और अंतिम भाग प्रसारित हुआ। सुनकर लगा कि यह बातचीत पिटारा कार्यक्रम के अंतर्गत प्रसारित होती तो ठीक होता, इस कार्यक्रम में नए कलाकारों से संक्षिप्त बातचीत अच्छी लगती हैं। गुरूवार को राग-अनुराग कार्यक्रम में राग शिवरंजनी, भैरवी और कम चर्चित राग विभास पर आधारित फिल्मी गीत सुनवाए गए। फिल्मी गीतों का चुनाव अच्छा रहा, अच्छी विविधता रही। शनिवार को सामान्य ज्ञान के कार्यक्रम जिज्ञासा में सोन चिरय्या के साथ विभिन्न पक्षियों के लुप्त होने के कगार पर होने की चर्चा की। मेढक की त्वचा के प्रोटीन के विभिन्न रोगों में किए जाने वाले उपयोग की चर्चा की। फ्रेंच ओपन टेनिस की चर्चा हुई। एम ऍफ़ हुसैन को श्रद्धांजलि दी।
रात 8 बजे का समय रहा हवामहल का जिसकी गुदगुदाती वर्षों पुरानी संकेत धुन आज भी शुरू और अंत में सुनवाई जाती हैं। रविन्द्रनाथ मैत्र के लिखे मूल बंगला नाटक - मानमयी गर्ल्स स्कूल का सत्येन्द्र शरत द्वारा किया गया हिन्दी रेडियो नाट्य रूपांतर - कितना सच कितना झूठ का धारावाहिक प्रसारण सुना। इसमे पति-पत्नी का नाटक कर गाँव के स्कूल में नौकरी पाई जाती हैं। पत्नी का नाटक करने में उसे उलझन होती हैं और वह वापस जाना चाहती हैं पर जा नही पाती क्योंकि परस्पर पनपे प्रेम का अहसास हो जाता हैं। निर्देशक हैं लोकेन्द्र शर्मा और सहायक हैं पी के ए नायर। इस बार कलाकारों के नाम भी बताए गए - कमल शर्मा, सुधीर पाण्डेय, सुलक्षणा खत्री, अमरकान्त दुबे, शैलेन्द्र कौल, आशा शर्मा, प्रतिभा शर्मा, अशोक सोनावणे, अरूण माथुर।
रात 9:30 बजे आज के फनकार कार्यक्रम प्रसारित किया गया। विख्यात अभिनेत्री नर्गिस पर यह कार्यक्रम अच्छा लगा, यह महत्वपूर्ण जानकारी मिली कि वह पहली अभिनेत्री हैं जिसे पद्मश्री मिला। शिल्पा शेट्टी और डिंपल कपाडिया पर प्रस्तुत कार्यक्रम हिट-सुपरहिट जैसा लगा। गीतकार असद भोपाली पर कार्यक्रम भी ऐसा ही था सिर्फ यहाँ उनकी रिकार्डिंग के कुछ अंश सुनवाए गए लेकिन उनसे सम्बन्धी अच्छी जानकारी नही मिल पाई सिवाय एक महत्वपूर्ण बात के कि पुराना गीत हंसता हुआ नूरानी चेहरा और अस्सी के दशक की फिल्म मैंने प्यार किया का गीत कबूतर जा जा जा उन्ही के लिखे हैं। डिंपल कपाडिया पर केन्द्रित कार्यक्रम में गाने वही सुनवाए जो दोपहर 12 बजे सुनवाए थे। हद तो तब हो गई जब सागर फिल्म के दो और बौबी फिल्म के तीन गाने सुनवाए जबकि कई महत्वपूर्ण बाते नही बताई जैसे बाद में उन्होंने सार्थक सिनेमा में अपनी अभिनय क्षमता दिखाई, दृष्टि फिल्म का सिर्फ नाम बताया कि उसके लिए एवार्ड मिला, कोई चर्चा नही की। यह कार्यक्रम बिलकुल भी अच्छा नही था। बेहतर होता दो कार्यक्रमों के स्थान पर केवल हिट-सुपरहिट कार्यक्रम ही तैयार किया जाता। फिल्मकार संजय लीला भंसाली पर कार्यक्रम ठीक रहा। पूरे सप्ताह इस कार्यक्रम को विजय दीपक छिब्बर जी ने प्रस्तुत किया। सहयोग पी के ए नायर जी का रहा। इस कार्यक्रम का प्रसारण हर दिन के बजाय सीमित करने से ठीक रहेगा, अन्य समय कोई और कार्यक्रम प्रसारित करने से विविधता और रोचकता बढ़ेगी। हिट-सुपरहिट और इस कार्यक्रम की अपनी-अपनी संकेत धुन हैं।
रात 10 बजे छाया गीत में अमरकांत जी ने दिल की बाते की और प्यार की चर्चा की, शागिर्द, ज्वैल थीफ और दिल हैं कि मानता नही जैसी फिल्मो के गीत सुनवाए। ममता (सिंह) जी ने प्यार के अहसास की चर्चा की, गाने अधिकतर पुराने ही सुनवाए - ये किसने गीत छेड़ा। राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ने शायराना अंदाज में रोमांटिक गीत सुनवाए - नजरो से कह दो प्यार में मिलने का मौसम आ गया। रेणु (बंसल) जी ने मोहब्बत की चर्चा की और यह शरारती गीत भी सुनवाया - ये परदा हटा दो ज़रा मुखड़ा दिखा दो हम प्यार करने वाले हैं कोई गैर नही। कमल (शर्मा) जी ने प्यार में प्रतीक्षा की चर्चा की, एक ऐसा गीत भी सुनवाया जो कम ही सुनवाया जाता हैं - ऐसा होता तो नही ऐसा हो जाए अगर। इस तरह सभी ने प्यार की चर्चा की पर युनूस (खान) जी की प्रस्तुति हट कर रही, ऐसे गीतों की चर्चा की जो कम ही सुनवाए जाते हैं, ज्यादातर ऐसे गीत सुनवाए जिसे मैंने शायद ही पहले कभी सुना हो जिनमे से एक गीत हैं - तुझे दूं मैं क्या तू ही बता जो देना हैं मालिक ने पहले ही दिया। कुछ गीत जाने-पहचाने भी रहे। 10:30 बजे आधे घंटे के लिए आपकी फरमाइश कार्यक्रम प्रसारित हुआ जिसमे फरमाइश पर पुराने गाने जैसे एक बार मुस्कुरा दो फिल्म और बहुत पुरानी जैसे बरसात फिल्म से यह गीत सुनवाया - हवा में उड़ता जाए मेरा लाल दुपट्टा मलमल का। नई फिल्मो दबंग और सुर के गीत भी शामिल थे। मन चाहे गीत की तरह यहाँ भी बुधवार और गुरूवार को ई-मेल और शेष दिन पत्रों से प्राप्त फरमाइशे पूरी की गई। शनिवार को रात 9:30 से 11 बजने से कुछ पहले तक प्रसारण सुनाई नही दिया केवल खरखराहट थी।
भूले बिसरे गीत, त्रिवेणी, मन चाहे गीत, पिटारा, जयमाला, आपकी फरमाइश कार्यक्रम प्रायोजित रहे। प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए। श्रोताओं की सुविधा के लिए दिन भर के कार्यक्रमों का विवरण बताया गया झरोका के अंतर्गत सुबह 6:55 पर, आगे के कार्यक्रमों का विवरण दोपहर 12:55 शाम 6:55 पर, और रात 11 बजे अगले दिन के सभी कार्यक्रमों की जानकारी दी गई जिसमे प्रायोजित कार्यक्रमों के लिए प्रायोजक के नाम भी बताए गए। रात 11:05 पर समाचारों के दिल्ली से प्रसारित 5 मिनट के बुलेटिन के बाद प्रसारण समाप्त होता रहा।
मन चाहे गीत और आपकी फरमाइश कार्यक्रम में फरमाइश भेजने के लिए पता बताया गया, पता वही हैं जो हमने पत्रावली के लिए बताया, केवल ऊपर कार्यक्रम का नाम लिखना हैं।
ई-मेल आई डी -
manchahegeet@gmail.com apkifarmaish@gmail.comचलते-चलते हम आपको बता दे कि यह सभी कार्यक्रम हमने हैदराबाद में एफ़ एम चैनल पर 102.8 MHz पर सुने।