रेडियोनामा पर जानी मानी पूर्व समाचार वााचिका शुभ्रा शर्मा हर सोमवार को लाती हैं अपनी श्रृंखला पत्ता पत्ता बूटा बूटाा। पिछले सप्ताह किसी तकनीकी गड़बड़ी की वजह से आप ग्यारहवीं कड़ी को ठीक से नहीं पढ़ सके थे। इसलिए इस सप्ताह उसे दुरूस्त करके पोस्ट किया जा रहा है। असुविधा के लिए खेद है। और हां पत्ता-पत्ता बूटा बूटा की सभी कडियां यहां क्लिक करके पढ़ी जा सकती हैंं।
पत्ता पत्ता बूटा बूटा सचमुच हाल हमारा जाने है। तभी तो परिवार के किसी बड़े-बूढ़े की तरह उन्हें बराबर हमारी चिंता लगी रहती है। भीषण गर्मी से बचाव के लिए हमें आम का पन्ना, फालसे का शर्बत, नारियल पानी, बेल का शर्बत, नींबू की शिकंजी, उन्हीं की बदौलत तो मिलती है। इनमें सबसे ज़्यादा सुलभ होता है -नींबू।
पंजाब ने नींबू के इस महत्त्व को बरसों पहले स्वीकार कर लिया था और इस पर लोकगीत भी रच डाला था - ओ रसिया निंबू लिया दई वे, डाडी उठी कलेजे पीड़।
नींबू की क़दर सिर्फ हमारे देश में हो, ऐसा नहीं है। पाकिस्तान की फिल्म 'तीस मार ख़ान' में नज़ीर बेगम ने नींबू के बारे में जो गीत गाया था वह भी बड़ा मक़बूल हुआ था -
निम्बुआ दा जोड़ा अस्सां बागे विच्चों तोड़ियां, निम्बुआ दा जोड़ा।
उधर, अमेरिकी सिंगर-गिटारिस्ट ट्रिनी लोपेज़ का गाना लेमन ट्री भी बहुत पसंद किया गया था। ट्रिनी ने नींबू के पेड़ से जीवन का सबक़ सीखा है। उनका मानना है कि नींबू का पेड़ बड़ा सुन्दर लगता है, उसके फूल बहुत सुन्दर होते हैं लेकिन उसका फल खाया नहीं जा सकता। उससे पेट भरने की आस करना बेकार है।
पंजाब ने नींबू के इस महत्त्व को बरसों पहले स्वीकार कर लिया था और इस पर लोकगीत भी रच डाला था - ओ रसिया निंबू लिया दई वे, डाडी उठी कलेजे पीड़।
राजस्थान के मांगणियार भी पारम्परिक लोक गीत में निम्बुड़ा लाने की मांग उठाते रहे हैं -
निम्बुड़ा निम्बुड़ा निम्बुड़ा, छोटा-छोटा काचा-काचा निम्बुड़ा लाइ दो।
लाइ दो लाइ दो लाइ दो, म्हारी बड़ी नणद रा बीरा निम्बु लाइ दो।
बाद में संजय लीला भंसाली की फ़िल्म 'हम दिल दे चुके सनम' में ऐश्वर्या राय ने गुजरात से भी यही मांग उठायी -
निम्बुड़ा निम्बुड़ा, काचा-काचा छोटा-छोटा निम्बुड़ा लाइ दो
जा खेत से हरियाला निम्बुड़ा लाइ दो।
हमारे उत्तर प्रदेश में, मायके से ससुराल जा रही बेटी के मन में जब अपने परिचित परिवेश को, अपने माँ-बाप को, अपनी बचपन की सहेलियों को छोड़कर जाने की टीस उठती है तो वह ले जाने वालों से अनुरोध करती है - ज़रा दो घड़ी इस पेड़ के नीचे डोला रोक लो। मैं एक बार आँख भरकर अपना गाँव-घर तो देख लूँ। अभी कल तक तो मैं गुड़िया खेल रही थी, आज इतनी बड़ी हो गयी कि तुम मुझे घर से, अपनी गुड़ियों से दूर लिये जा रहे हो।
निम्बुआ तले डोला रख दे मुसाफ़िर आयी सावन की बहार रे।
नींबू की क़दर सिर्फ हमारे देश में हो, ऐसा नहीं है। पाकिस्तान की फिल्म 'तीस मार ख़ान' में नज़ीर बेगम ने नींबू के बारे में जो गीत गाया था वह भी बड़ा मक़बूल हुआ था -
निम्बुआ दा जोड़ा अस्सां बागे विच्चों तोड़ियां, निम्बुआ दा जोड़ा।
उधर, अमेरिकी सिंगर-गिटारिस्ट ट्रिनी लोपेज़ का गाना लेमन ट्री भी बहुत पसंद किया गया था। ट्रिनी ने नींबू के पेड़ से जीवन का सबक़ सीखा है। उनका मानना है कि नींबू का पेड़ बड़ा सुन्दर लगता है, उसके फूल बहुत सुन्दर होते हैं लेकिन उसका फल खाया नहीं जा सकता। उससे पेट भरने की आस करना बेकार है।
अपने पाठकों की सुविधा के लिये मैं इस गीत का लिखित संस्करण पोस्ट कर रही हूँ ताकि आप संगीत के साथ-साथ गीत का भी आनंद ले सकें।
5 comments:
Shahnaz Imrani : Bahut khoob
Kuldeep Pushpakar : अद्भुत
Pramod Kumar Pandey : Nice
Avnish Pandey : अद्भुत गीत है. अरसे बाद इसका ज़िक्र सुना.
Danish Iqbal : Khatte Gaane kahiye!
Me : नहीं दानिश भाई, नींबू के बारे में हैं, मगर मीठे हैं।
Post a Comment
आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।