वर्ष २००७ विविध भारती के लिए महत्वपूर्ण रहा क्योंकि ये विविध भारती की स्थापना का पचासवां वर्ष रहा, लेकिन मैं कहूंगी कि विविध भारती से कहीं ज्यादा यह वर्ष एक श्रोता के रूप में मेरे लिए महत्वपूर्ण रहा।
इस वर्ष विविध भारती ने मुझे अपने निकट महसूस किया। मैं तो विविध भारती से बचपन के उस दौर से जुड़ी हूं जब गाने भी मैं सिर्फ़ सुनती थी समझ में बिल्कुल भी नहीं आता था। उम्र के साथ-साथ ही विविध भारती समझ में आने लगा।
ये वर्ष वास्तव में मेरे लिए बहुत अच्छा रहा कि विविध भारती और रेडियो जगत से जुड़ी अपनी यादें बांटने का मौक़ा मिला। बहुत कुछ मेरे मन में था जो मन में ही रह जाता अगर रेडियोनामा न होता। कार्यक्रमों के बारे में अपनी राय बेबाक होकर बताने का अवसर भी मिला।
मैनें रेडियोनामा से ही जाना कि मुझ जैसे और भी लोग है जिनकी पसन्द मेरी पसन्द है। इस तरह इस वर्ष मैं, मुझ जैसे लोगों से मिल पाई हूं।
धन्यवाद रेडियोनामा का जिसने मुझे एक ही साल में बहुत से दोस्त दिए। मेरे परिचय का दायरा बढा।
इस साल साथ-साथ अच्छा समय बिताने के लिए सभी दोस्तों को धन्यवाद।
शुक्रिया रेडियोनामा !
शुक्रिया विविध भारती !
स्वर्ण जयन्ती जैसे कई सुनहरे अवसर विविध भारती बार-बार देखें। इसी शुभकामना के साथ मैं इस साल का अंतिम चिट्ठा समाप्त कर रही हूं। रेडियोनामा के सभी साथियों को
नया साल मुबारक !
सबसे नए तीन पन्ने :
Monday, December 31, 2007
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