सत्तर के दशक के शुरू में एक फ़िल्म रिलीज़ हुई थी - पहचान जो मनोज कुमार की एक लोकप्रिय और हिट फ़िल्म रही।
राजकपूर के बाद मनोज कुमार ही एक ऐसे अभिनेता है जिस पर मुकेश की आवाज़ खूब फबी। इस फ़िल्म में नायिका शायद बबिता है। आज इस फ़िल्म के जिस गीत को हम याद कर रहे है उसे मुकेश, सुमन कल्याणपुर और साथियों ने गाया है। इस गीत में नायक (मनोज कुमार) को विवाह के लिए अलग-अलग तरह की लड़कियाँ दिखाई जा रही है पर उसे हर लड़की में कोई न कोई बुराई नज़र आ रही है जैसे किसी के कटे बाल अच्छे नहीं है तो किसी की ऊँची ऐड़ी की सैन्डिल।
पहले यह शरारतीपूर्ण गीत रेडियो के हर केन्द्र से, सिलोन से बहुत ज्यादा सुनवाया जाता था। अब बहुत समय से नहीं सुना। इसके कुछ बोल याद है -
वो परी कहाँ से लाऊँ तेरी दुल्हन जिसे बनाऊँ
के गोरी कोई पसन्द न आए तुझको
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सोलह साल की उमर कोकाकोला सी कमर
कहीं आई हो नज़र
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इससे भँगड़ा कौन कराए
ये गंगाराम की समझ में न आए
ये अंतिम पंक्ति हर अंतरे के अंत में है।
पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…
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Tuesday, November 10, 2009
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2 comments:
aapne ye jo bina radio set ke radio sunne ka tareeka dikhaya hai kamaal ka hai. please bataiye ki mai kaise ise apne blog pe laga sakta hu?
aapne ye jo bina radio set ke radio sunne ka tareeka dikhaya hai kamaal ka hai. please bataiye ki mai kaise ise apne blog pe laga sakta hu?
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