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Thursday, January 21, 2010

दोपहर बाद के जानकारीपूर्ण कार्यक्रमों की साप्ताहिकी 21-1-10

दोपहर में 2:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम की समाप्ति के बाद आधे घण्टे के लिए क्षेत्रीय प्रसारण होता है जिसके बाद केन्द्रीय सेवा के दोपहर बाद के प्रसारण के लिए हम 3 बजे से जुड़ते है।

3 बजे सखि सहेली कार्यक्रम में शुक्रवार को प्रसारित हुआ कार्यक्रम हैलो सहेली। फोन पर सखियों से बातचीत की कांचन (प्रकाश सन्गीत) जी ने। कार्यक्रम का स्वरूप बदल गया है। यह विविध भारती के पुराने कार्यक्रम मंथन जैसा हो गया है। मंथन तो अब बंद हो चुका है। पर इसमे मंथन जैसी बात नही। इस बार का विषय रहा, क्यो तनाव ग्रस्त होती है नारी। पहले काल में अच्छी बात हुई कि पति के व्यसन जैसे शराब आदि की आदत से तनाव हो जाता है। अन्तिम काल भी अच्छा रहा जिसमे श्रोता सखी ने अपना अनुभव बताया कि कैसे पति के निधन के बाद उसने बच्चो का पालन पोषण किया। शेष अच्छा नही लगा। एक तो कांचन जी का बहुत बोलना अखर गया। वह कहती गई ऐसा करने से, वैसा करने से, ऐसा होने से तनाव होता है और श्रोता सखियाँ फोन पर हाँ हाँ कहती गई। एक प्रमुख मुद्दे पर बात ही नही हुई। इस आधुनिक जीवन में कई बार पतियों का किसी के साथ अफेयर चलता है और पत्निया तनाव में रहती है, कई बार ऐसा कुछ नही होता पर महिलाए अनावश्यक शक कर तनाव पाल लेती है। ऐसे तनाव कई बार आत्महत्या की कगार पर ले जाते है। हालांकि विभिन्न स्तर की महिलाओं ने बात की। घरेलु, छात्रा, कम पढी लिखी, शिक्षित। एक सखी ने बताया कि बीमार होने से पढाई छोड़ दी है, उसे इस बात का कितना तनाव रहा होगा पर इस सन्दर्भ में बात ही नही हुई। कुछ बातें बड़ी अजीब लगी, कहा कि धोबी समय पर कपडे नही लाता है, सब्जी जल्दी काटने के लिए कहा जाता है और जल्दी में उंगली कट जाती है तो तनाव होता है... यह तनाव नही खीझ है, तनाव वो होता है जब कोई समस्या मन में हो और उस पर सोचते सोचते मन में कसाव हो। विषय बहुत गहराई लिए था पर कार्यक्रम सतही रहा।

सखियों की पसंद पर नए-पुराने विभिन्न मूड के गाने सुनवाए गए। कार्यक्रम तेजेश्री (शेट्टे) जी के तकनीकी सहयोग से प्रस्तुत किया गया।


सोमवार को पधारे निम्मी (मिश्रा) जी और अंजू जी। इस दिन बसंत का रंग चढ़ा। सखियों की पसंद पर गीत भी उसी रंग का उपकार फिल्म से सुनवाया
-

आई झूम के बसंत झूमो संग संग रे

इसके अलावा गूँज उठी शहनाई, दिल ही तो है जैसी पुरानी फिल्मो के गीत सुनवाए गए। यह दिन रसोई का होता है। श्रोता सखि द्वारा भेजा गया व्यंजन बताया गया - उत्तपम

मंगलवार को पधारी सखियां मंजू (द्विवेदी) जी और सुधा (अत्सुले) जी। इस दिन हमेशा की तरह सखियो के अनुरोध पर गाने नए ही सुनवाए गए जैसे रब ने बना दी जोडी, थ्री इडियट्स फिल्मो के गीत और यह गीत -

दिल है छोटा सा छोटी सी आशा

यह करिअर का दिन होता है। इस दिन इंटरनेट बैंकिंग के बारे में बताया गया। एयर होस्टेस बनने के लिए भी जानकारी दी गई।

बुधवार को सखियाँ पधारीं - निम्मी (मिश्रा) जी और सुधा (अत्सुले) जी। इस दिन बसंत पंचमी थी। ऋतुराज बसंत का बहुत जोरदार स्वागत किया गया। सखियों के अनुरोध पर इन गीतों से स्वागत हुआ -

संग बसंती अंग बसंती रंग बसंती छा गया
मस्ताना मौसम आ गया

ओ बसंती पवन पागल

पुरवा सुहानी आई रे पुरवा
ऋतुओ की रानी आई रे पुरवा

साथ ही श्री पंचमी और सरस्वती पूजन की भी चर्चा हुई। बड़े ही काव्यात्मक ढंग से वर्णन किया गया। सुन्दर आलेख और प्रस्तुति। बधाई कमलेश (पाठक) जी।

इस दिन स्वास्थ्य और सौन्दर्य संबंधी सलाह दी जाती है्। श्रोता सखियों के पत्रों के आधार पर बालो की समस्या पर चर्चा हुई। बताया गया की क्या खाए और क्या न खाए। फरमाइश पर कुछ अलग तरह के अच्छे गीत इन फिल्मो से सुनवाए गए - खामोशी, चितचोर, गुमनाम, झुक गया आसमान।

आज पधारी रेनू (बंसल) जी और चंचल (वर्मा) जी। गुरूवार को सफल महिलाओं के बारे में बताया जाता है। आजकल श्रंखला चल रही है स्वतंत्रता सेनानी लेखिकाओं की। इस बार स्वर्ण कुमारी देवी के बारे में बताया गया जिनका पहला उपन्यास है दीप निर्वाण जो राष्ट्रीय चेतना पर है। एक प्रश्न भी पूछा कि वैसे तो सभी पेड़-पौधे रात में कार्बन-डाई-आक्साइड छोड़ते है पर कौन सा पौधा ऐसा है जो रात में भी आक्सीजन छोड़ता है। सखियों के अनुरोध पर आराधना, दादा, आशा, ईमानदार फिल्मो के लोकप्रय गीतों के साथ ऐसे गीत भी आज सुनने को मिले जो कम ही सुने जाते है। रखवाला और फ़िल्म राम तेरी गंगा मैली का यह गीत -

इक राधा इक मीरा
इक प्रेम दीवानी एक दरस दीवानी

हर दिन श्रोता सखियों के पत्र पढे गए। कुछ पत्रों में कार्यक्रमों की तारीफ़ थी, कुछ पत्रों में सखियों ने विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार भी बताए जैसे शहर की लड़की की शादी गाँव में हो तब भी उसे कठिनाई नही होनी चाहिए। शुक्रवार के हैलो सहेली के लिए विषय बताया गया - कैसे छुटकारा पाया जाए तनाव से, इसके अलावा यह सूचना भी दी कि अगले महीने से विभिन्न क्षेत्रो के विशेषज्ञों को बुलाया जा रहा ही। अगली बार एक वकील को आमंत्रित किया जा रहा है, विषय होगा - तलाक़। सखियाँ अपनी समस्याएँ भेज सकती है।

इस कार्यक्रम की दो परिचय धुनें सुनवाई गई - एक तो रोज़ सुनी और एक विशेष धुन हैलो सहेली की शुक्रवार को सुनी।

इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया कांचन (प्रकाश संगीत) जी, कमलेश (पाठक) जी ने सुनील (भुजबल) जी के तकनीकी सहयोग से और यह कार्यक्रम श्रोताओं तक ठीक से पहुँच रहा है, यह देखने (मानीटर करने) के लिए ड्यूटी रूम में ड्यूटी अधिकारी रही आशा (नायकन)जी।

शनिवार और रविवार को प्रस्तुत हुआ सदाबहार नग़में कार्यक्रम। शनिवार की प्रस्तुति में नयापन रहा। ओ पी नय्यर को याद करते हुए उनके स्वरबद्ध किए गीत सुनवाए अमरकांत जी ने। गीतों का पूरा आनंद मिला। एक के बाद एक सदाबहार नगमे गूंजते रहे और गीत के शुरू या समाप्ति पर या बीच में सन्गीत धीमा कर गीत का विवरण बताया गया। विभिन्न मूड के गीत सुनवाए गए। शरारती गीत मिस्टर एंड मिसेज 55 से -

जाने कहाँ मेरा जिगर गया जी

संबंध का गहरा अर्थपूर्ण गीत -

चल अकेला चल अकेला चल अकेला
तेरा मेला पीछे छूटा राही चल अकेला

प्यार के भी विभिन्न मूड सुनवाए -

दिल की आवाज भी सुन

इक परदेसी मेरा दिल गया

कश्मीर की कलि, तुम सा नही देखा, दिल और मोहब्बत, आर पार फिल्मो के गीत शामिल रहे।

रविवार की प्रस्तुति में छाया गीत की छाप रही। नाईट इन लन्दन, दस्तक, एक कलि मुस्काई फिल्मो के गीतों के साथ यह गीत भी शामिल थे -

भीगी पलकें न उठा
दिन जुदाई के गुजर जाएगे

वक़्त करता जो वफ़ा आप हमारे होते

उडी जब जब जुल्फे तेरी

3:30 बजे नाट्य तरंग कार्यक्रम रसमय रहा। शनिवार और रविवार को दो भागो में महाकवि जयदेव जी की रचना गीत गोविन्द की गीत नाट्य प्रस्तुति हुई। गीतों के साथ इसमे नाटक का पुट भी था। मूल संस्कृत रचना का हिन्दी रेडियो नाट्यरूपांतर, संगीतकार और प्रस्तुतकर्ता है राजेश रेड्डी जी। इसमे भाग लेने वाले कलाकारों के नाम सुन कर लगा यह पुरानी रिकार्डिंग है। संवादों में आवाजे है - छाया आर्य, सुधा शिवपुरी, विनोद शर्मा, कृष्ण भूटानी और गायक कलाकार - छाया गांगुली, अशित देसाई, रविन्द्र साठे, अपर्णा, मिताली मुखर्जी। बढ़िया सुरूचिपूर्ण प्रस्तुति।

शाम 4 से 5 बजे तक सुनवाया जाता है पिटारा कार्यक्रम जिसकी अपनी परिचय धुन है और हर कार्यक्रम की अलग परिचय धुन है।

शुक्रवार को सुना कार्यक्रम पिटारे में पिटारा जिसमें कुछ चुने हुए कार्यक्रमों का दुबारा प्रसारण होता है। इस बार प्रसारित हुआ कार्यक्रम बाई स्कोप की बातें जिसमे मुगले आजम फ़िल्म की बातें। लोकेन्द्र शर्मा जी ने यह बातें बताई जिसके लिए शोध किया कलीम राही जी ने और हम तक पहुंचाया पी के ऐ नायर जी की तकनीकी सहायता से। बताया कि फ़िल्म बनाने का ख़्वाब दो साल तक के आसिफ की आँखों में पलता रहा। बताया कि
कैसे के आसिफ साहब ने एक-एक किरदार के लिए कलाकारों को चुना। पहले बड़े गुलाम अली खान साहब ने गाने से मना किया फिर कैसे उन्हें मनाया गया, राजस्थान में लड़ाई की शूटिंग हुई जिसके लिए पैसे की दिक्कत भी हुई। प्रमुख सीनों के संवाद सुनवाए। हमेशा की तरह इस बार भी अच्छा, जानकारीपूर्ण रहा यह कार्यक्रम।

रविवार को यूथ एक्सप्रेस लेकर आए युनूस (खान) जी। शुरूवात हुई युवा दिवस की शुभकामना से। श्रोताओं के पत्रों के आधार पर हिन्दी उपन्यासकार वृन्दावन लाल वर्मा के बारे में जानकारी दी गई जो किताबो की दुनिया स्तम्भ के अंतर्गत रही। मेरे गीतों की कहानी स्तम्भ में जावेद अख्तर के एलबम तुम याद आए के गीतों पर चर्चा हुई। 12 जनवरी से शुरू हुए अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता वर्ष के बारे में बताया की यह कई प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए मनाया जा रहा है। इसके अलावा आई आई टी और एन आई डी - राष्ट्रीय डिजाइन संस्थानों के पाठ्यक्रमो के बारे में जानकारी दी। इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया विजय दीपक छिब्बर जी ने पी के ए नायर जी के तकनीकी सहयोग से।

सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में त्वचा रोग पर डा दत्तात्रेय गोपाल साल्वे से निम्मी (मिश्रा) जी की बातचीत सुनवाई गई। त्वचा रोग के कारण और इलाज पर विस्तार से जानकारी दी।

बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में ख्यात संगीतकार कल्याण जी आनंद जी जोडी के आनंद जी से गणेश (शर्मा) जी की बातचीत प्रसारित हुई। आरम्भ में और बीच में उनके स्वरबद्ध किए लोकप्रिय गीतों के मुखड़े सुनवाए गए। बातचीत में बताया की पढाई के दौरान ही इस दिशा में आने की प्रेरणा मिली। चैरिटी शो करते रहने की बाते बताई, कुछ गीतों के बनाने के अनुभव बताए -

बाबुल का ये घर अपना कुछ दिन का ठिकाना है

गुजराती होने के बावजूद अफगानी सन्गीत तैयार करने का अनुभव -

यारी है ईमान मेरा यार मेरी बंदगी

ख़ास लगे सफ़र फिल्म के गीतों को बनाने के अनुभव। नदी में नाव चलने और मोटर के हार्न का सन्गीत -

नदिया चले चले रे धारा

जो तुमको हो पसंद वही बात कहेगे

वाकई सफलता के पीछे छिपी मेहनत और लगन को जानना प्रेरणादायक रहा। प्रस्तुति शकुन्तला (पंडित) जी की रही। तकनीकी सहयोगी रहे विनय (तलवलकर) जी।

हैलो फ़रमाइश कार्यक्रम में शनिवार को श्रोताओं से फोन पर बात की निम्मी (मिश्रा) जी ने। कुछ श्रोताओ से नई जानकारी मिली जैसे टिबरी में खोखरी माता का मन्दिर जो पहले पानी में था। कुछ ऐसे गीत श्रोताओं की अनुरोध पर सुनवाए गए जो बहुत दिन से नही सुने थे जैसे पहचान फ़िल्म का गीत -

वो परी कहाँ से लाऊ

कुछ ऐसे गीत भी थे जो शायद ही कभी सुनवाए जाते है। श्रोताओं ने अपने काम के बारे में भी बताया। एक काल बहुत स्वाभाविक था। मौसम का पूरा असर दिख रहा था, ठंड में गरमागरम खाते हुए जोर-जोर से बात की। एक छात्रा से बातचीत भी अच्छी रही, उसने फ़ौज के अपने भाइयो और सभी फ़ौजी भाइयो के लिए नई फ़िल्म अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो के शीर्षक गीत के लिए अनुरोध किया। अपने भाइयो को यहाँ से संदेश भेजा, अपने करिअर की भी बात की।

मंगलवार को फोन पर श्रोताओं से बातचीत की अशोक जी ने। पहला ही फोन काल बढ़िया रहा। लोकल काल था। मुम्बई में विश्व हिन्दी दिवस के आयोजन की जानकारी दी। देश की भाषा हिन्दी के प्रति सकारात्मक विचार बताए। अच्छी बातचीत चली। गीत भी अच्छा पसंद किया जो लंबे समय बाद सुनने को मिला, बालक फ़िल्म का यह गीत -

सुन ले बापू यह पैगाम
मेरी चिट्ठी तेरे नाम

इस दिन गाने कुछ अलग ही सुनवाए गए श्रोताओं की पसन्द पर जो अच्छे रहे जैसे देशभक्ति गीत, मुकेश और रफी साहब के गाए पुराने गीत।

और आज श्रोताओं से फोन पर बातचीत की कमल (शर्मा) जी ने। अलग अलग तरह के श्रोताओं ने बात की जैसे शोधार्थी, मिठाई बनाने का काम करने वाले। घडियों के बारे में भी बात हुई। पुराने गाने भी पसंद किए गए जैसे -

तेरे फूलो से भी प्यार तेरे कांटो से भी प्यार

बातचीत से पता चला इलाहाबाद में ठंड ही। एक श्रोता ने बताया कि खेती का सामान पास की नानदेड की कृषि मंडी में बेचते है।

तीनो ही कार्यक्रमों में श्रोताओं ने विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों को पसंद करने की बात बताई। कुछ श्रोताओ ने बहुत ही कम बात की। तीनो ही कार्यक्रमों को प्रस्तुत किया महादेव (जगदाले) जी ने। तकनीकी सहयोग तेजेश्री (शेट्टी) जी, परिणीता (नाईक) जी, सुनील (भुजबल) जी, प्रस्तुति सहयोग रमेश (गोखले) जी का रहा।

5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद प्रसारित हुआ नए फिल्मी गीतों का कार्यक्रम फिल्मी हंगामा। शुक्रवार को रंग दे बसंती से मस्ती की पाठशाला गीत के साथ भागमभाग, गौड तुस्सी ग्रेट हो, एक खिलाड़ी फिल्मो के गीत सुनवाए गए।

शनिवार को रेस, चमेली के गीतों के साथ इक़बाल फ़िल्म का यह गीत बहुत अच्छा लगा -

आँखों में सपना सपनों में आशा
आशा है जिन्दगी

रविवार को नमस्ते लन्दन, लाटरी के साथ शान का गाया यह लोकप्रिय गीत भी शामिल था -

जबसे मेरे नैना तेरे नैनो से लागे रे

सोमवार को दे ताली फिल्म के शीर्षक गीत - दे ताली दे दे ताली के साथ फिर हेरा फेरी, जनतरम, ममंतरम फिल्मो के गीत भी शामिल रहे। मंगलवार को बाम्बे टू गोवा जैसी नई फ़िल्मों के गाने शामिल रहे। बुधवार को बिच्छू, मंगल पांडे, तारे जमीन पर फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए। आज सन्डे, बिल्ला नंबर 786, 1971 के गीत सुनवाए और एक मुजरा सुनवाया यात्रा फ़िल्म से जिसके गीतकार का नाम अहमद वसी बताया, अगर यह विविध भारती के वसी साहब है तो खुशी भी हुई और आश्चर्य भी नए गीतों में नाम सुनकर।

प्रसारण के दौरान अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए और संदेश भी प्रसारित किए गए जिसमें विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में बताया गया।

शाम 5:30 बजे फ़िल्मी हंगामा कार्यक्रम की समाप्ति के बाद क्षेत्रीय कार्यक्रम शुरू हो जाते है, फिर हम शाम बाद के प्रसारण के लिए 7 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुड़ते है।

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