सबसे नए तीन पन्ने :

Monday, July 11, 2011

महिला और युवा वर्ग के कार्यक्रमों की साप्ताहिकी 10.7.11

पिछले लगभग दो दशको से ही विविध भारती पर महिलाओं के लिए अलग से कुछ कार्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं जिनमे से पहला नियमित कार्यक्रम सखि-सहेली सात वर्ष पहले ही शुरू हुआ। दोपहर बाद 3 बजे से 4 बजे तक सोमवार से शुक्रवार तक इसका प्रसारण होता हैं। सोमवार से गुरूवार तक हर दिन दो प्रस्तोता सखियाँ आपस में बतियाते हुए इस कार्यक्रम को आगे बढाती हैं। इस सप्ताह प्रस्तोता सखियाँ रही - रेणु (बंसल) जी, शेफाली (कपूर)जी, शहनाज (अख्तरी) जी, निम्मी (मिश्रा) जी और इस बार तीसरे प्रस्तोता की तरह प्रस्तुतकर्ता डा रेखा (वासुदेव) जी भी पधारी।

सामान्य बाते की गई और कुछ छोटी-मोटी सलाहे भी दी जैसे बारिश के मौसम में साफ़ सफाई रखे,खाने-पीने की देखभाल करे, पानी उबाल कर पिए, एक सलाह अच्छी रही कि पीने के पानी में फिटकरी चलाए जिससे थोड़ी देर बाद गंदगी नीचे जम जाएगी। एक खबर यह थी कि अन्टार्कटिका से आए एक पक्षी का ऑपरेशन कर उसमे से रेत निकाली गई, इसी पर पर चर्चा करते हुए बताया कि चरने वाले पशुओं के पेट में प्लास्टिक भी चला जाता हैं आगे इसी चर्चा से प्लास्टिक के उपयोग को कम करने की सलाह भी दी। पर्यावरण की सुरक्षा, शिक्षा का महत्त्व बताया और परीक्षा के परिणाम घोषित होने के इस समय को ध्यान में रखते हुए असफलता से घबराना नही बल्कि सफलता के लिए प्रयत्न करने चाहिए जैसी महत्त्व की बाते भी बताई गई, घर की सजावट पर भी चर्चा हुई। सखियों ने भी पत्रों के माध्यम से कुछ बाते लिख भेजी जैसे माँ का महत्त्व। सखियों की पसंद पर नए पुराने गीत सुनवाए गए जिनमे से कुछ फरमाइशी गीत मौसम के अनुसार थे।

सोमवार को श्रोता सखियों से प्राप्त पत्रों से कचौरी और दाल की मुठिया बनाना बताया गया। एक सखि ने पनीर से सम्बंधित विस्तृत जानकारी लिख भेजी। पुराने गीत सुनवाए - मिलन, आँखे, आप की परछाइयां, अनपढ़, फागुन, आया सावन झूम के फिल्म का शीर्षक गीत और सावन फिल्म का गीत - भीगा भीगा प्यार का समां बता दे तुझे जाना हैं कहाँ। मंगलवार को युवा सखियों के लिए अर्थ शास्त्र में बी ए विषय लेकर कैरिअर बनाने की जानकारी दी। युवा सखियों के लिए नई फिल्मे सिंग इज किंग, फरेब, रब ने बना दी जोडी के गीत सुनवाए, दिल तो पागल हैं और यह दिल आशिकाना हैं फिल्मो के शीर्षक गीत भी सुनवाए और गुरू फिल्म का गीत बरसों रे मेघा नन्ना रे भी शामिल था। इस तरह इस दिन का प्रसारण सिर्फ लड़कियां ही नही समूचे युवा वर्ग के लिए उपयोगी रहा। बुधवार को स्वास्थ्य और सौन्दर्य के लिए काजल, लिपिस्टिक के प्रयोग में सावधानी बरतने की सलाह दी। चेहरे के धब्बे आदि से सम्बंधित कुछ पुराने नुस्के थे। कुछ पुरानी फिल्मो जूनून, लैला मजनूं, आशा, दो रास्ते के गीत सुनवाए और यलगार फिल्म का यह गीत भी सुनवाया - आखिर तुम्हे आना हैं ज़रा देर लगेगी। गुरूवार को विशेष रहा, गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर के उपन्यास आँख की किरकिरी का अगला अंश ममता (सिंह) जी ने पढ़ कर सुनाया। पिछले अंशो को भी संक्षिप्त में बताया ताकि निरन्तरता बनी रहे। सफल महिला की गाथा में प्रेमा पूरब के बारे में जानकारी दी जो बचपन में स्वास्थ्य के कारण सामान्य नही थी। फिर स्वाधीनता के संघर्ष में लगे सेनानियों को भोजन पहुंचाने का काम करने लगी और साथ सन्देश भी पहुंचाती थी। इसके बाद चालीस और पचास के दशक में महिला मजदूरों को गर्भवती होने पर काम से हटा दिया जाता था। तब इन मजदूर महिलाओं के साथ मिलकर खाना बना कर मजदूरो तक पहुंचाने का काम शुरू किया जिससे उन महिलाओं को अच्छी आय होने लगी। यह काम आज भी कई महिलाएं करती हैं। प्रेरणादायी रहा यह प्रसंग। यह जानकारी भरा आलेख और मंगलवार का करिअर सम्बन्धी आलेख उन्नति (वोरा) जी ने तैयार किया था। इस दिन नई फिल्म रावण का यह गीत भी सुनवाया जो कम ही सुनवाया जाता हैं - बहने दे मुझे बहने दे घनघोर घटा, इसके साथ कृष्णा कॉटेज, डर फिल्मो के गीत सुनवाए और यह लोकप्रिय गीत भी सुनवाया - हमको सिर्फ तुमसे प्यार हैं।

रेखा जी ने कहा कि कार्यक्रम सम्बंधित सुझाव भेजे जा सकते हैं, हमारा सुझाव हैं पत्र कुछ कम पढ़िए। इस सप्ताह भी पत्र अधिक ही रहे। श्रोता सखियाँ तो पत्र लिखती ही रहती हैं, बाते भी कुछ ख़ास नही रहती, वही सुनी-सुनाई बाते जिससे कार्यक्रम संतुलित नही लगता। हमारा अनुरोध हैं कि सिर्फ गुरूवार के बजाए चारो दिन उपन्यास वाचन रखिए जिससे संतुलन बना रहेगा।

शुक्रवार को यह फोन-इन-कार्यक्रम के रूप में हैलो सहेली शीर्षक से प्रसारित होता हैं। इसका उप शीर्षक अच्छा हैं -सखियों के दिल की जुबां - हैलो सहेली। वाकई लगता हैं सखियाँ दिल से बात करती हैं। इस बार कुल 9 फोन कॉल थे। सखियों से फोन पर बातचीत की निम्मी (मिश्रा) जी ने। दो फोन कॉल बहुत प्रेरणादायी रहे। एक सखि ने बताया कि वह अध्यापिका हैं, बच्चो को सभी विषय पढ़ाती हैं और साथ ही घर भी संभालती हैं, दूसरा कॉल ज्यादा अच्छा रहा, श्रोता सखि ने बताया कि उसने घर को सहयोग देने के लिए पढाई छोड़ दी थी पर अब कॉलेज की पढाई जारी रखे हैं, एक-दो गृहणियों ने बात की, एक-दो कामकाजी महिलाओं ने बात कि जो ब्यूटी पार्लर और सिलाई का काम करती हैं, एक-दो स्कूल की लड़कियों ने भी बात की जिसमे से एक ने सत्तर के दशक की फिल्म आराधना का यह गीत सुनने की फरमाइश की - कोरा कागज़ था जीवन मेरा, एक-दो ने बहुत ही कम बात की, एक ने अमर अकबर एंटोनी फिल्म की क़व्वाली सुननी चाही तो अच्छा लगा क्योंकि आजकल क़व्वालियों की फरमाइश कम ही आती हैं। एक सखि ने कहा कि उसका भाई उससे दूर हैं जिसे वह यह गीत समर्पित करना चाहती हैं - चन्दा रे मेरे भैया से कहना बहना याद करे पर शायद निम्मी जी ठीक से सुन नही पाई और तुरंत काजल फिल्म के गीत के बारे में कहा और सुनवाया भी वही गीत - मेरे भैया मेरे चन्दा मेरे अनमोल रतन। इस कार्यक्रम को माधुरी (केलकर) जी के सहयोग से प्रस्तुत किया गया, तकनीकी सहयोग स्वाति (भंडारकर) जी का रहा। अंत में बताया कि इस कार्यक्रम के लिए बुधवार को दिन में 11 बजे से फोनकॉल रिकार्ड किए जाते हैं जिसके लिए नंबर बताया 28692709 और मुम्बई का एस टी डी कोड 022

शनिवार को रात 7:45 पर 15 मिनट के लिए प्रसारित हुआ सामान्य ज्ञान का साप्ताहिक कार्यक्रम जिज्ञासा जिसका उपशीर्षक बढ़िया हैं - ज्ञान की रेडियो एक्टिव तरंग। यह कार्यक्रम सभी वर्ग के श्रोताओं के लिए रूचिकर और युवा वर्ग के लिए उपयोगी हैं। इस बार पहला स्तम्भ रहा स्पोर्ट्स पेवेलियन जिसमे भारतीय महिला हॉकी टीम के विश्व में शीर्ष 10 में आने की खबर दी साथ ही हाल ही में हुए विम्बलडन की भी जानकारी दी। दूसरा स्तम्भ रहा - फिटनेस मंत्रा जिसमे एक शोध अध्ययन की जानकारी देते हुए बताया कि नींद सेहत के लिए बहुत जरूरी हैं। तीसरा और अंतिम स्तम्भ रहा - टाइम मशीन - समय यात्री जिसमे जाने-माने निर्देशक मणिकौल पर जानाकारी दी। पिछले दिनों उनका निधन हुआ। बताया कि उन्होंने लीक से हट कर फिल्मे बनाई - आषाढ़ का एक दिन जो जाने माने हिन्दी लेखक मोहन राकेश के नाटक पर आधारित हैं, उसकी रोटी, दुविधा जिसके दुबारा पहेली नाम से अमोल पालेकर द्वारा बनाने की भी जानकारी दी। हम यहाँ एक और बात बता देते हैं कि उसकी रोटी भी मोहन राकेश की कहानी पर आधारित हैं। इस तरह इस बार भी यह कार्यक्रम दूर-दराज के श्रोताओं के लिए अधिक उपयोगी और शहरी श्रोताओं से कुछ दूर ही लगा। मुझे लगता हैं अगर प्रश्न पूछे जाए और श्रोताओं से उत्तर देने के लिए कहा जाए तो शायद शहरी युवा इससे जुड़े। शोध, आलेख और स्वर युनूस (खान) जी का रहा। सम्पादन किया पी के ए नायर जी ने और इसे प्रस्तुत किया विजय दीपक छिब्बर जी ने।

चलते-चलते हम आपको बता दे कि यह सभी कार्यक्रम हमने हैदराबाद में एफ़ एम चैनल पर 102.8 MHz पर सुने।

No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।

अपनी राय दें