मुझे साप्ताहिकी लिखते हुए तीन वर्ष होने को आए। तीन वर्ष पहले 15 अगस्त के दिन मैंने पहली साप्ताहिकी लिखी थी। पहले वर्ष मैं पूरे कार्यक्रमों पर लिखने का प्रयास करती थी। कार्यक्रमों सबंधी पूरी जानकारी देना कठिन हो जाता था। पोस्ट लम्बी होती जाती थी फिर भी बहुत सी बाते अनकही रह जाती थी। इसीलिए मैंने दूसरे वर्ष में एक-एक समय के प्रसारण पर लिखना शुरू किया जैसे सुबह के प्रसारण, दोपहर के प्रसारण वगैरह। फिर मुझे लगा कि अब भी कुछ बाते हैं जो मैं कह नही पा रही जैसे गैर फिल्मी गीतों का सिमटता प्रसारण वगैरह। इसी बात को ध्यान में रख कर तीसरे वर्ष में मैंने विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत कार्यक्रमों की चर्चा शुरू की जिसमें सभी तरह की चर्चा विस्तार से करने का मौक़ा मिला। एक-एक श्रेणी के अंतर्गत सभी कार्यक्रमों में क्या, कैसे प्रसारित हुआ, मेरी नजर में क्या सही रहा और कहाँ क्या हो सकता, इसकी भी चर्चा मैंने बेबाकी से की। इस तरह विविध भारती के कार्यक्रमों के प्रति मैंने अपना दृष्टिकोण रखा जिसे आप पिछले सप्ताह तक पढ़ते रहे। अब साप्ताहिकी से मैं विदा ले रही हूँ लेकिन रेडियोनामा से जुड़ी रहूंगी।
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Sunday, July 17, 2011
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4 comments:
हर सिलसिले का एक छोर होता है। साप्ताहिकी ने अपना जबर्दस्त योगदान दिया है रेडियोनामा पर। अब आशा है कि शीघ्र आप नए कन्टेन्ट के साथ हाजिर होंगी।
अन्नपूर्णा जी , आपने इन तीन सालों तक रेडियोनामा को ज़िंदा बनाए रखा, यही क्या कम है. आपसे अब यही आशा है की आप अब पाठकों के सामने एक नयी शुरुआत करेंगी.. हमें बेसब्री से इसकी प्रतीक्षा है
अन्नपूर्णाजी साप्ताहिकी के ज़रिये रेडियो की तरंगों का शब्दमय रूपांतरण कर आपने इस ब्लॉग को जीवंत बनाये रखा.ह्रदय से साधुवाद. हर कालखण्ड परिवर्तन दरकार रखता है सो निश्चित रूप से साप्ताहिकी का विराम आपको वैचारिक स्तर पर कुछ नया रचने की ऊर्जा देगा ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है. ब्लॉग की दुनिया मन के सुकून और आनंद को साझा करने की भावभरी जाजम है. इस जाजम पर आपकी नई दस्तक प्रतीक्षा कर रही है......दुआएँ.
युनूस जी, अजीत जी, संजय पटेल जी, आप तीनो का धन्यवाद मुझे प्रोत्साहित करने के लिए. नई शुरूवात के प्रयास करूंगी.
अन्नपूर्णा
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आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।