सबसे नए तीन पन्ने :

Saturday, July 23, 2011

पहला "भीली" रेडियो...वन्या

दुनिया का पहला भीली रेडियो आज २३ जुलाई को मध्यप्रदेश के भाबरा (ज़िला आलिराजपुर) में शुरू किया जा रहा है। वन्य और आदिम-जाति कल्याण विभाग के सहयोग से शुरू किए जाने वाले वन्या रेडियो ९०.४ एफ़.एम.पर से आदिवासियों द्वारा अपनी बोली "भीली' और हिन्दी में कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाएगा। वन्या img-15761-Bhagoria_010 रेडियो का प्रसारण स्थल भाबरा मध्यप्रदेश और गुजरात की सीमा पर बसा है और यहाँ की बोली में गुजराती का स्पष्ट पुट सुना जा सकता है.

अमर शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद की जन्मस्थली भाबरा में आज इसका शुभारंभ म.प्र.के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी करने जा रहे हैं। इससे रोज़ दो घंटे के कार्यक्रम प्रसारित किए जाएँगे, जिन्हें २० किलोमीटर की परिधि में सुना जा सकेगा। इसका संचालन स्थानीय जनजातीय समुदाय करेगा। स्थानीय स्तर पर प्रसारण उनकी अपनी भीली बोली में होगा। यह केन्द्र जहॉं एक ओर राज्य शासन द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं को जन-जन तक पहुँचाने में अपनी महती भूमिका निभाएगा वहीं दूसरी ओर जनता और राज्य शासन के बीच में एक सेतु का काम करेगा।

दुनिया में शायद यह पहला मौक़ा है, जब जनजातीय समुदाय के लिए अलग से सामुदायिक रेडियो केन्द्र(कम्युनिटि रेडियो) शुरू किया जा रहा है। सरकारी प्रवक्ता ने दावा किया कि सामुदायिक रेडियो केन्द्र के ज़रिये योजनाओं के त्वरित क्रियान्वयन एवं जन-समस्याओं को जल्दी हल करने में शासन-प्रशासन को भी मदद मिल सकेगी, इसीलिए राज्य सरकार इस केन्द्र को शुरू कर रही है।

रेडियोनामा के लिये संजय पटेल की रपट.

7 comments:

दिलीप कवठेकर said...

बेहद स्तुत्य प्रयास.

मगर शायद इसका मात्र २० कीमी की परिधि में नश्र किया जाना कम ना होगा?
Anyways, something is bertter than nothing.

ravikantbhamawat said...

DEAR SIR,
MANY CONGRATULATIONS,In this way our tribals traditions and Culture will be protected. The communal religious habits and customs functions will be organised with radio broadcasting and in this way our forest connecting community lives with his original personal life with gaurav and dignity

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

कम्युनिटि रेडियो निसंदेह एक बहुत बड़ी पहल है किन्तु इनकी आर्थिक रीढ़ कितनी देर सह पायेगी पैसे के दवाब, यह देखने की बात होगी.मेरी शुभकामनाएं.

Anonymous said...

बधाई व शुभकामनाएं

जानकारी हेतु आभार

Amrendra Nath Tripathi said...

बहुत सुन्दर लगी यह पहल ! और भी सभी लोक भाषाओं में ऐसी पहल होनी चाहिए !

Anonymous said...

जानकारी के लिए आभार
अन्नपूर्णा

डॉ. अजीत कुमार said...

एक अच्छी शुरुआत.

Post a Comment

आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।

अपनी राय दें