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Friday, April 10, 2009

साप्ताहिकी 9-4-09

सप्ताह भर सुबह 6 बजे समाचार के बाद चितन में मंगलवार को महावीर जयन्ती पर उन्ही के विचार बताए गए। इस दिन भजन भी बहुत अच्छे हुए जैसे -

माटी कहे कुम्हार से तू क्या रौंदे मोहे
इक दिन ऐसा होवेगा मै रौंदूँगी तोहे

इसके अलावा सप्ताह भर प्रेमचंद, जार्ज बर्नाड शाँ जैसे साहित्यकारों और विचारको के कथन बताए गए और नए पुराने भजन सुनवाए गए। हर दिन कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा।

7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम इस सप्ताह भी अच्छा रहा। सप्ताह भर लोकप्रिय गीतों के साथ ऐसे गीत भी सुनवाए गए जो बहुत ही कम सुने गए। ऐसे लोकप्रिय गीत भी सुनवाए गए जो बहुत दिन से नहीं सुनवाए गए थे जैसे -

नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए
बाकी जो बचा था काले चोर ले गए

7:30 बजे संगीत सरिता में कांचन (प्रकाश संगीत) जी की श्रृंखला शुरू हुई - मेरी संगीत यात्रा जिसमे सारंगी वादक पंडित रामनारायण मिश्र जी से बातचीत की जा रही है. बताया गया कि संगीत यात्रा लाहौर से शुरू हुई. विभाजन के बाद दिल्ली से शुरू हुई. पंडित ओंकार नाथ के साथ संगत की. बंदिशे भी सुनवाई जा रही है।

7:45 को त्रिवेणी में बचपन की बाते अच्छी लगी पर मंगलवार को अहिंसा की बाते न करना अच्छा नही लगा, इस दिन मंजिल तै कर काम करने की बात कही गई और गीत भी वैसे ही सुनवाए गए जैसे - आराम है हराम - ये तो कभी भी प्रसारित किया जा सकता था।

दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम में पुरानी नई लोकप्रिय फ़िल्में चुनी गई और श्रोताओं ने भी लोकप्रिय गीतों के लिए संदेश भेजें।

1:00 बजे म्यूज़िक मसाला कार्यक्रम में श्याम अनुरागी का लिखा गीत हो या पैमिला का गाया हाथो में हरी-हरी मेहदी का गीत, ऐसे शांत और लोक गीतों को छूते गीत सुनने में तो अच्छे लगते है पर कार्यक्रम के मिजाज से नही मिलते. यही गीत रात में गुलदस्ता में ज्यादा अच्छे रहेगे.

1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में हर दिन मिले-जुले गीत सुनवाए गए जैसे साथ-साथ फ़िल्म का यह गीत -

यह तेरा घर यह मेरा घर

और नई फिल्मो के गीत।

3 बजे का सखि सहेली कार्यक्रम सप्ताह भर अपनी धुरी पर ही घूमता रहा। कहीं कुछ नया नज़र नहीं आया और न ही कुछ ख़ास नज़र आया। वही मटर के कोफ़्तें जैसे पकवान, वही चेहरे के दाग़-धब्बे हटाने के घरेलु नुस्के। सिर्फ गुरूवार को ही कुछ नया सा लगता है.

शनिवार और रविवार को सदाबहार नग़में कार्यक्रम में सदाबहार गीत सुनवाए गए जैसे एक दिल और सौ अफ़साने फ़िल्म का यह गीत -

तुम ही तुम हो मेरे जीवन में
फूल ही फूल है जैसे चमन में

3:30 बजे शनिवार और रविवार को नाट्य तरंग में नाटक सुनवाया गया - काश जिसे लिखा संतोषबाला श्रीवास्तव ने और जिसके निर्देशक है जयदेव शर्मा कमल। आधुनिक जीवन शैली को दर्शाता यह नाटक अच्छा लगा।

शाम 4 बजे पिटारा में रविवार को यूथ एक्सप्रेस में शिक्षण सस्थानों के रेडियो स्टेशनों पर चर्चा हुई। नए गानों के साथ मीनाकुमारी की आवाज़ में चाँद तन्हा सुनना अच्छा लगा। वार्ता भी अच्छी ज्ञानवर्धक रही।

सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में डा राकेश से निम्मी (मिश्रा) जी ने बातचीत की। विषय रहा - बच्चों में अस्थमा। विस्तृत जानकारी मिली। बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में अभिनेत्री रति अग्निहोत्री से कमल (शर्मा) जी की बातचीत की अगली कड़ी सुनवाई गई। बहुत अच्छी रही बातचीत। उनके विभिन्न भाषाओं के ज्ञान और उन फ़िल्मों में काम पर जानकारी मिली। अच्छा लगा कि एक अभिनेत्री भोजपुरी में भी काम कर सकती है और मलयालम फ़िल्म में भी। शनिवार, मंगलवार और गुरूवार को हैलो फ़रमाइश में श्रोताओं से फोन पर बातचीत हुई और उनकी पसन्द के गीत सुनवाए गए।

5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद फ़िल्मी हंगामा में नई फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए जैसे विवाह फिल्म.

7 बजे जयमाला में नए पुराने गीत सुनवाए गए। शनिवार को विशेष जयमाला प्रस्तुत किया गायिका चन्द्राणी मुखर्जी ने। कुछ बातें की अपने गीतों की। कुछ तारीफ़ हुई रफ़ी साहब और लता जी की। खुद के गीत सुनवाए गए। पहली बार सुना उनका दक्षिण भारतीय फ़िल्म की हिन्दी में बनी फ़िल्म में गाया गीत कुछ दक्षिण भारतीय शब्दों के साथ पर अच्छा नहीं लगा कार्यक्रम में उनके लोकप्रिय गीतों को शामिल न करना।

7:45 पर शुक्रवार को लोकसंगीत में प्रफ़ुल्ल कुमार का गाया असमी लोकगीत अच्छा लगा इसके अलावा पूर्वी और छत्तीसगढी लोकगीत भी सुनवाए गए। शनिवार और सोमवार को पत्रावली में कुछ पुराने कार्यक्रमों के बंद होने की शिकायते थी। ठीक से न सुन पाने की तकनीकी शिकायते भी थी. मंगलवार को सुनवाई गई क़व्वालियाँ। बुधवार को इनसे मिलिए कार्यक्रम में विज्ञापन जगत की क्रिएटिव हेड सोनम जी से रेणु (बंसल) जी की बातचीत अच्छी रही। इस क्षेत्र से संबंधित बहुत कम कार्यक्रम सुनवाए जाते है, इसीलिए यह बातचीत ज्यादा अच्छी लगी। रविवार और गुरूवार को राग-अनुराग में विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुने।

9 बजे गुलदस्ता में गीत और ग़ज़लें सुनवाई गई।

9:30 बजे एक ही फ़िल्म से कार्यक्रम में वासना, आम्रपाली, जिगरी दोस्त जैसी लोकप्रिय फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।

रविवार को उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में गीतकार नक्शलायल पुरी से कमल (शर्मा) जी की बातचीत प्रसारित हो रही है। इसकी चौथी कड़ी सुनी जिसमें साथी संगीतकारों के साथ काम करने के अनुभव बताए गए। शुरूवात की हुस्नलाल भगतराम से। अच्छी चल रही है बातचीत।

10 बजे छाया गीत भी सप्ताह भर अपनी ही धुरी पर घूमता रहा।

3 comments:

मीनाक्षी said...

अन्नपूर्णाजी, आजकल रेडियो द्वारा अपने बचपन को याद कर लेते हैं तो आनन्द आ जाता है..इस समय तालिका से रेडियो सुनना और भी आसान होगा.
"मोबाइल के ज़रिए विविधभारती सुनने का उपाय भी लिख दें तो बहुत आभार होगा"

हरि said...

आज भी विविध भारती विविध है। आपका ब्‍लाग आज भी रेडियो सुनने के लिए उन्‍मादी बना देता है।

annapurna said...

शुक्रिया हरि जी !

मीनाक्षी जी, बहुत दिन बाद आपकी टिपण्णी पढना अच्छा लगा। मोबाइल पर विभिन्न स्थानों से फ़्रीक्वेन्सी बदलती रहती है, मैं हैदराबाद मे कुछ इस तरह सुनती हूँ - मोबाइल पर इन्हान्समेन्ट का प्लग लगाने के बाद रेडियो पर क्लिक कर 102-80 मेघा हर्टज़ MHz पर एफ़ एम किसी भी स्टेशन पर स्टेशन पर सेट हो जाता है मैनें स्टेशन 1 पर सेट कए रखा है। बस, इतना ही और साफ़ आवाज़ में सुनाई देता है।

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