सप्ताह का पहला ही दिन विशेष रहा, उगादी, युगादी, नव वर्ष संवत 2066 का आरंभ और नवरात्रि का शुभारंभ पर इस दिन सुबह 6 बजे समाचार के बाद चितन में विदेषी चिंतक के विचार के साथ प्रसारण की शुरूवात हुई और वन्दनवार में एक भी भजन न माता का था और न ही राम का।
इसके अलावा सप्ताह भर स्वामी रामतीर्थ, नेपोलियन बोनापार्ट जैसे विचारको के कथन बताए गए और नए पुराने भजन सुनवाए गए पर बहुत पुराने भजन नहीं सुनवाए जा रहे है। हर दिन कार्यक्रम का समापन देशगान से होता रहा जैसे यह गीत - देश की माटी कंचन है
7 बजे भूले-बिसरे गीत कार्यक्रम इस सप्ताह भी अच्छा रहा। शनिवार को यह कार्यक्रम संगीतकार एस एन त्रिपाठी की पुण्य स्मृति में समर्पित किया गया। सप्ताह भर लोकप्रिय गीतों के साथ ऐसे गीत भी सुनवाए गए जो बहुत ही कम सुने गए.
7:30 बजे संगीत सरिता में चल रही श्रृंखला में तराने पर चर्चा की जा रही है जिसे प्रस्तुत कर रही है विदुषी वीणा सहस्त्रबुद्धे। विभिन्न रागों पर चर्चा चल रही है जैसे राग हंसध्वनि, विहाग, और इन पर बंदिशे और फ़िल्मी गीत सुनवाए जा रहे है। इसे रूपाली रूपक जी ने तैयार किया है।
7:45 को त्रिवेणी शुक्रवार की अच्छी रही जिसमें रहन-सहन, पहरावे की बात कही गई। पहली अप्रैल को अकेलेपन की बातें अच्छी नहीं लगी। अवसर के अनुसार कुछ होना चाहिए था।
दोपहर 12 बजे एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने कार्यक्रम में शनिवार को पधारीं शहनाज़ (अख़्तरी) जी, तारारमपम, चाइना टाउन, गोलमाल जैसी नई फ़िल्में लेकर। रविवार की फ़िल्में रही मुसाफ़िर, बँटी और बबली, काल, दस, काँटे, फ़िज़ा जैसी नई फ़िल्में। सोमवार को अशोक जी ले आए साठ के दशक की बेहतरीन फ़िल्में जैसे दिल अपना और प्रीत पराई, मेरे महबूब, धरती, सूरज जिनके सदाबहार गीतों के लिए श्रोताओं ने संदेश भेजें। मंगलवार को पधारे कमल (शर्मा) जी फ़िल्में रही तीसरी मंज़िल, झुक गया आसमान, ज्वैल थीफ़, मेरे सनम, प्रोफ़ेसर जिनमें से अधिकतर रफ़ी साहब के गानों के लिए श्रोताओं ने संदेश भेजें। बुधवार को आए अमरकान्त जी और ले आए नई फ़िल्में जिनमें से श्रोताओं ने इन फ़िल्मों के गीतों के लिए संदेश भेजे - मुझसे शादी करोगी, फ़ना, मैंने प्यार क्यों किया, गैंगस्टर। इस तरह इस कार्यक्रम में पचास साठ के दशक से लेकर अब तक के लोकप्रिय गीत सुनवाए गए।
1:00 बजे म्यूज़िक मसाला कार्यक्रम में तुम आए एलबम से अलका याज्ञिक और हरिहरन के गाए इस गीत में कुछ नएपन का अहसास नहीं हुआ, न संगीत में न बोलों में, इस कार्यक्रम में धूमधड़ाकेदार गाने अच्छे लगते है।
नीले गगन के तले ठंडी पवन ये चले
बस प्यार मन में पले समां हो ये…
1:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम में हर दिन मिले-जुले गीत सुनवाए गए जैसे बंटी और बबली फ़िल्म का यह गीत -
देखना मेरे सर से आसमाँ उड़ गया है
देखना आसमाँ के सिरे खुल गए है ज़मीं से
छुप छुप के चुप चुपके चोरी से चोरी
और धरती फ़िल्म का यह गीत -
जे हम तुम चोरी से बँधे एक डोरी से
जय्यो कहाँ ए हुज़ूर
अरी ये बँधन है प्यार का
3 बजे सखि सहेली में सोमवार को केले की खीर बनाना बताया गया। मंगलवार को करिअर संबंधी जानकारी में आर्किटेक्चर के बारे में जानकारी दी गई और युवा वर्ग के पसंदीदा नए गाने सुनवाए गए। सामान्य जानकारी में वोट देने के अधिकार की बात कही गई। बुधवार को सौन्दर्य और स्वास्थ्य पर चर्चा होती है, पर लगता है इस दिन का अंक धुरी पर ही दौड़ता है. फलो और खाने-पीने और इन चीजो के लेप लगाने की ही बाते होती है जबकि पहरावे और नकली गहनों से होने त्वचा को होने वाले नुकसान की भी बात की जा सकती है. नए पुराने गीत सखियों की फ़रमाइश पर सुनवाए गए जैसे सेहरा फ़िल्म का गीत -
पंख होते तो उड़ आती रे
शनिवार को सदाबहार नग़में कार्यक्रम में भी संगीतकार एस एन त्रिपाठी की पुण्य स्मृति में उनके सदाबहार गीत सुनवाए गए जैसे रानी रूपमती, जन्म जन्म के फ़ेरे फ़िल्मों के गीत -
ज़रा सामने तो आओ छलिए छुप छुप छलने में क्या राज़ है
यूँ छुप न सकेगा परमात्मा मेरी आत्मा की ये आवाज़ है
इसके अलावा अन्य गीत भी सुनवाए गए। रविवार को भी अच्छे गीत सुनने को मिले।
3:30 बजे शनिवार और रविवार को नाट्य तरंग में मूल बंगला नाटक का हिन्दी रूपान्तर सुनवाया गया - सीमाबद्ध जिसके निर्देशक है सत्येन्द्र शरद। आधुनिक जीवन शैली और प्रतिस्पर्धा को रेखांकित करता नाटक अच्छा लगा जहाँ कार्यालय से आबंटित किए जाने वाले घर के लिए भी प्रतिस्पर्धा है।
सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में बहुत ही प्यारा विषय लिया गया - सपने। डा मिलिन्द भट्ट से रेणु (बंसल) जी ने सपनों के लिए होमियोपैथी चिकित्सा पर बातचीत की। विस्तृत जानकारी मिली। यह तो सभी जानते है कि जो बातें हमारी अवचेतन अवस्था में रहती है वही सपने बन कर दिखाई देती है। यहाँ एक बात अच्छी बताई गई कि कभी ऐसा लगता है कि ऐसे सपने आते है जिनसे हमारा संबंध नहीं, वास्तव में हम अपने मन की सभी बाते बता नहीं पाते इसीसे कुछ बातें हमसे संबंधित नहीं लगती पर वास्तव में संबंध होता है। बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में अभिनेत्री रति अग्निहोत्री से बातचीत सुनवाई गई। बहुत अच्छी रही बातचीत। शनिवार, मंगलवार और गुरूवार को हैलो फ़रमाइश में श्रोताओं से फोन पर बातचीत हुई और उनकी पसन्द के गीत सुनवाए गए।
5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद फ़िल्मी हंगामा में नई फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।
7 बजे जयमाला में नए पुराने गीत सुनवाए गए। शनिवार को विशेष जयमाला प्रस्तुत किया गुलज़ार ने। कुछ बातें फ़ौजी भाइयों के नाम रही, कुछ अपनी फ़िल्मों की चर्चा रही, अपने गीत सुनवाए गए। सबसे अच्छा लगा कार्यक्रम की प्रस्तुति का स्वरूप शायराना होने, बहुत ही काव्यात्मक प्रस्तुति रही। लगा वाकई गीतकार, लेखक, निर्देशक बोल रहे है।
7:45 पर शुक्रवार को लोकसंगीत में गुजराती लोकगीत भी सुनवाए गए पर अच्छा लगा प्रकाश कौर का गाया पंजाबी लोकगीत। शनिवार और सोमवार को पत्रावली में कुछ पुराने कार्यक्रमों के बंद होने की शिकायते थी और इस बार संगीत सरिता की तारीफ़ में अधिक पत्र आए. मंगलवार को सुनवाई गई क़व्वालियाँ। बुधवार को इनसे मिलिए कार्यक्रम में भोजपुरी और हिन्दी फिल्म कलाकार विजय शुक्ल से युनूस जी की बातचीत की अगली कड़ी प्रसारित हुई. रविवार और गुरूवार को राग-अनुराग में विभिन्न रागों पर आधारित फ़िल्मी गीत सुने।
8 बजे हवामहल में अच्छी लगी हास्य झलकी - शादी की तैयारी (निर्देशिका लता गुप्ता)
9 बजे गुलदस्ता में गीत और ग़ज़लें सुनवाई गई।
9:30 बजे एक ही फ़िल्म से कार्यक्रम में मिस्टर एक्स इन बाँम्बे, रानी रूपमती, अप्रैल फ़ूल फ़िल्मों के गीत सुनवाए गए।
रविवार को उजाले उनकी यादों के कार्यक्रम में गीतकार नक्शलायल पुरी से कमल (शर्मा) जी की बातचीत प्रसारित हो रही है। इसकी तीसरी कड़ी सुनी।
10 बजे छाया गीत में कोई नयापन नज़र नहीं आया, वही आवाज़े, प्रस्तुति का वही अंदाज़, वही बातें, वही गीत।
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Friday, April 3, 2009
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3 comments:
वैसे यह टिपणी आपकी पिछली पोस्ट के लिये है पर लगता है आपने वह टिपणी देख़ी नहीं है इस लिये इधर फ़िरसे लगाई है ।
यह गाना ई पी रेकोर्ड पर सिर्फ़ महमद रफ़ी की ही आवाझमें है, जिसमें बोली हुई आवाझ आप के बताये अनुसार आइ एस जोहर की है । पर फिल्म और एल पी रेकोर्ड में जो अतिरीक्त अन्तरा है उसमें आई एस जौहर को गाते बताया है, जिसका पार्श्वगान मन्ना डे साहबने किया है ।
पियुष महेता
नानपूरा, सुरत ।
अन्नपूर्णा जी आपकी साप्ताहिकी की जितनी तारीफ की जाए कम है ।
शुक्रिया पीयूष जी ममता जी
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आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।