वर्ष 1974 के आस-पास रिलीज़ हुई थी फ़िल्म - झील के उस पार
गुलशन नन्दा के उपन्यास पर बनी एक बहुत अच्छी फ़िल्म जिसके कलाकार है मुमताज़, धर्मेन्द्र और योगिता बाली। इसके गीत भी बहुत लोकप्रिय रहे और रेडियो के सभी स्टेशनों से बहुत सुनवाए जाते थे। आजकल भी एकाध गीत विविध भारती पर सुनने को मिल जाता है पर लताजी की आवाज़ में यह शीर्षक गीत नहीं सुने बहुत समय हो गया। इसके कुछ-कुछ बोल मुझे याद आ रहे है जो इस तरह है -
चल चले ए दिल करे चल
कर किसी का इंतेज़ार
इंतेज़ार झील के उस पार
शायद कोई परदेसी आ जाए सूने देश में
मिल जाए भगवान मुझको आदमी के भेष में
क्या हो जाए क्या है ऐतेबार
झील के उस पार
जो इस पार नहीं कोई क्या जाने वो उस पार हो
पर्वत के पीछे एक सुन्दर सपनों का संसार हो
छाई हो बहारों पे बहार
झील के उस पार
पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…
सबसे नए तीन पन्ने :
Tuesday, April 28, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
yah geet bahut hi pyara hai..no doubts!
is film ke cinematography lajawab thi.
Post a Comment
आपकी टिप्पणी के लिये धन्यवाद।