पिछले सप्ताह सपना बाबुल का - बिदाई धारावाहिक के नृत्य महोत्सव के एपीसोड देखकर बहुत निराशा हुई। जिस नृत्य संगीत की उम्मीद की जा रही थी वैसा कुछ देखने को नही मिला। इतने फीके एपीसोड देखते हुए याद आई राजश्री प्रोडकशंस की एक फिल्म - पायल की झंकार
यह फिल्म 1982 में रिलीज हुई थी। भारतीय शास्त्रीय नृत्य पर बनी इस फिल्म को दर्शको ने भी बहुत पसंद किया और समीक्षकों की भी सराहना मिली। अपने विषय के कारण रिलीज होने के कुछ समय बाद ही सरकार ने देश भर के सिनेमा घरो में इसे मनोरंजन कर से मुक्त कर दिया जिसके बाद तो सिनेमाघरों में भीड़ उमड़ पड़ी।
इस फिल्म का नायक हैं अलंकार और नायिका कोमल - पूरा नाम शायद कोमल महुआकर। इन दोनों की बतौर नायक नायिका यह पहली फिल्म हैं इससे पहले दोनों ने बाल कलाकार के रूप में काम किया था। खासकर मास्टर अलंकार के रूप में इस बाल कलाकार को हम कई हिट फिल्मो में देख चुके हैं।
इस फिल्म में नृत्य गुरू की भूमिका में ख्यात हास्य कवि शैल चतुर्वेदी हैं। कुशल नृत्यांगना की भूमिका में जो अभिनेत्री हैं शायद उनका नाम रश्मि वाजपेयी हैं और उनका सम्बन्ध भी शायद किसी कवि परिवार से हैं।
इस फिल्म में नृत्य और संगीत दोनों बढ़िया हैं। गाने रेडियो से बहुत सुनवाए जाते थे पर बाद में बजाना बंद हो गए। अब मुझे भी याद नही आ रहे केवल एकाध पंक्ति याद आ रही हैं। नायिका और कुशल नृत्यांगना की प्रतिस्पर्धा का गीत जिसके बोल कुछ ऐसे हैं -
सुर बिन तान नही (शायद कुछ ऐसा ही)
--- बिन प्राण नही
इसके उत्तर में पंक्ति हैं - गुरू बिन ज्ञान नहीं
यह एक ही पंक्ति अच्छी तरह याद हैं।
पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…
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Tuesday, March 2, 2010
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2 comments:
सुंदर जानकारी। भूले-बिसरे प्रसंगों को ध्यान दिलाते रहने के लिए शुक्रिया।
अन्नपूर्णाजी,
यह एक योगानुयोग हुआ कि मेरे निजी संग्रह से मैं कुछ दो पहलुवाले गाने सुन रहा था उसमें जब पुरानी फिल्म पायल की झंकार का गाना ए मेरे सोये हुए प्यार जरा होंशमें आ सुनरहा था (गायक किशोर कूमार तथा आशा भोंसले अलग अलग और संगीत सी रामचंद तथा नायक खूद किशोर कूमार और नायिका जमूना) तब आप की पोस्ट पर यह नयी (सापेक्ष में ही सही) पायल की झंकार की पोस्ट पढी । हालाकि, गाने याद नहीं है ।
पियुष महेता ।
नानपूरा-सुरत-395001.
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