सवेरे के त्रिवेणी कार्यक्रम के बाद क्षेत्रीय प्रसारण तेलुगु भाषा में शुरू हो जाता है फिर हम दोपहर 12 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुडते है।
दोपहर 12 बजे का समय होता है इंसटेन्ट फ़रमाइशी गीतों के कार्यक्रम एस एम एस के बहाने वी बी एस के तराने का। इस कार्यक्रम पर छुट्टियों का असर नजर आ रहा हैं। हर दिन नई फिल्मे चुनी गई ताकि युवा श्रोताओ का अच्छा मनोरंजन हो सके। हमेशा की तरह शुरूवात में 10 फ़िल्मों के नाम बता दिए गए फिर बताया गया एस एम एस करने का तरीका। पहला गीत उदघोषक की खुद की पसन्द का सुनवाया गया ताकि तब तक संदेश आ सके। फिर शुरू हुआ संदेशों का सिलसिला।
शुक्रवार को आए कमल (शर्मा) जी और बड़े ही धूम मचाने वाले गीत सुनने के लिए श्रोताओं के सन्देश मिले - ये हैं जलवा जैसे गीत, नो एंट्री और आ देखे ज़रा फिल्मो के शीर्षक गीत, बचना ऐ हसीनो, धूम 2, किसना, कारपोरेट, राज फिल्मो के गीत सुनवाए लेकिन शुरूवात की ओंकारा फिल्म के बीडी जलाइले से।
शनिवार को रेणु (बंसल) जी ले आई फिल्मे - वीरजारा, मोहब्बते, चमेली, 36 चायना टाउन, ताल, अशोका जिनके गीतों के साथ संदेशो के अनुसार शीर्षक गीत सुनवाए कल हो न हो, कभी अलविदा न कहना फिल्मो से।
रविवार को नन्द किशोर (पाण्डेय) जी लेकर आए फिल्मे - जागर्स पार्क, रहना हैं तेरे दिल में, रिफ्यूजी, चीनी कम, आ अब लौट चले जिनके लोकप्रिय गीतों के लिए सन्देश आए।
सोमवार को नन्द किशोर (पाण्डेय) जी ले आए - मेजर साहेब , खाकी, जहर, बाबुल, फना, बागबान, इन फिल्मो के गीतों के साथ आशिक बनाया आपने फिल्म के शीर्षक गीत के लिए भी सन्देश आए।
मंगलवार को मैं हूँ ना, मुन्ना भाई एम बी बी एस, परिणीता, ओम शान्ति ओम, हम तुम, पहेली, विवाह, तारारमपम फिल्मे लेकर आए अशोक हमराही जी। और ओंकारा फिल्म का बीडी जलईले दुबारा सुनने को मिला इस एक सप्ताह में।
बुधवार को नन्द किशोर (पाण्डेय) जी लेकर आए फिल्मे - पुकार, फिर हेरा फेरी, राजू चाचा, दुश्मन, सरफरोश, जिस देश में गंगा रहता हैं। रोमांटिक गीतों के अलावा अलग भाव के गीतों के लिए भी सन्देश आए - फिर भी दिल हैं हिन्दुस्तानी फिल्म का शीर्षक गीत।
आज रेणु (बंसल) जी ने बड़ी मस्त शुरूवात की - मैं निकला गडी लेके गीत से। अन्य फिल्मे रही - दिल चाहता हैं, अजनबी, अशोका, प्यार किया तो डरना क्या, हमको दीवाना कर गए, चोरी चोरी चुपके चुपके। आज रेणु जी की प्रस्तुति भी बहुत मस्त रही।
आधा कार्यक्रम समाप्त होने के बाद फिर से बची हुई फ़िल्मों के नाम बताए गए और फिर से बताया गया एस एम एस करने का तरीका। इस कार्यक्रम के अंत में अगले दिन की 10 फ़िल्मों के नाम बताए गए। आरम्भ, बीच में और अंत में बजने वाली संकेत धुन ठीक ही हैं। देश के विभिन्न भागो से संदेश आए। सप्ताह भर इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया विजय दीपक छिब्बर जी ने।
12:55 को झरोका में दोपहर और बाद के केन्द्रीय और क्षेत्रीय प्रसारण की जानकारी तेलुगु भाषा में दी गई।
1:00 बजे कार्यक्रम सुनवाया गया - हिट सुपर हिट। यह कार्यक्रम हर दिन एक कलाकार पर केन्द्रित होता है, उस कलाकार के हिट सुपरहिट गीत सुनवाए जाते है। शुक्रवार को यह कार्यक्रम अभिनेत्री जरीना वहाब पर लेकर आए कमल (शर्मा) जी। बहुत अच्छा रहा। शुरूवात की उनकी पहली सुपरहिट फिल्म चितचोर
के सुपरहिट गीत से -
तू जो मेरे सुर में सुर मिला ले
उनके बारे में संक्षिप्त जानकारी दी कि उनका जन्म विशाखापत्तनम में हुआ। पूना संस्थान से प्रशिक्षण लिया। पहली फिल्म इश्क, इश्क, इश्क पर दूसरी फिल्म चितचोर को अपार लोकप्रियता मिली। बाद में चरित्र भूमिकाएं की। उनकी हिट फिल्मो के हिट गीत सुनवाए - घरौंदा, सावन को आने दो, तुन्हारे लिए, नैय्या।
शनिवार को रेणु (बंसल) जी ने अभिनेत्री दीप्ति नवल पर प्रस्तुत किया यह कार्यक्रम। उन पर सामान्य जानकारी दी कि पहली फिल्म हैं जूनून। फिर आयी फिल्म एक बार फिर जिसका गीत भी सुनवाया गया - ये पौधे, ये पत्ते
उन्हें एक भावप्रवण उच्च कोटी की अभिनेत्री बताया और यह जानकारी भी दी कि उनकी जोडी बनी फारूक शेख के साथ। चश्मेबद्दूर फिल्म का गीत सुनवाया और साथ-साथ फिल्म के दो गीत सुनवाए। बाद में उन्होंने चरित्र भूमिकाए भी की जिसकी जानकारी नही दी।
रविवार को नन्द किशोर (पाण्डेय) जी ने गीतकार देव कोहली पर यह कार्यक्रम प्रस्तुत किया। उनके गीत सुनवाए - लाल पत्थर फिल्म कुछ पुरानी और शेष सभी गीत नई फिल्मो से रहे - हम आपके हैं कौन का दीदी तेरा देवर दीवाना, हम साथ साथ हैं और कोई मिल गया फिल्मो के गीत सुनवाए।
सोमवार को नन्द किशोर (पाण्डेय) जी ने पार्श्व गायक अनवर पर यह कार्यक्रम प्रस्तुत किया। अनवर के गीत आजकल बहुत कम सुनने को मिलते हैं। खासकर आहिस्ता आहिस्ता फिल्म का यह शीर्षक गीत बहुत-बहुत दिन बाद सुनना अच्छा लगा -
मोहब्बत रंग लाती हैं मगर आहिस्ता आहिस्ता
शुरूवात की सोहनी महिवाल के गीत से। थोड़ी सी बेवफाई का लवली मौसम गीत भी शामिल था। विधाता फिल्म का गीत भी सुनवाया पर जनता हवालदार फिल्म के दो गीतों में से एक भी न सुनवाना अच्छा नही लगा, हालांकि इसी फिल्म से अनवर को पहचान मिली।
मंगलवार को पार्श्व गायक शब्बीर कुमार के लिए अशोक हमराही जी ने प्रस्तुत किया। शुरूवात की फिल्म बेताब के गीत से, इसके बाद प्यार झुकता नही, मेरी जंग, आज का अर्जुन और वो सात दिन फिल्मो के गीत सुनवाए गए। सभी गीत हिट सुपर हिट सुनवाए गए पर सभी गीत युगल गीत रहे और वो भी लता जी के साथ गाए गए। समझ में नही आया, क्या उनके सिर्फ लताजी के साथ गाए गीत ही हिट सुपर हिट हैं....
बुधवार को नन्द किशोर (पाण्डेय) जी ने पार्श्व गायक मोहम्मद अजीज पर यह कार्यक्रम प्रस्तुत किया। शुरूवात बढ़िया रही, आखिर क्यों फिल्म के इस गीत से -
एक अन्धेरा लाख सितारे एक निराशा लाख सहारे
सबसे बड़ी सौगात हैं जीवन नादाँ हैं जो जीवन से हारे
उसके बाद आखिरी रास्ता, अमृत, सौदागर, नगीना फिल्मो के गीत सुनवाए। अच्छी विविधता रही कार्यक्रम में।
आज इस कार्यक्रम में भी रेणु जी की प्रस्तुति बढ़िया रही। अनुराधा पौडवाल और कुमार सानू पर प्रस्तुत किया कार्यक्रम। दोनों के गाए युगल गीत सुनवाए गए। आमतौर पर एक ही कलाकार पर केन्द्रित होता हैं यह कार्यक्रम पर आज जोडी पर प्रस्तुति दी गई। आशिकी, दिल हैं कि मानता नही, साजन, दाग - द फायर फिल्मो के गीत सुनवाए और सुनवाया यह गीत भी -
तुम्हे अपना बनाने की कसम खाई हैं
आशा हैं आगे भी ऎसी प्रस्तुतियां जारी रहेगी और सिर्फ जोडी ही नही, टीम विशेष द्वारा तैयार किए गए कुछ बढ़िया गीत भी सुनवाए जाएगे।
इस कार्यक्रम में अक्सर केवल गीत ही सुनवाए, कलाकार की कोई जानकारी नही दी। यह अंदाज भी अच्छा रहा। हर दिन अंत में यह बताया जाता रहा कि यह कार्यक्रम रात में 9 बजे दुबारा प्रसारित होगा।
1:30 बजे का समय रहा मन चाहे गीत कार्यक्रम का। सप्ताह भर सत्तर अस्सी के दशक की फिल्मो का बोलबाला रहा। पत्रों पर आधारित फ़रमाइशी गीतों में शुक्रवार को शुरूवात नई फिल्म मासूम के गीत से की फिर लोकप्रिय गीत फरमाइश में से चुन कर सुनवाए गए। फिल्मे रही - हीरो, नमक हलाल, अजनबी, हिना, जेंटलमैन फिल्म का यह गीत -
रूप सुहाना लगता हैं चाँद पुराना लगता हैं तेरे आगे ओ जानम
अंत में दो गीत नई फिल्मो के थे - टक्कर और हम आपके दिल में रहते हैं।
शनिवार को अमरकांत जी ने सुनवाए श्रोताओं की फरमाइश पर इन फिल्मो के बहुत ही धूम मचाने वाले गीत, शुरूवात की -
मैं चट यमला पगला दीवाना
इत्ती सी बात न जाना
कि वो मैनू प्यार करती हैं
बहारो के सपने का चुनरी संभाल गोरी, गिर गया झुमका जिसके साथ मिस्टर नटवरलाल, मैंने प्यार किया, राम लखन और जानेमन फिल्म का यह गीत - की गल हैं, कोई नही। बहुत मजा आया।
रविवार को मंजू (द्विवेदी) जी ले आई बेहतरीन फिल्मो के लोकप्रिय गीत - मस्ताना, बैराग, कारवां, हम पांच, आपकी कसम, गौतम गोविंदा, हम आपके हैं कौन और धरती कहे पुकार के फिल्म का यह गीत -
जे हम तुम चोरी से बंधे एक डोरी से
जय्यो कहाँ ऐ हुजूर
सोमवार को गीत सुनवाने आई रेणु (बंसल) जी। सच्चा झूठा, जीवा, एक दूजे के लिए, फकीरा, आपके साथ, ये वादा रहा, सड़क, डर फिल्मो के गीत सुनवाए।
मंगलवार को निम्मी (मिश्रा) जी ने पहले ही गीत से गरमी की दुपहरी में श्रोताओं को झकझोर दिया, अपना देश फिल्म से आशा भोसले और आर डी बर्मन का गाया फ्रीडम वाला गीत। मिस्टर नटवरलाल, रंगीला, संगीत फिल्मो के मस्ती भरे और वास्तव, विजयपथ फिल्मो के शांत रोमांटिक गीत भी श्रोताओं की फरमाइश पर सुनवाए गए।
बुधवार को राजेन्द्र (त्रिपाठी) जी ने शुरूवात की फिल्म लैला मजनू के इस गीत से जिसकी फरमाइश श्रोताओं ने बहुत दिन बाद की -
कोई पत्थर से न मारे मेरे दीवाने को
उड़न खटोला, जेलर, जिद्दी, आँखे जैसी पुरानी फिल्मो के गीत और अस्सी के दशक की अब्दुल्ला, स्वीकार किया मैंने, मुद्दत, धनवान फिल्मो के गीत सुनने के लिए ई-मेल आए। अंतिम फरमाइशी गीत शोले फिल्म से रहा - महबूबा महबूबा जिससे मैक मोहन साम्भा को श्रद्धांजली दी गई।
आज अशोक (सोनामणे) जी आए गीत सुनवाने। शुरूवात पुरानी फिल्मो से हुई - लव मैरिज, पतिता, मिस बॉम्बे, राजहट फिल्म का गीत -
ये वादा करो चाँद के सामने
फिर आगे के समय की फिल्मो के गीत सुनवाए गए - प्रेम पुजारी, आनंद, पत्थर के सनम, हमराज, मोहरा, राज, फिल्मो से और समापन हुआ सिलसिला फिल्म के गीत से -
देखा एक ख़्वाब तो ये सिलसिले हुए
बुधवार और गुरूवार के ई-मेल मन चाहे गीत कार्यक्रम में इस सप्ताह मेल संख्या कम ही लगी। अधिकाँश गीत एक ही मेल पर सुनवाए गए।
इस कार्यक्रम में अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए और संदेश भी प्रसारित किए गए जिसमें विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में बताया गया। दूरदर्शन की फिल्मो की जानकारी भी दी।
इस सप्ताह एक बात खटकी। गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर की 150 वी जन्मशती समूचे उप महाद्वीप में मनाने की शुरूवात हुई। यह हामारे लिए गौरव की बात हैं कि विश्व में गुरूदेव एकमात्र रचयिता हैं जिनकी रचनाएं दो देशों - भारत और बंगला देश का राष्ट्रीय गान हैं। जिनकी दो फिल्मो के गीत बहुत ही लोकप्रिय हैं -काबुलीवाला का देश भक्ति गीत और घूंघट फिल्म के गीत। लेकिन इस सप्ताह यह गीत गूंजते सुनाई नही दिए। गुरूदेव के साथ उनकी पूरी बंगला संस्कृति महकती हैं। बंगला रचनाओं पर बनी हिन्दी फिल्मो में कई लोकप्रिय गीत हैं, फिर एस डी बर्मन के गाए गीत हैं, इस समूचे सन्दर्भ से सभी अनजान लगे। न विविध भारती ने कोई व्यवस्था दी और न ही श्रोताओं को ऐसे गीतों की फरमाइश भेजने की सुध रही।
इस प्रसारण को तेजेश्री (शेट्टे) जी, बलवंत जी, निखिल (धामापुरकर) जी, स्वाती (भंडारकर) जी, सुधाकर (मटकर) जी, के तकनीकी सहयोग से हम तक पहुँचाया गया, नियंत्रण कक्ष (कंट्रोल रूम) से सुमति (शिंघाडे) जी, रीटा (गोम्स) जी, ने इस प्रसारण के तकनीकी पक्ष को सम्भाला और यह कार्यक्रम श्रोताओं तक ठीक से पहुँच रहा है, यह देखने (मानीटर) करने के लिए ड्यूटी रूम में ड्यूटी अधिकारी रही कमला कुन्दर जी। एक और महत्वपूर्ण जानकारी दी गई कि इन गीतों को संग्रहालय से चुन कर निकालने वालो के नाम भी बताए गए। यह जानकारी अचानक मिलने से नाम ठीक से मैं नोट नही कर पाई, शायद ये नाम हैं - शोभा, दीपा, श्याम। अनुरोध हैं कि यह नाम भी आगे से नियमित बताइए क्योंकि ढेरो गीतों में से कुछ गीत चुनना वाकई मेहनत का काम हैं।
दोपहर में 2:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम की समाप्ति के बाद आधे घण्टे के लिए क्षेत्रीय प्रसारण होता है जिसके बाद केन्द्रीय सेवा के दोपहर बाद के प्रसारण के लिए हम 3 बजे से जुड़ते है।
सबसे नए तीन पन्ने :
Thursday, May 13, 2010
प्यार-मोहब्बत के गानों की दुपहरियों की साप्ताहिकी 13-5-10
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