दोपहर में 2:30 बजे मन चाहे गीत कार्यक्रम की समाप्ति के बाद आधे घण्टे के लिए क्षेत्रीय प्रसारण होता है जिसके बाद केन्द्रीय सेवा के दोपहर बाद के प्रसारण के लिए हम 3 बजे से जुड़ते है।
3 बजे सखि सहेली कार्यक्रम में शुक्रवार को प्रसारित हुआ कार्यक्रम हैलो सहेली। फोन पर सखियों से बातचीत की रेणु (बंसल) जी ने। इस कार्यक्रम पर छुट्टियों का असर नजर आया। छात्राओं के बहुत फोन आए। एक गाँव की छात्रा ने बताया कि वह पढ़ना चाहती हैं, उसका विवाह होने जा रहा हैं, ससुराल वाले उसे आगे पढ़ने देना चाहते हैं। अच्छी लगी यह बातचीत। एक सखी ने बताया वह पढ़ना चाहती हैं, सिलाई भी जानती हैं और नौकरी करना चाहती हैं। एक गाँव से आए फोन काल में कहा गया कि वहां पढाई की व्यवस्था नही हैं जिससे वह नानी के घर रह कर पढाई करती हैं। पूरे कार्यक्रम में लड़कियों की शिक्षा के प्रति जागरूकता की झलक मिली। वैसे एक घरेलु महिला ने भी बात की। एक काल से यह भी पता चला कि नानदेड में गरमी बहुत हैं। कुछ व्यक्तिगत बाते भी हुई, एक सखी ने बताया उसने घर बनवाया हैं। सखियों ने विविध भारती के कार्यक्रमों को पसंद करने की भी बात कही। रेणुजी ने बातचीत से वातावरण भी बहुत सौम्य बनाए रखा।
सखियों की पसंद पर नए-पुराने विभिन्न मूड के गाने सुनवाए गए - पुरानी फिल्म बेटी-बेटे का गीत - आज कल में ढल गया
नया गीत - थोड़ा सा प्यार हुआ हैं थोड़ा हैं बाक़ी
एक स्कूल की लड़की ने सत्तर अस्सी के दशक की फिल्म प्यासा सावन का गीत सुनना चाहा।
विभिन्न क्षेत्रो जैसे उत्तर प्रदेश का जिला भदौरी, पूना, बिहार से फोन आए। शहर, गाँव, जिलो से फोन आए। लोकल काल भी थे।
सोमवार को पधारे निम्मी (मिश्रा) जी और कांचन (प्रकाश संगीत) जी। यह दिन रसोई का होता है, इस दिन बात हुई सत्तू की। पहले एक कार्यक्रम हुआ करता था चूल्हा चौका जिससे सत्तू बनाने और उत्तर भारत के सत्तू से बनाए जाने वाले क्षेत्रीय व्यंजन का अंश सुनवाया गया। व्यंजन बताए रेखा जमवार ने - लिप्पी, सत्तू का पराठा। सखियों के भेजे चुटकुले भी सुनवाए गए और सत्तू का शरबत बनाने और उससे होने वाले लाभ की जानकारी भी दी। अक्षय तृतीया के पारंपरिक स्वरूप पर भी चर्चा हुई।
सखियों की पसंद पर पुरानी फिल्मो के गीत सुनवाए गए - हावड़ा ब्रिज, बसंत बहार, यहूदी, पतंगा, बहार फिल्मो के गीत और जिन्दगी फिल्म का यह गीत -
घुंघरवा मोरा छम छम बाजे
मंगलवार को पधारी सखियां निम्मी (मिश्रा) जी और सुधा (अत्सुले) जी। यह करिअर का दिन होता है। इस दिन कृषि के क्षेत्र में कृषि इंजीनियरिंग, शोध, पशुपालन, विपणन और कृषि में समाज विज्ञान जैसे 6 क्षेत्रो में करिअर बनाने के लिए विभिन्न पाठयकर्मो की जानकारी दी। गर्मियों की छुटियो में युवाओं को छोटी-मोटी नौकरियाँ करने के लिए बढ़ावा देने की भी सलाह दी। इस दिन पानी की बचत, ताजे पानी का उपयोग और पानी रखने के बर्तन को साफ़ रखने जैसी जानकारियाँ देती कांचन (प्रकाश संगीत) जी की लिखी और अभिनीत झलकी सुनवाई गई।
हमेशा की तरह सखियो के अनुरोध पर गाने नए ही सुनवाए गए जैसे 3 इडियट्स, आशिक बनाया आपने, झंकार बीट्स, तारा रमपम, साथिया, कुछ कुछ होता हैं फिल्मो के गीत और कल हो न हो का शीर्षक गीत भी सुनवाया गया।
बुधवार को सखियाँ पधारीं - रेणु (बंसल) जी और कांचन (प्रकाश संगीत) जी। इस दिन स्वास्थ्य और सौन्दर्य संबंधी सलाह दी जाती है्। इस दिन इस विषय पर अच्छी प्रस्तुति रही। पानी से होने वाली बीमारियों के बारे में डा जैकब थॉमस से पहले किसी कार्यक्रम (शायद सेहतनामा, वैसे कार्यक्रम का नाम नही बताया, बताना चाहिए था) में की गई बातचीत के अंश सुनवाए गए। श्रोता सखियों द्वारा भेजे गए नुस्के बताए गए जैसे स्वास्थ्य, सुन्दरता के लिए आलू, नीम का प्रयोग। श्रोता सखियों की फरमाइश पर कुछ पुराने समय के लोकप्रिय गीत इन फिल्मो से सुनवाए गए - दाग, तलाश, ख़ूबसूरत, वासना फिल्मो से और यह मजेदार गीत सुनना भी अच्छा लगा -
दरिया किनारे एक बंगलो ...रे दई जो दई
अंत में बिखरे पन्ने के अंतर्गत एड्स से पीड़ित एक महिला की व्यथा को उभारती एक कहानी सुनाई कांचन जी ने जिसमे बताया कि कैसे एक महिला थोड़े से लालच में गलत रास्ते पर आ जाती हैं। बहुत मार्मिक रही कहानी।
गुरूवार को सखियाँ पधारी निम्मी (मिश्रा) जी और देवी कुमार जी। इस दिन सफल महिलाओं के बारे में बताया जाता है। इस दिन किसी एक महिला के बारे में न बता कर, नारी के सम्मान और नारी की विशेषताओं के बारे में सखियों के विचार उनके पत्रों से पढ़ कर बताए गए जैसे माँ की महानता। कांचन जी की लिखी एक झलकी भी सुनवाई गई जिसमे कांचन जी के साथ अमरकांत (दुबे) जी ने भाग लिया। ठण्डे पानी के लिए मटके खरीदने और टूटने की बाते होती रही...
सखियों के अनुरोध पर लोकप्रय गीत सुनवाए - ज़मीर, जुर्म, अभिमान, चुपके-चुपके, लोफर फिल्मो से और यह गीत -
बाबुल का यह घर अंगना कुछ दिन का ठिकाना हैं
हर दिन श्रोता सखियों के पत्र पढे गए। कुछ पत्रों में कार्यक्रमों की तारीफ़ थी, कुछ सखियों ने अच्छे विचार भी भेजे जैसे बुढापा स्वस्थ विचारों का घर होना चाहिए। जनगणना के लिए सही जानकारी दे, यह सन्देश दिया गया।
इस कार्यक्रम की दो परिचय धुनें सुनवाई गई - एक तो रोज़ सुनी और एक विशेष धुन हैलो सहेली की शुक्रवार को सुनी। प्रस्तुति कांचन (प्रकाश संगीत) जी की रही। सप्ताह के चार कार्यक्रम अच्छे रहे पर गुरूवार का कार्यक्रम कमजोर लगा।
शनिवार और रविवार को प्रस्तुत हुआ सदाबहार नग़में कार्यक्रम जिसमे अच्छे सदाबहार नगमे सुनने को मिले। शनिवार को सुनवाए रोमांटिक गीत - इन्साफ, काली टोपी लाल रूमाल, एक कलि मुस्काई फिल्मो के और यह गीत -
आ नीले गगन तले प्यार हम करे
नमस्ते जी, चाचाचा फिल्मो से उदास गीत, काला पानी फिल्म से शरारती गीत - अच्छा जी मैं हारी चलो मान जाओ न
रविवार को हमराही, कश्मीर की कलि, तीसरी मंजिल, साहब बीबी और गुलाम, ये रात फिर न आएगी, देवर फिल्मो के रोमांटिक गीत और यह गीत -
जोगी हम तो लुट गए तेरे प्यार में
और यह अलग सा गीत जानवर फिल्म से - लाल छड़ी मैदान खडी
इस तरह अलग-अलग मूड के सदाबहार गीत सुनने को मिले।
3:30 बजे नाट्य तरंग कार्यक्रम में शनिवार को सुरेश काला का लिखा नाटक धूप छाँव सुनवाया गया जिसका निर्देशन रमा अरूण त्रिवेदी ने किया हैं। नायक को प्यार हो जाता हैं अशिक्षित लोक नर्तकी से पर उसे अपनाने का साहस नही कर पाता। वर्षो बाद उसी गाँव से गुजरते समय पहले उसकी बेटी से मिलता ही फिर उससे जो विधवा हो चुकी हैं। इस बार अपना लेता हैं। लखनऊ केन्द्र की अच्छी मार्मिक प्रस्तुति।
रविवार को भी सामाजिक नाटक सुनवाया गया। राम नारायण विश्वनाथ पाठक के लिखे मूल गुजराती नाटक का बी एम भटनागर द्वारा किया गया हिन्दी अनुवाद सुनवाया गया - खेमी। नायिका खेमी के शराबी पति का निधन हो जाता हैं। वह अशिक्षित हैं और छोटे-मोटे काम करने लग जाती हैं। उसके पति के बीमे के पैसे और उसकी जगह सरकारी नौकरी खेमी को दिलाने में जो उसकी सहायता करता हैं वह उससे विवाह का प्रस्ताव रखता हैं जिसे खेमी यह सोच कर ठुकरा देती हैं कि जिसके संग इतना जीवन जिया उसी की याद में शेष जीवन बिता देगी। निर्देशक है सत्येन शरद। दिल्ली केन्द्र की प्रस्तुति।
शाम 4 से 5 बजे तक सुनवाया जाता है पिटारा कार्यक्रम जिसकी अपनी परिचय धुन है और हर कार्यक्रम की अलग परिचय धुन है।
शुक्रवार को प्रस्तुत किया गया कार्यक्रम सरगम के सितारे जिसमे सितारे रहे आज के जमाने के ख्यात पार्श्व गायक शान जिनसे बातचीत की युनूस (खान) जी ने और परिचय दिया रेणु (बंसल) जी ने। संगीत पर चर्चा हुई, गीत के बोल, उच्चारण पर चर्चा हुई। एक विवाह ऐसा भी, सांवरिया, फना फिल्मो के गीत बनने और गाने की चर्चा हुई। साथ ही चर्चा की हिन्दी अंग्रेजी गानों की। यह भी बताया की पहले बच्चो के लिए जिंजल गाते थे। तारे जमीन पर फिल्म के लिए बच्चो के गीत पर भी बात हुई। एक बात सही बताई शान ने कि फिल्मो में बच्चो के लिए गाने बन ही नही रहे। हलकी-फुल्की जानकारी व्यक्तिगत जीवन की भी मिली। चलते-चलते शान ने विविध भारती की कार्य शैली की भी तारीफ़ कर दी। इस कार्यक्रम को प्रस्तुत किया कल्पना (शेट्टी) जी ने विनायक (तलवलकर) जी के तकनीकी सहयोग से।
रविवार को प्रसारित हुआ कार्यक्रम उजाले उनकी यादो के जिसमे फिल्म पटकथा लेखन की ख्यात जोडी सलीम-जावेद के सलीम खान से युनूस (खान) जी की बातचीत की अगली कड़ी सुनवाई गई। शुरूवात में पिछली कड़ी का अंश सुनवाया गया जिससे निरंतरता बनी रही। इसमे शक्ति फिल्म के माध्यम से दिलीप कुमार को याद किया और अमिताभ बच्चन को भी। फिल्मो के सीन भी सुनवाए। हेलन की बाते बताई, उनसे मुलाक़ात और प्यार की, पत्नी से कुछ समय के अलगाव की और इस तरह कुछ निजी जीवन की भी चर्चा चली। यह भी बताया कि आजकल लेख लिखते हैं जिसकी अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद भी होते हैं।
दिलीप कुमार के लिए गंगा जमुना फिल्म का गीत भी सुनवाया - नैन लड़ गई रे
हेलन के लिए एक कम सुना जाने वाला गीत भी सुनवाया और इन्तेकाम फिल्म का लोकप्रिय गीत भी - आ जाने जा
अगले सप्ताह भी बातचीत जारी रहेगी जिसकी झलक अंत में सुनवाई। इस रोचक बातचीत के रिकार्डिंग इंजीनियर हैं - मंगेश (सांगले) जी और जे पी (महाजन) जी, कार्यक्रम की प्रस्तुतकर्ता हैं कल्पना (शेट्टी) जी। सम्पादन खुद युनूस जी ने किया हैं।
सोमवार को सेहतनामा कार्यक्रम में डा अति सांघवी से निम्मी (मिश्रा) जी की बातचीत सुनवाई गई, विषय रहा - मधुमेह रोग। विस्तार से जानकारी दी। बताया कि इंसुलिन नामक हारमोन की शरीर में कमी होने से शरीर में शुगर का स्तर कम हो जाता हैं। अगर बच्चो में हो तो अक्सर लम्बी उम्र तक रहता हैं। कई मामलों में ठीक हो जाता ही। खाने-पीने में सावधानी रखनी हैं। मानसिक दबाव से भी शुगर बढ़ता हैं, इस रोग के प्रति लोगो में जागरूकता की कमी हैं। इस जानकारीपूर्ण कार्यक्रम की प्रस्तुतकर्ता हैं कमलेश (पाठक) जी।
बुधवार को आज के मेहमान कार्यक्रम में टेलीविजन और फिल्म के अभिनेता विनय पाठक से निम्मी (मिश्रा) जी की बातचीत सुनवाई गई। जानकारी मिली कि पहले थियेटर फिर टेलीविजन और फिल्मो में प्रवेश किया। पहली फिल्म हम दिल दे चुके सनम फिर भेजा फ्राई। बाद में एक फिल्म भी बनाई। बताया कि कहानी पर ज्यादा ध्यान देते हैं। हर काम से जुड़े अपने अनुभव बताए। अपने विविध भारती से लगाव की भी जानकारी दी। इस कार्यक्रम को स्वाति (भंडारकर) के तकनीकी सहयोग से कलपना (शेट्टी) जी ने प्रस्तुत किया।
हैलो फ़रमाइश कार्यक्रम में शनिवार को श्रोताओं से फोन पर बात की अमरकांत जी ने। विभिन्न क्षेत्रो से फोन आए और लोकल काल भी थे। अलग-अलग तरह के श्रोताओं से बात हुई। छात्रो ने फोन किया। विभिन्न काम करने वालो ने अपने काम के बारे में बताया जैसे कम्पनी में पैकिंग का काम। सब की पसंद पर गाने अलग-अलग तरह के नए पुराने गीत सुनवाए जैसे पुराना गीत -
तेरे ख्यालो में हम तेरी ही बाहों में गुम
अवतार फिल्म का भक्ति गीत - चलो बुलावा आया हैं
नई फिल्म मुझसे शादी करोगी का शीर्षक गीत
इस कार्यक्रम को तैयार करने में तकनीकी सहयोग विनायक (तलवलकर) जी और प्रस्तुति सहयोग झरना (सोलंकी) जी का रहा। कार्यक्रम को प्रस्तुत किया महादेव (जगदाले) जी ने।
मंगलवार को फोन पर श्रोताओं से बातचीत की अशोक जी ने। अलग-अलग तरह की बातचीत अच्छी लगी। श्रोताओं से बातचीत से पता चला हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र में गरमी बहुत हैं। छात्र, खेती करने वाले, दूकान चलाने वाले जैसे विभिन्न श्रोताओं ने अपने काम के बारे में बताया। विभिन्न स्थानों से फोन आए और नए पुराने गीत उनके अनुरोध पर सुनवाए गए। एक प्रोफ़ेसर साहब ने समाज सेवा की बड़ी-बड़ी बाते की और पसंद किया यह गीत -
जरूरत हैं जरूरत हैं जरूरत हैं
एक श्रीमती की कलावती की
सेवा करे जो पति की
भई वाह ! बाते समाज सेवा की और पत्नी चाहिए ऎसी जो पति की सेवा करे, कम से कम उसे बराबरी का दर्जा तो देते, खैर... अपने अपने विचार...
इस कार्यक्रम को तैयार करने में तकनीकी सहयोग स्वाति (भंडारकर) जी और प्रस्तुति सहयोग माधुरी (केलकर) जी का रहा। कार्यक्रम को प्रस्तुत किया महादेव (जगदाले) जी ने।
गुरूवार को श्रोताओं से फोन पर बातचीत की कमल (शर्मा) जी ने। इस कार्यक्रम पर छुट्टी का असर नजर आया पर स्कूल कॉलेज की छुट्टियां नहीं, खेती किसानी की छुट्टी। मई के महीने में खेत खाली होते हैं। मानसून के इन्तेजार में अक्सर किसान खेती की तैयारी करते नजर आते हैं जिससे समय मिल जाता हैं। इसीलिए खेती के काम से जुड़े श्रोताओं के फोन ज्यादा आए। कुछ अन्य कामकाजी श्रोता भी थे। विभिन्न स्थानों से फोन आए। ज्यादातर श्रोताओं ने सत्तर अस्सी के दशक की फिल्मो के गीत सुनने का अनुरोध किया। इन गीतों के अलावा एकाध नया और पुराना गीत भी शामिल था।
तीनो ही कार्यक्रमों में श्रोताओं ने विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों को पसंद करने की बात बताई। एक श्रोता के कहने पर एस एम एस करने का तरीका भी बताया गया, श्रोता की शिकायत थी कि सन्देश नही पहुंचता हैं। कुछ श्रोताओ ने बहुत ही कम बात की। कुछ ऐसे लोकल कॉल भी थे जिनमे श्रोताओं ने बताया कि उनका मूल निवास कहीं और हैं और वे काम के लिए मुम्बई आए हैं। ऐसे श्रोताओं ने अपने मूल राज्य को याद किया जैसे एक श्रोता ने मिर्जापुर की लीची और विन्ध्यावासिनी मंदिर के बारे में बताया।
5 बजे समाचारों के पाँच मिनट के बुलेटिन के बाद गाने सुहाने कार्यक्रम प्रसारित हुआ जिसमे अस्सी के दशक और उसके बाद के गीत सुनवाए गए। लगभग सभी ऐसे गीत सुनवाए गए जो लोकप्रिय रहे।
शुक्रवार को सुनवाए गए सिर्फ तुम, बिच्छू, धड़कन फिल्मो के गीत।
शनिवार को सुनवाए गए - मेला फिल्म का शीर्षक गीत, मिशन काश्मीर फिल्म का गीत और यह गीत भी शामिल था -
हम को हमी से चुरा लो
रविवार को सुनवाए गए - 1942 अ लव स्टोरी, दिल हैं कि मानता नही, आँखे फिल्मो के गीत और यह गीत -
लाल दुपट्टे वाली तेरा नाम तो बता
सोमवार को दिल वाले दुल्हनिया ले जाएगे, करण अर्जुन, साथ-साथ फिल्मो के गीत सुनवाए और यह गीत भी शामिल था -
क्या करे के कैसी मुश्किल हाय
मंगलवार को अस्सी के दशक की कर्ज, एक दूजे के लिए, रॉकी फिल्मो के गीत सुनवाए गए।
बुधवार को जिन फिल्मो के गीत सुनवाए उनमे याराना, लावारिस, तेरी क़सम फिल्मे शामिल थी।
गुरूवार को सुनवाए गए प्यार दीवाना होता हैं, तू खिलाड़ी मैं अनाडी फिल्मो के गीत और सौतन फिल्म का यह गीत चाय की चुस्कियाँ लेते हुए सुनना बहुत अच्छा लगा जबकि बाहर लैला (चक्रवाती तूफ़ान) की रिमझिम जारी थी -
शायद मेरी शादी का ख्याल दिल में आया हैं
इसीलिए मम्मी ने मेरी तुम्हे चाय पे बुलाया हैं
इस कार्यक्रम में रिलीज होने वाली फिल्म के विज्ञापन प्रसारित हुए।
पूरी सभा में प्रसारण के दौरान अन्य कार्यक्रमों के प्रायोजक के विज्ञापन भी प्रसारित हुए और संदेश भी प्रसारित किए गए जिसमें विविध भारती के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में बताया गया।
शाम 5:30 बजे गाने सुहाने कार्यक्रम की समाप्ति के बाद क्षेत्रीय कार्यक्रम शुरू हो जाते है, फिर हम शाम बाद के प्रसारण के लिए 7 बजे ही केन्द्रीय सेवा से जुड़ते है।
सबसे नए तीन पन्ने :
Friday, May 21, 2010
दोपहर बाद के जानकारीपूर्ण कार्यक्रमों की साप्ताहिकी 20-5-10
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