आज याद आ रहा हैं ज्वैल थीफ फिल्म का एक उदास सा गीत जो सुनने में अच्छा लगता हैं. इस फिल्म के अन्य सभी गीत बहुत सुनवाए जाते हैं पर यह गीत बहुत लम्बे समय से नही सुनवाया गया. वैजेयन्ती माला पर फिल्माए गए इस गीत को आशा जी ने गाया हैं. इसके कुछ बोल इस तरह हैं -
रूला के गया सपना मेरा
बैठी हूँ कब हो सवेरा
रूला के गया सपना मेरा
वही हैं गमे दिल वही हैं चन्दा तारे
वही हम बेसहारे
आधी रात वही हैं और हर बात वही हैं
उस पर ये गम का अन्धेरा
रूला के गया सपना मेरा
कैसी ये जिन्दगी के ख्वाबो से हम जूझे
के दिल डूबा हम डूबे
एक दुखिया बेचारी इस जीवन से हारी
फिर भी न आया सवेरा
रूला के गया सपना मेरा
पता नहीं विविध भारती की पोटली से कब बाहर आएगा यह गीत…
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Tuesday, August 10, 2010
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2 comments:
मेरा पसंदीदा गीत
annapurna ji, Ye ASHA ji ki awaz nahin hai . Ye geet mujhe kafi pasand hai aur uska mukhya karan LATA ji ki ghantiyon si bajti awaaz hi to hai.
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